21-08-2022, 11:21 PM
इसी उधेड़बुन मे 12 बज गए । और तभी दरवाजे पर बेल बजी । दिल जोर से धडक उठा और शरीर जैसे कांपने सा लगा ।
मैं समझ गई के ये नितिन ही होगा , जरूर ये वही है आखिर वो आ ही गया अब क्या करू । "दरवाजा नहीं खोलती हूँ अपने आप चला जाएगा " ऐसा मन मे विचार आया ,फिर एक बार और डोर बेल बजी । "क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा दरवाजा खोल दू क्या ? हो सकता है ये नितिन ना हो कोई ओर हो , कोई ओर इस वक्त कोन होगा नहीं ये जरूर नितिन ही हैं दरवाजा मत खोल पदमा " मन मे अनेक सवाल थे और फिर एक ओर बार डोर बेल बजी । अब तो दरवाजा खोलना ही होगा अगर किसी ने इस तरह से देख लिया तो कोई क्या सोचेगा ? फिर आखिर कर घबराते हुए मैं दरवाजे की ओर चल दी
और फिर डोर खोल दिया । मेरा डर बिल्कुल सच था ये नितिन ही था वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराया उसके हाथ मे एक थैली थी जिसमे कुछ सामान था मैं जहां तक समझ प रही थी तो उसमे जरूर केक के बनाने का सामान होगा । अगर मुझे ये केक मेरे लिए इतनी बड़ी मुसीबत लेकर आएगा तो मैं कभी इसकी रेसेपी मोनिका से नही पूछती मैं अपने आप से ही बात करने मे उलझी थी के तभी नितिन ने मेरा ध्यान तोड़ा -
नितिन - हाय पदमा ।
मैं - नितिन तुम ..
नितिन - हाँ मैं तुम तो भूल गई शायद तुमने ही तो मुझे कल आने को बोला था मुझे तुम्हें केक बनाना सीखना है ना ।
उसके इतना कहने पर मुझे उसकी मेरे साथ कल रात की हुई सभी हरकते याद आ गई मैं उन्हे याद करते ही सिहर उठी
मैं(थोड़ी कमजोर आवाज मे )- नितिन आज मेरी थोड़ी तबीयत खराब है तुम किसी और दिन सिखा देना ।
नितिन - क्यों क्या हुआ ? मुझे देखने दो ।
इतना कहकर उसने अपना एक हाथ मेरे सर पर लगाया थोड़ी देर चेक करने के बाद उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और वहाँ से मेरे नाजुक हाथ को छूते हुए मेरी कलाई को अपने हाथ मे लिया और नब्ज की चेक की ।
उसके छूने से मुझे मेरे शरीर मे गुदगुदी होने लगी । थोड़ी देर मेर नब्ज चेक करने के बाद उसने मेरी कलाई को छोड़ा और कहा -
नितिन - बुखार तो नहीं है क्या हुआ है तुम्हें ?
मैं (अपने सर पर हाथ लगाते हुए)- वो मेरे जरा सर मे दर्द है ।
नितिन - अरे बस इतनी सी बात । तुम अंदर चलो तुम्हारा सर दर्द अभी दो मिनट मे ठीक कीये देता हूँ ।
मैं - लेकिन नितिन ......
नितिन - लेकिन वेकीन कुछ नहीं हम दोस्त है ना ? तो बस तुम अब मेरी बात सुनो तुम्हारा सर दर्द अभी ठीक हो जाएगा ।
इतना कहकर नितिन ने मेरा हाथ पकड़ा और अंदर ले गया । मैं उसे रोक भी ना सकी । अंदर हॉल मे आकर नितिन ने मेरा हाथ छोड़ा और अपने साथ जो थैला लाया था उसको हॉल मे रखी टेबल पर रख दिया । और कहा -
नितिन - पदमा !
मैंने बिना कुछ बोले नितिन की ओर देखा तो उसने आगे कहा-
नितिन - घर मे कोई बाम है क्या ?
मैं- नहीं । वो तो नहीं है क्यूं क्या हुआ ?
