21-08-2022, 11:43 PM
नितिन - कैसे ? रुको मैं देखता हूँ ।
इतना कहकर नितिन ने जल्दी जल्दी अपनी आँखे पानी से साफ की और शावर को बंद किया पर तब तक बोहोत देर हो गई थी और हम दोनों बिल्कुल भीग चुके थे
तब तक मैंने भी भी अपने चेहरे को शावर से निकलने वाले पानी से साफ कर लिया और उठने की कोशिश करने लगी पर पैर मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था और उठना मेरे बस से बाहर था तभी नितिन मेरे पास आया पहले तो वो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट मे भीगे बदन का आँखों से ही जायजा लेने लगा । ब्लाउज गीला होने की वजह से उसमे कैद मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा नितिन को साफ-साफ दिख रही थी नितिन का मुझे देखकर क्या हाल था ये तो उसका पेंट मे तनाव मे आने वाला लिंग साफ बता रहा था उसे ऐसे देखकर मेरी साँसे तेज हो गई और शर्म से चेहरा लाल फिर नितिन ने मुझसे कहा - " घबराओ मत पदमा सब ठिक हो जाएगा "
"ये सब तुम्हारी ही वजह से हो रहा है"- मैंने मन मे कहा । फिर नितिन ने मेरे एक हाथ को अपने गले मे डाला और अपने एक हाथ से मेरी पतली काजुक कमर को पकड़ कर मुझे उठाया और पास ही नहाने के लिए रखे छोटे स्टूल पर मुझे बैठा दिया इस दौरान मुझे उसके हाथों का स्पर्श अपने बूब्स पर महसूस हुआ और मैंने अपने बूब्स मे तनाव महसूस किया फिर वो मेरे सामने आया और मेरे पैर पकड़कर उन्हे सीधा किया और बोला - "पदमा, कोन से पैर मे चोट लगी है ?"
मैंने अपने दायें पैर की ओर इशारा किया तो नितिन ने नीचे बैठ मेरे दाएं पैर को पकड़कर उसे उठाकर अपनी गोद मे रख लिया और फिर उसमे जो मैंने सेंडल पाहणी थी उसे अपने हाथों से खोलने लगा । सेंडल निकाल कर नितिन ने वही साइडे मे रख दी और मेरे पैर को धीरे धीरे सहलाने लगा उसके हाथों का स्पर्श मुझे रोमांचित कर रहा था मेरा दिल रह-रहकर धडक उठा । फिर नितिन ने मेरे पेटीकोट को थोड़ा ऊपर किया तो मेरी गोरी चिकनी टाँगे उसके सामने आ गयी और वो वहाँ भी उन्हे सहलाने लगा । फिर उसने एक नजर मेरी ओर देखा तो शर्म के मारे मैंने अपनी निगाहे दूसरी ओर फेर ली मैं उसका सामना नहीं कर सकती थी वो फिर से अपने काम पर लग गया और बोला - " पदमा , लगता है तुम्हारे पैर मे मोच आ गई है ये ठिक हो जाएगी घबराने की कोई बात नहीं "। इतना कहकर उसने मेरे पैर को नीचे रख दिया और सीधा होकर बोला - "पदमा , तुम्हारे शरीर पर तो अभी भी आटा लगा हुआ है इसे साफ करना होगा ।" इतना बोलकर उसने एक बाल्टी मे नल से पानी भरना स्टार्ट किया । मैंने जिस्म को देखा तो उसपर कई जगह आटा लगा हुआ था जो अब पानी पड़ने की वजह से गीला होकर मेरे जिस्म से चिपक गया था । इतने मे नितिन बाल्टी मे पानी भरकर लाया और एक मग से मेरे जिस्म पर पानी डालते हुए मेरे जिस्म को अपने हाथों से साफ करने लगा अपने जिस्म पर उसके हाथ पड़ते ही मेरे तन-बदन मे हलचल मच गई । मैंने उसे रोका और कहा -
मैं - नितिन .. तुम रहने दो, मैं कर लूँगी ।
नितिन - नहीं पदमा , तुम्हारे पैर मे चोट लगी है अगर कही बाल्टी तुम्हारे पैर पर गिर गई तो चोट ज्यादा बढ़ सकती है ।
उसकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही । मुझे खामोश देख नितिन फिर से अपने काम पर लग गया । उसने पहले मेरे कंधों पर पानी डाला और और वहाँ उन्हे रगड़-रगड़ कर साफ करने लगा उसके हाथों की छुअन मेरे जिस्म की आग को भड़का रही थी और मे चाह कर भी उसे रोक नहीं पर रही थी , कंधे साफ करने के बाद नितिन ने मेरे गले और गर्दन पर पानी डाला और फिर वहाँ भी अपने हाथों से साफ करने लगा कुछ ही देर बाद वो मेरी कमर और पीठ पर पानी डाल रहा था और फिर उसके हाथ मेरी गोरी पीठ पर चलने लगे मेरे जिस्म की हलचल अब बढ़ने लगी थी और साँसे भी तेज हो गई थी नितिन मेरी पीठ और कमर को साफ कर रहा रहा के अचानक उसका हाथ मेरे ब्लाउज की डोर मे उलझ गया और एक झटके के साथ डोर खुल गई ।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी मेरी पीठ पर बस वही एक डोर थी उसके खुलने के बाद मेरी पीठ बिल्कुल नंगी हो गई । मैंने धीरे से नितिन को कहा-"नितिन ,ये क्या किया तुमने ?"
नितिन - ओह , सॉरी पदमा वो गलती से मेरा हाथ उसमे उलझ गया था और हाथ निकालने के चक्कर मे डोर खुल गई । आइ यम सॉरी ।
मैं - हम्म ।
मैं बस इतना ही कह पाई के नितिन एक बार फिर मेरी कमर पर पानी डाल वहाँ साफ करने लगा इस बार मेरी कमर पर लगी ब्लाउज की महीन पट्टी उसके हाथों की बाधा बनी हुई थी उसने उसे एक बार खींचा और फिर मुझसे बोला -
नितिन - पदमा !
