19-08-2022, 03:34 PM
4. अगले दिन सुबह उठी तो बदन टूट रहा था एक अजीब सा मीठा दर्द शरीर मे मचलने लगा इसी मीठे आनंद मे मैं बिस्तर से उठी
और फ्रेश होकर घर के कामों मे लग गई अशोक ऑफिस के लिए सुबह 8 बजे निकलते थे इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लिए नाश्ता तैयार करने मैं लग गई जब तक अशोक तैयार हुए मैंने नाश्ता रेडी कर दिया ब्रेकफास्ट करते हुए अशोक ने मुझसे कहा -
अशोक - पदमा !
मैं - जी ?
अशोक - मैं कल रात तुम्हें एक बात बताना भूल गया ।
मैं - क्या ?
अशोक - आज रात को हमे एक पार्टी मे जाना है ।
मैं - पार्टी ? किसकी पार्टी ?
अशोक - अरे हाँ वो ऑफिस की तरफ से है ।
अशोक से मेरी शादी को 4 साल हो चुके थे पर कभी भी मैं उसकी किसी ऑफिस पार्टी मे नहीं गयी ।
मैं- ये अचानक ऑफिस वाले कब से पार्टी देने लगे ? आज से पहले तो कभी नहीं बुलाया ।
अशोक - अरे वो दरसल नितिन , की मैरिज एनीवरसेरी है आज इसलिए सिर्फ हमारे ग्रुप के मेम्बर्स को इन्वाइट किया है ।
मैं ( हैरानी से ) - क्या नितिन की शादी हो चुकी है ?
अशोक - हाँ 1 साल हुए ।
मैं - लगता तो अभी कम उम्र का ही है।
अशोक - अरे , वो अपनी फिटनेस का बोहोत ध्यान रखता है । रोज जिम जाता है और अपनी डाइट भी रेगुलर टाइम पर लेता है । अब भई खाली आदमी है सारा दिन कुछ काम तो है नहीं , ऑफिस मे सारा काम तो हमे ही देखना पड़ता है । जनाब आते है और काम चेक करके और क्या करना है बताके चले जाते है ।
मैं - हम्म ।
अशोक - अच्छा तुम 7 बजे रेडी रहना मेरे आते ही चलेंगे ।
मैं - ओके ।
इसके बाद अशोक ऑफिस के लिए निकाल गए । मै सोचने लगी ये नितिन तो शादीशुदा होकर भी कितनी जल्दी मेरे बेडरूम मे घुस गया और केसे घूर घूर कर मुझे देख रहा था जब मेरी साडी का पल्लू नीचे गिर गया था । मुझे इससे संभल कर दूरी बनाकर रहना चाहिए कहीं एसा ना हो की अपनी जिस्म की गर्मी की वजह मैं कोई एसा पाप कर बेठु की कहीं की ना रहूं वैसे भी जैसा की अशोक ने बताया की नितिन तो ऑफिस मे भी कोई काम नहीं करता तो ये लक्षण तो आवारा लोगों के होते है ।
इसलिए मैंने मन मे निर्णय किया की मैं पार्टी मे नितिन से दूरी बनाकर रखूंगी । बाकी मेरा ये जिस्म मेरे मन का साथ कब तक देता है ये तो पार्टी मे जाकर ही पता चलेगा ।
इन्ही खयालों मे ना जाने कब 9 बज गए मैंने टाइम देखा तो सभी बातों से ध्यान हटाकर अपने काम मे लग गई और 11:30 तक मैंने अपने घर का सारा काम खत्म भी दिया और फिर आराम करने सोफ़े पर बेठ गई के तभी डोर बेल बजी । मैंने उठकर दरवाजा खोला तो सामने वरुण की मम्मी , सीमा जी खड़ी थी । पूरे मोहल्ले मे मेरी सबसे अच्छी दोस्त । उन्हे देखते ही मैंने उनका अभीवादन किया ।
मैं - अरे सीमा जी , नमस्ते ।
सीमा जी - नमस्ते । कैसी हो पदमा ?
मैं - मैं अच्छी हूँ । आइये अंदर आइये ।
उसके बाद मैं और सीमा जी घर के अंदर आ गए और सोफ़े पर बैठ गए ।
मैं - और कैसी है सीमा जी ? घर मे सब ठीक ?
सीमा जी - मैं तो अच्छी हूँ और रही घर की बात तो वह तो सिर्फ वरुण है और मुझे बस उसकी पढ़ाई की फिक्र रहती है ।
दरसल , वरुण के पिता जी जब वरुण छोटा था तभी एक एक्सीडेंट मे गुजर गए थे तब से सीमा जी ने ही वरुण को पाला है ।
मैं - क्यूं क्या हुआ वरुण की पढ़ाई को ?
सीमा जी - बस क्या बताऊँ मुझसे तो अब ये संभलता नहीं। सारा दिन खेलने और इधर उधर घूमने मे लगा देता है । ना पढ़ाई का ध्यान ना पेपर की चिंता । सही कहते है लोग बाप का साया बच्चे के सर होना बोहोत जरूरी होता है आज अगर इसके पिता होते तो ....
इतना कहकर सीमा जी चुप हो गई पर उनकी खामोशी ने सब बयान कर दिया । बात तो सही है बिना पिता के बच्चे को पालना आसान नहीं होता । मैंने कुछ सोचकर उन्हे सुझाव दिया -
मैं- आप एक काम क्यूं नहीं करती वरुण का कहीं टयूशन क्यों नहीं लगवा देती ? बाहर से पढ़ेगा तो उसका मन भी पढ़ाई मे लगने लगेगा ।
सीमा जी - सोचती तो हूँ पर कहीं कोई भरोसेमंद मास्टर भी तो नहीं मिलता जो इसे अपने पास बेठाकर सही गलत का भी कुछ ज्ञान दे ।
मैं- हम्म ये तो है अच्छे टीचर का मिलन भी बोहोत जरूरी है ।
फिर अचानक सीमा जी बोली -
सीमा जी - पदमा !