नितिन- अरे अभी तो तुम कह रही थी के तुम्हारे सर मे दर्द है ।
मैं - नहीं कोई बात नहीं नितिन ।
नितिन - कैसे कोई बात नहीं आओ मैं तुम्हारे सर की मसाज कर देता हूँ ।
मैं - नहीं रहने दो नितिन ये ठीक हो जाएगा ।
नितिन - बस बिल्कुल चुप आओ बेठो यहाँ ।
इतना कहकर नितिन ने मेरा हाथ पकडा और मुझे खिंच कर सोफ़े पर बीठा दिया और खुद मेरे पीछे आकर खडा हो गया । फिर उसने अपने हाथों को मेरे कंधों पर रखा और बोला - " एक बार जोर से साँस लो पदमा और धीरे से छोड़ो "
मैंने वैसा ही किया एसा करने के दौरान मेरे दोनों बूब्स एक साथ ऊपर की और उछल गए और उनकी गहराई नितिन की आँखों के सामने आ गई फिर नितिन ने अपने दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर रख सर को धीरे धीरे सहलना शुरू किया उसके हाथ मेरे पूरे सर पर घूम रहे थे
उसने अपना एक हाथ मेरे माथे पर और एक मेरे बालों मे डाल दिया और किसी पक्के मसाज वाले की तरह मेरे सर की मसाज करने लगा उसके हाथों मे जैसे जादू था मुझे बहुत ही अच्छा फ़ील होने लगा और जैसे मेरी सारी टेंशन काफ़ुर हो गई । नितिन ने मुझसे पुछा - "पदमा , कुछ आराम मिला । "
मैंने कुछ बोला नहीं बस उत्तर दिया - "हम्म " । उसके बाद नितिन ने अपने दोनों हाथ मेरे सर के बराबर मे लगाए और वहाँ धीरे -2 सहलाने लगा मुझे बोहोत ही अच्छा महसूस हो रहा था । इस तरह से मेरी मसाज आज तक किसी ने नहीं की थी । एक नशा सा मेरे दिमाग पर छाने लगा थोड़ी देर तक नितिन एसे ही मेरे सर की मसाज करता रहा और मुझे आनंद मिलता रहा फिर अचानक वो मेरे कान के पास आया और बिल्कुल मेरे कान से सट कर बोला -"कैसा लग रहा है ? "
नितिन ने ये बात बिल्कुल मेरे कान मे बोली थी और मुझे एक बर फिर उसकी वही गरम साँसे अपने कान मे घुसती हुई महसूस हुई मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया और इसी मस्ती ने नशे मे मैंने उसके सवाल का जवाब दिया ।
मैं - बोहोत अच्छा ।
नितिन समझ रहा था की मैं अब उसकी मसाज के मजे लेने लगी हूँ फिर उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रख दिए और उन्हे मसलने लगा वो अपने हाथ मेरे कंधों तक ले जाता और फिर वहाँ से उन्हे खिंचता हुआ मेरी गर्दन तक आता और वहाँ जोर से मसलता रात को सही से नींद ना आने की वजह से मेरा बदन टूट रहा था और अब नितिन की मसाज मुझे बोहोत आराम दे रही थी ऊपर से उसकी गरम साँसे मुझे उत्तेजित भी कर रही थी और मेरे बूब्स मे तनाव आने लगा था जिसे नितिन ऊपर से साफ देख सकता था कुछ ही देर मैं नितिन के हाथ मेरे कंधों से लेकर गले तक मुझे मसलने लगे मजे के कारण मेरी "आह " निकल गई। कुछ देर एसे ही मसाज करने के बाद अचानक नितिन ने एक हिमाकत की उसने धीरे से अपने हाथ हाथ मेरे बूब्स की ओर बढ़ाने शुरू कीये अपने बूब्स पर नितिन के हाथ स्पर्श होते ही मैं तो जैसे नींद से जागी । मेरी धड़कने तेज हो गई और साँसों की रफ्तार भी बढ़ गई । मुझे मजा तो बोहोत आ रहा था पर इस मजे के चक्कर मे मैं अपनी इज्जत दाव पर नहीं लगा सकती थी इसलिए आपने बूब्स पर नितिन के हाथों का आभास होते ही मैंने एक झटके से नितिन के हाथ आपने बूब्स से हटाए और सोफ़े से उठ खड़ी हुई । नितिन तो एक दम से हक्का बक्का रह गया और मुझसे बोला - " क्या हुआ पदमा ? तुम ऐसे अचानक से क्योँ उठ गई "
मैं (अपनी साँसों को सम्हालते हुए ) - बस नितिन अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ अब ओर मसाज करने की जरूरत नहीं ।
नितिन(मुस्कुराते हुए ) - देखा मैंने कहा था ना की तुम्हारा दर्द 2 मिनट मे ठिक कर दूंगा ।
मैं - हम्म तुम तो कमाल का मसाज करते हो ।
नितिन - अभी तुमने मेरा असली कमाल देखा ही कहाँ है अभी तो तुम्हें असली कमाल दिखना बाकी है ।
ये कहते हुए वो मुस्कुराने लगा । मैं उसका मतलब समझ गई पर फिर भी असमंजस्ता से बचने के लिए उससे पुछा -
मैं - कौन सा कमाल ?
