21-08-2022, 09:59 PM
5. लगभग 11:30 पर हम घर पहुंचे । मुझे थकान तो हो रही थी पर साथ मे नितिन ने जो पार्टी मे मेरे साथ किया उसकी गर्मी भी महसूस हो रही थी
मेरी पेन्टी पूरी मेरी योनि के चुतरस से भीगी हुई थी । एक आस से मैंने अशोक की ओर देखा वो तो मुझ से भी ज्यादा थका लग रहे थे और कुछ पार्टी मे शराब पीने की वजह से उन्हे नींद भी ज्यादा आ रही थी। मैं समझ गई के अब अशोक से कुछ नहीं हो पाएगा । घर मे घुसते ही अशोक बोले - "पदमा "
मैं- जी ?
अशोक -मुझे बोहोत नींद आ रही है मैं सोने जा रहा हूँ ।
इतना बोलकर अशोक सीधा हॅाल से होते हुए बेडरूम मे चले गए मैंने दरवाजा लॉक किया और घर की सभी लाइटस भी ऑफ कर दी फिर मैं भी बेडरूम मे चली गई वहाँ अशोक पहले से ही नींद मे मस्त थे पर मेरी हालत अभी भी ठीक नहीं थी चुतरस से भीगी मेरी पेन्टी से अब मुझे खुजली होने लगी थी मैंने जल्दी से अलमारी खोलकर उसमे से एक नाइटी निकाली और बाथरूम मे चली गई बाथरूम मे पहुंचते ही मैंने अपनी साड़ी निकाल दी । ब्लाउज और पेटीकोट मे भी परेशानी हो रही थी तो उन्हे भी निकाल दिया और बस ब्रा और पेन्टी पहने रखी फिर शावर खोल दिया जैसे ही शावर से ठंडे पानी की बूंदे मेरे बदन पर गिरने लगी मेरे शरीर की गर्मी को कुछ शांति मिली । मैं शावर के नीचे पानी की बूंदों का आनंद लेने लगी ।
पर पेन्टी से मुझे अभी भी परेशानी हो रही थी इसलिए मैंने उसे निकालने लगी । पेन्टी को निकालते हुए मुझे एक बार फिर नितिन की याद आ गई पता नहीं कल क्या होकर रहेगा । मैं क्या करूंगी मेरा जिस्म तो मेरे काबू मे नहीं रहता एक बार जब मैं गरम हो जाती हूँ तो मेरी हवस मुझ पर पूरे तरीके से हावी हो जाती है फिर मुझे अच्छे-बुरे सही-गलत किसी भी चीज का कोई ख्याल नहीं रहता ये तो मैं आज ही देख चुकी थी के नितिन से पूरी दूरी बनाने के बावजूद अपने मन मे द्रढ निश्चय करने के बावजूद भी मैं आखिर मे उसके चंगुल से बच ना सकी वो तो शुक्र है की वहाँ काफी लोग थे जिसकी वजह से मेरी लाज बच गई नहीं तो आज तो मैं लूट ही गई थी ।
पर कल जब घर कोई नहीं होगा तो क्या होगा मैं खुद को उससे कैसे बचा पाऊँगी इन्ही बातो सो सोचते हुए कब मेरा नहाना खत्म हो गया पता भी ना चला । मैंने टावल से अपने शरीर के अंगों को साफ किया और नाइटी पहन कर बाहर आई ।
बाहर आकर देखा तो अशोक बिस्तर मे सोये हुए खराटे ले रहे थे ।
"अशोक तुम मजे से सो रहे हो और आज तुम्हारी बीवी तुम्हारे ही बॉस के हाथों लूटते लूटते बची है , और कल बच पाएगी या नहीं इसका भी कुछ पता नहीं " - मैंने मन मे सोचा । फिर ख्याल आया की आज ये जो मेरी हालत है इसके जिम्मेदार भी अशोक खुद ही है अगर वो मेरी पूर्ण संतुष्टि दे पाते तो मैं यूँ घड़ी-घड़ी उत्तेजित ना होती ।ये सब सोचकर फिर मुझे अपने पर शर्म भी आई कि मैं कैसे एक बाजारू औरत जैसे ख्याल अपने मन मे ला सकती हूँ पर ये वक्त इन सब बातों का नहीं था इसलिए मैं इन सब बातों से ध्यान हटाकर कल नितिन के आने पर क्या करना है इस बारे मे सोचने लगी कितनी ही देर ऐसे ही सोचने के बाद भी मैं किसी तरह का कोई फैसला ना कर सकी , तो हारकर बिस्तर पर लेट गई पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी । लगभग 1 घंटे तक मैं एक करवट से दूसरे करवट लेटती रही पर नींद ना आई ।
नितिन के आने को लेकर मन जिस्म मे एक अलग सा रोमांच भी पैदा हो गया था जो मुझे सोने नहीं दे रहा था रात के लगभग 2 बजे मुझे नींद आई तब तक भी एक ही सवाल मन मे था कि कल क्या होगा ?
