18-08-2022, 04:52 PM
निकिता ने पूंछा, "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?"
मैंने कहा, "फोटो में देखा तो आप एक सुन्दर लड़की दिख रही थी मगर आज वास्तविक में देखा तो आप तो जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो."
अपनी अचानक इतनी प्रशंसा सुनकर निकिता एकदमसे झैंप गयी.
नीरज हँसते हुए बोला, "अरे यार, राज को तो ऐसे ही मजाक करने की आदत हैं. मैं पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ."
हम चारो हंस दिए और सामान लेकर लोकल प्लेटफार्म की और चल पड़े. मैंने अपने बलिष्ठ हांथोसे दो बड़े बड़े सूटकेस ले लिए. पांच मिनट में लोकल आ गयी और उसमे बैठकर हम दादर उतर गए. नीरज काफी पैसेवाला था इसलिए उसने दादर से ही टैक्सी कर ली. टैक्सी में हमने सामान रखा और मैं जानबूझकर सामने ड्राइवर के बाजू मैं बैठ गया. नीरज दोनों लड़कियों के बीच बैठ गया. मैं पूरी सोच समझ के साथ नीरज को मेरी सुनीता रानी के नजदीक लाने के सारे उपाय आजमा रहा था. बाद में सुनीता ने बताया की सीट पर भी कुछ सामान होने के कारण वह भी नीरज से एकदम चिपट कर बैठी थी और नीरज भी उसकी मांसल जांघोंके स्पर्श का मजे ले रहा था.
अब हम चारो मिलकर अक्सर एकसाथ समय बिताने लगे. बाहर डिनर पर जाना, एक दुसरे के घर पर भोजन पर आना जाना , साथ में पिकनिक पर जाना भी शुरू हुआ। निकिता काफी शर्मीली लड़की थी इसलिए उसे सेक्सी कपडे पहनने की आदत नहीं थी. अब सुनीता को भी नीरज से चुदवाने की आग लगी हुई थी. इस लिए उसने निकिता से सेक्स की बाते करना, नंगी फोटोवाली मैगज़ीन साथ में देखना और चुदाई के अनुभव एक दुसरे को बताना शुरू किया.
बस कुछ ही दिनों में सुनीता के साथ साथ निकिता भी लो कट के ब्लाउज पहनकर अपनी मस्त चूचियोंका प्रदर्शन करने लगी। जब हम चारों साथ में होते तब बिना किसी शर्म के नीरज मेरी सुनीता रानी की गोलाईयोंको ताकता रहता और मैं उसकी हुस्न की परी निकिता के मम्मोंको देखता रहता. दोनों लडकियोंको पता था की एक दूसरे के पति उनके यौवन से अपनी आँखे सेकते है. यह एक दोनों आदमियोंके बीच का जैसे एक अलिखित समझौता था.
निकिता आज तक सिर्फ साडी और अब लो कट ब्लाउज ही पहनती थी मगर कुछ दिनों बाद सुनीता ने उससे अलग अलग प्रकार के कपडे मतलब टी शर्ट और स्कर्ट जैसे पहननेकी बात कही. एक रविवार के दिन हम चारों एक वेस्टर्न ड्रेस की अच्छी दूकान पर गए और दोनों लड़कियोंके लिए एक से एक आधुनिक वेस्टर्न कपडे लेकर आ गए. अब घुट्नोंतक के स्कर्ट में और एकदम कसे हुए टॉप में दोनों एकदम गज़ब ढाने लगी.
गर्मी ज्यादा होने के बहाने दोनों स्लीवलेस और लो कट वाले टॉप्स ज्यादा पहने रहती थी. सुनीता के साथ साथ निकिता को भी इस खेल का मज़ा आने लग गया था. मेरा उसकी चूचियोंको निहारना और उन्हें देख कर मेरा लंड खड़ा होते हुए देखना उसे अच्छा लगने लगा.
मैं भी हमेशा निकिता की सुन्दरता, उसकी मीठी आवाज की और अच्छे स्वभाव की तारीफ़ करता रहता.
"वाह निकिता, तुम्हारी कपडोंके मामलेमे चॉइस बहुत ही बढ़िया रहती हैं!"
"निकिता, तुमपर यह काले रंग का स्कर्ट बहुत ही अच्छा दिख रहा है. इतनी गोरी और सुन्दर हो आप!"
