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Adultery मेरा प्यार भरा परिवार (final of truth)
#4
----------------पहली बार साड़ी--------------



 मे स्कूल से जैसे ही घर आया मम्मी ने  बैग लिया और  खाना लगाने लगी। मै भी हाथ धोकर टेबल पर आ चुका था।


मम्मी बोली बेटा आज मेरी सहेली की बेटी की सगाई है और तेरे पापा तो बाहर गये है, इसलिए हम दोनों को 
शाम को चलना है, और मै तुझे ठीक से तैयार करूँगी। 


खाना हो जाने के बाद जब मै अपने कमरे की ओर कपड़े बदलने जाने ही वाला था कि  मम्मी मेरे  पास आई। उनके हाथों मे कुछ साड़ियाँ थी। आखिर यही तो वजह थी उनकी खुशी की।

बेटा … उस दिन तूने ये २ साड़ियाँ पसंद किया था न? मैंने भी अपनी पसंद से २ और साड़ियाँ चुनकर तेरे लिए इन चारों साड़ियों के ब्लाउज सिए है। देख न इनमे से तू कौनसी साड़ी पहनेगा आज?”, मम्मी ने कहा।

मैने एक बार फिर मम्मी कि तरफ देखा और बोला, मम्मी इतने जल्दी तुमने चारों के ब्लॉउज़ सील दिए?”


“ये लो मम्मी। तुम्हारी खुशी के लिए आज मैं साड़ी भी पहन लेता हूँ। ये वाली साड़ी मुझे अच्छी लग रही है।”, मैने कहा।


कमरे मे मै एक आईने के सामने खड़े होकर मम्मी का इंतज़ार कर रहा था। तभी मम्मी आई और  हाथ मे कुछ कपड़े पकड़ाते हुए बोली, “जा ये पेटीकोट और ब्रा पहनकर आजा। मैं यही तेरा इंतज़ार करती हूँ।”

मैने अपनी मम्मी की ओर जरा शंका से देखा।  “अरे देख क्या रहा है। जल्दी बदलकर आ न!”

मै चुपचाप बाथरूम मे आ गया। “आखिर मम्मी को ये नई ब्रा देने की क्या जरूरत पड़ गई? मेरे पास तो पहले ही कई ब्रा है”, मै मन ही मन सोचते हुए अपने कपड़े उतारने लगा। स्कूल शर्ट के बाद अपनी स्पोर्ट्स ब्रा उतारकर उसे बेहद चैन महसूस हुआ। 


मैने मम्मी की दी हुई लाल रंग की ब्रा की ओर देखा। थोड़ी प्लेन सी थी मगर बेहद खूबसूरत थी। जैसी ब्रा मेरे पास पहले से थी, उनमे जो फूल पत्ती के प्रिन्ट थे मुझे वो पसंद नहीं आते थे। मगर ये ब्रा कुछ अलग थी। फेमिनीन होते हुए भी थोड़ी न्यूट्रल डिजाइन थी उसकी और उसे बेहद अच्छी लग रही थी। फिर भी कुछ तो अलग था उस ब्रा में जो मै समझ नहीं पा रहा था।


मैने स्ट्रेप्स मे अपने हाथ डाले और जब पीछे हुक लगाने की कोशिश किया तब महसूस हुआ कि यह ब्रा अंदर से कुछ सॉफ्ट थी जिसकी वजह से उसके निप्पल को कुछ आराम लग रहा था। “चलो कम्फ्टबल तो है यह ब्रा।”, मैने मन ही मन सोचा और फिर कंधे पर ब्रा के स्ट्रेप्स की लंबाई एडजस्ट करने लगा। इतने दिनों मे वह ये तो सिख चुका था कि नई ब्रा के साथ लंबाई एडजस्ट करनी पड़ती है। लड़कों की बनियान की तरह नहीं कि बस सीधे पहन लो बिना कुछ सोचे समझे। लड़कियों के हर कपड़े मे कुछ न कुछ ध्यान देना पड़ता है।