सुबह 6 बजे रोज की तरह अलार्म बोल गया रात को देरी से सोने की वजह से सुबह उठा ही नहीं जा रहा था सारा शरीर टूट रहा था फिर भी मन मारकर मैं बिस्तर से उठी और फ्रेश होने बाथरूम चली गई उसके बाद मैंने रोज की तरह अशोक के लिए नाश्ता तैयार किया और 8 बजे तक नाश्ता करके अशोक चले भी गए । एक बार तो मेरा मन हुआ की अशोक को जाने से रोक लु पर फिर सोचा कि कारण क्या बताऊँगी की क्यूँ रोक रही हूँ । अशोक के जाने के बाद मैंने खुद भी नाश्ता किया और अपने बचे हुए कामों मे लग गई और 10 बजे तक अपना सारा काम निपटा लिया । पर अब मुझे नितिन के आने का डर भी सताने लगा था पता नहीं वो कब आ धमके । मैं इसी उधेड़-बुन मे थी की क्या करू । फिर मैंने एक तरकीब सोची क्यों ना घर को लॉक करके सीमा जी के यहाँ चली जाऊ नितिन आएगा तो घर को बंद देखकर अपने आप वापस चला जाएगा । मैंने इसे ही बेहतर समझा और घर से बाहर आकर दरवाजे को लॉक करके गली की ओर निकाल पड़ी रास्ते मे मुझे फिर मोहल्ले वालों की कामुक नजरे अपने बदन पर चुभती हुई महसूस हुई ,
मेरी बलखाती कमर देखकर उनका कालेज मुह को आ गया । और फिर मैं वरुण के घर जा पहुँची ओर डोर बेल बजाई । थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो सामने वरुण था मुझे देखते ही वरुण बोला - "भाभी आप .... .. आइये ना अंदर आइये । "
फिर मैं वरुण के साथ उसके घर के अंदर चली गई ।
मैं- कैसे हो वरुण ?
वरुण - एकदम अच्छा । आप केसी है ?
मैं - मैं भी ठीक हूँ , तुम्हारी मम्मी कहाँ है ?
वरुण - भाभी मम्मी तो किसी काम से बाहर गई है आप बेठिए मैं आपके लिए पानी लाता हूँ ।
फिर वरुण पानी लेने कीचेन मे चला गया और मैं हॉल मे बिछे एक सोफ़े पर बैठ गई
जल्दी ही वरुण एक ग्लास पानी लेकर लोटा । मैंने पानी का ग्लास वरुण के हाथ से लिया और पानी पीने लगी । ग्लास ऊपर तक भरा हुआ था जिसकी वजह से पानी पीते हुए पानी की कुछ बुँदे मेरी साड़ी और ब्लाउस पर गिर गई जिसके कारण ब्लाउज के अंदर मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा दिखने लगी । मैंने पानी का ग्लास नीचे रखा और वरुण को भी बैठने को कहा । वो मेरे सामने बिछे एक सोफ़े पर बैठ गया और फिर हमने बातें करनी शुरू की।
मैं - हाँ तो वरुण तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ? कुछ पढ़ भी लेते हो या सारा दिन बस खेलने और घूमने मे ही गवा देते हो ।
वरुण - जी भाभी पढ़ाई भी कर रहा हूँ पर घर पर सही से तैयारी नहीं कर पाता इसलिए सोच रहा हूँ की कहीं ट्यूशन लगा लू कुछ हेल्प भी मिल जाएगी ।
मैं - हम्म तुम्हारी मम्मी भी यही कह रही थी ।
मैंने नोटिस किया की वरुण की नजरे मेरी ओर नहीं कहीं ओर है जब मैंने उसकी नज़रों का पिछा किया तो तो पाया वो कुछ ओर नहीं , मेरे ब्लाउज पर पानी गिरने से जो ब्रा दिखाई दे रही थी उसे देख रहा था । उसकी इस हरकत से मुझे बोहोत शर्म आई और मैंने धीरे से अपने पल्लू से अपने पूरे ब्लाउज को कवर किया । इसके बाद वरुण का ध्यान वहाँ से टूटा ।
मैं - कहाँ खो गए वरुण ?