"यार निकिता, तुम्हारी आवाज़ सुनो तो ऐसा लगता हैं की बस सुनते ही जाओ."
अपनी तारीफ़ सुनना कौनसी लड़की को अच्छा नहीं लगता? वैसे तो नीरज को भी मेरी सुनीता रानी की भरपूर मदमस्त जवानी पसंद आ गयी थी। इसलिए वह भी कभी मेरे मुँह से बार बार निकिता की तारीफ करने से ऐतराज़ नहीं करता था.
नीरज को खुश रखने के लिए सुनीता रानी रोज कसरत करके अपने हसीं हुस्न को और भी कस रही थी. उसके ३८ इंच के वक्ष बिलकुल कसे हुए और कठोर थे. जभी भी नीरज निकिता से मिलने का मौका हो तब सुनीता बढ़िया सा मेकअप जरूर करती थी. ऐसा लग रहा था की आग चारों में एक जैसी लगी थी.
कुछ दिनोंके बाद सुनीता रानी ने बताया की नीरज और निकिता भी रात में हमारे बारे बाते करते हुए चुदाई करते हैं. यह सुनकर तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. अब रात भर हम दोनों में धमासान चुदाई हुई.
अगले दिन सुनीता ने निकिता से एक दुसरे की वैक्सिंग और मालिश करने की बात की. पहले तो वह ना - नुकूर करती रही फिर शर्माते हुए मान गयी. एक दिन सुबह सुनीता उसके घर चली गयी. वैक्सिंग और मालिश का सारा सामन निकिता ने तैयार रखा था.
दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी पर आ गयी और एक दुसरे की वैक्सिंग करने के बाद पहले तो बेबी आयल से हल्का हल्का एक दुसरे के अंगो को सहलाया. इस दौरान सुनीता ने एक से एक सेक्सी बाते कहके और निकिता की तारीफ़ करके उसे गर्म कर दिया. दोनों ने एक दुसरे के अच्छे से मालिश करने के बाद सुनीता एकदम निकिता से लिपट गयी. दोनों भी कामसीमा से असीम चरण पर आ चुकी थी. फिर भी निकिता शर्मा रही थी.
अब सुनीता ने सोचा की मौके पे चौका मारना ही चाहिए. उसने निकिता के मधुर होंठोंपर चुम्बन जड़ दिया , धीरे धीरे निकिता भी जवाब देने लगी. जल्द ही दोनों ने होंठ चूसते हुए जीभ से खेलना शुरू किया. निकिता को फिर भी शर्म आ रही थी इसलिए कमरे की बत्ती बंद कर दोनों फिर आलिंगन और चुम्बन में जुड़ गयी. ब्रा और पैंटी कब उतर गए इसका पता ही नहीं चला. निकिता के मम्मे मसल कर और निप्पल चूसकर सुनीता ने उसे दीवाना बना दिया, और फिर निकिता की ऊँगली सुनीता की गीली चुत में घुस गयी. दो घंटे तक दोनों लगी रही और दोनों को कई बार एक नए सुख का अनुभव मिला.
अब दिन में जभी भी समय मिले तब दोनों सहेलिया मिलकर एक दुसरे से मस्त लेस्बियन सेक्स का आनंद लेने लगी. दोनों के लिए यह पहली बार थी मगर ब्लू फिल्मे देख देख कर सुनीता को सारी जानकारी थी. अपने अपने पतियों से अब तक यह बात छुपाई हुई थी (जो मुझे सुनीता ने बाद में बतायी) . मगर इस बात का मेरे लिए फायदा यह हुआ की अब निकिता की शर्म काफी हद तक ख़त्म हो गयी और वह भी सेक्सी ड्रेस पहनना , एडल्ट जोक्स बोलना और हम चारोंके बीच सेक्स की बाते करने में मजे लेने लग गयी. लंड , चुत , मम्मे , चाटना, चूसना और चोदना यह सब हमारे लिए आम शब्द हो गए.
एक दिन सुनीता का जन्मदिन था और स्वाभाविक रूपसे नीरज और निकिता ने हमें ख़ास दावत पे बुलाया.
मैंने सुनीता से कहा, "मेरी जान आज तुम सबसे सेक्सी ड्रेस पहनो और हो सके तो निकिता को भी सेक्सी ड्रेस पहनने को कहो."
