19-08-2022, 08:58 PM
शायद एक दिन जब सो कर जागू तब सब कुछ ठीक हो चुका होगा, मेरी मुश्किलें खत्म हो जाएगी और मुझे एक दिन इस सवाल का जवाब मिल जाएगा कि मै लड़का हू या लड़की।
सुबह के ६ बजते ही मेरे कमरे का अलार्म बज उठा, और उसी अलार्म के साथ मम्मी की आवाज आई। “ बेटा तू उठ गया?” ये मम्मी भी न कमाल की थी। रात तक तो मुझे बेटी की भांति संबोधित कर रही थी पर सुबह उठते ही वही बेटी बेटा बन जाती थी। शायद वो इसलिए कि आखिर मुझ को सुबह सुबह घर से निकलते ही एक लड़के का सामान्य जीवन जीना होता था। और इसी की तैयारी मेरी मम्मी घर से ही शुरू कर देती थी।
मेरे पास एक लड़के का शरीर होने की वजह से एक परेशानी और थी जिससे हर टीन-एजर लड़का गुज़रता है। शरीर मे नए बढ़ते हॉर्मोन की वजह से मेरा पुरुष लिंग उनके काबू मे नहीं रहता, और एक डर हमेशा लगा रहता है कि कहीं लिंग का ये बेकाबूपन कोई देख न ले।
और सुबह सुबह तो ये परेशानी और भी ज्यादा होती है। मेरी भी यही परेशानी थी। मेरा लिंग सुबह सुबह तना हुआ होता था। इससे पहले की मेरी मम्मी मेरे कमरे मे अंदर आए मुझे जल्दी से कुछ करना होगा। पर करे तो करे क्या? लंड के उभार को गलती से छु दो तो वो और भी बेकाबू होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए एक बार कॉलेज मे मेरे दोस्तों ने एक तरीका बताया था पर मुझे वो तरीका सोचकर ही पसंद नहीं आया। ऐसा सभी लड़कों के साथ होता है .. जो भले दोस्तों के सामने कुछ भी कहे पर भीतर ही भीतर वो जानते है कि वो शरीर के इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।
सुबह के ६ बजते ही मेरे कमरे का अलार्म बज उठा, और उसी अलार्म के साथ मम्मी की आवाज आई। “ बेटा तू उठ गया?” ये मम्मी भी न कमाल की थी। रात तक तो मुझे बेटी की भांति संबोधित कर रही थी पर सुबह उठते ही वही बेटी बेटा बन जाती थी। शायद वो इसलिए कि आखिर मुझ को सुबह सुबह घर से निकलते ही एक लड़के का सामान्य जीवन जीना होता था। और इसी की तैयारी मेरी मम्मी घर से ही शुरू कर देती थी।
मेरे पास एक लड़के का शरीर होने की वजह से एक परेशानी और थी जिससे हर टीन-एजर लड़का गुज़रता है। शरीर मे नए बढ़ते हॉर्मोन की वजह से मेरा पुरुष लिंग उनके काबू मे नहीं रहता, और एक डर हमेशा लगा रहता है कि कहीं लिंग का ये बेकाबूपन कोई देख न ले।
और सुबह सुबह तो ये परेशानी और भी ज्यादा होती है। मेरी भी यही परेशानी थी। मेरा लिंग सुबह सुबह तना हुआ होता था। इससे पहले की मेरी मम्मी मेरे कमरे मे अंदर आए मुझे जल्दी से कुछ करना होगा। पर करे तो करे क्या? लंड के उभार को गलती से छु दो तो वो और भी बेकाबू होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए एक बार कॉलेज मे मेरे दोस्तों ने एक तरीका बताया था पर मुझे वो तरीका सोचकर ही पसंद नहीं आया। ऐसा सभी लड़कों के साथ होता है .. जो भले दोस्तों के सामने कुछ भी कहे पर भीतर ही भीतर वो जानते है कि वो शरीर के इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।