वरुण( हड़बडाहट मे ) - कहीं नहीं भाभी , हाँ तो क्या कह रही थी मम्मी ?
मैं - तुम्हारे टयूशन के बारे मे बात कर रही थी ?
वरुण - क्या बात ?
मैं - यही की मैं तुम्हें टयूशन पढ़ा दिया करू ।
वरुण - आप ?
मैं - हाँ , अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो ।
वरुण(खुशी से ) - नहीं ,नहीं भाभी मुझे तो कोई ऐतराज नहीं बल्कि बोहोत खुशी है मजा आएगा ।
मैं - किस चीज मे ?
वरुण - आपके साथ पढ़ने मे ।
मैं - अच्छा जी , तुम तो अभी से काफी एक्साइटेड लग रहे हो कोई खास वजह ?
वरुण(खुश होते हुए ) - वजह तो बेहद खास है ।
मैं( उत्सुकता से ) - क्या वजह है जरा मैं भी तो सुनु ?
वरुण - अब अगर मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की मुझे टयूशन देगी तो इसमे गर्व की तो बात है ही ना ।
लड़की , वरुण मुझे लड़की बोल रहा था जबकि मैं उससे 8 साल बड़ी थी ।
मैं (शर्माते हुए ) - अच्छा जी , लड़की........ बदमाश ......
ये कहते हुए मैंने खड़ी होकर उसका एक कान पकड़कर धीरे से खींचने लगी , वरुण अपना कान छुटाने की कोशिश करता हुआ बोला - "भाभी छोड़ो ना प्लीज "।
पर जब मैंने उसका कान नहीं छोड़ा तो उसने अपने एक हाथ से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिससे मैंने उसका कान पकड़ा था और अपने दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़कर मुझे पलटकर सोफ़े पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया
उसका हाथ अभी भी मेरी कमर के नीचे था और दूसरा हाथ मेरे हाथ को । वरुण बिल्कुल मेरे ऊपर था मेरा अंग -2 उसके शरीर के नीचे दबा हुआ था । मैंने सोचा भी नहीं था की वरुण अचानक से एसा कर देगा । वरुण मेरे बिल्कुल ऊपर था और हमारी साँसे टकरा रही थी मैंने वरुण से बोला -
मैं - वरुण , ये क्या किया ?
वरुण (एसे ही मुझे पकड़े हुए )- मैंने क्या किया ?
मैं - मुझे नीचे गिर दिया ।
वरुण - शरुवात आपने ही की थी ।
मैं - अच्छा चलो अब मुझे छोड़ो ।
वरुण - पहले आप मेरा कान छोड़िए ।
फिर मैंने वरुण का कान छोड़ दिया उसके बाद वरुण ने अपना हाथ मेरी कमर के नीचे से निकाला पर निकालते हुए उसने पेट पर एक जोर से चिकोटी काट दी । मैं तो एकदम से कराह उठी - "आह ...... " ।
मैं - ये क्या था वरुण ?
वरुण ( मेरे ऊपर से उठते हुए) - ये आपकी पनीशमेंट थी मेरा कान पकड़ने की ।
मैं (सोफ़े से उठते हुए ) - अच्छा तो अब तुम मुझे पनिश भी किया करोगे ।
वरुण ( मेरे करीब आकर )- बिल्कुल जो गलती करेगा उसे सजा जरूर मिलेगी । पर इस सजा का दर्द बोहोत मीठा होगा ।
उसकी ये बात कहने का अंदाज मुझे कुछ अजीब लगा । वरुण इतनी बेबाकी से ये सब बाते कह रहा था जैसे वो मुझसे नहीं अपने किसी दोस्त से बात कर रहा हो ।
मैं - अच्छा , एसी कोन सी सजा है जिसका दर्द भी मीठा है ।
वरुण- ये तो आप समय आने पर जान जाएंगी ।
मैं ( उसकी बात को इग्नोर करते हुए ) - अच्छा अब मुझे जाना है तुम्हारी मम्मी कब तक आएंगी ?