अब मुझे क्या पता था की अब दोनों लड़किया हमबिस्तर हो चुकी हैं और निकिता मेरी सुनीता रानी की यह बात आराम से मान जायेगी.
सुनीता सफ़ेद रंग का स्लीवलेस और लो कट टॉप और लाल रंग की शार्ट स्कर्ट में सेक्स बम लग रही थी. जैसे ही हम उनके दरवाजे पर पहुंचे नीरज और निकिता ने हमारा स्वागत किया. निकिता नेवी ब्लू रंग का गाउन पहनी हुई थी जिसमे उसकी कठोर चूँचिया मस्त झलक रही थी. गाउन का गला काफी खुला हुआ था और उस को दोनों तरफ से लगभग कमर तक एक लम्बी स्लिट थी जिसमे से उसकी गोरी मांसल जाँघे दिख रही थी. नीरज ने सुनीता को गले लगाकर जन्मदिन की बधाई दी. मैंने भी निकिता को बाहोंमे ले लिया।
अब हम चारोंमें एक दुसरे की पत्नी को गले लगाना और उनकी गांड पर हाथ फेरना आम हो गया था. सुनीता के लिए तोहफे में एक बड़ा सा गुलदस्ता, एक कीमती ड्रेस, और बढ़िया सा परफ्यूम लाया हुआ था. बाते और हंसी मजाक के बाद वाइन के साथ भोजन हो गया. मैं और नीरज एक दुसरे की पत्नियो की ताऱीफोंके पूल बाँध रहे थे. आधे घंटे बाद नीरज ने हॉल का फर्नीचर थोड़ा बीचमें से हटाया और चार मोमबत्ती जलाई. हॉल की लाइट बंद हुई और धीमे संगीत के स्वर शुरू हुए.
नीरज ने कहा, "राज, क्या मैं आज बर्थडे गर्ल के साथ डांस कर सकता हूँ?"
मैंने कहा, "हां ख़ुशी से, मगर पहले निकिता से पूंछ लो की वह मेरे साथ डांस करेगी क्या?"
अब निकिता ने फट से कहा, "ओह राज, यह लो मैं आ गयी तुम्हारे साथ डांस करने."
फिर क्या था, एक दुसरे की पत्नियोंके कमर में हाथ डाल कर हम संगीत की ताल पर झूमने लगे.
वैसे डांस करना न मुझे आता था न नीरज को, हम तो सिर्फ एक दुसरे की सुन्दर और सेक्सी पत्नियोंके अंगो को छू रहे थे. मेरे हाथ निकिता की कमर और उसके सुडौल नितम्बोँको सेहला रहे थे, वहां नीरज सुनीता को चिपककर उसके गर्दन पर हलके से किस कर रहा था. उनका हॉल काफी बड़ा था और नाचते नाचते मैं जान बूझ कर निकिता को उन दोनोंसे दूर लेकर आ गया.
मैंने निकिता के कानो में कहा, "आप के साथ ऐसा रोमांटिक डांस करने के मेरी कबसे इच्छा थी, जो आज पूरी हो गयी. आज तो तुम सचमुच की मेनका लग रही हो."
अब मैंने उसके गर्दन पर चूमना शुरू किया. अब वह भी गर्म हो चुकी थी. अब निकिता उसके तने हुए मम्मे मेरी छातीपर दबाने लगी. मैंने आँखों के किनारे से देखा तो नीरज सुनीता के स्कर्ट के अंदर से उसके कुल्होंको सेहला रहा था, और मेरी सुनीता रानी उसका चेहरा अपने बड़े वक्षोंके क्लीवेज में दबा रही थी. फिर अचानक संगीत ख़त्म हुआ और हम अपने अपने पार्टनर के पास आ गए.
सुनीता ने मुझे बाहों में लेकर मीठा चुम्बन दिया और बोली, "राज, इतना अच्छा जन्मदिन मुझे हमेशा यादगार रहेगा."
वहां नीरज और निकिता भी मस्ती से किसिंग कर रहे थे. वाइन पीने का एक दौर और हो गया. मैंने सोचा की बहुत दिन से जो प्लान मेरे दिमाग में चल रहा हैं उसे सच्चाई में लाने का इससे अच्छा मौका नहीं आएगा.
मैंने कहा, "चलो सब लोग मिलके स्पिन द बोतल का खेल खेलते हैं."
हम चारों जमीन पर बैठ गए और उस चक्कर में मुझे और नीरज को दोनों लड़कियोंके जांघोंके दर्शन हो रहे थे.