नितिन - वो तुम्हें किचन मे पता चलेगा ।
उसका इशारा उस केक से था जो वो मुझे बनाना सीखाने आया था । इसके बाद उसने बिना कुछ कहे टेबल पर रखे अपने बेग को उठाया और मेरा हाथ पकड़ कर किचन मे ले गया । कीचेन जाकर उसने अपने बेग को कीचेन की स्लेप पर रखा और बोला चलो शुरू करो । मैंने उसकी ओर देखा वो वह बोला - "हाँ ,हाँ शुरू करो जहाँ जरूरत होगी मैं हेल्प करूंगा "। इतना कहकर नितिन मेरे पीछे खड़ा हो गया और पीछे से ही मेरी जवानी को ताड़ने लगा उसकी आँखों की तपिश मैं अपने जिस्म पर महसूस कर पा रही थी
जो मुझे भी रोमांचित कर रही थी मैंने उसके कहे अनुसार बेग खोला तो उसमे एक चॉकलेट पाउडर का पैकेट था मैंने एक बड़े बर्तन मे उस पाउडर को डाला और फिर उसमे थोड़ा दूध डाल दिया नितिन मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा था और मेरी हर मूवमेन्ट पर नजर बनाए हुए था जैसे ही मैंने दूध और चॉकलेट को मिलाने के लिए चम्मच ली तो नितिन मेरे बिल्कुल करीब आया और बोला - "रुको पदमा । "
ये आज दिन मे दूसरी बार था जब नितिन मेरे जिस्म के इतने पास आ गया उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी और इसका असर मुझ पर भी हुआ मेरे अंदर का रोमांच बढ़ने लगा । मैंने नितिन की ओर बिना पलटे ही कहा- "क्या हुआ नितिन । "
नितिन - इसे एसे नहीं मिलाया जाता ।
मैं(थोड़ा पीछे मुड़कर )- तो फिर कैसे ?
मेरे इतना कहने पर नितिन मेरे और भी करीब आया और मुझसे बिल्कुल सट कर खड़ा हो गया,उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रखे और उन्हे छूटे हुए नीचे की ओर आया , मेरे हाथों को अपने हाथों मे लिया और उन्हे दूध और चॉकलेट पाउडर के बर्तन मे डुबो दिया और दूध और चॉकलेट पाउडर को आपस मे मिलाने लगा उसका कठोर सीना मेरी पीठ से टकराने लगा साथ ही नीचे मेरे नितम्बों पर भी मुझे उसके लिंग के तनाव की छुअन महसूस हुई और इस छुअन के महसूस होते ही मैं एक दम से सिहर उठी मैंने थोड़ा आगे होने की कोशिश की पर मेरे आगे स्लेप ने रास्ता रोक लिया उसके गाल बिल्कुल मेरे गाल से टच हो रहे थे जिससे मेरे जिस्म मैं भी मस्ती की लहरे दौड़ने लगी पर मेरा जिस्म अभी मेरे काबू से बाहर नहीं हुआ था अपने को इस स्थिति से निकालने के लिए मैंने नितिन को बोला -
मैं- नितिन !
नितिन(मुझसे चिपके हुए ही) - हम्म
मैं- क्या इसे एसे ही मिलाया जाता है ?
नितिन - हाँ ।
मैं - अच्छा तो ठीक है फिर मैं समझ गई अब तुम हट जाओ ।
मेरे इतना कहने पर नितिन को मुझसे दूर होना पड़ा और वो फिर से मेरे पीछे जा खड़ा हुआ और वही काम करने लगा जो वों पहले कर रहा था ' मेरे जिस्म को पीछे से निहारना ' ।
पर उसके मुझसे दूर होने से मेरी कुछ राहत तो मिली । थोड़ी देर तक मैं एसे ही दूध और चॉकलेट को अपने हाथों से मिलती रही जब वो अच्छे से मिल गया तो मैंने आगे क्या करना है ये जानने के लिए पीछे नितिन की ओर गर्दन घुमाई और पीछे देखकर मेरी तो साँस जैसे वही अटक गई , नितिन पीछे से लगातार मेरी कमर और नितम्बों को घूर रहा था और उसका लिंग भी अपनी तनाव की स्थिति मे था
जिसे उसने अपनी पेंट के ऊपर से हाथ से पकड़ हुआ था ये देखकर मैंने तुरंत अपनी गर्दन शर्म से आगे की ओर घूम ली पर ये बात नितिन ने नोटिस कर ली और पीछे से मुस्कुराते हुए बोला - " क्या हुआ पदमा "?