बेटा। चल अब जल्दी से उठ जा और नहा ले। मैं तेरे लिए टिफ़िन बना रही हूँ। जल्दी से तैयार हो जाना।”, आखिर मे मम्मी कमरे मे मुझे जगाने के लिए आ ही गई थी। वो तो समय रहते मैने बिस्तर पर उठकर खुद को चादर से पूरी तरह ढँक लिया था जिससे अपने लंड के उभार को छिपा सका।
“हाँ मम्मी मैं अभी जाता हूँ।”, मैने अपने बालों का जूड़ा खोलते हुए बंद सी आँखों के साथ कहा।
“मेरा प्यार राजा बेटा।”, मम्मी ने मेरे चेहरे पर हाथ फेरा और वापस किचन की ओर चली गई।
मम्मी के जाते ही मैने चैन की सांस ली और चादर हटाकर उठने को तैयार होने लगा। चादर के हटाते ही मेरा मैक्सी मे लिंग उभर कर टेंट बनाया हुआ था। मेरी कोमल सी मैक्सी उस उभार को छिपाने के लिए काफी नहीं थी। मुझे तो अपनी पेन्टी पर भी अचरज होता था क्योंकि एक ओर तो वो मेरे बड़े कूल्हों से चिपककर उन्हे जगह पर हिलने से रोकती थी पर वही दूसरी ओर मेरे लिंग पर मेरी पेन्टी कमजोर साबित होती थी। फिर भी उसी अवस्था मे उठकर मै अपने बाथरूम की ओर जाने लगा। ये तो अच्छा था कि मेरा अपना बाथरूम था।
पर मेरी मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती थी। मेरे शरीर मे कुछ दूसरे हॉर्मोन भी थे जो अपना असर कहीं और भी दिखा रहे होते थे। सुबह सुबह की ठंडक मे मेरे निप्पल कठोर होकर मेरी मैक्सी से साफ झलक रहे होते थे। क्योंकि मै रात को बिना ब्रा के सोता था, तो निप्पल को छिपाने के लिए मेरे पास कुछ न था।
पीछले कुछ महीनों से मैने नोटिस किया था कि मेरे निप्पल का आकार बढ़ता जा रहा था और निप्पल के चारों ओर का गोला और बड़ा होते हुए गहरे रंग का होने लगा था। लगभग १.५ साल पहले जब मेरे स्तन उभरना शुरू ही हुए थे तब मेरे सीने पर हर वक्त एक दर्द रहा करता था। पीछले कुछ महीनों से वो दर्द अब कम हो गया था पर अब ये नए परिवर्तन आ रहे थे। गहरे और बड़े निप्पल सुबह सुबह जब कठोर होते तो मुझे असहज लगता। शारीरिक बदलाव किसी भी लड़के या लड़की को उलझन मे डाल देते है पर मेरे लिए तो ये समस्या किसी के भी मुकाबले दुगुनी थी।
फिलहाल तो मैने बाथरूम जाकर ब्रा और अपनी पेन्टी उतार कर नहाने लगा।
कॉलेज मे बायोलोजी की क्लास मे मैने दो अलग अलग तरह के शरीर देखे थे पर मेरा शरीर तो जैसे उन दोनों शरीरों का मिलन प्रतीत होता था। मैने अपने शरीर के बारे मे तो क्लास मे कभी पढ़ा ही नहीं था। इसी वजह से मेरे मन मे थोड़ी कुंठा भी रहती थी कि वो सभी से अलग है।
नहाने के बाद मैने रोज की ही तरह टाइट स्पोर्ट्स ब्रा पहनी। मुझे अंदाजा होने लगा था कि ये स्पोर्ट्स ब्रा अब ज्यादा दिनों तक मेरी असलियत को दुनिया से छिपा के नहीं रख सकेगी। फिर भी जब तक संभव हो कोशिश तो करनी ही थी। क्या पता किसी दिन दवाइयों के असर से ये समस्या सुलझ जाए? और फिर पेन्टी और कॉलेज की यूनिफॉर्म पहनकर, मैने बालों की पोनीटैल बनाई और घर से निकलने को तैयार था। मम्मी ने टिफ़िन भी तैयार कर लिया था। टिफ़िन बैग मे रखकर मैने घड़ी की ओर देखा। कॉलेज शुरू होने मे २५ मिनट थे। उसे कॉलेज जाने के लिए से १५ मिनट लगते थे तो काफी समय था ।
जारी है.....
