18-08-2022, 06:32 AM
(This post was last modified: 18-08-2022, 06:35 AM by Ravi Patel. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
3. जब मेरी नींद खुली तो तो शाम के 6:30 बज रहे थे । अशोक 7 बजे घर आ जाते है मुझे उनके लिए खाना तैयार करना था इसलिए उठकर सबसे पहले मैंने अपना हुलिया ठीक किया बिखरे हुए बालों को सही किया और मुहँ धोने के लिए कीचेन मे जाने लगी। पर चलते हुए मुझे अपनी योनि पर कुछ खुरदुरापन महसूस हुआ मैंने जानने की कोशिश की तो याद आया की ये मेरे चुत-रस का पानी था दिन मे गुप्ता जी की वजह से मेरी पेंटी पूरी कामरस से भीग गयी थी और अब वो कामरस सूख चुका था जिसकी वजह से मेरी पेंटी भी खुरदुरी हो गई थी । मैं इस तरह इस पेंटी मे काम नहीं कर सकती थी और अगर अशोक ने रात को मेरी पेंटी को ऐसे देख लिया तो वो क्या सोचेंगे की ये सब क्या है मैंने दिनभर ऐसा क्या किया की मेरी योनि ने इतना पानी छोड़ा । इन्ही सब सवालों को याद करके मैंने अपनी पेन्टी बदलने का निर्णय किया । अलमारी से एक गुलाबी रंग की पेन्टी निकाली और अपनी ब्लैक क्लर की पेन्टी को निकाल कर उसे वाशिंग मशीन मे डाल दिया फिर मैंने वो पिंक क्लर की पेन्टी पहन ली और रात के खाने की तैयारी करने लगी । कुकर को गैस पर चढ़ा कर मैं आटा गुथने लगी आटे के तैयार होने पर जैसे ही मैं हाथ धोने लगी तो डॉर बेल बजी मैं समझ गई की ये अशोक है मैंने जल्दी से अपने हाथ धोए और फिर दरवाजे की ओर दोड़कर दरवाजा खोला
सामने अशोक खड़े मुस्कुरा रहे थे । मैं पूरे दिन की प्यासी थी और दिन मे हुई घटनाओ से और भी तड़प रही थी अशोक को देखते ही मैं उससे लिपट गई । अशोक ने भी मुझे बाहों मे भर लिया । मैंने अशोक से बोला -
मैं - आइ मिसस्ड यू सो मच
अशोक - आइ मिसस्ड यू टू माइ लव । आओ अंदर चले ।
इसके बाद हम दोनों अंदर आ गए । मन मे सवाल तो बोहोत थे पर अभी ये सही समय नहीं था ।
अंदर आकर अशोक ने कहा- "जल्दी कुछ बना दो पदमा बोहोत भूख लगी है "
मैंने मन मे कहा भूख तो मुझे भी लगी है अशोक पर वो भूख खाने से नहीं बुझेगी उसके लिए तुम्हें मेरे साथ बेडरूम मे आना होगा ।
मैं - जी , आप फ्रेश होकर आइये तब तक मैं खाना लगती हूँ ।
अशोक - हम्म ठिक है ।
उसके बाद अशोक फ्रेश होने चले गए और मैं खाना लगाने लगी । जल्द ही मैंने सारा खाना ड्राइंग रूम मे लगा दिया तब तक अशोक भी आ गए और फिर हम खाना खाने लगे ।
खाने के दौरान मैंने फिर से नितिन वाली बात छेड़ी ।
मैं - आप फोन पर कह रहे थे की नितिन आपका दोस्त नहीं है पर उसने तो अपना यही परिचय दिया था , कि वो आपका दोस्त और आपके साथ ही काम करता है ।
अशोक (फिर से हंसने लगे )- हा हा हा ..
मैं (थोड़ा गुस्से मे ) - ये क्या बात हुई मैं जब भी आप से नितिन के बारे मे पूछती हूँ आप हँस देते है बताइए भी कोन है नितिन ?
अशोक - अरे बाबा बताता हूँ नाराज क्यूं होती हो ?
मैं - तो बताइए ना फिर ?
अशोक - दरसल वो मेरा बॉस है ।
मैं ( हैरत से ) - क्या बॉस ?
अशोक - हाँ मतलब कम्पनी का नहीं , वो हमारे ग्रुप को लीड करता है तो तुम उसे मेरा बॉस कह सकती हो ।
मैं - पर वो तो आपसे कितना छोटा है फिर उसे कैसे आपसे सीनियर बना दिया ?
अशोक - अरे वो कम्पनी के मालिक का भतीजा है इसलिए ।
मैं - फिर उसने झूठ क्यूं कहा की आपका दोस्त है ?