मैं(थोड़ी घबराकर) - वो .. ये दूध और चॉकलेट ...... मिक्स हो गया है ।
नितिन - अच्छा जरा मुझे देखने दो ।
इतना कहकर नितिन एक बार ओर मेरे पीछे मेरे करीब आ गया और मुझसे चिपक गया उसके लिंग की छुअन अपने नितम्बों पर पड़ते ही मेरे जिस्म मे बेचैनी होने लगी उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर मिक्सचर को चेक किया और बोला - " गुड पदमा, अब इसमे मीठा डाल दो "। मैंने चीनी का डब्बा देखा उसमे चीनी कम थी बाकी चीनी ऊपर वाली स्लेप पर रखी थी पर वहाँ मेरा हाथ नहीं जा सकता था । इसलिए मैंने नितिन से बोला उतारने को क्योंकि उसकी हाइट मुझसे लंबी थी और उसके हाथ आराम से वहाँ तक पहुँच सकते थे पर उसने जवाब मे कहा - " तुम खुद ही उतार लो "
और इतना बोलकर नितिन ने पीछे से मेरे नितम्बों को अपनी बाहों मे कस लिया और मुझे ऊपर उठा दिया ऊपर उठते ही मेरी कमर बिल्कुल उसके चेहरे के सामने आ गई और उसके मुहँ से निकली गरम साँसों का अनुभव जैसे ही मुझे मेरी कमर पर हुआ मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज हो गई मैं जल्दी -2 चीनी के डब्बे को ढूंढने लगी अभी मेरे हाथ आटे के डब्बे पर थे के तभी नितिन ने अपने गरम होंठ मेरी कमर पर लगा दिए,
मेरा जिस्म काँप उठा और मेरी एक 'आह ' निकल गई इस मस्ती मे मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैं गिरने लगी और मेरे हाथ मे जो आटे का डब्बा था वो भी हमारे ऊपर गिर पड़ा । गिरते हुए नितिन ने मुझे तो संभाल लिया पर वो खुद गिर पड़ा और मैं उसके ऊपर सीने पर आ गिरी , मेरे बूब्स उसके सीने पर दब गए हम दोनों के ऊपर वो आटे का डब्बा गिर पडा इतनी ऊँचाई से गिरने के कारण डब्बा खुल गया और उसमे से आटा निकल कर हमारे ऊपर गिर गया । नितिन मेरे नीचे था और उसके हाथ अभी भी मेरे नितम्बों पर थे और ना सिर्फ थे अब वो उन्हे मसल भी रहे थे हमारे शरीर आटे से सन गए थे और चेहरे पर आटा गिरने की वजह से वो आँखों मे भी चला गया जिससे उनमे जलन होने लगी । नितिन मुझसे बिल्कुल लिपटा हुआ था जिसका वो पूरा फायदा उठान चाहता था इसलिए उसने कसकर मुझे अपनी बाहों मे जकड़ लिया वो अपने हाथ मेरी पूरी कमर पर फिराने लगा नीचे उसका लिंग जो अब और भी सख्त हो चला था मेरी योनि से बिल्कुल सट गया और उसके लिंग की गर्मी मेरी योनि को भी उत्साहित करने लगी एक बार तो मन मे आया के मैं भी सब कुछ भूलकर नितिन को कस कर अपनी बाहों मे जकड़ लूँ । पर फिर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए मैंने नितिन से कहा -
मैं -नितिन , मुझे छोड़ो । मेरी आँखों मे आटा चला गया है मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा मुझे आँख धोने जाना है ।
नितिन मेरे नीचे लेटा हुआ ही बोला - " पदमा , मुझे भी आँखों से कुछ दिख नहीं रहा प्लीज मुझे भी बाथरूम ले चलो "
इतना कहकर नितिन ने मुझे छोड़ दिया , और मैं धीरे से दीवार का सहारा लेते हुए सीधी हो गई उसके बाद नितिन भी खड़ा हो गया और बोला - "चलो पदमा "