मैं - हाँ ।
सीमा जी - तुम ही क्यों नहीं पढ़ा देती वरुण को । तुमने भी तो मास्टर्स किया है कॉमर्स मे । और उसका तो अभी सेकंड एयर ही है ।
मैं - पर सीमा जी मुझे पढे हुए काफी टाइम हो गया है और मुझे अब सही से सील्लेबस याद भी नहीं है ।
सीमा जी - तो क्या हुआ एक बार पढ़ लोगी तो सब समझ मे आ जाएगा । और वरुण के साथ तुम्हारा भी टाइम पास हो जायगा । वैसे भी तुम सारा दिन यहाँ घर पर बेठी -2 बोर ही हो जाती हो ।
मैं सोचने लगी कह तो सीमा जी ठीक ही रही है सारा दिन मैं घर मे खाली ही रहती हूँ वरुण को पढ़ाकर मेरा टाइम भी कट जाएगा और मेंरी पढ़ाई भी कुछ काम आ जाएगी नहीं तो शादी के बाद से मेरा पढ़ाई से बिल्कुल नाता ही टूट गया ।
मैं- ठीक है सीमा जी आप मंडे से वरुण को मेरे पास दोपहर मे भेज देना ।
सीमा जी - थैंक यू सो मच पदमा । वरुण तुम्हारे पास रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूँगी । अच्छा अब मैं चलती हूँ । घर जाकर खाना बनाना है । ओके बाय ।
मैं - बाय सीमा जी ।
और फिर सीमा जी चली गई और उनके जाने के बाद मैं भी नहाने चली गई ।
शाम के 5 बजे मैं पार्टी मे जाने की तैयारी करने लगी । मैंने एक ब्लू क्लर की सारी और उस पर मैचींग ब्लू ब्लाउज निकाला बाथरूम मे चली गई वहाँ जाकर मैंने अपनी पाहनी हुई साड़ी निकली और ब्लाउज और पेटीकोट मे आ गई फिर वीट लेकर उसे अपने आर्म्पिट , हाथ और पैरों पर लगाया ताकि सब जगहों से अनचाहे बाल हट जाए थोड़ी देर बाद क्लीनर से सारे बालों को शरीर से निकाल दिया
और अपने आप को गरम पानी से साफ करके अपने लाए हुए कपड़े पहनने लगी । कपड़े पहनकर मैं बाथरूम से बाहर आयी और मैक-अप करने ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई । टाइम तो जैसे पंख लगा कर उड रहा था पता भी ना चला और 7 बज गए ।
तभी डॉर बेल बजी मैं जानती थी ये अशोक है और जल्दी से गेट खोलने गई । गेट के खुलते ही जैसे ही अशोक ने मुझे देखा वो सन्न से रह गए और मुझे ताकते हुए बोले हाए आज तो कयामत लग रही हो
मैं उनकी इस बात पर शर्मा कर रह गई । और बोली -"चलिए कहीं लेट ना हो जाए "
अशोक - बस 2 मिनट मै अभी तैयार होकर आया ।
अशोक को रेडी होने मे ज्यादा देर नहीं लगी और फिर हम अपनी कार मे पार्टी की तरफ निकाल पड़े । रास्ते मे हमने नितिन और उसकी वाइफ के लिए गिफ्ट खरीदा और लगभग 7:45 पर नितिन के फार्म हाउस पर पहुँच गए पार्टी वहीं पर थी । अशोक ने गाड़ी पार्किंग मे लगाई और हम दोनों साथ मे अंदर पार्टी मे दाखिल हुए । यूं तो जनवरी खत्म होकर फरवरी चल गया था पर रात के समय अब भी काफी ठंड हो जाती थी । पार्टी मे जाते हुए मुझे ठंड का अहसास होने लगा पार्टी मे ज्यादा भीड़ नहीं थी सिर्फ करीबी लोग और कंपनी सीनियर एमप्लॉयस को ही बुलाया गया था अशोक को भी इसलिए बुलाया गया था क्योंकि वह उस ग्रुप का हिस्सा थे जिसको नितिन लीड करता है पर मेरे मन मे एक दूसरा खयाल भी था और वो ये की नितिन ने इस पार्टी मे अशोक को मेरी वजह से बुलाया है बाकी आगे देखते है ।
पार्टी मे एंटर होते ही लोगों की नजरे मुझे ताड़ने लगी
और कई लोग अपना काम छोड़ कर सिर्फ मुझे ही देखने लगे उनके इस तरह देखने से मेरे मन का रोमांच जागने लगा । अभी हम पार्टी के थोड़े ही अंदर गए थे की सामने से नितिन आता हुआ दिखाई दिया वो हमारी ओर ही आ रहा था पर उसकी नजरे मुझ पर ही टिकी हुई थी जैसे ही वो हमारे पास आया अशोक ने कहा -
अशोक - हैलो बॉस
नितिन - क्या यार अशोक ये बॉस का सिस्टम ऑफिस तक ही रखा करो । बाहर मैं तुम्हारा दोस्त ही हूँ । सो कॉल मी 'नितिन '
अशोक - ओके , तो हैप्पी एनीवर्सेरी नितिन ।
और अशोक ने मुझे साथ लाए गिफ्ट को नितिन को देने का इशरा किया जैसे ही मैंने गिफ्ट पैक को नितिन के हाथों मे दिया उसके हाथ मेरी उंगलियों से टच हो गए । फिर नितिन ने कहा - " आओ अंदर चले "
नितिन का इशारा एक बड़े से चेम्बर की और था और फिर हम नितिन के साथ उस बड़े से चेम्बर के अंदर चले गए चेम्बर के अंदर ज्यादा ठंड नहीं थी वहाँ का तापमान नॉर्मल था और वहाँ काफी लोग भी मोजूद थे । चेम्बर काफी बड़ा था वह कई सारे रूम थे एक साइड मे छोटा सा वाइन बार और उसके आगे एक डांस फ्लोर बना हुआ था चेम्बर की आउटर साइडे खुली थी और वहाँ एक स्विमिंग पूल था । चेम्बर के एक ओर काफी भीड़ थी । नितिन हमे उसी भीड़ की ओर ले गया और फिर उस भीड़ मे एक आवाज दी "मोनिका " । इसके बाद भीड़ मे से एक लड़की जींस-टॉप पहने बाहर आयी , नितिन उसे हमारे पास लेकर आया और कहा ये है मेरे ग्रुप के मेम्बर अशोक और ये है इनकी वाइफ "पदमा " और इतना बोलकर वो मेरी ओर ही देखने लगा ।
मोनिका ने अशोक को हैलो बोला और मैंने गले लगकर मोनिका को मुबारकबाद दी । हम आपस मे बात कर रहे थे पर मैंने नितिन से कोई बात नहीं की और ना ही उसकी किसी बात का जवाब दिया । मैं उसे अवॉइड कर रही थी । इतने मे ही पीछे से किसी ने आवाज दी "चलो भई केक भी काट लो कबसे इंतजार कर रहा है बेचारा ।" इस बात पर सब हँसने लगे । और हम सब केक के पास गए । फिर नितिन और मोनिका ने केक काटा सबने खुशी मे तालियाँ बजाई फिर नितिन और मोनिका ने एक दूसरे को केक खिलाया उसके बाद सबको केक बाँटा गया । मैंने भी उसका टेस्ट किया केक बोहोत ही टेस्टी बना था । मैंने मोनिका से जो उस वक्त मेरे पास ही खड़ी थी को बोला - मोनिका इतना टेस्टी केक कहाँ से मँगवाया ?
मोनिका -अरे ये मँगवाया नहीं है , होम मेड है ।
मैं - क्या सच मे ? तुमने बनाया है ? प्लीज इसकी रेसेपी मुझे भी सीखना ।
मोनिका - अरे पर ये मैंने नहीं बनाया ।
मैं - फिर ?
मोनिका - ये तो नितिन ने बनाया है ।
मैं - ओह .. अच्छा
इतने मे ही पीछे से नितिन आ गया और कहने लगा -
नितिन- क्या बातें हो रही है ?
मोनिका - कुछ नहीं वो दरसल पदमा को केक बोहोत पसंद आया इसलिए वो इसकी रेसेपी मांग रही थी मैंने कहा की ये मैंने नहीं बल्कि तुमने बनाया है इसलिए अगर रेसेपी लेनी है तो तुम से ही ले ।
नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा -
नितिन- हाँ हाँ क्यों नहीं मैं बता दूंगा ।
मैंने कुछ नहीं कहा और चुप रही और फिर "ये अशोक कहाँ रह गए'" एस बोलकर वहाँ से चली गई । थोड़ी देर अशोक को ढूंढा तो देखा वो एक कमरे मे अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब पी रहे थे । मैं बिना कुछ बोले वहाँ से चली आयी अशोक की यही एक बुरी आदत थी वो जब भी किसी पार्टी या शादी मे जाते थे ,शराब पीने मे लग जाते थे । खैर पार्टी मे खाने-पीने का दौर चल रहा था मैंने ज्यादा खाना तो नहीं खाया और एक कोल्ड ड्रिंक लेकर स्विमिंग पूल के पास घूमते हुए उसे पीने लगी । स्विमिंगपूल आउटर साइड पर होने की वजह से वहाँ ज्यादा लोग नहीं थे । मैं वह अकेले ही घूमने लगी मुझे पता भी नहीं चला कब वहाँ नितिन भी अपनी ड्रिंक लेकर पहुँच गया और पीछे से बोला - अशोक नहीं मिल क्या ?
इस बार मैंने बिना उसकी ओर देखे जवाब दिया ।
मैं - मिले थे वो अभी अपने दोस्तों के साथ है ।
नितिन - अच्छा ,क्या तुमने अशोक से पुछा था के मैं कोन हूँ ?
मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ओर देखा और जवाब दिया - " तुम धोखेबाज हो "
नितिन (हँसते हुए )- क्यूं मैंने एसा क्या किया ?
मैं - तुम जानते हो ?
नितिन - लेकिन मैं तुमसे जानना चाहता हूँ की तुम्हें एसा क्यूं लगता है ?
मैं - क्या फर्क पड़ता है ?
नितिन - फर्क पड़ता है पदमा । तभी तो पूछ रहा हूँ । बताओ ना ?