अशोक - अरे वो बोहोत मजाकिया किस्म का आदमी है । ऐसे ही किसी के भी साथ मजाक करने लग जाता है । पर आदमी है बिल्कुल जेनटल सबसे बोहोत अच्छे से पेश आता है । आज ही देख लो मेरी प्रेजेंटेशन थी और मैं वो डाटा की फाइल घर ही भूल गया पर जब उसे पता चला तो उसने खुद मुझसे जाकर कहा की अशोक तुम अपनी प्रेजेंटेशन की तैयारी करो मैं तुम्हारी फाइल लेकर आता हूँ ।
मैं ( मन मे )- हाँ जानती हूँ कितना जेनटल है ऐसे ही किसी के बेडरूम मे घुस कर किसी पराए आदमी की बीवी को ऐसे ही उठा लेता है ।
अशोक - अरे तुम किस सोच मे डूब गई और जानती हो प्रेजेंटेशन शाम को 5 बजे थी और वो फाइल को 3 बजे ही लेकर आ गया कितनी जल्दी काम किया ।
मैं ( मन मे )- क्या प्रेजेंटेशन 5 बजे थी तो फिर उसने मुझे ये कहकर की मैं लेट हो रहा हूँ मुझे स्टूल लेकर आने से क्यूं रोका ? क्या उसने जानबूझ कर मुझे अपने हाथों से उठाया था वो क्या करना चाहता था ?
अशोक - अरे बोलो ना कहा खो गई तुम ?
मैं- अअअ .. .. कुछ नहीं बस यही सोच रही थी के जब वो इतना ही अच्छा है तो फिर झूठ क्यू कहा की तुम उसके दोस्त हो ?
अशोक - अरे मैंने कहा ना की मजाक करने की उसकी आदत है। वैसे वो तुम्हारी काफी तारीफ कर रहा था खुश लग रहा था तुमसे ।
मैं (उत्सुकता छिपाते हुए ) - अच्छा ऐसा क्या कह रहा था ?
अशोक - यही की तुम्हारी बीवी बोहोत अच्छी है मेहमान को अच्छे से ट्रीट करती है यही सब ।
मैं - अच्छा ।
अशोक - हम्म । चलो मेरा तो खाना हो गया अब मुझे बोहोत नींद आ रही है। मैं आज काफी थक गया हूँ अब मैं चला सोने ।
मैं ( मन मे ) - सोने ! अगर तुम सो जाओगे अशोक तो ये जो मेरे बदन की आग मुझे सारे दिन से जलाए जा रही है जिसको भड़काने मे एक हाथ तुम्हारे बॉस का भी है इसको कौन बुझाएगा ?
अशोक उठकर जाने लगे । मुझे मेरे अरमानों पर पानी फिरता नजर आया । मैंने जल्दी से सभी बर्तन डिनर टेबल से हटाए और उन्हे कीचेन मे रख दिया मैंने सोचा बर्तन तो फिर भी धुल जाएंगे लेकिन अगर अशोक मुझे बिना शांत कीये सो गए तो मैं सारी रात सो नहीं पाऊँगी ।
इसलिए जल्दी से मैं अशोक के पीछे बेडरूम मे घुसी अशोक ने तब तक चेंज कर लिया था और वो एक नाइट सूट मे बेड पर लेते थे । मैंने कपड़ों की अलमारी खोल उसमे से एक सेक्सी नाइटी निकाली और उसे लेकर बाथरूम मे चली गई मैंने जल्दी जल्दी अपनी साड़ी उतरी फिर ब्लाउज खोला और ब्लाउज खुलते ही मेरे ब्रा मे कैद बूब्स भी दिखने लगे फिर मैंने धीरे से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया पेटीकोट सररर.. से नीचे जा गिरा ।
मैंने अपने आप को एक बार आईने मे देखा ओर शर्मा गई । मेरा बदन बोहोत कसा हुआ था तभी जब मैं चलती थी तो मेरी कमर बोहोत बलखाती थी और उसके नीचे मेरे नितम्ब हिलते थे तो देखने वालों का दिल मुहँ मे आ जाता था ।
फिर मैंने अपनी नाइटी ली और उसे अपने शरीर पर डाल लिया बाहर जाने से पहले मैंने एक बार फिर अपने आप को आईने मे देखा और फिर शर्मा गई मेरा बदन वाकई बोहोत सेक्सी लग रहा था ।
मैं बाथरूम से बाहर आई
और जैसा मैंने सोचा था वैसा ही हुआ अशोक का मुहँ मुझे देखकर खुला का खुला रह गया वो बोले - "लगता है आज किसी का कत्ल होने वाला है "
मैं चलते हुए बेड के थोड़ा पास पहुँची तो अशोक ने खेन्च कर मुझे आपने ऊपर गिरा दिया और मेरे बाल सहलाने लगे मैं तो बस यही चाहती थी । मैंने अपने दोनों हाथ अशोक की गर्दन पर लपेट दिये
अशोक - पदमा , आज तुम बोहोत सुंदर लग रही हो इतना बोलकर अशोक ने अपने होंठ मेरे पूरे दिन के प्यासे लबों पर रख दिए और हम दोनों किस करने लगे ।
अशोक ने आगे हाथ बढ़ाकर मेरी कमर का जायजा लेना शुरू किया और अपने हाथ मेरी पूरी कमर पर फिराने लगे मैंने अपने हाथ अशोक के बालों मे उलझा दिए फिर अशोक ने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझे पलटकर बिस्तर पर ले आए फिर मेरी नाइटी धीरे से खोली और उसे मेरे शरीर से अलग किया ।
नाइटी खुलते ही मेरे ब्रा मे कसे बूब्स अशोक के सामने आ गए । उन्हे देखकर अशोक और भी जोश मे आ गए और मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरे गले और कंधे पर किस करने लगे
मेरे जिस्म की आग और ज्यादा भड़क उठी मैंने अशोक को अपने ऊपर कस लिया और अपने नाखून उनकी पीठ पर गाढ़ दिए
अशोक एक दम से कराह उठे - आह पदमा .. ..