वरुण - मम्मी तो शाम तक ही आएंगी ।
मैं - हम्म चलो ठीक है , बाय मैं चलती हूँ ।
इतना कह मैं वरुण के घर से जाने लगी। मैं गेट तक ही पहुँची थी के पीछे से वरुण ने आवाज दी ।
वरुण - टीचर ?
मैंने पलटकर देखा फिर वो बोला ।
वरुण - टयूशन मे किस टाइम से आऊ टीचर ?
मैं ( मुसकुराते हुए ) - दोपहर मे ।
इसके बाद मैं वरुण के घर से बाहर आ गई। बाहर तो मैं आ गई पर ये समझ नहीं आया के अब क्या करू घर जाना खतरों से भरा था नितिन के आने का दर अभी भी था फिर सोचा के गुप्ता जी के यहाँ चली जाऊ पर फिर मुझे उस दिन उनके साथ उनकी दुकान मे हुई सभी घटनायें याद आ गई । "नहीं मैं गुप्ता जी के यहाँ नहीं जा सकती मैं कैसे उनका सामना कर पाऊँगी उस दिन भी अगर वक्त रहते अशोक का फोन ना आ गया होता तो ना जाने क्या होता" ये सब सोचकर मैंने गुप्ता जी के वहाँ जाने का विचार छोड़ दिया और फिर अपना मोबाइल निकालकर टाइम देखने लगी । 11:45 हुई थी मैंने सोचा अब तक तो शायद नितिन आकर घर को लॉक देखकर चला भी गया हो ।
फिर एक बार को मन मे आया की अगर उसने आज मुझे घर पर नहीं पाया तो कल फिर आएगा मैं कब तक उससे छिपती फिरूँगी । मुझे उसका सामना करना ही होगा नहीं तो उसकी हिम्मत और भी बढ़ जाएगी । इतना सोचकर मैंने एक बार फिर अपने घर की ओर कदम बढ़ाए ।
घर जाकर मैंने दरवाजा खोला अंदर प्रवेश किया । मन मे एक विश्वास भी था और बेचीनी भी विश्वास ये की मैं नितिन का सामना कर पाऊँगी और बैचेनी ये थी की अगर नहीं कर पाई तो ?
मेरी पेन्टी पूरी मेरी योनि के चुतरस से भीगी हुई थी । एक आस से मैंने अशोक की ओर देखा वो तो मुझ से भी ज्यादा थका लग रहे थे और कुछ पार्टी मे शराब पीने की वजह से उन्हे नींद भी ज्यादा आ रही थी। मैं समझ गई के अब अशोक से कुछ नहीं हो पाएगा । घर मे घुसते ही अशोक बोले - "पदमा "
मैं- जी ?
अशोक -मुझे बोहोत नींद आ रही है मैं सोने जा रहा हूँ ।
इतना बोलकर अशोक सीधा हॅाल से होते हुए बेडरूम मे चले गए मैंने दरवाजा लॉक किया और घर की सभी लाइटस भी ऑफ कर दी फिर मैं भी बेडरूम मे चली गई वहाँ अशोक पहले से ही नींद मे मस्त थे पर मेरी हालत अभी भी ठीक नहीं थी चुतरस से भीगी मेरी पेन्टी से अब मुझे खुजली होने लगी थी मैंने जल्दी से अलमारी खोलकर उसमे से एक नाइटी निकाली और बाथरूम मे चली गई बाथरूम मे पहुंचते ही मैंने अपनी साड़ी निकाल दी । ब्लाउज और पेटीकोट मे भी परेशानी हो रही थी तो उन्हे भी निकाल दिया और बस ब्रा और पेन्टी पहने रखी फिर शावर खोल दिया जैसे ही शावर से ठंडे पानी की बूंदे मेरे बदन पर गिरने लगी मेरे शरीर की गर्मी को कुछ शांति मिली । मैं शावर के नीचे पानी की बूंदों का आनंद लेने लगी ।
पर पेन्टी से मुझे अभी भी परेशानी हो रही थी इसलिए मैंने उसे निकालने लगी । पेन्टी को निकालते हुए मुझे एक बार फिर नितिन की याद आ गई पता नहीं कल क्या होकर रहेगा । मैं क्या करूंगी मेरा जिस्म तो मेरे काबू मे नहीं रहता एक बार जब मैं गरम हो जाती हूँ तो मेरी हवस मुझ पर पूरे तरीके से हावी हो जाती है फिर मुझे अच्छे-बुरे सही-गलत किसी भी चीज का कोई ख्याल नहीं रहता ये तो मैं आज ही देख चुकी थी के नितिन से पूरी दूरी बनाने के बावजूद अपने मन मे द्रढ निश्चय करने के बावजूद भी मैं आखिर मे उसके चंगुल से बच ना सकी वो तो शुक्र है की वहाँ काफी लोग थे जिसकी वजह से मेरी लाज बच गई नहीं तो आज तो मैं लूट ही गई थी ।
