22-08-2022, 02:29 AM
औलाद की चाह
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update -11
बेहोशी का इलाज
ये सुनकर मैंने भी सांस रोक ली ताकि अगर दीपू भी चेक करना चाहे तो उसे भी यही लगे. इस नाटक में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.
दीपू – ऐसा है, तब तो एक काम करना होगा जो की मैंने मामी के साथ देखा है.
गोपालजी – क्या करना होगा ?
दीपू – जब मेरी मामी की हल्की सांस आती थी तो उसकी छाती ज़ोर से दबाकर पंप करते थे और तलवों की मालिश करते थे.
गोपालजी – हाँ ये अच्छा सुझाव है. चलो ऐसा ही करते हैं. तुम मैडम के तलवों की मालिश करो.
एक पल के लिए मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया. ये अच्छा सुझाव नहीं बहुत बढ़िया सुझाव है. मुझे तो कामोत्तेजना से बड़ी बेताबी हो रखी थी की कोई मर्द मेरी कसी हुई चूचियों को अच्छे से दबाए. अब इस बेहोशी के बहाने गोपालजी मेरी छाती को पंप करेगा. इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर कड़क हो गये.
गोपालजी ने बिल्कुल वक़्त बर्बाद नहीं किया और ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और दबाने लगा. जल्दी ही उत्तेजना में भरकर वो बुड्ढा टेलर मेरी जवान चूचियों को दोनों हथेलियों में दबोचकर मसलने लगा. मेरी साँसें उखड़ने लगीं और स्वाभाविक उत्तेजना से मेरी टाँगें अलग हो गयीं और मेरे नितंब भी कसमसाने लगे.
एक मर्द मेरी जवानी को आटे की तरह गूथ रहा था और मैं ज़्यादा हिल डुल भी नहीं सकती थी सिर्फ़ अपने होंठ काट रही थी. सच कहूँ तो मेरे नाटक करने से और गोपालजी की चतुर चालों से मेरे दिल को एक अजीब रोमांच और बदन को संतुष्टि और आनंद का एहसास हो रहा था.
दीपू – जी मुझे लगता है की मैडम के बदन में हरकत होने लगी है. मुझे इसकी टाँगें हिलती हुई महसूस हो रही हैं.
ये सुनकर मैंने जैसे तैसे अपनी कामोत्तेजना पर काबू पाया और एक पत्थर की तरह से पड़ी रही. गोपालजी को भी समझ आया और उसने मेरी चूचियों पर पकड़ ढीली कर दी.
गोपालजी – ठीक है तो फिर एक बार और सांस चेक कर लेता हूँ.
फिर से गोपालजी ने मेरी नाक के आगे हाथ लगाया. जाहिर था की अब मैं गहरी साँसें लेने लगी थी पर गोपालजी ने फिर से वही कहा.
गोपालजी – ना दीपू बेटा. सांस अभी भी वैसी ही है. इसके तलवे ठंडे हो रखे हैं क्या ?
दीपू – जी, लग तो रहे हैं.
गोपालजी – तो फिर अब क्या करना है ?
दीपू – जी , मैंने देखा था की अगर ऐसे होश नहीं आता तो गांव में मामी के मुँह में मुँह लगाकर सांस देते थे. आपसे हो पाएगा ऐसा ?
मुँह में मुँह लगाकर सांस देगा. हे भगवान. मेरा टेलर मेरे साथ ऐसा करेगा ? मेरे साथ तो ये होठों का होठों से चुंबन ही होगा. मैं इसे अपना चुंबन लेने दूँ या नहीं ? एक गांव का टेलर मेरा चुंबन लेगा. और वो भी 60 बरस की उमर का. ऐसे बुड्ढे का चुंबन कैसा महसूस होगा ?
ये सभी सवाल मेरे मन में आए. लेकिन इनका जवाब भी मेरे मन ने ही दिया.
क्यूँ नहीं ले सकता ? इसमें हर्ज़ ही क्या है ? इसने मुझे इतना मज़ा दिया है तो इसको अपने होठों का रस भी पीने देती हूँ. ये सिर्फ़ एक टेलर ही है पर पहले ही मुझे मेरे पति की तरह आलिंगन कर चुका है और वैसे भी सिर्फ़ एक चुंबन से मेरा क्या नुकसान होने वाला है ? जब नाटक कर ही रही हूँ तो क्यूँ ना इसका पूरा मज़ा लूँ.
