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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#57
आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री -औलाद की चाह


CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update 7


लेडीज टेलर- टेलरिंग क्लास

गोपाल टेलर – दीपू बेटा, एक टेलर के रूप में तुम्हारा काम सिर्फ ग्राहक को संतुष्ट करना नहीं है.

दीपू – तो और क्या करना चाहिए ?

गोपाल टेलर – अगर जरूरत पड़े तो तुम्हें ग्राहक को ड्रेस के बारे में सावधान भी करना चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर कोई औरत मिनी चोली चाहती है और उसके साथ नॉर्मल ब्रा पहनती है तो ये ब्रा फिसलकर उसकी छोटी चोली के नीचे से दिखने लगेगी. इसलिए ये तुम्हारा फर्ज बनता है की तुम उस मैडम को बताओ की मिनी चोली के साथ टाइट फिटिंग वाली ब्रा ही पहने ताकि चोली के नीचे से ना दिखे.

दीपू – जी मैं समझ गया. आपसे तो बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है.

गोपालजी गर्व से मुस्कुराया.

और तब तक मैं ऐसे ही अपनी बायीं चूची के ऊपर टेप लटकाये खड़ी थी. अब गोपालजी ने टेप को मेरी बायीं चूची की जड़ तक खींचा. वहाँ से मेरे ब्लाउज का निचला हिस्सा दो इंच और नीचे था.

गोपाल टेलर – 13 “

दीपू – जी 13”.

मैं अच्छी तरह समझ रही थी की मेरी बड़ी चूचियों को देखते हुए 13” की चोली तो मेरे लिए बहुत छोटी होगी . लेकिन गोपालजी से कहने में मुझे हिचक हो रही थी क्यूंकी मुझे उसकी बेशर्म ‘डाइरेक्ट’ भाषा से असहज महसूस होता था. फिर मैंने सोचा की साड़ी तो मुझे पहनने को मिलेगी नहीं और मेरे ऊपरी बदन में सिर्फ चोली ही है , 13” की छोटी चोली में तो मेरी छाती से पेट तक सब नंगा दिखेगा , अब अगर मैं बहस करके 1 इंच बढ़वा भी लेती हूँ तो उससे मेरा कितना बदन ढक जाएगा. इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.

मैं अच्छी तरह समझ रही थी की मेरी बड़ी चूचियों को देखते हुए 13” की चोली तो मेरे लिए बहुत छोटी होगी . लेकिन गोपालजी से कहने में मुझे हिचक हो रही थी क्यूंकी मुझे उसकी बेशर्म ‘डाइरेक्ट’ भाषा से असहज महसूस होता था. फिर मैंने सोचा की साड़ी तो मुझे पहनने को मिलेगी नहीं और मेरे ऊपरी बदन में सिर्फ चोली ही है , 13” की चोली में तो मेरी छाती से पेट तक सब नंगा दिखेगा , अब अगर मैं बहस करके 1 इंच बढ़वा भी लेती हूँ तो उससे मेरा कितना बदन ढक जाएगा. इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.

गोपाल टेलर – दीपू , अब मैडम के गले और पीठ के कट की नाप लिखो.

दीपू – जी अच्छा.

गोपाल टेलर – मैडम, आपके ब्लाउज में यू शेप का कट है लेकिन चोली में स्क्वायर कट होगा.

“मतलब ?”

गोपाल टेलर – मैडम, ग्राहक की पसंद के अनुसार अक्सर हम तीन तरह के गले बनाते हैं, यू कट, स्क्वायर कट, बोट कट. लेकिन महायज्ञ के निर्देशानुसार आपकी चोली में स्क्वायर कट होगा यानी गोल गले की बजाय चौकोर गला होगा.

मैंने कभी स्क्वायर कट ब्लाउज नहीं पहना था इसलिए मैं इसके बारे में जानने के लिए चिंतित हो रही थी. शायद गोपालजी ने मेरे चेहरे के भावों को पढ़ लिया.

गोपाल टेलर – मैडम, फिकर मत करो. ज़्यादा फरक नहीं होगा बस गला थोड़ा अलग दिखेगा.

मैं टेलर के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और उलझन भरी निगाहों से उसे देखा.

गोपाल टेलर – मैडम अगर आप अनुमति दें तो मैं आपको अंतर समझा सकता हूँ. असल में आपको असहज महसूस हो सकता है क्यूंकी इसका संबंध आपकी …….

उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी पर अपनी आँखों से मेरी चूचियों की तरफ इशारा किया. मैं क्या कहती ? इसका संबंध मेरी चूचियों से है इसलिए मत बताओ ?

“ठीक है गोपालजी. आपसे बात करके मुझे भी कई बातें पता चल रही हैं.”

गोपाल टेलर – मैडम, मुख्य अंतर ये है की चौकोर गले से आपकी चूचियाँ थोड़ी ज़्यादा दिखेंगी. मैं दिखाता हूँ की कैसे दिखेंगी.