मैं- तुमने उस दिन झुठ क्यूं बोल की तुम अशोक के दोस्त हो ? सीधा सीधा बोल देते की तुम उसके बॉस हो ।
नितिन - बस इतनी सी बात । अरे अगर वो तो इसलिए क्योंकि अगर मैं तुम्हें बता देता की मैं अशोक का दोस्त नहीं उसका सीनियर हूँ तो क्या तुम यकीन करती । के इतनी काम उम्र मे कोई बॉस हो सकता है । तुम खुद सोचो और फिर - मुझे तुमसे .. ..
नितिन मुझसे बात करते हुए मेरे पूरे बदन का अपनी आँखों से पूरा माप ले रहा था और उसकी ये अदा मेरे अंदर भी हलचल कर रही थी ।
मैं- और फिर क्या ...... बोलो ना
नितिन - और फिर मैं तुमसे दोस्ती करने का मौका गवा देता । अगर तुम्हें पता चल जाता की मैं अशोक का बॉस हूँ तो तूम कभी भी ,मुझसे एसे बात नहीं करती जैसे तुमने उस दिन की । बताओ क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ ?
मैं- लेकिन फिर तुमने कहा की तुम लेट हो रहे हो और .. ..
मैं इतना ही बोली थी की चारों ओर की लाइट चली गई और अंधेरा छा गया बस डांस फ्लोर पर मद्ध्धम रोशनी फैली थी । और हल्का म्यूजिक बजने लगा । ये संकेत था की अब डांस शुरू हो चुका है ।
नितिन जो कबसे मेरे हुस्न को अपनी आँखों से पी रहा था अंधेरे का फायदा उठा कर मेरे करीब आया और बोला - " हाँ बोलो , क्या कह रही थी तुम उस दिन क्या ? "
नितिन मेरे इतने करीब आ गया के मुझे उसकी गरम साँसे और उसके मुहँ से आती वाइन की हल्की स्मेल अपने चेहरे पर महसूस हुई । उसे अपने इतने करीब पाकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई और मैंने पीछे हटने की सोची ।
मैं - कुछ नहीं । अब मुझे जाना है ।
मैं जाने को हुई तो नितिन ने आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगा -
नितिन- क्या हुआ पदमा ? कहाँ जाना है ? देखो सब डांस कर रहे है आओ हम भी करते है ।
मैं - तुम्हें मेरे नहीं , मोनिका के साथ डान्स करना चाहिए ।
नितिन- मोनिका की तबीयत ठीक नहीं है वो ऊपर कमरे मे आराम करने गई है ।
मैं - मैं तुम्हारे साथ डान्स नहीं कर सकती नितिन ?
नितिन - क्यूँ ?
मैं - क्योंकि तुम मेरे पति के बॉस हो ।
नितिन- तो क्या हुआ हम दोस्त भी तो है ना ।
मैं - नहीं हम नहीं है ।
नितिन - तुम झूठ बोल रही हो ?
मैं- मैंने क्या झूठ बोला साबित करो ?
नितिन - करूँ साबित ?
इस दौरान नितिन मेरे कहीं ज्यादा ही करीब आ गया और हमारी साँसे आपस मे टकराने लगी । मेरा भी मन रोमांचित हो उठा और उसी रोमांच मे मैंने बोल दिया -
मैं - हाँ करो साबित ?
मेरे इतना कहते ही नितिन ने मेरा हाथ जो अभी भी उसके हाथ मे था उसे खींचा और डान्स फ्लोर की ओर मुझे लेके चल दिया । डांस फ्लोर ज्यादा दूर नहीं था और इससे पहले की मैं , नितिन को कुछ कहती नितिन ने मुझे डांस फ्लोर के एक कोने मे जहां बिल्कुल अंधेरा था वहाँ खड़ा किया और खुद मुझसे सट कर खड़ा हो गया ।
मैं - नितिन ये ..
मैं इतना ही कह पायी के नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे सुर्ख लाल होंठों पर रख दी । और बोला - "अब मुझे साबित करने दो । "
फिर नितिन ने बिना मुझसे पूछे मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और मेरी कमर मे हाथ डाल के मुझे अपनी और खींचा ।
मेरी तो एक दम से एक कामुक आह निकाल गई । नितिन मुझ से बिल्कुल सट कर डान्स करने लगा और बीच -2 मे अपना हाथ मेरी कमर पर भी फिराने लगा उसकी ये हरकते मेरे अंदर एक अजीब सी कशिश पैदा कर रही थी मैंने चारों ओर देखा तो सब जगह अंधेरा था और जिस जगह हम थे वहाँ तो कोई हमे देख ही नहीं सकता था ।
फिर नितिन मेरे और करीब आया और मुझे बिल्कुल अपने गले से लगा कर डांस करने लगा मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स उसके मजबूत सीने से टकराने लगे और उनमे भी तनाव आने लगा मुझे भी अब मस्ती चढ़ने लगी थी । मैंने भी अपनी बाहें नितिन के गले मे डाल दी फिर नितिन मेरे कंधे और गले के पास आया और वहाँ पर हल्के हल्के चूमने लगा । मेरे होंठों से तो आह ही फूट पड़ी - " आह .. .. .. नितिन ये मत करो प्लीज.. .. "
पर नितिन रुकना ही नहीं चाहता था । और फिर उसने मेरा हाथ खिंच उसपर पर भी kisses की झड़ी लगा दी और उसे चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा और मुझे जहां - तहां चूमने लगा । मस्ती मुझ पर भी चढ़ रही थी इसलिए मैंने नितिन से दूर जाने की कोशिश की पर उसने मेरी कमर का कमरबंद खिंचकर अपने से सटा लिया । कमरबंद खींचने के कारण उसकी एक कड़ी टूट गई और वह ढीला पड़ गया मैं कुछ करती इससे पहले ही नितिन ने नीचे बेठकर मेरी कमर को पकड़ा और अपने होंठों से टूटी हुई कड़ी को लगाने लगा
जैसे ही उसके होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसे तेज हो गई और दिल जोर जोर से धड़कने लगा । उत्तेजना मे आके मैंने अपने हाथ नितिन के सर के बालों मे उलझा लिए और उन्हे खींचने लगी । नितिन का तो इसमे दिल लग गया वो कितनी देर तक वो वहाँ मेरी नाभी के आसपास चूमता रहा ।
मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और मेरे लब नितिन को रोकने के लिए एक बार फिर खुल गए -
मैं - आह नितिन .... अब रुक जो प्लीज मैं मर जाऊँगी ।
नितिन ने एक बार ऊपर की ओर देखा और मेरी आंखे जो अंगारे बरसा रही थी उनमे देखते हुए सीधा हो गया । पर उसका इरादा कुछ और था खड़े होकर उसने मुझे घुमाया और मेरे पीछे खड़े होकर मुझे अपनी ओर खींचा और अपने से सटा कर मेरे कंधों को चूमने लगा ।
मैं एक बार फिर पागल होने लगी और अपनी गर्दन इधर उधर घुमाने लगी । उसके हाथ मेरे बूब्स की ओर बढ़े ओर उन्हे अपनी गिरफ्त मे ले लिया। मेरी साँसे उखड़ने लगी और मुझे अपने पीछे नितम्बों पर किसी कठोर लंबी चीज का आभास हुआ जिसके मात्र महसूस करने से मेरी पहले से भीगी योनि और पानी छोड़ने लगी नितिन की पकड़ मेरे बूब्स पर अब सख्त हो चली थी और वो उन्हे मन- मर्जी से निचोड़ने लगा ऊपर उसके होंठ मेरे कानों और गले पर अपनी मुहर लगा रहे थे एक साथ एसे 3 कामुक हमले मेरे लिए असहनिय थे । मेरा जिस्म आग की भट्टी की तरह तप रहा था और नीचे योनि लगातार पानी छोड़े जा रही थी मेरे मुहँ से लगातार धीमी कामुक आहे निकल रही थी
मैं - आह ओह .... .. नितिन.. कोई .. देख .... लेगा .. .. .. नहीं .... .. प्लीज .... आह.... नितिन ......