मैं - हम्म ?
नितिन - मेरी मानो को तुम इस ब्लाउज को निकाल दो ये तो पूरा ही आटे मे सना हुआ है इसे एसे साफ नहीं किया जा सकता ।
उसकी ये बात सुन मेरी धड़कने और भी तेज हो गई मेरे लिए ये आसान नहीं था भले ही मैं गरम होने लगी थी पर किसी पराए मर्द के सामने एसे कैसे मे अपना ब्लाउज निकाल कर सिर्फ ब्रा मे आ जाऊँ । आज तक किसी ने भी अशोक के अलावा मुझे ब्रा मे नहीं देखा था । मैंने नितिन से कहा - " नहीं नितिन मैं एसा नहीं कर सकती "
नितिन - ठिक है तो मैं कर देता हूँ ।
मैं - नहीं नितिन प्लीज ........
पर मेरे बोलने से पहले ही नितिन ने मेरे ब्लाउज की पट्टी को खोल दिया
और ब्लाउज मे कसे मेरे उन्नत बूब्स को जैसे साँस आया और वो तेजी से ऊपर नीचे होने लगे । पीछे मेरी कमर पर पानी डालकर नितिन खड़ा होकर मेरे आगे आया । मैं जान गई थी के अब वो क्या करने वाला है तो मैंने उसके सामने आते ही अपने दोनों हाथ अपने बूब्स के इर्द-गिर्द लपेट लिए और अपने आप को उससे छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी । उत्तेजना के मारे मेरी साँस तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । सामने आकर नितिन ने कहा - "हाथ हटाओ पदमा , मुझे साफ करने दो "
उसके इतना कहने पर भी जब मैंने अपने हाथ नहीं हटाए तो उसने खुद ही मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए और उन्हे मेरे बूब्स से हटाने लगा और उसकी ताकत के आगे मेरी एक ना चली आखिर वो कामयाब हो ही गया और उसने मेरे हाथ अलग कर दिए और मेरी ओर हवस भारी नज़रों से देखने लगा उसकी ये कातिल नजरे मुझसे बर्दाश्त ना हुई और मैंने आंखे बंद कर ली फिर नितिन ने एक मग पानी मेरे ऊपर डाला और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख मेरे ब्लाउज को पकड़ लिया और उसे नीचे की ओर खींचने लगा । मैंने एक बार और अपनी काँपती हुई आवाज मे उससे कहा - "प्लीज नितिन ये मत करो तुम ऊपर से ही साफ कर दो "।
पर नितिन ने मेरी एक ना मानी और ब्लाउज को खिंच कर मेरे जिस्म से अलग कर दिया और उसे वही बाथरूम के फर्श पर रेख दिया एक बार फिर ब्लाउज निकाल जाने पर मैंने अपने हाथ अपने बूब्स के चारों ओर लपेट दिए ।
फिर नितिन ने एक मग पानी और मेरे जिस्म पर डाला और मेरे बूब्स के आस पास मेरे पेट पर अपने हाथों से साफ करने लगा जब भी उसके हाथ मेरे बूब्स पर टच होते मे सिहर जाती और मेरे होंठों से एक धीमी आह निकल जाती वहाँ पर साफ करने के बाद वो सीधा मेरे पैरों के पास आया और मेरे पेटीकोट को मेरी जांघों तक ऊपर उठा दिया फिर उसने मेरे बायँ पैर को पकड़ा और उसकी सेंडल निकाल दी और मेरे पैरों पर पानी डाल उनपर अपने हाथ फिराने लगा नितिन मेरे पैर की उंगलियों से लेकर मेरी जांघों तक अपने हाथ चला रहा था मेरी तो उत्तेजना मे जान ही निकली जा रही थी ओर योनि मे भी जबरदस्त हलचल मची थी । अब मेरा रुकना बोहोत जरूरी हो गया क्यूंकी मेरा मेरे ऊपर से पूरा नियंत्रण खोने लगा था । फिर मैंने हिम्मत करके अपनी कामुक आवाज मे नितिन से कहा -
मैं - नितिन .... अब बस मैं बिल्कुल नहा चुकी हूँ तुम हट जाओ ।
मेरे इतना बोलने पर नितिन ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर सीधा हो गया । खड़े होकर उसने मुझे एक टावल दिया और मेरी ओर से मुहँ फेरकर खड़ा हो गया उसका इशारा था के मैं अपने शरीर को पोंछ लूँ । मैंने अपने बूब्स से अपने हाथ हटाए और अपने आप को टावल से पोंछने लगी । पर अपने गीले अंडरगार्मेंट्स उसके वहाँ खड़े रहते निकालना मेरे लिए मुमकिन नहीं था । मैंने नितिन से कहा - "नितिन तुम प्लीज .. बाहर चले जाओ मुझे चेंज करना है । वो बिना कुछ बोले बाहर चला गया उसके जाने के बाद बैठे -2 ही मैंने अपनी ब्रा और पेटीकोट निकाल दिया और बस पेंटी ही पहने रखी और अपने बदन पर वो टावल लपेटा लिया
मैंने अभी टावल लपेट ही था के दरवाजा खोलकर नितिन अंदर बाथरूम मे आ गया पर इस बार वो सिर्फ अपने अंडरवेयर मे था उसने अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे और उन्हे हाथ मे लिए हुए था मैंने एक नजर उसकी ओर देखा तो पाया एक जवान, फिट , सिक्स पेक्स वाला मर्द जिसकी छाती पर एक भी बाल नहीं बिल्कुल साफ । मेरी एक नजर उसके अंडरवेयर पर गई तो वही अटक गई उसका लंबा लिंग पूरे तनाव मे था । नितिन इस तरह से बोहोत ही सेक्सी लग रहा था कोई भी औरत उसे ऐसे देखकर पागल हो सकती थी वही हालत मेरी थी । फिर मैंने उसके लिंग से आंखे हटाकर उससे पुछा - " नितिन तुमने अपने कपड़े क्यों निकाल दिए ? "
नितिन - वो गीले हो गए थे और मुझे ठंड भी लग रही थी इसलिए निकाल दिए ।
इतना कहकर वो अपने गीले कपड़े बाथरूम मे ही टाँगने लगा । मैंने उठकर चलने की कोशिश की तो पैर मे फिर से दर्द हो उठा ओर मैं फिर से कराह उठी । मेरी आवाज सुनकर नितिन मेरे पास आया और बोला - " तुम्हारे पैर मे अभी दर्द है तुम्हें चलना नहीं चाहिए आओ मैं तुम्हें तुम्हारे बेडरूम तक ले चलूँ "