पहले राउंड में घूम कर बोतल सुनीता पर रुकी।
मैंने कहा, "चलो, बर्थडे गर्ल से ही शुरुआत हो गयी."
अब रूल के अनुसार निकिता उसे पनिशमेंट देने वाली थी.
"मेरे नीरज को अच्छे से एक मिनट तक आलिंगन दो," उसने कहा.
"अरे यह भी कोई पनिशमेंट हैं?" हँसते हँसते सुनीता बोली और जाकर नीरज से लिपट गयी.
अब सुनीता ने अपने मम्मे उसपर दबा दिए.
अगली बार बोतल मेरे ऊपर रुकी, तो नीरज बोला, "चल, तू भी निकिता को अच्छे से हग करले।"
जैसे ही निकिता मेरी बाहों में आयी मैंने उसकी कमर और कूल्हों को सहलाया और गाल पर चुम्बन किया. मेरा खड़ा लंड उसे जरूर चुभा होगा.
अगले दो राउंड में आलिंगन और चुम्बन होने के बाद मैंने नीरज से कहा, "नीरज, अब सुनीता की स्कर्ट उठाकर उसकी जाँघे सेहलाओ।"
अब वाइन के नशे में सुनीता भी बिनधास्त होकर सोफे पर लेट गयी. नीरज ने उसकी लाल स्कर्ट उठाई और जाँघे सहलाकर उन्हें चूमने भी लगा. अब मैं भी बहुत उत्तेजित हुआ और मैंने निकिता को पीछे से बाहोंमें ले लिया। मेरा लंड उसकी गांड पर टक्कर मार रहा था और मेरे हाथ उसके वक्षों को उसके गाउन के ऊपर से ही दबा रहे थे.
अब लग रहा था की हमारा बरसो का पार्टनर स्वैपिंग का सपना आज पूरा होने वाला हैं. इतने में निकिता ने मेरे हांथों को रोक दिया और नीरज से भी सुनीता के ऊपर से उठने के लिए कहा. मैं समझ गया की निकिता से इस के आगे बढ़ने के लिए अभी इस समय तैयार नहीं हैं. वैसे सुनीता को भी सबके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी.
मैंने कहा, "फोटो में देखा तो आप एक सुन्दर लड़की दिख रही थी मगर आज वास्तविक में देखा तो आप तो जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो."
अपनी अचानक इतनी प्रशंसा सुनकर निकिता एकदमसे झैंप गयी.
नीरज हँसते हुए बोला, "अरे यार, राज को तो ऐसे ही मजाक करने की आदत हैं. मैं पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ."
हम चारो हंस दिए और सामान लेकर लोकल प्लेटफार्म की और चल पड़े. मैंने अपने बलिष्ठ हांथोसे दो बड़े बड़े सूटकेस ले लिए. पांच मिनट में लोकल आ गयी और उसमे बैठकर हम दादर उतर गए. नीरज काफी पैसेवाला था इसलिए उसने दादर से ही टैक्सी कर ली. टैक्सी में हमने सामान रखा और मैं जानबूझकर सामने ड्राइवर के बाजू मैं बैठ गया. नीरज दोनों लड़कियों के बीच बैठ गया. मैं पूरी सोच समझ के साथ नीरज को मेरी सुनीता रानी के नजदीक लाने के सारे उपाय आजमा रहा था. बाद में सुनीता ने बताया की सीट पर भी कुछ सामान होने के कारण वह भी नीरज से एकदम चिपट कर बैठी थी और नीरज भी उसकी मांसल जांघोंके स्पर्श का मजे ले रहा था.
अब हम चारो मिलकर अक्सर एकसाथ समय बिताने लगे. बाहर डिनर पर जाना, एक दुसरे के घर पर भोजन पर आना जाना , साथ में पिकनिक पर जाना भी शुरू हुआ। निकिता काफी शर्मीली लड़की थी इसलिए उसे सेक्सी कपडे पहनने की आदत नहीं थी. अब सुनीता को भी नीरज से चुदवाने की आग लगी हुई थी. इस लिए उसने निकिता से सेक्स की बाते करना, नंगी फोटोवाली मैगज़ीन साथ में देखना और चुदाई के अनुभव एक दुसरे को बताना शुरू किया.