पर अब मैं अपनी हवस मे इतनी अंधी हो चुकी थी के अपनी सभी शर्मों-ह्या त्याग दी । ना ही मुझे ये खयाल रहा की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ जिसकी अपनी कुछ सीमाएं है और ना ही ये की मेरे पति भी इसी पार्टी मे मोजूद है और अगर उन्होंने मुझे एसे देख लिया तो डूबकर मरने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं होगा ।
पर इन सब बातों से बेपरवाह मैं बस अपनी हवस मिटावाने मे लगी थी नितिन ने अब मेरे एक बूब्स को छोड़ा मेरा एक हाथ पकड़ कर पीछे ले गया और अपने लिंग पर रख दिया । " आह .... " कितना लंबा और मोटा लिंग था नितिन का मेरी तो आह ही निकाल गई ये तो अशोक के लिंग से बोहोत लंबा है ये भाव मेरे मन मे आ गया। नितिन ने मेरा हाथ अपने लिंग पर दबाए रखा और फिर धीरे से मेरे कान मे बोल - कैसा लगा ?
मुझसे कोई जवाब देते ना बना बस उसके इस सवाल पर मैंने अपने लब अपने दांतों से काट लिए ।
स्थिति मेरे काबू से बाहर हो चुकी थी अब अगर नितिन मुझे अपने साथ अपने बेडरूम मे जाने के लिए भी कहता तो मैं इनकार नहीं कर सकती थी
तभी डांस फ्लोर पर बज रहे म्यूजिक के धीमे होने की आवाज आई मैं सहझ गई के अब म्यूजिक बंद होने वाला है और डांस खत्म और फिर सभी लाइटस भी जल जाएगी । अगर लोगों से मुझे इस हालत मे देख लिया तो मैं तो कहीं की नहीं रहूँगी । मैंने नितिन से अपनी उत्तेजना मे काँपती आवाज मे कहा -
मैं- नितिन .... आह .. अब मुझे.. छोड़ दो ......प्लीज । अब डाँस .... आह .. बंद होने .. वाला है .. अगर .. किसी .. .. ने मुझे .. एसे ...... देख लिया तो ........ मैं .. बर्बाद .... हो.. जाऊँगी .... अब मुझे .. जाने ...... दो , प्लीज ...... आह ..
नितिन - ठीक है पर पहले कबूल करो की मैं तुम्हारा दोस्त हूँ या मुझे अभी कुछ साबित करने की जरूरत है ।
मैं- नहीं .... नितिन .. अब .... कुछ .... साबित .. नहीं करना .... आह .... तुम मेरे दोस्त हो ...... अब अपनी .... इस दोस्त .... को .. जाने दो.... प्लीज .... नहीं .. तो तुम्हारी ...... ये दोस्त ...... बदनाम .... ओह ...... हो जाएगी ........
नितिन के हाथ अब भी मेरे तने हुए बूब्स को मसल रहे थे और उसकी उँगलिया मेरे पिप्पलस को रगड़ रही थी पीछे से वो धीरे -2 धक्के लगा रहा था और उसके होंठ अब भी मेरे कान पर अपनी मुहर लगा रहे थे ।
नितिन - तो क्या मैं कल अपनी दोस्त को उसके घर केक की रेसेपी सीखने आ सकता हूँ ?
मैं घबरा गई क्योंकि मेरे हाँ कहने का मतलब था मेरी बर्बादी की ओर मेरा एक और कदम । जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो नितिन ने मेरे निप्पलों को जोर से खींचा और मेरी गर्दन पर भी जोर से काटा । मेरी एक ओर "आह ...." निकल गई । नितिन ने फिर पुछा -
नितिन - बोलो पदमा क्या मैं कल आ सकता हूँ ?
मैं जान गई थी के नितिन जब तक जवाब नहीं सुन लेगा वो मुझे छोड़ेगा नहीं और लाइटस कभी भी ऑन हो सकती है इसलिए उसकी गिरफ्त से आजाद होने के लिए मैंने बोल दिया - हाँ तुम .... आह .... आ सकते .. तो .. परर..... प्लीज .... अब मुझे ........ जाने दो .... नहीं ...... तो कोई देख लेगा........
नितिन - ओके ।
इतना बोलकर नितिन ने मुझे अजाद कर दिया । उसकी पकड़ से छूटते ही मैं दोड़कर स्विमिंग पूल के पास गई क्योंकि वहाँ लोग ज्यादा नहीं होते और मुझे अपनी साँसे नॉर्मल करने के लिए वक्त मिल जाएगा । मेरे वहाँ जाते ही सारी लाइटस भी ऑन हो गई और म्यूजिक रुक गया। मैं ठीक वक्त पर वहाँ से निकल गई । फिर मैं चुपके से वाशरूम की ओर गई क्योंकि मेरी पूरी साड़ी अस्त व्यस्त थी और शरीर भी ।वाशरूम जाते हुए मैंने इस बात का ध्यान रखा की किसी की नजर मुझ पर न पड़े क्योंकि मेरी हालत एसी थी मुझे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था के मेर साथ कुछ हुआ है , थैंक्स गोड़ मुझे किसी ने नहीं देखा वाशरूम मैं जाकर मैंने अपने को ठीक किया और बाहर आई । बाहर आते ही मुझे अशोक दिख गए उन्होंने भी मुझे देख लिया और मेरी ओर ही आने लगे । मेरे पास आकर वो बोले- " कहाँ थी तुम मैं कब से तुम्हें ढूंढ रहा हूँ "
मैं ( अपनी हिचकिचाहट छिपाते हुए )- जी बस यहीं थी पूल के पास । अँधेरा होने की वजह से दिखाई नहीं पड़ी ।
अशोक - हम्म , चलो चलते है , देर हो रही है ।
फिर मैं और अशोक एक आखिरी बार नितिन से मिलने जाने लगे । और नितिन हमे वही थोड़ी दूर मिल गया । अशोक ने उसे गुड बाय कहा और एक बार फिर हैप्पी एनीवर्सेरी कहा । नितिन के सामने इस तरह मुझे असहजता महसूस हो रही थी क्योंकि वो लगातार मुझे निहार रहा था । फिर नितिन बोला -
नितिन - थैंक्स ,अशोक आने के लिए , तुम्हारे आने से मेरी पार्टी मे रोनक आ गई । नितिन का इशारा मेरी ओर था ये मैं जानती थी । हम वहाँ जाने ही वाले थे कि अशोक बोले- " पदमा , ये तुम्हारी गर्दन पर लाल निशान केसा ?
अशोक का मतलब उस निशान से था जहाँ नितिन ने डाँस करते हुए काट लिया था । मै घबरा गई के क्या जवाब दूँ और नितिन की ओर देखा क्योंकि ये निशान उसी का दिया था । मुझसे तो कोई जवाब दिए नहीं बन रहा था । तभी नितिन बोल पड़ा -
नितिन - अरे कोई मच्छर या कीट काट गया होगा । ये खुला इलाका है ना इसलिए यहाँ मच्छर कुछ ज्यादा ही है ।
अशोक ने मेरी ओर देखा और मैंने हाँ मे सर हिलाया । उसके बाद अशोक ने नितिन को बाय बोला और चल दिए । नितिन ने अशोक के साथ मुझे भी बाय बोला , मुझे भी जवाब मैं नितिन को बाय बोलना पड़ा ।
फिर अशोक पार्किंग मे गए और गाड़ी निकाल कर लाए मैं बाहर गते पर ही खड़ी थी । गाड़ी के आते ही मैं उसमे बैठ गई । और फिर अशोक ड्राइव करने लगे । रास्ते मे अशोक बोले -" पार्टी तो काफी अच्छी थी क्यों है ना ?"
मैं - जी ।
फिर अशोक इधर - उधर की बाते करने लगे ,पर मेरा दिल तो कल क्या होगा ये सोच सोचकर धड़कता जा रहा था । मैंने बचने के लिए नितिन को कल आने के लिए कह तो दिया था पर कल उसके आने पर मैं क्या करूंगी । जब पार्टी मे इतने लोगों के होते मैं उसे रोक ना सकी तो घर पर मैं अकेली उससे कैसे बचूँगी । कल क्या होगा ? कल ???????
