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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#68
औलाद की चाह

CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update -16

मिनी स्कर्ट





गोपालजी ने दीपू से स्कर्ट ले ली और उसमें कुछ देखने लगा. मुझे समझ नहीं आया की टेलर क्या चेक कर रहा है ?

गोपालजी – हम्म्म …ठीक है. मैडम आप ट्राइ कर सकती हो.

“कमर ठीक है ?”

ये एक बेवकूफी भरा सवाल था क्यूंकी कोई भी देख सकता था की स्कर्ट की कमर में इलास्टिक बैंड है.

गोपालजी – ये फ्री साइज़ है मैडम. कोई भी औरत इसे पहन सकती है. इसमें इलास्टिक बैंड है.

“हाँ हाँ. मैंने देख लिया.”

ऐसा कहते हुए मैंने टेलर से स्कर्ट ले ली और मेरा गला अभी से सूखने लगा था. ये इतना छोटा कपड़ा था की मेरी जांघों की तो बात ही नहीं मुझे तो आशंका थी की इससे मेरी बड़ी गांड भी ढकेगी या नहीं.

मेरे हाथों में मिनी स्कर्ट देखकर दीपू और गोपालजी की आँखों में चमक आ गयी. क्यूंकी मैं अपना पेटीकोट उतारकर इसे पहनूँगी तो ये मर्दों के लिए देखने लायक नज़ारा होगा. मैं बाथरूम की और जाने लगी तभी……

गोपालजी – मैडम, अगर आपको बुरा ना लगे तो यहीं पर पहन लो. बाथरूम जाने की ज़रूरत नहीं.

“क्या मतलब ?”

गोपालजी – मैडम, बुरा मत मानिए. अगर आप ध्यान से देखो तो स्कर्ट की कमर में में एक हुक है जिसे आप खोल सकती हो. इससे स्कर्ट टॉवेल की तरह खुल जाएगी. फिर आप इसको कमर में लपेट लेना और फिर पेटीकोट खोल देना.

मैंने स्कर्ट को देखा. वो सही था लेकिन मुझे लगा की पेटीकोट के ऊपर स्कर्ट को लपेटकर फिर पेटीकोट को उतारने में दिक्कत भी हो सकती है, ख़ासकर की जब दो मर्द सामने खड़े मुझे घूर रहे होंगे.

“गोपालजी , मेरे लिए बाथरूम में चेंज करना ही कंफर्टेबल रहेगा.”

गोपालजी – ठीक है मैडम, जैसी आपकी मर्ज़ी.

मैं बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मुझे महसूस हुआ की चलते समय दो जोड़ी आँखें मेरी मटकती हुई गांड पर टिकी हुई हैं.

दीपू – मैडम, ध्यान रखना. आपको थोड़ी देर पहले ही होश आया है.

“हाँ. शुक्रिया.”

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी.

मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी. मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था. मुझे एक अजीब सी भावना का एहसास हो रहा था, जिसमें शरम से ज़्यादा मेरे बदन के एक्सपोज होने का रोमांच था. मैंने जिंदगी में कभी इतनी छोटी स्कर्ट नहीं पहनी थी. मुझे याद था की काजल के बाथरूम में उस कमीने नौकर के सामने मैंने जो काजल की स्कर्ट पहनी थी उससे मेरे घुटनों तक ढका हुआ था पर ये वाली स्कर्ट तो कुछ भी नहीं ढकेगी. मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट मेरे पैरों में फर्श पर गिर गया. मेरी जाँघें और टाँगें नंगी हो गयीं , मेरी साँसें तेज चलने लगीं और ब्रा के अंदर मेरे निप्पल टाइट हो गये.

