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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#70
औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -18


मिनी स्कर्ट -खड़े होना




गोपालजी – बहुत अच्छे. देखो मैडम, इसने मेरे साथ रहकर काफ़ी कुछ सीख लिया है.

वो दोनों मुस्कुराने लगे और मैं उनके सामने एक सेक्सी मॉडल की तरह खड़ी रही. वैसे मैंने मन ही मन गोपालजी के सिखाने के तरीके की तारीफ़ की.

गोपालजी – ठीक है फिर. मैडम, एक एक करके हर पोज देख लेते हैं ताकि आपको क्लियर आइडिया हो जाए की क्या करना है और क्या नहीं करना है.

“जैसा आप कहो गोपालजी.”

मुझे अच्छा लग रहा था की गोपालजी मुझे अच्छे से गाइड कर रहा था. मैंने सोचा की कई तरह के पोज में बैठाकर गोपालजी मुझे गाइड करेगा की क्या करना है और क्या नहीं. पर मुझे क्या पता था की गाइड करने के दौरान मेरे साथ क्या होने वाला है.

गोपालजी – मैडम, जब आप ये स्कर्ट पहनकर महायज्ञ में बैठोगी तो वहीं पर बांधना जहाँ पर अभी मैंने बांधी है, पैंटी के एलास्टिक से एक अंगुली ऊपर. और स्कर्ट के कपड़े को आगे और पीछे से ऐसे खींच लेना.

गोपालजी ने ऐसे दिखाया जैसे वो स्कर्ट पहने है और अपने आगे पीछे से कपड़े को नीचे खींच रहा है.

गोपालजी – सबसे पहला पोज खड़े होना है और ये सबसे सेफ पोज है.

वो मुस्कुराया. दीपू भी मुस्कुरा रहा था और मैं बेवकूफ़ के जैसे उस टेलर के निर्देशों का इंतज़ार कर रही थी.

गोपालजी – दीपू, क्या मैडम ठीक से खड़ी है ?

दीपू – जी नहीं.

मुझे आश्चर्य हुआ क्यूंकी मैं तो हमेशा जैसे खड़ी होती हूँ वैसे ही खड़ी थी चाहे साड़ी पहनी हो चाहे सलवार कमीज.

“क्यूँ ? क्या समस्या है ?”

गोपालजी – दीपू, क्या तुम….

दीपू – जी जरूर.

दीपू मेरे पास आया और मेरी नंगी टाँगों के सामने पैरों पर बैठ गया. उसका मुँह मेरी चूत के पास था, उसे अपने इतने नजदीक बैठा देखकर जैसे ही मैं पीछे हटने को हुई……

दीपू – मैडम, आप हिलना मत. मैं आपको बताऊँगा की ग़लत क्या है.

दीपू ने मेरी नंगी टाँगों को घुटनों से थोड़ा ऊपर पकड़ लिया और मुझे इशारा किया की मैं अपनी टाँगों को और चिपका लूँ. एक मर्द के मेरी नंगी टाँगों को पकड़ने से मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी फिर मैंने अपने को कंट्रोल किया और टाँगों को थोड़ा और चिपका लिया.

“अब ठीक है ?”

दीपू – ना मैडम. अभी भी आपकी जांघों के बीच गैप दिख रहा है जो की नहीं होना चाहिए.

ऐसा कहते हुए उसने अपनी अंगुली को मेरी जांघों में उस गैप पर फिराया. उसके बाद उसने दोनों हाथों से मेरी जांघों के पीछे के भाग को पकड़ लिया और उस गैप को भरने के बहाने उन पर हाथ फिराने लगा और उन्हें दबाने लगा. उसकी इस हरकत से मेरी चिकनी जांघों में सनसनाहट होने लगी जो टाँगों से होती हुई चूत तक पहुँच गयी. मैं शरमा गयी और अपने सूखे हुए होठों को जीभ से गीला करके नॉर्मल बिहेव करने की कोशिश करने लगी.

“ओह्ह……ओके दीपू, मैं समझ गयी.”

गोपालजी – ठीक है मैडम. जब भी आप स्कर्ट पहनकर खड़ी होगी तो अपनी जांघें चिपकाकर खड़ी होना. जब आप साड़ी, सलवार कमीज या नाइटी पहनती हो तो आपकी टाँगें ढकी रहती हैं इसलिए अगर आप टाँगें अलग करके भी खड़ी रहती हो तो अजीब नहीं लगता. पर ये वेस्टर्न ड्रेस है इसलिए ये अंतर ध्यान में रखना.

“हम्म्म, सही है.”

दीपू – मैडम, आपकी टाँगें बहुत मांसल और खूबसूरत हैं. सच बताऊँ मैडम, केले के पेड़ की तरह दिखती हैं.

गोपालजी – हाँ मैडम. ये तो आप भी मानोगी.

मुझे उस लड़के से अपनी टाँगों पर ऐसे डाइरेक्ट कमेंट की उम्मीद नहीं थी और मुझे कुछ समझ नहीं आया की कैसे रियेक्ट करूँ. मुझे तुरंत अपनी शादी के शुरुवाती दिनों की एक घटना याद आ गयी जब मेरे पति राजेश ने मेरी चूचियों को सेब जैसी कहा था. उस रात को राजेश बहुत देर से मेरी नंगी चूचियों को मसल रहे थे. मेरी कामोत्तेजना से और उनके मसलने से चूचियों लाल हो गयीं. फिर राजेश बोले, “अब तुम्हारी चूचियाँ सेब जैसी दिख रही हैं गोल और लाल.”

अब दीपू मेरे आगे बैठी हुई पोजीशन से खड़ा हो गया. मैंने ख्याल किया उसकी आँखें ऐसी हो रखी थीं की जैसे मेरे पूरे बदन को चाट रही हों. मेरी चूचियाँ थोड़ा तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगीं और ब्लाउज के अंदर ब्रा कप में टाइट होने लगीं. मैंने ऐसे दिखाया जैसे की मेरे कंधे में खुजली लगी हो और इस बहाने ब्लाउज को थोड़ा एडजस्ट कर लिया.


कहानी जारी रहेगी
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 22-08-2022, 02:37 AM



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