( नोट - क्या कहते हो दोस्तों पदमा को कल नितिन से चुदवा देना चहिए या उसे अभी थोड़ा और तड़पाना चाहिए या ये काम गुप्ता टेलर को करना चाहिए ? अपनी राय दे क्योंकि कहानी आपके लिए ही है । )
और फ्रेश होकर घर के कामों मे लग गई अशोक ऑफिस के लिए सुबह 8 बजे निकलते थे इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लिए नाश्ता तैयार करने मैं लग गई जब तक अशोक तैयार हुए मैंने नाश्ता रेडी कर दिया ब्रेकफास्ट करते हुए अशोक ने मुझसे कहा -
अशोक - पदमा !
मैं - जी ?
अशोक - मैं कल रात तुम्हें एक बात बताना भूल गया ।
मैं - क्या ?
अशोक - आज रात को हमे एक पार्टी मे जाना है ।
मैं - पार्टी ? किसकी पार्टी ?
अशोक - अरे हाँ वो ऑफिस की तरफ से है ।
अशोक से मेरी शादी को 4 साल हो चुके थे पर कभी भी मैं उसकी किसी ऑफिस पार्टी मे नहीं गयी ।
मैं- ये अचानक ऑफिस वाले कब से पार्टी देने लगे ? आज से पहले तो कभी नहीं बुलाया ।
अशोक - अरे वो दरसल नितिन , की मैरिज एनीवरसेरी है आज इसलिए सिर्फ हमारे ग्रुप के मेम्बर्स को इन्वाइट किया है ।
मैं ( हैरानी से ) - क्या नितिन की शादी हो चुकी है ?
अशोक - हाँ 1 साल हुए ।
मैं - लगता तो अभी कम उम्र का ही है।
अशोक - अरे , वो अपनी फिटनेस का बोहोत ध्यान रखता है । रोज जिम जाता है और अपनी डाइट भी रेगुलर टाइम पर लेता है । अब भई खाली आदमी है सारा दिन कुछ काम तो है नहीं , ऑफिस मे सारा काम तो हमे ही देखना पड़ता है । जनाब आते है और काम चेक करके और क्या करना है बताके चले जाते है ।
मैं - हम्म ।
अशोक - अच्छा तुम 7 बजे रेडी रहना मेरे आते ही चलेंगे ।
मैं - ओके ।
इसके बाद अशोक ऑफिस के लिए निकाल गए । मै सोचने लगी ये नितिन तो शादीशुदा होकर भी कितनी जल्दी मेरे बेडरूम मे घुस गया और केसे घूर घूर कर मुझे देख रहा था जब मेरी साडी का पल्लू नीचे गिर गया था । मुझे इससे संभल कर दूरी बनाकर रहना चाहिए कहीं एसा ना हो की अपनी जिस्म की गर्मी की वजह मैं कोई एसा पाप कर बेठु की कहीं की ना रहूं वैसे भी जैसा की अशोक ने बताया की नितिन तो ऑफिस मे भी कोई काम नहीं करता तो ये लक्षण तो आवारा लोगों के होते है ।
इसलिए मैंने मन मे निर्णय किया की मैं पार्टी मे नितिन से दूरी बनाकर रखूंगी । बाकी मेरा ये जिस्म मेरे मन का साथ कब तक देता है ये तो पार्टी मे जाकर ही पता चलेगा ।
इन्ही खयालों मे ना जाने कब 9 बज गए मैंने टाइम देखा तो सभी बातों से ध्यान हटाकर अपने काम मे लग गई और 11:30 तक मैंने अपने घर का सारा काम खत्म भी दिया और फिर आराम करने सोफ़े पर बेठ गई के तभी डोर बेल बजी । मैंने उठकर दरवाजा खोला तो सामने वरुण की मम्मी , सीमा जी खड़ी थी । पूरे मोहल्ले मे मेरी सबसे अच्छी दोस्त । उन्हे देखते ही मैंने उनका अभीवादन किया ।
मैं - अरे सीमा जी , नमस्ते ।
सीमा जी - नमस्ते । कैसी हो पदमा ?
मैं - मैं अच्छी हूँ । आइये अंदर आइये ।
उसके बाद मैं और सीमा जी घर के अंदर आ गए और सोफ़े पर बैठ गए ।
मैं - और कैसी है सीमा जी ? घर मे सब ठीक ?
सीमा जी - मैं तो अच्छी हूँ और रही घर की बात तो वह तो सिर्फ वरुण है और मुझे बस उसकी पढ़ाई की फिक्र रहती है ।
दरसल , वरुण के पिता जी जब वरुण छोटा था तभी एक एक्सीडेंट मे गुजर गए थे तब से सीमा जी ने ही वरुण को पाला है ।
मैं - क्यूं क्या हुआ वरुण की पढ़ाई को ?
सीमा जी - बस क्या बताऊँ मुझसे तो अब ये संभलता नहीं। सारा दिन खेलने और इधर उधर घूमने मे लगा देता है । ना पढ़ाई का ध्यान ना पेपर की चिंता । सही कहते है लोग बाप का साया बच्चे के सर होना बोहोत जरूरी होता है आज अगर इसके पिता होते तो ....
इतना कहकर सीमा जी चुप हो गई पर उनकी खामोशी ने सब बयान कर दिया । बात तो सही है बिना पिता के बच्चे को पालना आसान नहीं होता । मैंने कुछ सोचकर उन्हे सुझाव दिया -
मैं- आप एक काम क्यूं नहीं करती वरुण का कहीं टयूशन क्यों नहीं लगवा देती ? बाहर से पढ़ेगा तो उसका मन भी पढ़ाई मे लगने लगेगा ।
सीमा जी - सोचती तो हूँ पर कहीं कोई भरोसेमंद मास्टर भी तो नहीं मिलता जो इसे अपने पास बेठाकर सही गलत का भी कुछ ज्ञान दे ।
मैं- हम्म ये तो है अच्छे टीचर का मिलन भी बोहोत जरूरी है ।
फिर अचानक सीमा जी बोली -
सीमा जी - पदमा !