पर कल जब घर कोई नहीं होगा तो क्या होगा मैं खुद को उससे कैसे बचा पाऊँगी इन्ही बातो सो सोचते हुए कब मेरा नहाना खत्म हो गया पता भी ना चला । मैंने टावल से अपने शरीर के अंगों को साफ किया और नाइटी पहन कर बाहर आई ।
बाहर आकर देखा तो अशोक बिस्तर मे सोये हुए खराटे ले रहे थे ।
"अशोक तुम मजे से सो रहे हो और आज तुम्हारी बीवी तुम्हारे ही बॉस के हाथों लूटते लूटते बची है , और कल बच पाएगी या नहीं इसका भी कुछ पता नहीं " - मैंने मन मे सोचा । फिर ख्याल आया की आज ये जो मेरी हालत है इसके जिम्मेदार भी अशोक खुद ही है अगर वो मेरी पूर्ण संतुष्टि दे पाते तो मैं यूँ घड़ी-घड़ी उत्तेजित ना होती ।ये सब सोचकर फिर मुझे अपने पर शर्म भी आई कि मैं कैसे एक बाजारू औरत जैसे ख्याल अपने मन मे ला सकती हूँ पर ये वक्त इन सब बातों का नहीं था इसलिए मैं इन सब बातों से ध्यान हटाकर कल नितिन के आने पर क्या करना है इस बारे मे सोचने लगी कितनी ही देर ऐसे ही सोचने के बाद भी मैं किसी तरह का कोई फैसला ना कर सकी , तो हारकर बिस्तर पर लेट गई पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी । लगभग 1 घंटे तक मैं एक करवट से दूसरे करवट लेटती रही पर नींद ना आई ।
नितिन के आने को लेकर मन जिस्म मे एक अलग सा रोमांच भी पैदा हो गया था जो मुझे सोने नहीं दे रहा था रात के लगभग 2 बजे मुझे नींद आई तब तक भी एक ही सवाल मन मे था कि कल क्या होगा ?
सुबह 6 बजे रोज की तरह अलार्म बोल गया रात को देरी से सोने की वजह से सुबह उठा ही नहीं जा रहा था सारा शरीर टूट रहा था फिर भी मन मारकर मैं बिस्तर से उठी और फ्रेश होने बाथरूम चली गई उसके बाद मैंने रोज की तरह अशोक के लिए नाश्ता तैयार किया और 8 बजे तक नाश्ता करके अशोक चले भी गए । एक बार तो मेरा मन हुआ की अशोक को जाने से रोक लु पर फिर सोचा कि कारण क्या बताऊँगी की क्यूँ रोक रही हूँ । अशोक के जाने के बाद मैंने खुद भी नाश्ता किया और अपने बचे हुए कामों मे लग गई और 10 बजे तक अपना सारा काम निपटा लिया । पर अब मुझे नितिन के आने का डर भी सताने लगा था पता नहीं वो कब आ धमके । मैं इसी उधेड़-बुन मे थी की क्या करू । फिर मैंने एक तरकीब सोची क्यों ना घर को लॉक करके सीमा जी के यहाँ चली जाऊ नितिन आएगा तो घर को बंद देखकर अपने आप वापस चला जाएगा । मैंने इसे ही बेहतर समझा और घर से बाहर आकर दरवाजे को लॉक करके गली की ओर निकाल पड़ी रास्ते मे मुझे फिर मोहल्ले वालों की कामुक नजरे अपने बदन पर चुभती हुई महसूस हुई ,
मेरी बलखाती कमर देखकर उनका कालेज मुह को आ गया । और फिर मैं वरुण के घर जा पहुँची ओर डोर बेल बजाई । थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो सामने वरुण था मुझे देखते ही वरुण बोला - "भाभी आप .... .. आइये ना अंदर आइये । "
फिर मैं वरुण के साथ उसके घर के अंदर चली गई ।
मैं- कैसे हो वरुण ?