इतना कहकर नितिन ने बिना मुझसे कुछ पूछे बिना अपना एक हाथ मेरी कमर के पीछे ले जाकर उसे पकड़ लिया और दूसरे हाथ को मेरी चिकनी गोरी नंगी टांगों के नीचे ले जाकर मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और मुझे लेके बेडरूम की ओर चलने लगा । मुझसे तो कुछ कहा भी ना गया । मेरे बूब्स उसकी नंगी कठोर छाती से दाब गए और मेरी बाहें उसके गले मे गिर गई । एक पराया मर्द जिसे मैं कुछ समय पहले से ही जानती हूँ मुझे मेरे ही घर मे इस तरह बिना किसी झिजक के उठा के ले जा रहा था ये सोच सोच के ही मेरी धड़कने तेज हो रही थी नितिन मुझे लेकर मेरे बेडरूम मे घुस गया और फिर मुझे बेड पर बोहोत ही आराम से लिटाया । मैंने एक बार और उसकी ओर देखा 'उफ्फ़ क्या गठीला जिस्म था उसका , और ऊपर से उसका वो अंडरवेयर मे तना हुआ लिंग ' अगर आज मैं एक शादीशुदा औरत ना होती तो खुद ही उससे लिपट जाती । फिर नितिन खुद भी मेरे पास बेड के किनारे बैठ गया और अपना एक हाथ मेरी गोरी चिकनी नंगी टाँग पर रख दिया । मैं तो उत्तेजना मे पागल हुए जा रही थी । फिर नितिन ने पुछा - " पदमा "!
मैं - हम्म ?
नितिन - क्या पैर मे अभी भी दर्द है ।
मैं - हाँ , थोड़ा-थोड़ा ।
नितिन - रुको मे अभी आता हूँ ।
उसके बाद नितिन बेडरूम से बाहर गया और थोड़ी देर बाद लौटा पर इस बार उसके हाथ मे एक छोटी सी कटोरी भी थी । उसे देखकर मैंने पुछा - "ये क्या है नितिन "?
नितिन - तुम्हारे पैर की मालिश के लिए तेल । इससे तुम्हारे पैर का दर्द ठिक हो जाएगा तुम उल्टी लेट जाओ ।
उसके इतना कहने पर मैं मदहोश होकर उसके लिए उल्टी होकर लेट गई इतने मे नितिन बेड पर चढ़ गया और मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपनी गोद मे रख लिया फिर उसने तेल की कटोरी मे से थोड़ा तेल अपने हाथों पर लगाया और मेरे पैरों पर उससे मालिश करने लगा उसकी गोद मे पैर रखे होने की वजह से मेरे पैर उसके अंडरवेयर मे तने हुए लिंग से टकरा रहे थे जिससे मेरे जिस्म मे आग लगने लगी मालिश करते हुए उसके हाथ आसानी से मेरे पैरों पर फिसल रहे थे और मुझे आराम भी दे रहे थे फिर उसने अपने हाथों मे थोड़ा ओर तेल लिया और ऊपर मेरी टांगों की भी मालिश करने लगा । मैं तो आनंद मे चूर हो चुकी थी तो उसे कुछ नहीं कहा फिर उसने अपने हाथों को ठड़ और आगे तक बढ़ाने की सोची ओर मेरी जांघों तक पहुँच गया वो मेरे पैर की उंगलियों से शुरू करता और फिर मेरी जांघों तक जाता इस गरमा-गरम मालिश से मेरी योनि मे भी आग लग गई और उसमे भी गीलापन आने लगा फिर नितिन ने अपने हाथ आगे ले जाने की सोची और उसके हाथ मेरी पेंटी तक जा पहुंचे तो मैं काँपती आवाज मे बोल पड़ी - " आह .... नहीं नितिन वहाँ नहीं "।
और नितिन ने अपने हाथ वही रोक लिए फिर उसने मेरे पैरों को अपनी गोद से उतारा और मेरे सर के पास आया और वहाँ बेठकर फिर से अपने हाथों मे तेल लिया और मेरी पीठ पर डालकर वहाँ मालिश करने लगा ।
जैसे-जैसे उसके हाथ मेरे जिस्म पर चल रहे थे मेरी कामवासना बढ़ रही थी मैंने उससे पुछा - " नितिन...... पैरों की मालिश तो हो गई ना "
नितिन - हाँ , पर थोड़ा तेल अभी भी बचा हुआ है इससे ओर भी आराम मिलेगा ।
नितिन बिल्कुल प्रोफेशनल मसाज वाले की तरह बात कर रहा था और उसका मसाज करने का तरीका भी बिल्कुल प्रोफेशनल था । फिर नितिन बिल्कुल मेरी बराबर मे लेट सा गया और मेरी गर्दन ,कान कंधे हर जगह अपने तेल से सने हाथ घुमाने लगा अब मेरी जिस्म की आग बोहोत भड़क गई थी और मेरे नीचे दबे हुए बूब्स भी बिल्कुल तन गए थे साँसों की रफ्तार तो पहले ही काबू से बाहर हो गई थी और नीचे मेरी योनि मेरी पेंटी को चुतरस से भिगो रही थी अब आगे नितिन क्या करेगा यही सोच -सोचकर मैं और भी उत्तेजित हुए जा रही थी मदहोशी मे मेरी आंखे बंद हो गयी तभी नितिन ने अपने हाथ मेरी पीठ पर चलाने बंद कर दिए , और मेरे ऊपर आ एक दम से मेरे कान को अपने होंठों मे भर लिया और बेताहाशा चूसने लगा ।
"अंहह........ नितिन .... " मेरे मुहँ से निकल पड़ा और उत्तेजना मे , मैंने अपने बेड की चादर को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए । उसके बाद तो नितिन मेरे ऊपर छा गया और मेरे ऊपर लेटकर मेरी पीठ, गर्दन कँधे हर जगह अपने होंठों से लगातार चूमने लगा ।
फिर उसने अपने हाथ नीचे के जाकर टावल के ऊपर से मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे जोर जोर से मसलने लगा । मैं फिर से आहें भरने लगी ।
मैं - नितिन अहं ...... नहीं ........ प्लीज ........ छोड़ दो ........ इन्हे ........ ।
पर नितिन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि वो और भी जोर जोर से मेरे बूब्स को दबाने लगा । नीचे से उसका अंडरवेयर मे कैद लिंग पूरे उफान पर था और मुझे मैरे नितम्बों पर चुभ रहा था । फिर नितिन अचानक से मेरे ऊपर से हटा और मुझे पलटकर सीधा कर दिया । मैंने उससे एक बार और कहा - "नितिन , अब रुक जाओ प्लीज ........ " पर आज नितिन रुकने के मूड मे नहीं था और उसने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरे बालों को पकड़ा और और मेरे होंठ खुल गए , नितिन ने बिना देरी किये अपने होंठ मेरे गरम और प्यासे होंठों पर रख दिए और उन्हे पूरे जोश मे चूसने लगा मैं भी अब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी तो उसके होंठों को चूसने लगी