मैं - हाँ ।
सीमा जी - तुम ही क्यों नहीं पढ़ा देती वरुण को । तुमने भी तो मास्टर्स किया है कॉमर्स मे । और उसका तो अभी सेकंड एयर ही है ।
मैं - पर सीमा जी मुझे पढे हुए काफी टाइम हो गया है और मुझे अब सही से सील्लेबस याद भी नहीं है ।
सीमा जी - तो क्या हुआ एक बार पढ़ लोगी तो सब समझ मे आ जाएगा । और वरुण के साथ तुम्हारा भी टाइम पास हो जायगा । वैसे भी तुम सारा दिन यहाँ घर पर बेठी -2 बोर ही हो जाती हो ।
मैं सोचने लगी कह तो सीमा जी ठीक ही रही है सारा दिन मैं घर मे खाली ही रहती हूँ वरुण को पढ़ाकर मेरा टाइम भी कट जाएगा और मेंरी पढ़ाई भी कुछ काम आ जाएगी नहीं तो शादी के बाद से मेरा पढ़ाई से बिल्कुल नाता ही टूट गया ।
मैं- ठीक है सीमा जी आप मंडे से वरुण को मेरे पास दोपहर मे भेज देना ।
सीमा जी - थैंक यू सो मच पदमा । वरुण तुम्हारे पास रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूँगी । अच्छा अब मैं चलती हूँ । घर जाकर खाना बनाना है । ओके बाय ।
मैं - बाय सीमा जी ।
और फिर सीमा जी चली गई और उनके जाने के बाद मैं भी नहाने चली गई ।
शाम के 5 बजे मैं पार्टी मे जाने की तैयारी करने लगी । मैंने एक ब्लू क्लर की सारी और उस पर मैचींग ब्लू ब्लाउज निकाला बाथरूम मे चली गई वहाँ जाकर मैंने अपनी पाहनी हुई साड़ी निकली और ब्लाउज और पेटीकोट मे आ गई फिर वीट लेकर उसे अपने आर्म्पिट , हाथ और पैरों पर लगाया ताकि सब जगहों से अनचाहे बाल हट जाए थोड़ी देर बाद क्लीनर से सारे बालों को शरीर से निकाल दिया
और अपने आप को गरम पानी से साफ करके अपने लाए हुए कपड़े पहनने लगी । कपड़े पहनकर मैं बाथरूम से बाहर आयी और मैक-अप करने ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई । टाइम तो जैसे पंख लगा कर उड रहा था पता भी ना चला और 7 बज गए ।
तभी डॉर बेल बजी मैं जानती थी ये अशोक है और जल्दी से गेट खोलने गई । गेट के खुलते ही जैसे ही अशोक ने मुझे देखा वो सन्न से रह गए और मुझे ताकते हुए बोले हाए आज तो कयामत लग रही हो
मैं उनकी इस बात पर शर्मा कर रह गई । और बोली -"चलिए कहीं लेट ना हो जाए "
अशोक - बस 2 मिनट मै अभी तैयार होकर आया ।
अशोक को रेडी होने मे ज्यादा देर नहीं लगी और फिर हम अपनी कार मे पार्टी की तरफ निकाल पड़े । रास्ते मे हमने नितिन और उसकी वाइफ के लिए गिफ्ट खरीदा और लगभग 7:45 पर नितिन के फार्म हाउस पर पहुँच गए पार्टी वहीं पर थी । अशोक ने गाड़ी पार्किंग मे लगाई और हम दोनों साथ मे अंदर पार्टी मे दाखिल हुए । यूं तो जनवरी खत्म होकर फरवरी चल गया था पर रात के समय अब भी काफी ठंड हो जाती थी । पार्टी मे जाते हुए मुझे ठंड का अहसास होने लगा पार्टी मे ज्यादा भीड़ नहीं थी सिर्फ करीबी लोग और कंपनी सीनियर एमप्लॉयस को ही बुलाया गया था अशोक को भी इसलिए बुलाया गया था क्योंकि वह उस ग्रुप का हिस्सा थे जिसको नितिन लीड करता है पर मेरे मन मे एक दूसरा खयाल भी था और वो ये की नितिन ने इस पार्टी मे अशोक को मेरी वजह से बुलाया है बाकी आगे देखते है ।
पार्टी मे एंटर होते ही लोगों की नजरे मुझे ताड़ने लगी
और कई लोग अपना काम छोड़ कर सिर्फ मुझे ही देखने लगे उनके इस तरह देखने से मेरे मन का रोमांच जागने लगा । अभी हम पार्टी के थोड़े ही अंदर गए थे की सामने से नितिन आता हुआ दिखाई दिया वो हमारी ओर ही आ रहा था पर उसकी नजरे मुझ पर ही टिकी हुई थी जैसे ही वो हमारे पास आया अशोक ने कहा -
अशोक - हैलो बॉस
नितिन - क्या यार अशोक ये बॉस का सिस्टम ऑफिस तक ही रखा करो । बाहर मैं तुम्हारा दोस्त ही हूँ । सो कॉल मी 'नितिन '
अशोक - ओके , तो हैप्पी एनीवर्सेरी नितिन ।
और अशोक ने मुझे साथ लाए गिफ्ट को नितिन को देने का इशरा किया जैसे ही मैंने गिफ्ट पैक को नितिन के हाथों मे दिया उसके हाथ मेरी उंगलियों से टच हो गए । फिर नितिन ने कहा - " आओ अंदर चले "
नितिन का इशारा एक बड़े से चेम्बर की और था और फिर हम नितिन के साथ उस बड़े से चेम्बर के अंदर चले गए चेम्बर के अंदर ज्यादा ठंड नहीं थी वहाँ का तापमान नॉर्मल था और वहाँ काफी लोग भी मोजूद थे । चेम्बर काफी बड़ा था वह कई सारे रूम थे एक साइड मे छोटा सा वाइन बार और उसके आगे एक डांस फ्लोर बना हुआ था चेम्बर की आउटर साइडे खुली थी और वहाँ एक स्विमिंग पूल था । चेम्बर के एक ओर काफी भीड़ थी । नितिन हमे उसी भीड़ की ओर ले गया और फिर उस भीड़ मे एक आवाज दी "मोनिका " । इसके बाद भीड़ मे से एक लड़की जींस-टॉप पहने बाहर आयी , नितिन उसे हमारे पास लेकर आया और कहा ये है मेरे ग्रुप के मेम्बर अशोक और ये है इनकी वाइफ "पदमा " और इतना बोलकर वो मेरी ओर ही देखने लगा ।
मोनिका ने अशोक को हैलो बोला और मैंने गले लगकर मोनिका को मुबारकबाद दी । हम आपस मे बात कर रहे थे पर मैंने नितिन से कोई बात नहीं की और ना ही उसकी किसी बात का जवाब दिया । मैं उसे अवॉइड कर रही थी । इतने मे ही पीछे से किसी ने आवाज दी "चलो भई केक भी काट लो कबसे इंतजार कर रहा है बेचारा ।" इस बात पर सब हँसने लगे । और हम सब केक के पास गए । फिर नितिन और मोनिका ने केक काटा सबने खुशी मे तालियाँ बजाई फिर नितिन और मोनिका ने एक दूसरे को केक खिलाया उसके बाद सबको केक बाँटा गया । मैंने भी उसका टेस्ट किया केक बोहोत ही टेस्टी बना था । मैंने मोनिका से जो उस वक्त मेरे पास ही खड़ी थी को बोला - मोनिका इतना टेस्टी केक कहाँ से मँगवाया ?
मोनिका -अरे ये मँगवाया नहीं है , होम मेड है ।
मैं - क्या सच मे ? तुमने बनाया है ? प्लीज इसकी रेसेपी मुझे भी सीखना ।
मोनिका - अरे पर ये मैंने नहीं बनाया ।
मैं - फिर ?
मोनिका - ये तो नितिन ने बनाया है ।
मैं - ओह .. अच्छा
इतने मे ही पीछे से नितिन आ गया और कहने लगा -
नितिन- क्या बातें हो रही है ?
मोनिका - कुछ नहीं वो दरसल पदमा को केक बोहोत पसंद आया इसलिए वो इसकी रेसेपी मांग रही थी मैंने कहा की ये मैंने नहीं बल्कि तुमने बनाया है इसलिए अगर रेसेपी लेनी है तो तुम से ही ले ।
नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा -
नितिन- हाँ हाँ क्यों नहीं मैं बता दूंगा ।
मैंने कुछ नहीं कहा और चुप रही और फिर "ये अशोक कहाँ रह गए'" एस बोलकर वहाँ से चली गई । थोड़ी देर अशोक को ढूंढा तो देखा वो एक कमरे मे अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब पी रहे थे । मैं बिना कुछ बोले वहाँ से चली आयी अशोक की यही एक बुरी आदत थी वो जब भी किसी पार्टी या शादी मे जाते थे ,शराब पीने मे लग जाते थे । खैर पार्टी मे खाने-पीने का दौर चल रहा था मैंने ज्यादा खाना तो नहीं खाया और एक कोल्ड ड्रिंक लेकर स्विमिंग पूल के पास घूमते हुए उसे पीने लगी । स्विमिंगपूल आउटर साइड पर होने की वजह से वहाँ ज्यादा लोग नहीं थे । मैं वह अकेले ही घूमने लगी मुझे पता भी नहीं चला कब वहाँ नितिन भी अपनी ड्रिंक लेकर पहुँच गया और पीछे से बोला - अशोक नहीं मिल क्या ?
इस बार मैंने बिना उसकी ओर देखे जवाब दिया ।
मैं - मिले थे वो अभी अपने दोस्तों के साथ है ।
नितिन - अच्छा ,क्या तुमने अशोक से पुछा था के मैं कोन हूँ ?
मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ओर देखा और जवाब दिया - " तुम धोखेबाज हो "
नितिन (हँसते हुए )- क्यूं मैंने एसा क्या किया ?
मैं - तुम जानते हो ?
नितिन - लेकिन मैं तुमसे जानना चाहता हूँ की तुम्हें एसा क्यूं लगता है ?
मैं - क्या फर्क पड़ता है ?
नितिन - फर्क पड़ता है पदमा । तभी तो पूछ रहा हूँ । बताओ ना ?