वरुण - एकदम अच्छा । आप केसी है ?
मैं - मैं भी ठीक हूँ , तुम्हारी मम्मी कहाँ है ?
वरुण - भाभी मम्मी तो किसी काम से बाहर गई है आप बेठिए मैं आपके लिए पानी लाता हूँ ।
फिर वरुण पानी लेने कीचेन मे चला गया और मैं हॉल मे बिछे एक सोफ़े पर बैठ गई
जल्दी ही वरुण एक ग्लास पानी लेकर लोटा । मैंने पानी का ग्लास वरुण के हाथ से लिया और पानी पीने लगी । ग्लास ऊपर तक भरा हुआ था जिसकी वजह से पानी पीते हुए पानी की कुछ बुँदे मेरी साड़ी और ब्लाउस पर गिर गई जिसके कारण ब्लाउज के अंदर मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा दिखने लगी । मैंने पानी का ग्लास नीचे रखा और वरुण को भी बैठने को कहा । वो मेरे सामने बिछे एक सोफ़े पर बैठ गया और फिर हमने बातें करनी शुरू की।
मैं - हाँ तो वरुण तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ? कुछ पढ़ भी लेते हो या सारा दिन बस खेलने और घूमने मे ही गवा देते हो ।
वरुण - जी भाभी पढ़ाई भी कर रहा हूँ पर घर पर सही से तैयारी नहीं कर पाता इसलिए सोच रहा हूँ की कहीं ट्यूशन लगा लू कुछ हेल्प भी मिल जाएगी ।
मैं - हम्म तुम्हारी मम्मी भी यही कह रही थी ।
मैंने नोटिस किया की वरुण की नजरे मेरी ओर नहीं कहीं ओर है जब मैंने उसकी नज़रों का पिछा किया तो तो पाया वो कुछ ओर नहीं , मेरे ब्लाउज पर पानी गिरने से जो ब्रा दिखाई दे रही थी उसे देख रहा था । उसकी इस हरकत से मुझे बोहोत शर्म आई और मैंने धीरे से अपने पल्लू से अपने पूरे ब्लाउज को कवर किया । इसके बाद वरुण का ध्यान वहाँ से टूटा ।
मैं - कहाँ खो गए वरुण ?
वरुण( हड़बडाहट मे ) - कहीं नहीं भाभी , हाँ तो क्या कह रही थी मम्मी ?
मैं - तुम्हारे टयूशन के बारे मे बात कर रही थी ?
वरुण - क्या बात ?
मैं - यही की मैं तुम्हें टयूशन पढ़ा दिया करू ।
वरुण - आप ?
मैं - हाँ , अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो ।
वरुण(खुशी से ) - नहीं ,नहीं भाभी मुझे तो कोई ऐतराज नहीं बल्कि बोहोत खुशी है मजा आएगा ।
मैं - किस चीज मे ?
वरुण - आपके साथ पढ़ने मे ।
मैं - अच्छा जी , तुम तो अभी से काफी एक्साइटेड लग रहे हो कोई खास वजह ?
वरुण(खुश होते हुए ) - वजह तो बेहद खास है ।
मैं( उत्सुकता से ) - क्या वजह है जरा मैं भी तो सुनु ?
वरुण - अब अगर मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की मुझे टयूशन देगी तो इसमे गर्व की तो बात है ही ना ।
लड़की , वरुण मुझे लड़की बोल रहा था जबकि मैं उससे 8 साल बड़ी थी ।
मैं (शर्माते हुए ) - अच्छा जी , लड़की........ बदमाश ......
ये कहते हुए मैंने खड़ी होकर उसका एक कान पकड़कर धीरे से खींचने लगी , वरुण अपना कान छुटाने की कोशिश करता हुआ बोला - "भाभी छोड़ो ना प्लीज "।
पर जब मैंने उसका कान नहीं छोड़ा तो उसने अपने एक हाथ से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिससे मैंने उसका कान पकड़ा था और अपने दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़कर मुझे पलटकर सोफ़े पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया
उसका हाथ अभी भी मेरी कमर के नीचे था और दूसरा हाथ मेरे हाथ को । वरुण बिल्कुल मेरे ऊपर था मेरा अंग -2 उसके शरीर के नीचे दबा हुआ था । मैंने सोचा भी नहीं था की वरुण अचानक से एसा कर देगा । वरुण मेरे बिल्कुल ऊपर था और हमारी साँसे टकरा रही थी मैंने वरुण से बोला -
मैं - वरुण , ये क्या किया ?