गोपालजी मेरे पास आकर खड़ा हो गया और अपना दायां हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.

गोपाल टेलर – मैडम अभी आपका यू शेप का गला है (उसने मेरे कंधे से ब्लाउज के कट में अंगुली चलानी शुरू की). इस यू कट में आपकी चूचियों का ज़्यादातर ऊपरी हिस्सा ढका रहता है लेकिन उनके बीच का हिस्सा यानी की क्लीवेज दिखती है.

मेरे ब्लाउज के कट में गोपालजी के अंगुली चलाकर दिखाने से मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. दीपू मेरी बिना पल्लू की चूचियों को घूर रहा था और अपनी आँखों से मेरी जवानी के रस की एक एक बूँद पी रहा था. गोपालजी की अँगुलियाँ मेरे ब्लाउज के कट में घुसने से मेरी चूत में खुजली होने लगी.

गोपाल टेलर – मैडम अब देखो की चौकोर गले में क्या होता है(वो अपना हाथ फिर से मेरे कंधे पर ले गया). अब कट गोल ना जाकर सीधी लाइन में नीचे जाएगा (वो मेरे कंधे से अपनी अँगुलियाँ सीधी लाइन में नीचे को ब्लाउज के अंदर लाया और मेरी दायीं चूची के बीच में ले जाकर रोक दी). अब यहाँ से सीधी लाइन में बायीं तरफ को (वो मेरी दायीं चूची के ऐरोला को छूते हुए बायीं चूची की तरफ अंगुली ले गया).

गोपालजी के मेरी चूचियों को अंगुलियों से छूने से मेरे होंठ खुल गये. मैं खुले होठों से ‘प्लीईआसए….’ बुदबुदाई. मेरा बायां हाथ अपनेआप ही साड़ी के ऊपर से मेरी चूत पर चला गया. मेरा रिएक्शन देखकर गोपालजी एक पल रुका फिर सीधी लाइन खींचने के बहाने अपने अंगूठे और अंगुलियों से मेरे निपल्स को छू दिया. मेरे बदन में ऊपर से नीचे तक एक सिहरन सी दौड़ गयी और मेरी टाँगें थोड़ी अलग हो गयीं.

गोपाल टेलर – मैडम फिर ये सीधी लाइन में ऊपर जाएगा (उसकी अँगुलियाँ मेरी बायीं चूची को दबाकर उसकी कोमलता का एहसास कर रही थीं ). अब आपको समझ आ गया होगा की स्क्वायर कट में आपकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा खुला रहेगा. लेकिन मैडम मैं इसमें कोई फेर बदल नहीं कर सकता क्यूंकी महायज्ञ के लिए ऐसी ही चोली बनानी है.

फिर गोपालजी ने मेरे ब्लाउज के अंदर से हाथ बाहर निकाल लिया और मैंने उत्तेजना में एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं. मुझे इस बात का ध्यान नहीं था की वो क्या कह रहा है बल्कि मेरा ध्यान उसके छूने से अपने बदन में उठती आनंद की लहरों की तरफ था.

गोपाल टेलर – मैडम, मुझे गुरुजी के निर्देशों का पालन करना होगा.

“ठीक है” , मैंने सर हिला दिया.

अब गोपालजी टेप से मेरी चोली के चौकोर गले की नाप लेने लगा और दीपू से नोट करने को कहा. फिर मेरी पीठ पर भी चोली के कट की नाप ली. मुझे साफ महसूस हो रहा था की गोपालजी टेलर की तरह नाप लेते हुए मेरी जवानी के मज़े भी ले रहा है. जब वो मेरी पीठ पर गर्दन के नीचे नाप ले रहा था तो उसने मेरी पीठ को अपनी हथेली से छुआ और मेरी ब्रा के हुक पर भी अपना हाथ दबाया. मैं जानती थी की मुझे इस आदमी की हरकतों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए लेकिन मेरी भावनाएं मेरे मन पर हावी हो जा रही थीं.

गोपाल टेलर – मैडम, अपने हाथ ऊपर खड़े कर लीजिए. आपकी छाती की नाप लेनी है.

मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिए. मैंने देखा की मेरे ब्लाउज में कांखों पर पसीने से गीले निशान बने हुए हैं. दीपू वहीं पर देख रहा था पर मैं कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए उसे नजरअंदाज कर दिया. गोपालजी ने मेरी पीठ से घुमाकर मेरी छाती में टेप लगाया.

गोपाल टेलर – दीपू , यहाँ आओ.

दीपू मेरे पास आकर खड़ा हो गया. अब मैं दो मर्दों के सामने अपनी बाँहें ऊपर उठाए खड़ी थी और मेरा पल्लू फर्श पे गिरा हुआ था और ब्लाउज में मेरी चूचियाँ बेशर्मी से आगे को तनी हुई थीं.