मैं- तुमने उस दिन झुठ क्यूं बोल की तुम अशोक के दोस्त हो ? सीधा सीधा बोल देते की तुम उसके बॉस हो ।
नितिन - बस इतनी सी बात । अरे अगर वो तो इसलिए क्योंकि अगर मैं तुम्हें बता देता की मैं अशोक का दोस्त नहीं उसका सीनियर हूँ तो क्या तुम यकीन करती । के इतनी काम उम्र मे कोई बॉस हो सकता है । तुम खुद सोचो और फिर - मुझे तुमसे .. ..
नितिन मुझसे बात करते हुए मेरे पूरे बदन का अपनी आँखों से पूरा माप ले रहा था और उसकी ये अदा मेरे अंदर भी हलचल कर रही थी ।
मैं- और फिर क्या ...... बोलो ना
नितिन - और फिर मैं तुमसे दोस्ती करने का मौका गवा देता । अगर तुम्हें पता चल जाता की मैं अशोक का बॉस हूँ तो तूम कभी भी ,मुझसे एसे बात नहीं करती जैसे तुमने उस दिन की । बताओ क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ ?
मैं- लेकिन फिर तुमने कहा की तुम लेट हो रहे हो और .. ..
मैं इतना ही बोली थी की चारों ओर की लाइट चली गई और अंधेरा छा गया बस डांस फ्लोर पर मद्ध्धम रोशनी फैली थी । और हल्का म्यूजिक बजने लगा । ये संकेत था की अब डांस शुरू हो चुका है ।
नितिन जो कबसे मेरे हुस्न को अपनी आँखों से पी रहा था अंधेरे का फायदा उठा कर मेरे करीब आया और बोला - " हाँ बोलो , क्या कह रही थी तुम उस दिन क्या ? "
नितिन मेरे इतने करीब आ गया के मुझे उसकी गरम साँसे और उसके मुहँ से आती वाइन की हल्की स्मेल अपने चेहरे पर महसूस हुई । उसे अपने इतने करीब पाकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई और मैंने पीछे हटने की सोची ।
मैं - कुछ नहीं । अब मुझे जाना है ।
मैं जाने को हुई तो नितिन ने आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगा -
नितिन- क्या हुआ पदमा ? कहाँ जाना है ? देखो सब डांस कर रहे है आओ हम भी करते है ।
मैं - तुम्हें मेरे नहीं , मोनिका के साथ डान्स करना चाहिए ।
नितिन- मोनिका की तबीयत ठीक नहीं है वो ऊपर कमरे मे आराम करने गई है ।
मैं - मैं तुम्हारे साथ डान्स नहीं कर सकती नितिन ?
नितिन - क्यूँ ?
मैं - क्योंकि तुम मेरे पति के बॉस हो ।
नितिन- तो क्या हुआ हम दोस्त भी तो है ना ।
मैं - नहीं हम नहीं है ।
नितिन - तुम झूठ बोल रही हो ?
मैं- मैंने क्या झूठ बोला साबित करो ?
नितिन - करूँ साबित ?
इस दौरान नितिन मेरे कहीं ज्यादा ही करीब आ गया और हमारी साँसे आपस मे टकराने लगी । मेरा भी मन रोमांचित हो उठा और उसी रोमांच मे मैंने बोल दिया -
मैं - हाँ करो साबित ?
मेरे इतना कहते ही नितिन ने मेरा हाथ जो अभी भी उसके हाथ मे था उसे खींचा और डान्स फ्लोर की ओर मुझे लेके चल दिया । डांस फ्लोर ज्यादा दूर नहीं था और इससे पहले की मैं , नितिन को कुछ कहती नितिन ने मुझे डांस फ्लोर के एक कोने मे जहां बिल्कुल अंधेरा था वहाँ खड़ा किया और खुद मुझसे सट कर खड़ा हो गया ।
मैं - नितिन ये ..
मैं इतना ही कह पायी के नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे सुर्ख लाल होंठों पर रख दी । और बोला - "अब मुझे साबित करने दो । "
फिर नितिन ने बिना मुझसे पूछे मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और मेरी कमर मे हाथ डाल के मुझे अपनी और खींचा ।
मेरी तो एक दम से एक कामुक आह निकाल गई । नितिन मुझ से बिल्कुल सट कर डान्स करने लगा और बीच -2 मे अपना हाथ मेरी कमर पर भी फिराने लगा उसकी ये हरकते मेरे अंदर एक अजीब सी कशिश पैदा कर रही थी मैंने चारों ओर देखा तो सब जगह अंधेरा था और जिस जगह हम थे वहाँ तो कोई हमे देख ही नहीं सकता था ।
फिर नितिन मेरे और करीब आया और मुझे बिल्कुल अपने गले से लगा कर डांस करने लगा मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स उसके मजबूत सीने से टकराने लगे और उनमे भी तनाव आने लगा मुझे भी अब मस्ती चढ़ने लगी थी । मैंने भी अपनी बाहें नितिन के गले मे डाल दी फिर नितिन मेरे कंधे और गले के पास आया और वहाँ पर हल्के हल्के चूमने लगा । मेरे होंठों से तो आह ही फूट पड़ी - " आह .. .. .. नितिन ये मत करो प्लीज.. .. "
पर नितिन रुकना ही नहीं चाहता था । और फिर उसने मेरा हाथ खिंच उसपर पर भी kisses की झड़ी लगा दी और उसे चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा और मुझे जहां - तहां चूमने लगा । मस्ती मुझ पर भी चढ़ रही थी इसलिए मैंने नितिन से दूर जाने की कोशिश की पर उसने मेरी कमर का कमरबंद खिंचकर अपने से सटा लिया । कमरबंद खींचने के कारण उसकी एक कड़ी टूट गई और वह ढीला पड़ गया मैं कुछ करती इससे पहले ही नितिन ने नीचे बेठकर मेरी कमर को पकड़ा और अपने होंठों से टूटी हुई कड़ी को लगाने लगा
जैसे ही उसके होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसे तेज हो गई और दिल जोर जोर से धड़कने लगा । उत्तेजना मे आके मैंने अपने हाथ नितिन के सर के बालों मे उलझा लिए और उन्हे खींचने लगी । नितिन का तो इसमे दिल लग गया वो कितनी देर तक वो वहाँ मेरी नाभी के आसपास चूमता रहा ।
मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और मेरे लब नितिन को रोकने के लिए एक बार फिर खुल गए -
मैं - आह नितिन .... अब रुक जो प्लीज मैं मर जाऊँगी ।
नितिन ने एक बार ऊपर की ओर देखा और मेरी आंखे जो अंगारे बरसा रही थी उनमे देखते हुए सीधा हो गया । पर उसका इरादा कुछ और था खड़े होकर उसने मुझे घुमाया और मेरे पीछे खड़े होकर मुझे अपनी ओर खींचा और अपने से सटा कर मेरे कंधों को चूमने लगा ।
मैं एक बार फिर पागल होने लगी और अपनी गर्दन इधर उधर घुमाने लगी । उसके हाथ मेरे बूब्स की ओर बढ़े ओर उन्हे अपनी गिरफ्त मे ले लिया। मेरी साँसे उखड़ने लगी और मुझे अपने पीछे नितम्बों पर किसी कठोर लंबी चीज का आभास हुआ जिसके मात्र महसूस करने से मेरी पहले से भीगी योनि और पानी छोड़ने लगी नितिन की पकड़ मेरे बूब्स पर अब सख्त हो चली थी और वो उन्हे मन- मर्जी से निचोड़ने लगा ऊपर उसके होंठ मेरे कानों और गले पर अपनी मुहर लगा रहे थे एक साथ एसे 3 कामुक हमले मेरे लिए असहनिय थे । मेरा जिस्म आग की भट्टी की तरह तप रहा था और नीचे योनि लगातार पानी छोड़े जा रही थी मेरे मुहँ से लगातार धीमी कामुक आहे निकल रही थी
मैं - आह ओह .... .. नितिन.. कोई .. देख .... लेगा .. .. .. नहीं .... .. प्लीज .... आह.... नितिन ......