इस तरह मैंने अपने को उस बुड्ढे टेलर के चुंबन के लिए तैयार कर लिया.
गोपालजी – हाँ क्यूँ नहीं ? मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ और अगर ऐसा करने से मैडम को होश आ जाता है तो बहुत बढ़िया. वैसे तुमने देखा तो होगा कि ऐसा करते कैसे हैं ?
मैंने महसूस किया की गोपालजी मेरे चेहरे के करीब आ गया.
दीपू – आप मैडम का मुँह खोलो और उसके मुँह से हवा खींचकर अपने मुँह से हवा भर दो.
गोपालजी – ठीक है. मैं कोशिश करता हूँ.
दीपू – लेकिन मुँह से सांस देते समय छाती को भी पंप करते रहना. मामी को भी ऐसा ही करते थे.
गोपालजी – अच्छा, ठीक है.
अब तो जैसे उस 60 बरस के आदमी के मन की मुराद पूरी हो गयी. कुछ ही पलों में उसके ठंडे होठों ने मेरे होठों को छुआ. वो उत्तेजना से कांप रहा था और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गयी थीं. गोपालजी ने अपने हाथ से मेरे मुँह को खोला और मुँह में हवा देने के बहाने मेरे निचले होंठ को अपने होठों के बीच दबाकर महसूस किया. फिर उसने मेरा चुंबन लेना शुरू किया और उसकी गरम जीभ मैंने अपने मुँह के अंदर घूमती हुई महसूस की. उसकी लार मेरी लार से मिल गयी और मैंने भी चुंबन में उसका साथ दिया. कुछ पलों बाद गोपालजी ने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और उन्हें निचोड़ने लगा. जिस तरह से वो उन्हें मसल रहा था उससे मुझे लगा की इस बार तो मेरे ब्लाउज के हुक टूट ही जाएँगे. मेरे होठों को चूमने के साथ साथ वो मेरी बड़ी चूचियों को मनमर्ज़ी से दबोच रहा था और उनके बीच तने हुए कड़क निपल्स को अपने अंगूठे से महसूस कर रहा था.
कहानी जारी रहेगी
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update -11
बेहोशी का इलाज
ये सुनकर मैंने भी सांस रोक ली ताकि अगर दीपू भी चेक करना चाहे तो उसे भी यही लगे. इस नाटक में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.
दीपू – ऐसा है, तब तो एक काम करना होगा जो की मैंने मामी के साथ देखा है.
गोपालजी – क्या करना होगा ?
दीपू – जब मेरी मामी की हल्की सांस आती थी तो उसकी छाती ज़ोर से दबाकर पंप करते थे और तलवों की मालिश करते थे.
गोपालजी – हाँ ये अच्छा सुझाव है. चलो ऐसा ही करते हैं. तुम मैडम के तलवों की मालिश करो.
एक पल के लिए मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया. ये अच्छा सुझाव नहीं बहुत बढ़िया सुझाव है. मुझे तो कामोत्तेजना से बड़ी बेताबी हो रखी थी की कोई मर्द मेरी कसी हुई चूचियों को अच्छे से दबाए. अब इस बेहोशी के बहाने गोपालजी मेरी छाती को पंप करेगा. इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर कड़क हो गये.
गोपालजी ने बिल्कुल वक़्त बर्बाद नहीं किया और ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और दबाने लगा. जल्दी ही उत्तेजना में भरकर वो बुड्ढा टेलर मेरी जवान चूचियों को दोनों हथेलियों में दबोचकर मसलने लगा. मेरी साँसें उखड़ने लगीं और स्वाभाविक उत्तेजना से मेरी टाँगें अलग हो गयीं और मेरे नितंब भी कसमसाने लगे.
एक मर्द मेरी जवानी को आटे की तरह गूथ रहा था और मैं ज़्यादा हिल डुल भी नहीं सकती थी सिर्फ़ अपने होंठ काट रही थी. सच कहूँ तो मेरे नाटक करने से और गोपालजी की चतुर चालों से मेरे दिल को एक अजीब रोमांच और बदन को संतुष्टि और आनंद का एहसास हो रहा था.
दीपू – जी मुझे लगता है की मैडम के बदन में हरकत होने लगी है. मुझे इसकी टाँगें हिलती हुई महसूस हो रही हैं.