और उसकी कीस का जवाब देने लगी। ऊपर से अब उसका लिंग मेरी योनि पर वार कर रहा था और मेरी योनि भर-भर कर चुतरस छोड़ रही थी । टावल भी अब ढीला पड़ गया था और नीचे सरकने लगा था जिससे मेरे बूब्स बाहर आने लगे और नितिन के सीने से टकराने लगे । एक जबरदस्त होंठों की चुसाई के बाद नितिन ने मेरे होंठों को छोड़ा तो उनकी सारी लाली उड़ चुकी थी और वो नितिन के होंठों पर लग गयी थी मैंने नितिन की आँखों मे देखा तो उसकी मुझे पाने की हवस साफ नजर आ रही थी फिर नितिन ने अपने होंठ मेरे गले पर रख दिए
और वहाँ पर जोर से चूमने लगा उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगा ये पहली बार था की मेरे नंगे बूब्स नितिन के हाथों मे थे और वो इनका भरपूर फायदा उठा रह था । उधर उसका लिंग अंडरवेयर मे से ही मेरी योनि पर चोट कर रहा था पर उसका अंडरवेयर मे ही कैद लिंग अशोक के आजाद लिंग से ज्यादा मजा दे रहा था । मेरे लिए अब रुकना मुश्किल हो गया और जिस्म मे एक सैलाब आने लगा और मैंने अपने हाथ नितिन की पीठ पर जकड़ लिए और अपने नाखून उसकी पीठ पर गाड़ दिए पर उसके धक्के मेरी योनि पर काम नहीं हुए बल्कि और तेज हो गए मुझे उस वक्त जो मजा आ रहा था मैं अपने लफ्जों मे बयां नहीं कर सकती इतना मजा तो अशोक के साथ भी काभी नहीं आया अपने जिस्म को मिल रहे इस आनंद को मैं सहन ना कर सकी और एक लंबी कराह के साथ झडने लगी । " आह ........ नितिन ........ आह ........ प्लीज रुकना मत ........ हाँ वही पर ........ वही पर वार करो ......।। आह ........ बार बार ........ " ऐसे शब्दों को बड़बड़ाते हुए मैं अपने चरम सुख पर पहुँच गई ।
चरमसुख मिलने के बाद मुझे एक असीम शांति मिली पर नितिन जानता था की मैं झड चुकी हूँ पर वो अब भी नहीं रुका और लगातार मुझे यहाँ वहाँ चूमता रहा और मेरे बूब्स को भी मसलता रहा पर अब वो ऊपर से धक्के नहीं मार रहा था । मैंने नितिन से से कहा - "नितिन अब ओर नहीं प्लीज .... अब तुम चले जाओ ...... "।
पर वो अपने काम मे लगा रहा मुझे लगने लगा की ये नितिन आज मुझे पूरा लूट कर ही जाएगा पर तभी दरवाजे पर एक बेल बजी और मैं और नितिन घबराकर अलग हुए । इस वक्त कौन हो सकता है मेरी तो डर के मारे हालत खराब होने लगी अब क्या होगा कहीं किसी ने देख लिया तो । यही हाल नितिन का था मैंने डरते हुए नितिन से कहा - " नितिन जल्दी जाओ और अपने कपड़े पहनो " । नितिन जल्दी से बाथरूम की ओर भागा और अपने कपड़े पहनने लगा । इतने मे मैंने भी जल्दी से एक सूट ओर लेगईन्ग पहन ली ब्रा पहनने का वक्त नहीं था तो एसे ही पहन लिया तब तक नितिन भी अपने कपड़े पहन कर आ गया । तभी डॉर बेल एक बार फिर बजी मेरा डर अब बढ़ता ही जा रहा था फिर मैंने अपने को थोड़ा संभाला और नितिन से कहा - " मेरे पीछे आओ" ओर उसे लेके घर के पिछले गेट पर पहुँची वहाँ का दरवाजा खोल उसे जल्दी से जाने को बोला और वो बिना किसी सवाल से चला भी गया शायद उसे भी पकड़े जाने का डर था । उसके जाने के बाद मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और मैन गेट खोलने के लिए भागी तब तक घंटी 3 बार बज चुकी थी रास्ते मे मुझे मेरी साड़ी पड़ी मिली जो नितिन ने उतार फेकी थी । मैंने जल्दी -जल्दी उसे नीचे से उठाया और समेट कर सोफ़े की पीछे फेक दिया फिर जल्दी से दरवाजा खोलने आगे बढ़ी दरवाजा खोला तो सामने ' वरुण ' खड़ा था ।
इतना कहकर नितिन ने जल्दी जल्दी अपनी आँखे पानी से साफ की और शावर को बंद किया पर तब तक बोहोत देर हो गई थी और हम दोनों बिल्कुल भीग चुके थे
तब तक मैंने भी भी अपने चेहरे को शावर से निकलने वाले पानी से साफ कर लिया और उठने की कोशिश करने लगी पर पैर मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था और उठना मेरे बस से बाहर था तभी नितिन मेरे पास आया पहले तो वो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट मे भीगे बदन का आँखों से ही जायजा लेने लगा । ब्लाउज गीला होने की वजह से उसमे कैद मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा नितिन को साफ-साफ दिख रही थी नितिन का मुझे देखकर क्या हाल था ये तो उसका पेंट मे तनाव मे आने वाला लिंग साफ बता रहा था उसे ऐसे देखकर मेरी साँसे तेज हो गई और शर्म से चेहरा लाल फिर नितिन ने मुझसे कहा - " घबराओ मत पदमा सब ठिक हो जाएगा "
"ये सब तुम्हारी ही वजह से हो रहा है"- मैंने मन मे कहा । फिर नितिन ने मेरे एक हाथ को अपने गले मे डाला और अपने एक हाथ से मेरी पतली काजुक कमर को पकड़ कर मुझे उठाया और पास ही नहाने के लिए रखे छोटे स्टूल पर मुझे बैठा दिया इस दौरान मुझे उसके हाथों का स्पर्श अपने बूब्स पर महसूस हुआ और मैंने अपने बूब्स मे तनाव महसूस किया फिर वो मेरे सामने आया और मेरे पैर पकड़कर उन्हे सीधा किया और बोला - "पदमा, कोन से पैर मे चोट लगी है ?"