सुबह के ६ बजते ही मेरे कमरे का अलार्म बज उठा, और उसी अलार्म के साथ मम्मी की आवाज आई। “ बेटा तू उठ गया?” ये मम्मी भी न कमाल की थी। रात तक तो मुझे बेटी की भांति संबोधित कर रही थी पर सुबह उठते ही वही बेटी बेटा बन जाती थी। शायद वो इसलिए कि आखिर मुझ को सुबह सुबह घर से निकलते ही एक लड़के का सामान्य जीवन जीना होता था। और इसी की तैयारी मेरी मम्मी घर से ही शुरू कर देती थी।
मेरे पास एक लड़के का शरीर होने की वजह से एक परेशानी और थी जिससे हर टीन-एजर लड़का गुज़रता है। शरीर मे नए बढ़ते हॉर्मोन की वजह से मेरा पुरुष लिंग उनके काबू मे नहीं रहता, और एक डर हमेशा लगा रहता है कि कहीं लिंग का ये बेकाबूपन कोई देख न ले।
और सुबह सुबह तो ये परेशानी और भी ज्यादा होती है। मेरी भी यही परेशानी थी। मेरा लिंग सुबह सुबह तना हुआ होता था। इससे पहले की मेरी मम्मी मेरे कमरे मे अंदर आए मुझे जल्दी से कुछ करना होगा। पर करे तो करे क्या? लंड के उभार को गलती से छु दो तो वो और भी बेकाबू होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए एक बार कॉलेज मे मेरे दोस्तों ने एक तरीका बताया था पर मुझे वो तरीका सोचकर ही पसंद नहीं आया। ऐसा सभी लड़कों के साथ होता है .. जो भले दोस्तों के सामने कुछ भी कहे पर भीतर ही भीतर वो जानते है कि वो शरीर के इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।
सुबह के ६ बजते ही मेरे कमरे का अलार्म बज उठा, और उसी अलार्म के साथ मम्मी की आवाज आई। “ बेटा तू उठ गया?” ये मम्मी भी न कमाल की थी। रात तक तो मुझे बेटी की भांति संबोधित कर रही थी पर सुबह उठते ही वही बेटी बेटा बन जाती थी। शायद वो इसलिए कि आखिर मुझ को सुबह सुबह घर से निकलते ही एक लड़के का सामान्य जीवन जीना होता था। और इसी की तैयारी मेरी मम्मी घर से ही शुरू कर देती थी।
मेरे पास एक लड़के का शरीर होने की वजह से एक परेशानी और थी जिससे हर टीन-एजर लड़का गुज़रता है। शरीर मे नए बढ़ते हॉर्मोन की वजह से मेरा पुरुष लिंग उनके काबू मे नहीं रहता, और एक डर हमेशा लगा रहता है कि कहीं लिंग का ये बेकाबूपन कोई देख न ले।
और सुबह सुबह तो ये परेशानी और भी ज्यादा होती है। मेरी भी यही परेशानी थी। मेरा लिंग सुबह सुबह तना हुआ होता था। इससे पहले की मेरी मम्मी मेरे कमरे मे अंदर आए मुझे जल्दी से कुछ करना होगा। पर करे तो करे क्या? लंड के उभार को गलती से छु दो तो वो और भी बेकाबू होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए एक बार कॉलेज मे मेरे दोस्तों ने एक तरीका बताया था पर मुझे वो तरीका सोचकर ही पसंद नहीं आया। ऐसा सभी लड़कों के साथ होता है .. जो भले दोस्तों के सामने कुछ भी कहे पर भीतर ही भीतर वो जानते है कि वो शरीर के इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है।