आँखों से तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो मैंने सोचा के दीवार के सहारे ही अब बाथरूम तक जाना होगा पर मेरी समझ मे एक बात नहीं आ रही थी के नितिन को अपने साथ कैसे ले जाऊ उसे भी तो कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा । मैं ये सब सोच ही रही थी के नितिन ने फिर कहा - "जल्दी करो पदमा मुझे आँखों मे जलन होने लगी है " मैंने ने सवाल के जवाब मे कहा की नितिन मैं तुम्हें साथ मे लेकर आगे नही चल सकती मुझे आगे बढ़ने के लिए मेरे दोनों हाथों के सहारे की जरूरत पड़ेगी । फिर कुछ सोचकर नितिन ने कहा - "पदमा , तुम एक काम करो अपनी साड़ी का पल्लू मुझे थमा दो मैं उसे पकड़ कर चलता हुआ तुम्हारे पीछे आ जाऊंगा "। मैंने सोचा की यही ठिक रहेगा बाथरूम मे जाते ही मैं अपने वो ठिक कर लूँगी । और यही सोचकर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू गिराकर नितिन के हाथों मे दे दिया और कीचेन से निकलकर , बाथरूम की ओर दीवार का सहारा लेकर चलने लगी पीछे नितिन मेरी साड़ी का पल्लू पकड़े चल रहा था। अभी मैं थोड़ी आगे ही चली थी के नितिन ने पीछे से पल्लू को एकदम से खींचा और मेरी बंधी हुई साडी थोड़ी खुल गई सोचा ये गलती से नितिन से खिंच गई होगी ऐसे पकड़ कर चलने मे एसा तो होगा ही और मैं आगे की ओर चलने लगी । थोड़ी और आगे जाने पर नितिन ने फिर एक बार मेरी साड़ी खिंच दी और साड़ी थोड़ी और खुल गई । मैंने नितिन से कहा - " नितिन साड़ी को थोड़ा हल्के से पकड़ो तुम्हारे ज्यादा टाइट पकड़ने से ये खुल रही है ।"
नितिन - मैं क्या करू पदमा ये सब अचानक से हो जाता है तुम किस ओर जा रही हो ये जानने के लिए मुझे इसे थोड़ा टाइट पकड़ना पड़ रहा है ।
उसके इस जवाब ने मुझे चुप कर दिया और मैं आगे चलने लगी पर नितिन अब भी बीच बीच मे मेरी साड़ी खिंच देता जिससे वो थोड़ी थोड़ी करके खुलने लगी और हुआ ये की बाथरूम तक पहुँचने मे , मैं सिर्फ अपने ब्लाउज और पेटीकोट मे थी मेरी पूरी साड़ी फर्श पर बिखरी पड़ी थी । और सच पूछो तो अब मुझे उसकी परवाह भी नहीं थी क्योंकि आटे के आँख मे जाने की वजह से मेरी आँखों मे अब खुजली होने लगी थी और मुझे जल्द से जल्द अपनी आंखे पानी से साफ करनी थी । बाथरूम के बाहर आकर मैंने नितिन का हाथ पकड़ और अंदर घुस गयी । बाथरूम मे जाकर मैं पानी की बाल्टी खोजने की कोशिश करने लगी पर किसी भी बाल्टी मे पानी नहीं था तो मैंने नल खोलने की सोची नितिन वही नल के आगे खड़ा है ये मैं जान गयी थी क्योंकि उसका हाथ अभी भी मेरे हाथ मे था । मैंने नितिन से कहा-"नितिन तुम्हारे पीछे पानी का नल है उसे खोलो "। नितिन पीछे मुड़ा और नल खोजने लगा और उसके हाथ एक वाटर ऑपनर लगा जैसे ही उसने उसे खोला पानी की ठंडी बुँदे हम दोनों के ऊपर गिरने लगी ।
नितिन ने गलती से शावर को खोल दिया था पानी की बूंदे पड़ते ही हम भीगने लगे मैंने शावर को बंद करने के लिए आगे कदम बढ़ाए पर आगे नितिन खड़ा था और मैं उससे जा टकराई उसने गलती से या जानबूझकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे कसकर दबा दिया । अपने जिस्म पर हुए इस झटके से मैं तेजी से पीछे को हटी और दीवार से जा जा टकराई मेरा पैर नीचे रखी साबुन पर पड़ा और मेरा पैर फिसल गया और मैं नीचे गिर पड़ी । नीचे गिरते मैं जोर से चिल्लाई - " आह " ।
मेरी आवाज सुनकर नितिन एकदम से बोला - " क्या हुआ पदमा " ?
मैं ( दर्द से कराहते हुए ) - पैर फिसल गया ।