मैंने अपने दायें पैर की ओर इशारा किया तो नितिन ने नीचे बैठ मेरे दाएं पैर को पकड़कर उसे उठाकर अपनी गोद मे रख लिया और फिर उसमे जो मैंने सेंडल पाहणी थी उसे अपने हाथों से खोलने लगा । सेंडल निकाल कर नितिन ने वही साइडे मे रख दी और मेरे पैर को धीरे धीरे सहलाने लगा उसके हाथों का स्पर्श मुझे रोमांचित कर रहा था मेरा दिल रह-रहकर धडक उठा । फिर नितिन ने मेरे पेटीकोट को थोड़ा ऊपर किया तो मेरी गोरी चिकनी टाँगे उसके सामने आ गयी और वो वहाँ भी उन्हे सहलाने लगा । फिर उसने एक नजर मेरी ओर देखा तो शर्म के मारे मैंने अपनी निगाहे दूसरी ओर फेर ली मैं उसका सामना नहीं कर सकती थी वो फिर से अपने काम पर लग गया और बोला - " पदमा , लगता है तुम्हारे पैर मे मोच आ गई है ये ठिक हो जाएगी घबराने की कोई बात नहीं "। इतना कहकर उसने मेरे पैर को नीचे रख दिया और सीधा होकर बोला - "पदमा , तुम्हारे शरीर पर तो अभी भी आटा लगा हुआ है इसे साफ करना होगा ।" इतना बोलकर उसने एक बाल्टी मे नल से पानी भरना स्टार्ट किया । मैंने जिस्म को देखा तो उसपर कई जगह आटा लगा हुआ था जो अब पानी पड़ने की वजह से गीला होकर मेरे जिस्म से चिपक गया था । इतने मे नितिन बाल्टी मे पानी भरकर लाया और एक मग से मेरे जिस्म पर पानी डालते हुए मेरे जिस्म को अपने हाथों से साफ करने लगा अपने जिस्म पर उसके हाथ पड़ते ही मेरे तन-बदन मे हलचल मच गई । मैंने उसे रोका और कहा -
मैं - नितिन .. तुम रहने दो, मैं कर लूँगी ।
नितिन - नहीं पदमा , तुम्हारे पैर मे चोट लगी है अगर कही बाल्टी तुम्हारे पैर पर गिर गई तो चोट ज्यादा बढ़ सकती है ।
उसकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही । मुझे खामोश देख नितिन फिर से अपने काम पर लग गया । उसने पहले मेरे कंधों पर पानी डाला और और वहाँ उन्हे रगड़-रगड़ कर साफ करने लगा उसके हाथों की छुअन मेरे जिस्म की आग को भड़का रही थी और मे चाह कर भी उसे रोक नहीं पर रही थी , कंधे साफ करने के बाद नितिन ने मेरे गले और गर्दन पर पानी डाला और फिर वहाँ भी अपने हाथों से साफ करने लगा कुछ ही देर बाद वो मेरी कमर और पीठ पर पानी डाल रहा था और फिर उसके हाथ मेरी गोरी पीठ पर चलने लगे मेरे जिस्म की हलचल अब बढ़ने लगी थी और साँसे भी तेज हो गई थी नितिन मेरी पीठ और कमर को साफ कर रहा रहा के अचानक उसका हाथ मेरे ब्लाउज की डोर मे उलझ गया और एक झटके के साथ डोर खुल गई ।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी मेरी पीठ पर बस वही एक डोर थी उसके खुलने के बाद मेरी पीठ बिल्कुल नंगी हो गई । मैंने धीरे से नितिन को कहा-"नितिन ,ये क्या किया तुमने ?"
नितिन - ओह , सॉरी पदमा वो गलती से मेरा हाथ उसमे उलझ गया था और हाथ निकालने के चक्कर मे डोर खुल गई । आइ यम सॉरी ।
मैं - हम्म ।
मैं बस इतना ही कह पाई के नितिन एक बार फिर मेरी कमर पर पानी डाल वहाँ साफ करने लगा इस बार मेरी कमर पर लगी ब्लाउज की महीन पट्टी उसके हाथों की बाधा बनी हुई थी उसने उसे एक बार खींचा और फिर मुझसे बोला -
नितिन - पदमा !
मैं - हम्म ?