वरुण (एसे ही मुझे पकड़े हुए )- मैंने क्या किया ?
मैं - मुझे नीचे गिर दिया ।
वरुण - शरुवात आपने ही की थी ।
मैं - अच्छा चलो अब मुझे छोड़ो ।
वरुण - पहले आप मेरा कान छोड़िए ।
फिर मैंने वरुण का कान छोड़ दिया उसके बाद वरुण ने अपना हाथ मेरी कमर के नीचे से निकाला पर निकालते हुए उसने पेट पर एक जोर से चिकोटी काट दी । मैं तो एकदम से कराह उठी - "आह ...... " ।
मैं - ये क्या था वरुण ?
वरुण ( मेरे ऊपर से उठते हुए) - ये आपकी पनीशमेंट थी मेरा कान पकड़ने की ।
मैं (सोफ़े से उठते हुए ) - अच्छा तो अब तुम मुझे पनिश भी किया करोगे ।
वरुण ( मेरे करीब आकर )- बिल्कुल जो गलती करेगा उसे सजा जरूर मिलेगी । पर इस सजा का दर्द बोहोत मीठा होगा ।
उसकी ये बात कहने का अंदाज मुझे कुछ अजीब लगा । वरुण इतनी बेबाकी से ये सब बाते कह रहा था जैसे वो मुझसे नहीं अपने किसी दोस्त से बात कर रहा हो ।
मैं - अच्छा , एसी कोन सी सजा है जिसका दर्द भी मीठा है ।
वरुण- ये तो आप समय आने पर जान जाएंगी ।
मैं ( उसकी बात को इग्नोर करते हुए ) - अच्छा अब मुझे जाना है तुम्हारी मम्मी कब तक आएंगी ?
वरुण - मम्मी तो शाम तक ही आएंगी ।
मैं - हम्म चलो ठीक है , बाय मैं चलती हूँ ।
इतना कह मैं वरुण के घर से जाने लगी। मैं गेट तक ही पहुँची थी के पीछे से वरुण ने आवाज दी ।
वरुण - टीचर ?
मैंने पलटकर देखा फिर वो बोला ।
वरुण - टयूशन मे किस टाइम से आऊ टीचर ?
मैं ( मुसकुराते हुए ) - दोपहर मे ।
इसके बाद मैं वरुण के घर से बाहर आ गई। बाहर तो मैं आ गई पर ये समझ नहीं आया के अब क्या करू घर जाना खतरों से भरा था नितिन के आने का दर अभी भी था फिर सोचा के गुप्ता जी के यहाँ चली जाऊ पर फिर मुझे उस दिन उनके साथ उनकी दुकान मे हुई सभी घटनायें याद आ गई । "नहीं मैं गुप्ता जी के यहाँ नहीं जा सकती मैं कैसे उनका सामना कर पाऊँगी उस दिन भी अगर वक्त रहते अशोक का फोन ना आ गया होता तो ना जाने क्या होता" ये सब सोचकर मैंने गुप्ता जी के वहाँ जाने का विचार छोड़ दिया और फिर अपना मोबाइल निकालकर टाइम देखने लगी । 11:45 हुई थी मैंने सोचा अब तक तो शायद नितिन आकर घर को लॉक देखकर चला भी गया हो ।
फिर एक बार को मन मे आया की अगर उसने आज मुझे घर पर नहीं पाया तो कल फिर आएगा मैं कब तक उससे छिपती फिरूँगी । मुझे उसका सामना करना ही होगा नहीं तो उसकी हिम्मत और भी बढ़ जाएगी । इतना सोचकर मैंने एक बार फिर अपने घर की ओर कदम बढ़ाए ।
घर जाकर मैंने दरवाजा खोला अंदर प्रवेश किया । मन मे एक विश्वास भी था और बेचीनी भी विश्वास ये की मैं नितिन का सामना कर पाऊँगी और बैचेनी ये थी की अगर नहीं कर पाई तो ?