ये सुनकर मैंने जैसे तैसे अपनी कामोत्तेजना पर काबू पाया और एक पत्थर की तरह से पड़ी रही. गोपालजी को भी समझ आया और उसने मेरी चूचियों पर पकड़ ढीली कर दी.
गोपालजी – ठीक है तो फिर एक बार और सांस चेक कर लेता हूँ.
फिर से गोपालजी ने मेरी नाक के आगे हाथ लगाया. जाहिर था की अब मैं गहरी साँसें लेने लगी थी पर गोपालजी ने फिर से वही कहा.
गोपालजी – ना दीपू बेटा. सांस अभी भी वैसी ही है. इसके तलवे ठंडे हो रखे हैं क्या ?
दीपू – जी, लग तो रहे हैं.
गोपालजी – तो फिर अब क्या करना है ?
दीपू – जी , मैंने देखा था की अगर ऐसे होश नहीं आता तो गांव में मामी के मुँह में मुँह लगाकर सांस देते थे. आपसे हो पाएगा ऐसा ?
मुँह में मुँह लगाकर सांस देगा. हे भगवान. मेरा टेलर मेरे साथ ऐसा करेगा ? मेरे साथ तो ये होठों का होठों से चुंबन ही होगा. मैं इसे अपना चुंबन लेने दूँ या नहीं ? एक गांव का टेलर मेरा चुंबन लेगा. और वो भी 60 बरस की उमर का. ऐसे बुड्ढे का चुंबन कैसा महसूस होगा ?
ये सभी सवाल मेरे मन में आए. लेकिन इनका जवाब भी मेरे मन ने ही दिया.
क्यूँ नहीं ले सकता ? इसमें हर्ज़ ही क्या है ? इसने मुझे इतना मज़ा दिया है तो इसको अपने होठों का रस भी पीने देती हूँ. ये सिर्फ़ एक टेलर ही है पर पहले ही मुझे मेरे पति की तरह आलिंगन कर चुका है और वैसे भी सिर्फ़ एक चुंबन से मेरा क्या नुकसान होने वाला है ? जब नाटक कर ही रही हूँ तो क्यूँ ना इसका पूरा मज़ा लूँ.
इस तरह मैंने अपने को उस बुड्ढे टेलर के चुंबन के लिए तैयार कर लिया.
गोपालजी – हाँ क्यूँ नहीं ? मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ और अगर ऐसा करने से मैडम को होश आ जाता है तो बहुत बढ़िया. वैसे तुमने देखा तो होगा कि ऐसा करते कैसे हैं ?
मैंने महसूस किया की गोपालजी मेरे चेहरे के करीब आ गया.
दीपू – आप मैडम का मुँह खोलो और उसके मुँह से हवा खींचकर अपने मुँह से हवा भर दो.
गोपालजी – ठीक है. मैं कोशिश करता हूँ.
दीपू – लेकिन मुँह से सांस देते समय छाती को भी पंप करते रहना. मामी को भी ऐसा ही करते थे.
गोपालजी – अच्छा, ठीक है.
अब तो जैसे उस 60 बरस के आदमी के मन की मुराद पूरी हो गयी. कुछ ही पलों में उसके ठंडे होठों ने मेरे होठों को छुआ. वो उत्तेजना से कांप रहा था और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गयी थीं. गोपालजी ने अपने हाथ से मेरे मुँह को खोला और मुँह में हवा देने के बहाने मेरे निचले होंठ को अपने होठों के बीच दबाकर महसूस किया. फिर उसने मेरा चुंबन लेना शुरू किया और उसकी गरम जीभ मैंने अपने मुँह के अंदर घूमती हुई महसूस की. उसकी लार मेरी लार से मिल गयी और मैंने भी चुंबन में उसका साथ दिया. कुछ पलों बाद गोपालजी ने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और उन्हें निचोड़ने लगा. जिस तरह से वो उन्हें मसल रहा था उससे मुझे लगा की इस बार तो मेरे ब्लाउज के हुक टूट ही जाएँगे. मेरे होठों को चूमने के साथ साथ वो मेरी बड़ी चूचियों को मनमर्ज़ी से दबोच रहा था और उनके बीच तने हुए कड़क निपल्स को अपने अंगूठे से महसूस कर रहा था.
कहानी जारी रहेगी