नितिन - मेरी मानो को तुम इस ब्लाउज को निकाल दो ये तो पूरा ही आटे मे सना हुआ है इसे एसे साफ नहीं किया जा सकता ।
उसकी ये बात सुन मेरी धड़कने और भी तेज हो गई मेरे लिए ये आसान नहीं था भले ही मैं गरम होने लगी थी पर किसी पराए मर्द के सामने एसे कैसे मे अपना ब्लाउज निकाल कर सिर्फ ब्रा मे आ जाऊँ । आज तक किसी ने भी अशोक के अलावा मुझे ब्रा मे नहीं देखा था । मैंने नितिन से कहा - " नहीं नितिन मैं एसा नहीं कर सकती "
नितिन - ठिक है तो मैं कर देता हूँ ।
मैं - नहीं नितिन प्लीज ........
पर मेरे बोलने से पहले ही नितिन ने मेरे ब्लाउज की पट्टी को खोल दिया
और ब्लाउज मे कसे मेरे उन्नत बूब्स को जैसे साँस आया और वो तेजी से ऊपर नीचे होने लगे । पीछे मेरी कमर पर पानी डालकर नितिन खड़ा होकर मेरे आगे आया । मैं जान गई थी के अब वो क्या करने वाला है तो मैंने उसके सामने आते ही अपने दोनों हाथ अपने बूब्स के इर्द-गिर्द लपेट लिए और अपने आप को उससे छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी । उत्तेजना के मारे मेरी साँस तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । सामने आकर नितिन ने कहा - "हाथ हटाओ पदमा , मुझे साफ करने दो "
उसके इतना कहने पर भी जब मैंने अपने हाथ नहीं हटाए तो उसने खुद ही मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए और उन्हे मेरे बूब्स से हटाने लगा और उसकी ताकत के आगे मेरी एक ना चली आखिर वो कामयाब हो ही गया और उसने मेरे हाथ अलग कर दिए और मेरी ओर हवस भारी नज़रों से देखने लगा उसकी ये कातिल नजरे मुझसे बर्दाश्त ना हुई और मैंने आंखे बंद कर ली फिर नितिन ने एक मग पानी मेरे ऊपर डाला और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख मेरे ब्लाउज को पकड़ लिया और उसे नीचे की ओर खींचने लगा । मैंने एक बार और अपनी काँपती हुई आवाज मे उससे कहा - "प्लीज नितिन ये मत करो तुम ऊपर से ही साफ कर दो "।
पर नितिन ने मेरी एक ना मानी और ब्लाउज को खिंच कर मेरे जिस्म से अलग कर दिया और उसे वही बाथरूम के फर्श पर रेख दिया एक बार फिर ब्लाउज निकाल जाने पर मैंने अपने हाथ अपने बूब्स के चारों ओर लपेट दिए ।
फिर नितिन ने एक मग पानी और मेरे जिस्म पर डाला और मेरे बूब्स के आस पास मेरे पेट पर अपने हाथों से साफ करने लगा जब भी उसके हाथ मेरे बूब्स पर टच होते मे सिहर जाती और मेरे होंठों से एक धीमी आह निकल जाती वहाँ पर साफ करने के बाद वो सीधा मेरे पैरों के पास आया और मेरे पेटीकोट को मेरी जांघों तक ऊपर उठा दिया फिर उसने मेरे बायँ पैर को पकड़ा और उसकी सेंडल निकाल दी और मेरे पैरों पर पानी डाल उनपर अपने हाथ फिराने लगा नितिन मेरे पैर की उंगलियों से लेकर मेरी जांघों तक अपने हाथ चला रहा था मेरी तो उत्तेजना मे जान ही निकली जा रही थी ओर योनि मे भी जबरदस्त हलचल मची थी । अब मेरा रुकना बोहोत जरूरी हो गया क्यूंकी मेरा मेरे ऊपर से पूरा नियंत्रण खोने लगा था । फिर मैंने हिम्मत करके अपनी कामुक आवाज मे नितिन से कहा -
मैं - नितिन .... अब बस मैं बिल्कुल नहा चुकी हूँ तुम हट जाओ ।
मेरे इतना बोलने पर नितिन ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर सीधा हो गया । खड़े होकर उसने मुझे एक टावल दिया और मेरी ओर से मुहँ फेरकर खड़ा हो गया उसका इशारा था के मैं अपने शरीर को पोंछ लूँ । मैंने अपने बूब्स से अपने हाथ हटाए और अपने आप को टावल से पोंछने लगी । पर अपने गीले अंडरगार्मेंट्स उसके वहाँ खड़े रहते निकालना मेरे लिए मुमकिन नहीं था । मैंने नितिन से कहा - "नितिन तुम प्लीज .. बाहर चले जाओ मुझे चेंज करना है । वो बिना कुछ बोले बाहर चला गया उसके जाने के बाद बैठे -2 ही मैंने अपनी ब्रा और पेटीकोट निकाल दिया और बस पेंटी ही पहने रखी और अपने बदन पर वो टावल लपेटा लिया
मैंने अभी टावल लपेट ही था के दरवाजा खोलकर नितिन अंदर बाथरूम मे आ गया पर इस बार वो सिर्फ अपने अंडरवेयर मे था उसने अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे और उन्हे हाथ मे लिए हुए था मैंने एक नजर उसकी ओर देखा तो पाया एक जवान, फिट , सिक्स पेक्स वाला मर्द जिसकी छाती पर एक भी बाल नहीं बिल्कुल साफ । मेरी एक नजर उसके अंडरवेयर पर गई तो वही अटक गई उसका लंबा लिंग पूरे तनाव मे था । नितिन इस तरह से बोहोत ही सेक्सी लग रहा था कोई भी औरत उसे ऐसे देखकर पागल हो सकती थी वही हालत मेरी थी । फिर मैंने उसके लिंग से आंखे हटाकर उससे पुछा - " नितिन तुमने अपने कपड़े क्यों निकाल दिए ? "