गोपाल टेलर – दीपू बेटा, जब तुम छाती का नाप लेते हो तो इसे चूचियों के सबसे बड़े उभार पर नापना चाहिए. इसके लिए जिस मैडम की नाप तुम ले रहे हो उससे हाथ ऊपर करने को कहना चाहिए. असल में इससे दो फायदे होते हैं. तुम बता सकते हो की वो क्या हैं ?

दीपू – जी मुझे तो एक ही फायदा समझ आ रहा है.

गोपाल टेलर – वो क्या है ?

दीपू – इस पोज में जब मैं साइड से मैडम को देख रहा हूँ तो उसकी चूचियों का उभार अच्छे से दिख रहा है और सही से नाप ली जा सकती है.

गोपाल टेलर – हाँ ये सही है की इस पोज में छाती की नाप ठीक से ली जा सकती है. दूसरा फायदा ये है की जब मैडम ऐसे खड़ी है तो चूचियाँ बाहर को तन गयी हैं और तुम खिंची हुई फिटिंग देख सकते हो जो की बहुत जरूरी है. मेरे शुरुवाती दिनों में एक मैडम के लिए मैंने ब्लाउज सिला था , उसे टाइट ब्लाउज चाहिए था और मैंने टाइट ब्लाउज सिल दिया. अगले दिन वो कांख में फटा हुआ ब्लाउज लेकर वापस आई. इसलिए तुम्हें ध्यान रखना चाहिए की ब्लाउज के कपड़े को खिंची हुई फिटिंग के हिसाब से बनाओ. और उसे चेक करने का तरीका है ये पोज जिसमें अभी मैडम खड़ी हुई है.

दीपू – जी बिल्कुल सही है.

मैं सोच रही थी इन दोनों की टेलरिंग क्लास कब खत्म होगी.

गोपाल टेलर – अच्छा अब ब्लाउज कप्स को देखो और बताओ क्या कमी है ?

दीपू अपना चेहरा मेरे ब्लाउज के नजदीक़ ले आया और उसे मेरी चूचियों के इतने नजदीक़ देखकर मेरे निपल्स तन गये.

दीपू – जी , कपड़ा थोड़ा ढीला है जिसे ठीक किया जा सकता है.

गोपाल टेलर – हाँ, मैंने भी चेक किया था, कप्स के आधार को थोड़ा टाइट किया जा सकता है. मैडम की चोली बिना बाहों की है इसमें कांख को एडजस्ट करके चोली को टाइट किया जा सकता है ताकि स्ट्रैपलेस ब्रा के लिए सपोर्ट रहे.

दीपू ने सर हिला दिया.

गोपाल टेलर – दीपू एक और महत्वपूर्ण बात है. मैडम उम्मीद है की आप खीझ नहीं रही होंगी.

गोपालजी ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.

बहुत अच्छे ! तुम दोनों खुलेआम मेरी चूचियों के ऊपर कमेंट कर रहे हो और मुझे खीझ भी ना हो.

“ना ना गोपालजी ऐसी कोई बात नहीं. लेकिन आप जरा जल्दी करें तो ठीक रहेगा क्यूंकी ऐसे ऊपर को किए हुए मेरी बाँहें दर्द करने लगेंगी.”

गोपाल टेलर – मैडम सिर्फ़ इसकी नाप के लिए आपको हाथ ऊपर करने हैं बस फिर नहीं. मैं जल्दी ही खत्म करता हूँ.

अब गोपालजी दीपू की तरफ मुड़ा.

गोपाल टेलर – हाँ तो मैं बता रहा था की जब तुम छाती की नाप लेते हो तो कम से कम दो नाप और लो, एक कप से थोड़ा ऊपर और एक नीचे.

दीपू – जी ऐसा क्यूँ ?

गोपाल टेलर – देखो दीपू, औरतों की छाती अलग अलग आकार और प्रकार की होती है. हर औरत की चूचियाँ मैडम की जैसी बड़ी और कसी हुई नहीं होती हैं , है की नहीं ? हा…हा..हा…..

वो बुड्ढा जानबूझकर मेरी तरफ मुड़ते हुए हँसने लगा. मुझे इतनी कुढ़न हुई की क्या बताऊँ.

गोपाल टेलर – हम रोज इतनी औरतों की नाप लेते हैं, लेकिन कितनी ऐसी होती हैं जिनकी शादी के बाद भी ऐसी ऊपर को उठी हुई होती हैं ? इसलिए ध्यान रखो की कम से कम दो नाप और लो, ख़ासकर जिन औरतों की ढली हुई चूचियाँ हों , तुम ब्लाउज को देखकर आसानी से ये बात पता लगा सकते हो.

दीपू – जी सही है.

टेलरिंग क्लास जारी रहेगी 
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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 19-08-2022, 08:01 PM



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