मैंने केले के पेड़ के तने की तरह सुडौल और गोरी गोरी अपनी जांघों को देखा और उस छोटे से कपड़े को पहनने का रोमांच बढ़ने लगा. मैंने शीशे में अपनी पैंटी को देखा और खुशकिस्मती से उसमें कोई गीला धब्बा नहीं दिख रहा था. मैंने स्कर्ट का हुक खोला और उसको अपनी कमर पर लपेटकर फिर से हुक लगा दिया. हुक लगाने के बाद मेरी कमर पर स्कर्ट का इलास्टिक बैंड टाइट महसूस हो रहा था. मैंने शीशे में देखा की मैं कैसी लग रही हूँ और मैं शॉक्ड रह गयी.

“उउउउउउ………..”

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. स्कर्ट के नीचे मेरी गोरी मांसल जांघों का अधिकतर भाग नंगा दिख रहा था और मेरी नाभि से नीचे का हिस्सा भी नंगा था , इससे मैं बहुत उत्तेजक और कामुक लग रही थी.

ये स्कर्ट तो किसी मर्द के सामने पहनी ही नहीं जा सकती थी. ये इतनी छोटी थी की इसे बंद दरवाजों के भीतर सिर्फ अपने बेडरूम में ही पहना जा सकता था. वैसे तो मुझे भी यहाँ आश्रम में बंद दरवाजों के भीतर ही इसे पहनना था पर गुरुजी और अन्य मर्दों के सामने. और महायज्ञ के लिए मुझे ऐसी स्कर्ट पहननी ही थी. इसलिए मैंने अपने मन को बिल्कुल ही बेशरम बनने के लिए तैयार करने की कोशिश की और अपना फोकस सिर्फ अपने गर्भवती होने पर रखा. मैंने सोचा अगर मेरी संतान हो जाती है तो फिर मुझे भगवान से और कुछ नहीं चाहिए. मैंने अपने मन को दिलासा देने की कोशिश की मेरे पति को कभी पता नहीं चलेगा की यहाँ आश्रम में मेरे साथ क्या क्या हुआ था और एक बार मैं अपने घर वापस चली गयी तो आश्रम के इन मर्दों से मेरा कभी वास्ता नहीं पड़ेगा.

मैंने फर्श से पेटीकोट उठाया और हुक में लटका दिया और बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्यूंकी मैं दो मर्दों के सामने छोटी सी स्कर्ट में जाने वाली थी. बाथरूम से कमरे में आते ही मुझे देखकर दीपू के मुँह से वाह निकल गया. मैं उन दोनों से नजरें नहीं मिला सकी और स्वाभाविक शरम से मेरी आँखें झुक गयीं. मुझे मालूम था की उन दोनों मर्दों की निगाहें मेरी चिकनी जांघों को घूर रही होंगी.

गोपालजी – मैडम, आप तो अप्सरा लग रही हो. इस स्कर्ट में बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो.

मैंने सोचा की गोपालजी ने मेरे लिए सेक्सी की बजाय खूबसूरत शब्द का इस्तेमाल किया इसके लिए उसका शुक्रिया. मैं मन ही मन मुस्कुरायी और उस छोटी स्कर्ट को पहनकर नॉर्मल रहने की कोशिश की. मैंने ख्याल किया की मेरी केले जैसी मांसल जांघों को देखकर दीपू का जबड़ा खुला रह गया है. गोपालजी की नजरें मेरे सबसे खास अंग पर टिकी हुई थी और शुक्र था की स्कर्ट ने उसे ढक रखा था.

“गोपालजी ये स्कर्ट कमर में बड़ी टाइट हो रही है.”

मैंने अपनी कमर की तरफ इशारा करते हुए कहा. बिना वक़्त गवाए बुड्ढा तुरंत मेरे पास आ गया और मेरी स्कर्ट के इलास्टिक बैंड में अंगुली डालकर देखने लगा की कितनी टाइट हो रखी है. गोपालजी स्कर्ट के एलास्टिक को खींचकर देखने लगा की कितनी जगह है. मुझे मालूम था की एलास्टिक को खींचकर वो मेरी सफेद पैंटी को देख रहा होगा. एक तो उस छोटी सी बदन दिखाऊ ड्रेस को पहनकर वैसे ही मैं रोमांचित हो रखी थी और अब एक मर्द का हाथ लगने से मेरा सर घूमने लगा. मेरा चेहरा लाल होने लगा और मेरे होंठ सूखने लगे.