नितिन - वो गीले हो गए थे और मुझे ठंड भी लग रही थी इसलिए निकाल दिए ।
इतना कहकर वो अपने गीले कपड़े बाथरूम मे ही टाँगने लगा । मैंने उठकर चलने की कोशिश की तो पैर मे फिर से दर्द हो उठा ओर मैं फिर से कराह उठी । मेरी आवाज सुनकर नितिन मेरे पास आया और बोला - " तुम्हारे पैर मे अभी दर्द है तुम्हें चलना नहीं चाहिए आओ मैं तुम्हें तुम्हारे बेडरूम तक ले चलूँ "
इतना कहकर नितिन ने बिना मुझसे कुछ पूछे बिना अपना एक हाथ मेरी कमर के पीछे ले जाकर उसे पकड़ लिया और दूसरे हाथ को मेरी चिकनी गोरी नंगी टांगों के नीचे ले जाकर मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और मुझे लेके बेडरूम की ओर चलने लगा । मुझसे तो कुछ कहा भी ना गया । मेरे बूब्स उसकी नंगी कठोर छाती से दाब गए और मेरी बाहें उसके गले मे गिर गई । एक पराया मर्द जिसे मैं कुछ समय पहले से ही जानती हूँ मुझे मेरे ही घर मे इस तरह बिना किसी झिजक के उठा के ले जा रहा था ये सोच सोच के ही मेरी धड़कने तेज हो रही थी नितिन मुझे लेकर मेरे बेडरूम मे घुस गया और फिर मुझे बेड पर बोहोत ही आराम से लिटाया । मैंने एक बार और उसकी ओर देखा 'उफ्फ़ क्या गठीला जिस्म था उसका , और ऊपर से उसका वो अंडरवेयर मे तना हुआ लिंग ' अगर आज मैं एक शादीशुदा औरत ना होती तो खुद ही उससे लिपट जाती । फिर नितिन खुद भी मेरे पास बेड के किनारे बैठ गया और अपना एक हाथ मेरी गोरी चिकनी नंगी टाँग पर रख दिया । मैं तो उत्तेजना मे पागल हुए जा रही थी । फिर नितिन ने पुछा - " पदमा "!
मैं - हम्म ?
नितिन - क्या पैर मे अभी भी दर्द है ।
मैं - हाँ , थोड़ा-थोड़ा ।
नितिन - रुको मे अभी आता हूँ ।
उसके बाद नितिन बेडरूम से बाहर गया और थोड़ी देर बाद लौटा पर इस बार उसके हाथ मे एक छोटी सी कटोरी भी थी । उसे देखकर मैंने पुछा - "ये क्या है नितिन "?
नितिन - तुम्हारे पैर की मालिश के लिए तेल । इससे तुम्हारे पैर का दर्द ठिक हो जाएगा तुम उल्टी लेट जाओ ।
उसके इतना कहने पर मैं मदहोश होकर उसके लिए उल्टी होकर लेट गई इतने मे नितिन बेड पर चढ़ गया और मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपनी गोद मे रख लिया फिर उसने तेल की कटोरी मे से थोड़ा तेल अपने हाथों पर लगाया और मेरे पैरों पर उससे मालिश करने लगा उसकी गोद मे पैर रखे होने की वजह से मेरे पैर उसके अंडरवेयर मे तने हुए लिंग से टकरा रहे थे जिससे मेरे जिस्म मे आग लगने लगी मालिश करते हुए उसके हाथ आसानी से मेरे पैरों पर फिसल रहे थे और मुझे आराम भी दे रहे थे फिर उसने अपने हाथों मे थोड़ा ओर तेल लिया और ऊपर मेरी टांगों की भी मालिश करने लगा । मैं तो आनंद मे चूर हो चुकी थी तो उसे कुछ नहीं कहा फिर उसने अपने हाथों को ठड़ और आगे तक बढ़ाने की सोची ओर मेरी जांघों तक पहुँच गया वो मेरे पैर की उंगलियों से शुरू करता और फिर मेरी जांघों तक जाता इस गरमा-गरम मालिश से मेरी योनि मे भी आग लग गई और उसमे भी गीलापन आने लगा फिर नितिन ने अपने हाथ आगे ले जाने की सोची और उसके हाथ मेरी पेंटी तक जा पहुंचे तो मैं काँपती आवाज मे बोल पड़ी - " आह .... नहीं नितिन वहाँ नहीं "।
और नितिन ने अपने हाथ वही रोक लिए फिर उसने मेरे पैरों को अपनी गोद से उतारा और मेरे सर के पास आया और वहाँ बेठकर फिर से अपने हाथों मे तेल लिया और मेरी पीठ पर डालकर वहाँ मालिश करने लगा ।
जैसे-जैसे उसके हाथ मेरे जिस्म पर चल रहे थे मेरी कामवासना बढ़ रही थी मैंने उससे पुछा - " नितिन...... पैरों की मालिश तो हो गई ना "
नितिन - हाँ , पर थोड़ा तेल अभी भी बचा हुआ है इससे ओर भी आराम मिलेगा ।
नितिन बिल्कुल प्रोफेशनल मसाज वाले की तरह बात कर रहा था और उसका मसाज करने का तरीका भी बिल्कुल प्रोफेशनल था । फिर नितिन बिल्कुल मेरी बराबर मे लेट सा गया और मेरी गर्दन ,कान कंधे हर जगह अपने तेल से सने हाथ घुमाने लगा अब मेरी जिस्म की आग बोहोत भड़क गई थी और मेरे नीचे दबे हुए बूब्स भी बिल्कुल तन गए थे साँसों की रफ्तार तो पहले ही काबू से बाहर हो गई थी और नीचे मेरी योनि मेरी पेंटी को चुतरस से भिगो रही थी अब आगे नितिन क्या करेगा यही सोच -सोचकर मैं और भी उत्तेजित हुए जा रही थी मदहोशी मे मेरी आंखे बंद हो गयी तभी नितिन ने अपने हाथ मेरी पीठ पर चलाने बंद कर दिए , और मेरे ऊपर आ एक दम से मेरे कान को अपने होंठों मे भर लिया और बेताहाशा चूसने लगा ।
"अंहह........ नितिन .... " मेरे मुहँ से निकल पड़ा और उत्तेजना मे , मैंने अपने बेड की चादर को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए । उसके बाद तो नितिन मेरे ऊपर छा गया और मेरे ऊपर लेटकर मेरी पीठ, गर्दन कँधे हर जगह अपने होंठों से लगातार चूमने लगा ।