पर अब मैं अपनी हवस मे इतनी अंधी हो चुकी थी के अपनी सभी शर्मों-ह्या त्याग दी । ना ही मुझे ये खयाल रहा की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ जिसकी अपनी कुछ सीमाएं है और ना ही ये की मेरे पति भी इसी पार्टी मे मोजूद है और अगर उन्होंने मुझे एसे देख लिया तो डूबकर मरने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं होगा ।
पर इन सब बातों से बेपरवाह मैं बस अपनी हवस मिटावाने मे लगी थी नितिन ने अब मेरे एक बूब्स को छोड़ा मेरा एक हाथ पकड़ कर पीछे ले गया और अपने लिंग पर रख दिया । " आह .... " कितना लंबा और मोटा लिंग था नितिन का मेरी तो आह ही निकाल गई ये तो अशोक के लिंग से बोहोत लंबा है ये भाव मेरे मन मे आ गया। नितिन ने मेरा हाथ अपने लिंग पर दबाए रखा और फिर धीरे से मेरे कान मे बोल - कैसा लगा ?
मुझसे कोई जवाब देते ना बना बस उसके इस सवाल पर मैंने अपने लब अपने दांतों से काट लिए ।
स्थिति मेरे काबू से बाहर हो चुकी थी अब अगर नितिन मुझे अपने साथ अपने बेडरूम मे जाने के लिए भी कहता तो मैं इनकार नहीं कर सकती थी
तभी डांस फ्लोर पर बज रहे म्यूजिक के धीमे होने की आवाज आई मैं सहझ गई के अब म्यूजिक बंद होने वाला है और डांस खत्म और फिर सभी लाइटस भी जल जाएगी । अगर लोगों से मुझे इस हालत मे देख लिया तो मैं तो कहीं की नहीं रहूँगी । मैंने नितिन से अपनी उत्तेजना मे काँपती आवाज मे कहा -
मैं- नितिन .... आह .. अब मुझे.. छोड़ दो ......प्लीज । अब डाँस .... आह .. बंद होने .. वाला है .. अगर .. किसी .. .. ने मुझे .. एसे ...... देख लिया तो ........ मैं .. बर्बाद .... हो.. जाऊँगी .... अब मुझे .. जाने ...... दो , प्लीज ...... आह ..
नितिन - ठीक है पर पहले कबूल करो की मैं तुम्हारा दोस्त हूँ या मुझे अभी कुछ साबित करने की जरूरत है ।
मैं- नहीं .... नितिन .. अब .... कुछ .... साबित .. नहीं करना .... आह .... तुम मेरे दोस्त हो ...... अब अपनी .... इस दोस्त .... को .. जाने दो.... प्लीज .... नहीं .. तो तुम्हारी ...... ये दोस्त ...... बदनाम .... ओह ...... हो जाएगी ........
नितिन के हाथ अब भी मेरे तने हुए बूब्स को मसल रहे थे और उसकी उँगलिया मेरे पिप्पलस को रगड़ रही थी पीछे से वो धीरे -2 धक्के लगा रहा था और उसके होंठ अब भी मेरे कान पर अपनी मुहर लगा रहे थे ।
नितिन - तो क्या मैं कल अपनी दोस्त को उसके घर केक की रेसेपी सीखने आ सकता हूँ ?
मैं घबरा गई क्योंकि मेरे हाँ कहने का मतलब था मेरी बर्बादी की ओर मेरा एक और कदम । जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो नितिन ने मेरे निप्पलों को जोर से खींचा और मेरी गर्दन पर भी जोर से काटा । मेरी एक ओर "आह ...." निकल गई । नितिन ने फिर पुछा -
नितिन - बोलो पदमा क्या मैं कल आ सकता हूँ ?
मैं जान गई थी के नितिन जब तक जवाब नहीं सुन लेगा वो मुझे छोड़ेगा नहीं और लाइटस कभी भी ऑन हो सकती है इसलिए उसकी गिरफ्त से आजाद होने के लिए मैंने बोल दिया - हाँ तुम .... आह .... आ सकते .. तो .. परर..... प्लीज .... अब मुझे ........ जाने दो .... नहीं ...... तो कोई देख लेगा........
नितिन - ओके ।
इतना बोलकर नितिन ने मुझे अजाद कर दिया । उसकी पकड़ से छूटते ही मैं दोड़कर स्विमिंग पूल के पास गई क्योंकि वहाँ लोग ज्यादा नहीं होते और मुझे अपनी साँसे नॉर्मल करने के लिए वक्त मिल जाएगा । मेरे वहाँ जाते ही सारी लाइटस भी ऑन हो गई और म्यूजिक रुक गया। मैं ठीक वक्त पर वहाँ से निकल गई । फिर मैं चुपके से वाशरूम की ओर गई क्योंकि मेरी पूरी साड़ी अस्त व्यस्त थी और शरीर भी ।वाशरूम जाते हुए मैंने इस बात का ध्यान रखा की किसी की नजर मुझ पर न पड़े क्योंकि मेरी हालत एसी थी मुझे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था के मेर साथ कुछ हुआ है , थैंक्स गोड़ मुझे किसी ने नहीं देखा वाशरूम मैं जाकर मैंने अपने को ठीक किया और बाहर आई । बाहर आते ही मुझे अशोक दिख गए उन्होंने भी मुझे देख लिया और मेरी ओर ही आने लगे । मेरे पास आकर वो बोले- " कहाँ थी तुम मैं कब से तुम्हें ढूंढ रहा हूँ "
मैं ( अपनी हिचकिचाहट छिपाते हुए )- जी बस यहीं थी पूल के पास । अँधेरा होने की वजह से दिखाई नहीं पड़ी ।
अशोक - हम्म , चलो चलते है , देर हो रही है ।
फिर मैं और अशोक एक आखिरी बार नितिन से मिलने जाने लगे । और नितिन हमे वही थोड़ी दूर मिल गया । अशोक ने उसे गुड बाय कहा और एक बार फिर हैप्पी एनीवर्सेरी कहा । नितिन के सामने इस तरह मुझे असहजता महसूस हो रही थी क्योंकि वो लगातार मुझे निहार रहा था । फिर नितिन बोला -
नितिन - थैंक्स ,अशोक आने के लिए , तुम्हारे आने से मेरी पार्टी मे रोनक आ गई । नितिन का इशारा मेरी ओर था ये मैं जानती थी । हम वहाँ जाने ही वाले थे कि अशोक बोले- " पदमा , ये तुम्हारी गर्दन पर लाल निशान केसा ?
अशोक का मतलब उस निशान से था जहाँ नितिन ने डाँस करते हुए काट लिया था । मै घबरा गई के क्या जवाब दूँ और नितिन की ओर देखा क्योंकि ये निशान उसी का दिया था । मुझसे तो कोई जवाब दिए नहीं बन रहा था । तभी नितिन बोल पड़ा -
नितिन - अरे कोई मच्छर या कीट काट गया होगा । ये खुला इलाका है ना इसलिए यहाँ मच्छर कुछ ज्यादा ही है ।
अशोक ने मेरी ओर देखा और मैंने हाँ मे सर हिलाया । उसके बाद अशोक ने नितिन को बाय बोला और चल दिए । नितिन ने अशोक के साथ मुझे भी बाय बोला , मुझे भी जवाब मैं नितिन को बाय बोलना पड़ा ।
फिर अशोक पार्किंग मे गए और गाड़ी निकाल कर लाए मैं बाहर गते पर ही खड़ी थी । गाड़ी के आते ही मैं उसमे बैठ गई । और फिर अशोक ड्राइव करने लगे । रास्ते मे अशोक बोले -" पार्टी तो काफी अच्छी थी क्यों है ना ?"
मैं - जी ।
फिर अशोक इधर - उधर की बाते करने लगे ,पर मेरा दिल तो कल क्या होगा ये सोच सोचकर धड़कता जा रहा था । मैंने बचने के लिए नितिन को कल आने के लिए कह तो दिया था पर कल उसके आने पर मैं क्या करूंगी । जब पार्टी मे इतने लोगों के होते मैं उसे रोक ना सकी तो घर पर मैं अकेली उससे कैसे बचूँगी । कल क्या होगा ? कल ???????
( नोट - क्या कहते हो दोस्तों पदमा को कल नितिन से चुदवा देना चहिए या उसे अभी थोड़ा और तड़पाना चाहिए या ये काम गुप्ता टेलर को करना चाहिए ? अपनी राय दे क्योंकि कहानी आपके लिए ही है । )