बस कुछ ही दिनों में सुनीता के साथ साथ निकिता भी लो कट के ब्लाउज पहनकर अपनी मस्त चूचियोंका प्रदर्शन करने लगी। जब हम चारों साथ में होते तब बिना किसी शर्म के नीरज मेरी सुनीता रानी की गोलाईयोंको ताकता रहता और मैं उसकी हुस्न की परी निकिता के मम्मोंको देखता रहता. दोनों लडकियोंको पता था की एक दूसरे के पति उनके यौवन से अपनी आँखे सेकते है. यह एक दोनों आदमियोंके बीच का जैसे एक अलिखित समझौता था.
निकिता आज तक सिर्फ साडी और अब लो कट ब्लाउज ही पहनती थी मगर कुछ दिनों बाद सुनीता ने उससे अलग अलग प्रकार के कपडे मतलब टी शर्ट और स्कर्ट जैसे पहननेकी बात कही. एक रविवार के दिन हम चारों एक वेस्टर्न ड्रेस की अच्छी दूकान पर गए और दोनों लड़कियोंके लिए एक से एक आधुनिक वेस्टर्न कपडे लेकर आ गए. अब घुट्नोंतक के स्कर्ट में और एकदम कसे हुए टॉप में दोनों एकदम गज़ब ढाने लगी.
गर्मी ज्यादा होने के बहाने दोनों स्लीवलेस और लो कट वाले टॉप्स ज्यादा पहने रहती थी. सुनीता के साथ साथ निकिता को भी इस खेल का मज़ा आने लग गया था. मेरा उसकी चूचियोंको निहारना और उन्हें देख कर मेरा लंड खड़ा होते हुए देखना उसे अच्छा लगने लगा.
मैं भी हमेशा निकिता की सुन्दरता, उसकी मीठी आवाज की और अच्छे स्वभाव की तारीफ़ करता रहता.
"वाह निकिता, तुम्हारी कपडोंके मामलेमे चॉइस बहुत ही बढ़िया रहती हैं!"
"निकिता, तुमपर यह काले रंग का स्कर्ट बहुत ही अच्छा दिख रहा है. इतनी गोरी और सुन्दर हो आप!"
"यार निकिता, तुम्हारी आवाज़ सुनो तो ऐसा लगता हैं की बस सुनते ही जाओ."
अपनी तारीफ़ सुनना कौनसी लड़की को अच्छा नहीं लगता? वैसे तो नीरज को भी मेरी सुनीता रानी की भरपूर मदमस्त जवानी पसंद आ गयी थी। इसलिए वह भी कभी मेरे मुँह से बार बार निकिता की तारीफ करने से ऐतराज़ नहीं करता था.
नीरज को खुश रखने के लिए सुनीता रानी रोज कसरत करके अपने हसीं हुस्न को और भी कस रही थी. उसके ३८ इंच के वक्ष बिलकुल कसे हुए और कठोर थे. जभी भी नीरज निकिता से मिलने का मौका हो तब सुनीता बढ़िया सा मेकअप जरूर करती थी. ऐसा लग रहा था की आग चारों में एक जैसी लगी थी.
कुछ दिनोंके बाद सुनीता रानी ने बताया की नीरज और निकिता भी रात में हमारे बारे बाते करते हुए चुदाई करते हैं. यह सुनकर तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. अब रात भर हम दोनों में धमासान चुदाई हुई.
अगले दिन सुनीता ने निकिता से एक दुसरे की वैक्सिंग और मालिश करने की बात की. पहले तो वह ना - नुकूर करती रही फिर शर्माते हुए मान गयी. एक दिन सुबह सुनीता उसके घर चली गयी. वैक्सिंग और मालिश का सारा सामन निकिता ने तैयार रखा था.
दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी पर आ गयी और एक दुसरे की वैक्सिंग करने के बाद पहले तो बेबी आयल से हल्का हल्का एक दुसरे के अंगो को सहलाया. इस दौरान सुनीता ने एक से एक सेक्सी बाते कहके और निकिता की तारीफ़ करके उसे गर्म कर दिया. दोनों ने एक दुसरे के अच्छे से मालिश करने के बाद सुनीता एकदम निकिता से लिपट गयी. दोनों भी कामसीमा से असीम चरण पर आ चुकी थी. फिर भी निकिता शर्मा रही थी.