फिर उसने अपने हाथ नीचे के जाकर टावल के ऊपर से मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे जोर जोर से मसलने लगा । मैं फिर से आहें भरने लगी ।
मैं - नितिन अहं ...... नहीं ........ प्लीज ........ छोड़ दो ........ इन्हे ........ ।
पर नितिन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि वो और भी जोर जोर से मेरे बूब्स को दबाने लगा । नीचे से उसका अंडरवेयर मे कैद लिंग पूरे उफान पर था और मुझे मैरे नितम्बों पर चुभ रहा था । फिर नितिन अचानक से मेरे ऊपर से हटा और मुझे पलटकर सीधा कर दिया । मैंने उससे एक बार और कहा - "नितिन , अब रुक जाओ प्लीज ........ " पर आज नितिन रुकने के मूड मे नहीं था और उसने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरे बालों को पकड़ा और और मेरे होंठ खुल गए , नितिन ने बिना देरी किये अपने होंठ मेरे गरम और प्यासे होंठों पर रख दिए और उन्हे पूरे जोश मे चूसने लगा मैं भी अब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी तो उसके होंठों को चूसने लगी
और उसकी कीस का जवाब देने लगी। ऊपर से अब उसका लिंग मेरी योनि पर वार कर रहा था और मेरी योनि भर-भर कर चुतरस छोड़ रही थी । टावल भी अब ढीला पड़ गया था और नीचे सरकने लगा था जिससे मेरे बूब्स बाहर आने लगे और नितिन के सीने से टकराने लगे । एक जबरदस्त होंठों की चुसाई के बाद नितिन ने मेरे होंठों को छोड़ा तो उनकी सारी लाली उड़ चुकी थी और वो नितिन के होंठों पर लग गयी थी मैंने नितिन की आँखों मे देखा तो उसकी मुझे पाने की हवस साफ नजर आ रही थी फिर नितिन ने अपने होंठ मेरे गले पर रख दिए
और वहाँ पर जोर से चूमने लगा उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगा ये पहली बार था की मेरे नंगे बूब्स नितिन के हाथों मे थे और वो इनका भरपूर फायदा उठा रह था । उधर उसका लिंग अंडरवेयर मे से ही मेरी योनि पर चोट कर रहा था पर उसका अंडरवेयर मे ही कैद लिंग अशोक के आजाद लिंग से ज्यादा मजा दे रहा था । मेरे लिए अब रुकना मुश्किल हो गया और जिस्म मे एक सैलाब आने लगा और मैंने अपने हाथ नितिन की पीठ पर जकड़ लिए और अपने नाखून उसकी पीठ पर गाड़ दिए पर उसके धक्के मेरी योनि पर काम नहीं हुए बल्कि और तेज हो गए मुझे उस वक्त जो मजा आ रहा था मैं अपने लफ्जों मे बयां नहीं कर सकती इतना मजा तो अशोक के साथ भी काभी नहीं आया अपने जिस्म को मिल रहे इस आनंद को मैं सहन ना कर सकी और एक लंबी कराह के साथ झडने लगी । " आह ........ नितिन ........ आह ........ प्लीज रुकना मत ........ हाँ वही पर ........ वही पर वार करो ......।। आह ........ बार बार ........ " ऐसे शब्दों को बड़बड़ाते हुए मैं अपने चरम सुख पर पहुँच गई ।
चरमसुख मिलने के बाद मुझे एक असीम शांति मिली पर नितिन जानता था की मैं झड चुकी हूँ पर वो अब भी नहीं रुका और लगातार मुझे यहाँ वहाँ चूमता रहा और मेरे बूब्स को भी मसलता रहा पर अब वो ऊपर से धक्के नहीं मार रहा था । मैंने नितिन से से कहा - "नितिन अब ओर नहीं प्लीज .... अब तुम चले जाओ ...... "।
पर वो अपने काम मे लगा रहा मुझे लगने लगा की ये नितिन आज मुझे पूरा लूट कर ही जाएगा पर तभी दरवाजे पर एक बेल बजी और मैं और नितिन घबराकर अलग हुए । इस वक्त कौन हो सकता है मेरी तो डर के मारे हालत खराब होने लगी अब क्या होगा कहीं किसी ने देख लिया तो । यही हाल नितिन का था मैंने डरते हुए नितिन से कहा - " नितिन जल्दी जाओ और अपने कपड़े पहनो " । नितिन जल्दी से बाथरूम की ओर भागा और अपने कपड़े पहनने लगा । इतने मे मैंने भी जल्दी से एक सूट ओर लेगईन्ग पहन ली ब्रा पहनने का वक्त नहीं था तो एसे ही पहन लिया तब तक नितिन भी अपने कपड़े पहन कर आ गया । तभी डॉर बेल एक बार फिर बजी मेरा डर अब बढ़ता ही जा रहा था फिर मैंने अपने को थोड़ा संभाला और नितिन से कहा - " मेरे पीछे आओ" ओर उसे लेके घर के पिछले गेट पर पहुँची वहाँ का दरवाजा खोल उसे जल्दी से जाने को बोला और वो बिना किसी सवाल से चला भी गया शायद उसे भी पकड़े जाने का डर था । उसके जाने के बाद मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और मैन गेट खोलने के लिए भागी तब तक घंटी 3 बार बज चुकी थी रास्ते मे मुझे मेरी साड़ी पड़ी मिली जो नितिन ने उतार फेकी थी । मैंने जल्दी -जल्दी उसे नीचे से उठाया और समेट कर सोफ़े की पीछे फेक दिया फिर जल्दी से दरवाजा खोलने आगे बढ़ी दरवाजा खोला तो सामने ' वरुण ' खड़ा था ।