गोपालजी – हाँ मैडम, आप सही हो. कमर में ¾ “ एक्सट्रा कपड़ा लगाकर ठीक से फिटिंग आएगी. मैं हुक को भी ½ “ खिसका दूँगा. दीपू नोट करो.

दीपू – जी नोट कर लिया.

गोपालजी – लेकिन मैडम क्या आप यहाँ पर साड़ी बाँधती हो ?

“क्यूँ ?”

गोपालजी – असल में मुझे लग रहा है की आपने स्कर्ट थोड़ी ऊपर बाँधी है.

“लेकिन मैं तो अक्सर अपनी साड़ी को नाभि पर बाँधती हूँ और स्कर्ट तो मैंने नीचे बाँधी है.

मैंने दिखाया की स्कर्ट मेरी नाभि से डेढ़ इंच नीचे है.

गोपालजी – ना मैडम, आपको थोड़ी और नीचे बांधनी पड़ेगी. मैं एडजस्ट करूँ ?

मुझे अच्छी तरह मालूम था की एडजस्ट करने के लिए इसे मेरी स्कर्ट का हुक खोलना होगा और फिर स्कर्ट नीचे होगी. मैंने गले में थूक गटका.

“ठी….ठीक है……”

गोपालजी ने तुरंत मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और अब मेरी इज़्ज़त उसके हाथों में थी. वो टेलर मेरे बदन पर झुका हुआ था और एक दो बार मेरी चूचियाँ उसके बदन से छू गयीं. उसने धीरे धीरे स्कर्ट को नीचे करना शुरू किया और अब मुझे लगा की मेरी पैंटी दिखने लगी है.

“गोपालजी प्लीज. इतना नीचे मत करिए.”

गोपालजी – मैडम, प्लीज आप मेरे काम में दखल मत दीजिए.

स्कर्ट को एडजस्ट करते हुए गोपालजी की अँगुलियाँ मेरी पैंटी के इलास्टिक बैंड को छू रही थीं और एक बार तो मुझे ऐसा लगा की उसने एक अंगुली मेरी पैंटी के एलास्टिक के अंदर घुसा दी है.

“आउच……आआहह…”

मेरी सांस रुक गयी और मेरे मुँह से अपनेआप निकल गया.

गोपालजी ने सर उठाकर ऊपर को देखा और उसका सर ब्लाउज से ढकी हुई मेरी बायीं चूची से टकरा गया. अब मैं आँखें बंद करके जोर से धड़कते हुए दिल से खड़ी थी क्यूंकी मुझे मालूम था की मेरी स्कर्ट का हुक अभी भी खुला है. मेरी आँखें बंद देखकर गोपालजी स्कर्ट को एडजस्ट करने के बहाने दोनों हाथों से मेरी कमर को पैंटी के पास छूते रहा और बीच बीच में अपने सर को मेरी बायीं चूची पर दबाते रहा. उसके ऐसा करने से ऐसी इरोटिक फीलिंग आ रही थी की क्या बताऊँ.

शुक्र था की आख़िरकार उसने स्कर्ट का हुक लगा ही दिया.

गोपालजी – मैडम अब ठीक लग रहा है. देख लीजिए.

मैंने आँखें खोली और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए एक गहरी सांस ली और फिर नीचे देखा.

“ईईईईई…..”

कुछ इस तरह की आवाज मेरे मुँह से निकली, गोपालजी ने स्कर्ट इतनी नीचे कर दी थी की मेरी नाभि और उसके आस पास का पूरा हिस्सा नंगा था और स्कर्ट का एलास्टिक ठीक मेरी पैंटी के एलास्टिक के ऊपर आ गया था.


कहानी जारी रहेगी
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 22-08-2022, 02:35 AM



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