[Image: 1661009009480.jpg]



बाथरूम मे ही खड़े खड़े मैने आईने मे खुद को देखा तो  लगा कि मेरे स्तन कुछ ज्यादा उठे और उभरे हुए लग रहे है। और दोनों स्तनों के बीच गहराई भी ज्यादा दिख रही थी। ब्रा के अंदर जो सॉफ्ट लेयर थी उसकी वजह से उसके स्तन और बड़े भी लग रहे थे। 


मुझे लगा कि शायद मैने स्ट्रेप्स को कुछ ज्यादा छोटा कर दिया है तभी मेरे स्तन ज्यादा उभरे हुए और बड़े लग रहे है। इसलिए मैने उन्हे फिर से एडजस्ट करने की कोशिश किया पर फिर भी स्तनों के उभार पर कुछ ज्यादा फर्क न पड़ा। “अब तो मम्मी से ही हेल्प लेनी पड़ेगी”, मैने सोचा। 



और फिर मैने अपनी पोनीटैल को खोल और अपने लंबे बालों को सामने लाकर अपने स्तनों के बीच की गहराई को उनसे ढंकने की कोशिश करने लगा। उस वक्त लाल रंग की ब्रा मेरे स्किन के रंग पर अच्छी तरह से निखर रही थी और मै अपने बालों को सहेजते हुए बेहद खूबसूरत लग रहा था।



[Image: IMG-20220820-205700.jpg]



उसके बाद मैने अपनी यूनिफॉर्म की पेंट उतारी और पेटीकोट पहनने लगा। पेटीकोट का आकार कुछ ऐसा था कि  कूल्हों पर बिल्कुल फिट आ रहा था। मैने पेटीकोट का नाड़ा कुछ वैसे ही बांधा जैसे अक्सर  अपनी सलवार का बांधता था। अब बाथरूम से बाहर निकलने से पहले उसने एक बार फिर से खुद को एक साइड पलटकर देखा तब उसे एहसास हुआ कि उसके स्तन आज लगभग मम्मी के स्तनों के बराबर लग रहे है। 

मम्मी को याद करते ही उसके चेहरे पर खुशी आ गई। साथ ही अपने स्तनों के बड़े आकार को देखकर उसे एक संकोच भी हो रहा था। किसी तरह संकोच करते हुए वो अपने सीने को अपने हाथों और बालों से ढँकते हुए बाथरूम से बाहर आया।



“क्या हुआ? तेरा चेहरा इतना मुरझाया हुआ क्यों है?”, मम्मी ने पूछा।

“मम्मी .. वो बात ये है ..”, मै नजरे झुकाकर कहने मे झिझक महसूस कर रहा था। “हाँ, बोल न”, मम्मी बोली।

“मम्मी, बात ये है कि मुझे लगता है कि इस ब्रा मे कुछ प्रॉब्लेम है। इसे पहनकर मेरे साइज़ मे कुछ फर्क आ गया है।”, किसी तरह से शरमाते हुए मैने बात कह ही दी।


मम्मी ने मुसकुराते हुए मेरा  हाथ हटाया और बोली,”पगली, सब ठीक तो लग रहा है। ये पुश अप ब्रा है। इसका तो काम ही है कि स्तनों को थोड़ा लिफ्ट दे।”

“मम्मी!”, मै शरमाते हुए मम्मी को रोकने की कोशिश करने लगा।

“चल अब ज्यादा शर्मा मत। उभरे हुए शेप के साथ साड़ी तुझ पर और निखर कर आएगी। ले अब ये ब्लॉउज पहन ले।”

“मम्मी! ये कैसा ब्लॉउज़ है?”, मैने जैसे ही ब्लॉउज़ देखा उसके तो जैसे होश ही उड़ गए।
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RE: मेरा प्यार भरा परिवार (final of truth) - by Manu gupta - 20-08-2022, 09:05 PM



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