अब सुनीता ने सोचा की मौके पे चौका मारना ही चाहिए. उसने निकिता के मधुर होंठोंपर चुम्बन जड़ दिया , धीरे धीरे निकिता भी जवाब देने लगी. जल्द ही दोनों ने होंठ चूसते हुए जीभ से खेलना शुरू किया. निकिता को फिर भी शर्म आ रही थी इसलिए कमरे की बत्ती बंद कर दोनों फिर आलिंगन और चुम्बन में जुड़ गयी. ब्रा और पैंटी कब उतर गए इसका पता ही नहीं चला. निकिता के मम्मे मसल कर और निप्पल चूसकर सुनीता ने उसे दीवाना बना दिया, और फिर निकिता की ऊँगली सुनीता की गीली चुत में घुस गयी. दो घंटे तक दोनों लगी रही और दोनों को कई बार एक नए सुख का अनुभव मिला.
अब दिन में जभी भी समय मिले तब दोनों सहेलिया मिलकर एक दुसरे से मस्त लेस्बियन सेक्स का आनंद लेने लगी. दोनों के लिए यह पहली बार थी मगर ब्लू फिल्मे देख देख कर सुनीता को सारी जानकारी थी. अपने अपने पतियों से अब तक यह बात छुपाई हुई थी (जो मुझे सुनीता ने बाद में बतायी) . मगर इस बात का मेरे लिए फायदा यह हुआ की अब निकिता की शर्म काफी हद तक ख़त्म हो गयी और वह भी सेक्सी ड्रेस पहनना , एडल्ट जोक्स बोलना और हम चारोंके बीच सेक्स की बाते करने में मजे लेने लग गयी. लंड , चुत , मम्मे , चाटना, चूसना और चोदना यह सब हमारे लिए आम शब्द हो गए.
एक दिन सुनीता का जन्मदिन था और स्वाभाविक रूपसे नीरज और निकिता ने हमें ख़ास दावत पे बुलाया.
मैंने सुनीता से कहा, "मेरी जान आज तुम सबसे सेक्सी ड्रेस पहनो और हो सके तो निकिता को भी सेक्सी ड्रेस पहनने को कहो."
अब मुझे क्या पता था की अब दोनों लड़किया हमबिस्तर हो चुकी हैं और निकिता मेरी सुनीता रानी की यह बात आराम से मान जायेगी.
सुनीता सफ़ेद रंग का स्लीवलेस और लो कट टॉप और लाल रंग की शार्ट स्कर्ट में सेक्स बम लग रही थी. जैसे ही हम उनके दरवाजे पर पहुंचे नीरज और निकिता ने हमारा स्वागत किया. निकिता नेवी ब्लू रंग का गाउन पहनी हुई थी जिसमे उसकी कठोर चूँचिया मस्त झलक रही थी. गाउन का गला काफी खुला हुआ था और उस को दोनों तरफ से लगभग कमर तक एक लम्बी स्लिट थी जिसमे से उसकी गोरी मांसल जाँघे दिख रही थी. नीरज ने सुनीता को गले लगाकर जन्मदिन की बधाई दी. मैंने भी निकिता को बाहोंमे ले लिया।
अब हम चारोंमें एक दुसरे की पत्नी को गले लगाना और उनकी गांड पर हाथ फेरना आम हो गया था. सुनीता के लिए तोहफे में एक बड़ा सा गुलदस्ता, एक कीमती ड्रेस, और बढ़िया सा परफ्यूम लाया हुआ था. बाते और हंसी मजाक के बाद वाइन के साथ भोजन हो गया. मैं और नीरज एक दुसरे की पत्नियो की ताऱीफोंके पूल बाँध रहे थे. आधे घंटे बाद नीरज ने हॉल का फर्नीचर थोड़ा बीचमें से हटाया और चार मोमबत्ती जलाई. हॉल की लाइट बंद हुई और धीमे संगीत के स्वर शुरू हुए.
नीरज ने कहा, "राज, क्या मैं आज बर्थडे गर्ल के साथ डांस कर सकता हूँ?"
मैंने कहा, "हां ख़ुशी से, मगर पहले निकिता से पूंछ लो की वह मेरे साथ डांस करेगी क्या?"
अब निकिता ने फट से कहा, "ओह राज, यह लो मैं आ गयी तुम्हारे साथ डांस करने."
फिर क्या था, एक दुसरे की पत्नियोंके कमर में हाथ डाल कर हम संगीत की ताल पर झूमने लगे.