बेटा। चल अब जल्दी से उठ जा और नहा ले। मैं तेरे लिए टिफ़िन बना रही हूँ। जल्दी से तैयार हो जाना।”, आखिर मे मम्मी कमरे मे मुझे जगाने के लिए आ ही गई थी। वो तो समय रहते मैने बिस्तर पर उठकर खुद को चादर से पूरी तरह ढँक लिया था जिससे अपने लंड के उभार को छिपा सका।
“हाँ मम्मी मैं अभी जाता हूँ।”, मैने अपने बालों का जूड़ा खोलते हुए बंद सी आँखों के साथ कहा।
“मेरा प्यार राजा बेटा।”, मम्मी ने मेरे चेहरे पर हाथ फेरा और वापस किचन की ओर चली गई।
मम्मी के जाते ही मैने चैन की सांस ली और चादर हटाकर उठने को तैयार होने लगा। चादर के हटाते ही मेरा मैक्सी मे लिंग उभर कर टेंट बनाया हुआ था। मेरी कोमल सी मैक्सी उस उभार को छिपाने के लिए काफी नहीं थी। मुझे तो अपनी पेन्टी पर भी अचरज होता था क्योंकि एक ओर तो वो मेरे बड़े कूल्हों से चिपककर उन्हे जगह पर हिलने से रोकती थी पर वही दूसरी ओर मेरे लिंग पर मेरी पेन्टी कमजोर साबित होती थी। फिर भी उसी अवस्था मे उठकर मै अपने बाथरूम की ओर जाने लगा। ये तो अच्छा था कि मेरा अपना बाथरूम था।
पर मेरी मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती थी। मेरे शरीर मे कुछ दूसरे हॉर्मोन भी थे जो अपना असर कहीं और भी दिखा रहे होते थे। सुबह सुबह की ठंडक मे मेरे निप्पल कठोर होकर मेरी मैक्सी से साफ झलक रहे होते थे। क्योंकि मै रात को बिना ब्रा के सोता था, तो निप्पल को छिपाने के लिए मेरे पास कुछ न था।
पीछले कुछ महीनों से मैने नोटिस किया था कि मेरे निप्पल का आकार बढ़ता जा रहा था और निप्पल के चारों ओर का गोला और बड़ा होते हुए गहरे रंग का होने लगा था। लगभग १.५ साल पहले जब मेरे स्तन उभरना शुरू ही हुए थे तब मेरे सीने पर हर वक्त एक दर्द रहा करता था। पीछले कुछ महीनों से वो दर्द अब कम हो गया था पर अब ये नए परिवर्तन आ रहे थे। गहरे और बड़े निप्पल सुबह सुबह जब कठोर होते तो मुझे असहज लगता। शारीरिक बदलाव किसी भी लड़के या लड़की को उलझन मे डाल देते है पर मेरे लिए तो ये समस्या किसी के भी मुकाबले दुगुनी थी।
फिलहाल तो मैने बाथरूम जाकर ब्रा और अपनी पेन्टी उतार कर नहाने लगा।
कॉलेज मे बायोलोजी की क्लास मे मैने दो अलग अलग तरह के शरीर देखे थे पर मेरा शरीर तो जैसे उन दोनों शरीरों का मिलन प्रतीत होता था। मैने अपने शरीर के बारे मे तो क्लास मे कभी पढ़ा ही नहीं था। इसी वजह से मेरे मन मे थोड़ी कुंठा भी रहती थी कि वो सभी से अलग है।
नहाने के बाद मैने रोज की ही तरह टाइट स्पोर्ट्स ब्रा पहनी। मुझे अंदाजा होने लगा था कि ये स्पोर्ट्स ब्रा अब ज्यादा दिनों तक मेरी असलियत को दुनिया से छिपा के नहीं रख सकेगी। फिर भी जब तक संभव हो कोशिश तो करनी ही थी। क्या पता किसी दिन दवाइयों के असर से ये समस्या सुलझ जाए? और फिर पेन्टी और कॉलेज की यूनिफॉर्म पहनकर, मैने बालों की पोनीटैल बनाई और घर से निकलने को तैयार था। मम्मी ने टिफ़िन भी तैयार कर लिया था। टिफ़िन बैग मे रखकर मैने घड़ी की ओर देखा। कॉलेज शुरू होने मे २५ मिनट थे। उसे कॉलेज जाने के लिए से १५ मिनट लगते थे तो काफी समय था ।
जारी है.....