वैसे डांस करना न मुझे आता था न नीरज को, हम तो सिर्फ एक दुसरे की सुन्दर और सेक्सी पत्नियोंके अंगो को छू रहे थे. मेरे हाथ निकिता की कमर और उसके सुडौल नितम्बोँको सेहला रहे थे, वहां नीरज सुनीता को चिपककर उसके गर्दन पर हलके से किस कर रहा था. उनका हॉल काफी बड़ा था और नाचते नाचते मैं जान बूझ कर निकिता को उन दोनोंसे दूर लेकर आ गया.
मैंने निकिता के कानो में कहा, "आप के साथ ऐसा रोमांटिक डांस करने के मेरी कबसे इच्छा थी, जो आज पूरी हो गयी. आज तो तुम सचमुच की मेनका लग रही हो."
अब मैंने उसके गर्दन पर चूमना शुरू किया. अब वह भी गर्म हो चुकी थी. अब निकिता उसके तने हुए मम्मे मेरी छातीपर दबाने लगी. मैंने आँखों के किनारे से देखा तो नीरज सुनीता के स्कर्ट के अंदर से उसके कुल्होंको सेहला रहा था, और मेरी सुनीता रानी उसका चेहरा अपने बड़े वक्षोंके क्लीवेज में दबा रही थी. फिर अचानक संगीत ख़त्म हुआ और हम अपने अपने पार्टनर के पास आ गए.
सुनीता ने मुझे बाहों में लेकर मीठा चुम्बन दिया और बोली, "राज, इतना अच्छा जन्मदिन मुझे हमेशा यादगार रहेगा."
वहां नीरज और निकिता भी मस्ती से किसिंग कर रहे थे. वाइन पीने का एक दौर और हो गया. मैंने सोचा की बहुत दिन से जो प्लान मेरे दिमाग में चल रहा हैं उसे सच्चाई में लाने का इससे अच्छा मौका नहीं आएगा.
मैंने कहा, "चलो सब लोग मिलके स्पिन द बोतल का खेल खेलते हैं."
हम चारों जमीन पर बैठ गए और उस चक्कर में मुझे और नीरज को दोनों लड़कियोंके जांघोंके दर्शन हो रहे थे.
पहले राउंड में घूम कर बोतल सुनीता पर रुकी।
मैंने कहा, "चलो, बर्थडे गर्ल से ही शुरुआत हो गयी."
अब रूल के अनुसार निकिता उसे पनिशमेंट देने वाली थी.
"मेरे नीरज को अच्छे से एक मिनट तक आलिंगन दो," उसने कहा.
"अरे यह भी कोई पनिशमेंट हैं?" हँसते हँसते सुनीता बोली और जाकर नीरज से लिपट गयी.
अब सुनीता ने अपने मम्मे उसपर दबा दिए.
अगली बार बोतल मेरे ऊपर रुकी, तो नीरज बोला, "चल, तू भी निकिता को अच्छे से हग करले।"
जैसे ही निकिता मेरी बाहों में आयी मैंने उसकी कमर और कूल्हों को सहलाया और गाल पर चुम्बन किया. मेरा खड़ा लंड उसे जरूर चुभा होगा.
अगले दो राउंड में आलिंगन और चुम्बन होने के बाद मैंने नीरज से कहा, "नीरज, अब सुनीता की स्कर्ट उठाकर उसकी जाँघे सेहलाओ।"
अब वाइन के नशे में सुनीता भी बिनधास्त होकर सोफे पर लेट गयी. नीरज ने उसकी लाल स्कर्ट उठाई और जाँघे सहलाकर उन्हें चूमने भी लगा. अब मैं भी बहुत उत्तेजित हुआ और मैंने निकिता को पीछे से बाहोंमें ले लिया। मेरा लंड उसकी गांड पर टक्कर मार रहा था और मेरे हाथ उसके वक्षों को उसके गाउन के ऊपर से ही दबा रहे थे.
अब लग रहा था की हमारा बरसो का पार्टनर स्वैपिंग का सपना आज पूरा होने वाला हैं. इतने में निकिता ने मेरे हांथों को रोक दिया और नीरज से भी सुनीता के ऊपर से उठने के लिए कहा. मैं समझ गया की निकिता से इस के आगे बढ़ने के लिए अभी इस समय तैयार नहीं हैं. वैसे सुनीता को भी सबके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.