अशोक के लिंग का तनाव मुझे अपनी जांघों पर महसूस हो रहा था मन तो कर रहा था की उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील करू पर मैंने अशोक के साथ ऐसा कभी किया नहीं था तो मुझे शर्म आ रही थी
देखते ही देखते अशोक ने अपना नाइट सूट निकाल दिया और बस अन्डरवेयर मे आ गए फिर उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल दिया ब्रा के निकलते ही मेरे तने हुए बूब्स अशोक के सामने आ गए । अशोक ने बिना देरी कीये एक बूब्स को मुहँ मे ले लिया और चूसने लगा
उनकी इस हरकत पर मेरी एक जोर की "आह" निकली
अब हम दोनों के लिए रुकना मुश्किल हो रहा था मेरी तड़प अब चरम बिन्दु पर थी मैं आज अपनी दिन भर की प्यास मिटा देना चाहती थी जो नितिन और गुप्ता जी की वजह से जाग गई थी ।
तभी अशोक ने हाथ नीचे ले जाकर मेरी पेन्टी को पड़कर नीचे सरकाया और अपने हाथ से वहाँ सहलाने लगे अब अशोक ने मेरा दूसरा बूब्स अपने मुहँ मे ले लिया था ।
मैं - आह .. .. अशोक अब जल्दी करो .. ..
अशोक समझ गए की मैं तैयार हूँ और अपना अन्डवेयर नीचे करके अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरी योनि मे सटाकर एक हलका सा धक्का दिया योनि गीली होने के कारण लिंग तुरंत मेरी योनि मे पहुँच गया और मेरे मुहँ से फिर से एक बार एक हल्की आह निकल गई ।
[b][size=large]इसके बाद अशोक ने धक्के लगाना शुरू किये और मैं आनंद के सागर मे गोते लगाने लगी । पर मेरा ये आनंद ज्यादा देर नहीं चल सका अशोक ने अभी मुश्किल से 20 धक्के लगाए होंगे कि वो कराह उठा -
" आह .. पदमा .. मैं गया "
मैं - आह .. नहीं अशोक बस थोड़ी देर ओर ..
अशोक - आह .. .. ..
और इतना बोलते हुए अशोक ढह गये और एक तरफ गिरकर सो गए ।
पर मैं तो अभी प्यासी थी मैंने उठाकर गुस्से से अशोक की ओर देखा वो तो नींद के आगोश मे जा चुका थे । पर मेरी आँखों मे अभी भी हवस तैर रही थी मैं बिस्तर से उठी और उठकर बाथरूम मे घुस गई एक ही दिन मे तीन बार गरम होने पर भी मैं प्यासी ही रही । बाथरूम मे घुसकर मैं शावर के नीचे खड़ी हो गई
और बदन की गर्मी को शांत करने के लिए मैंने शावर खोल दिया पर उसकी ठंडी बुँदे भी मेरे जिस्म की आग को बुझाने मे नाकाम रही बल्कि शावर की ठंडी बुँदे भी मेरे बदन पर गिरकर गरम होने लगी मैंने अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए अपना एक हाथ अपनी पहले से ही गीली योनि पर लगाया और दूसरे हाथ से अपने एक बूब्स को पकड़ कर मसलने लगी ।
फिर धीरे धीरे मैंने अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाली और अंदर बाहर करने लगी दूसरा हाथ अभी भी एक बूब्स को मसल रहा था और मैं आहें भर रही थी हैरत तो इस बात की है इन आहों को भरते हुए मैं अशोक के नहीं बल्कि नितिन और गुप्ता जी के साथ दिन मे हुई घटनाओ के बारे मे सोच रही थी ।
फिर धीरे से मैंने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी योनि मे डाल ली और तेज तेज हिलाने लगी अपने एक बूब्स को अपने मुहँ मे लेकर चूसने लगी और दूसरे को अपने हाथ से रगड़ने लगी । मैं पूरे चरमोत्कर्ष पर थी और काभी भी झडने वाली थी । तभी मुझे अपने अंदर से एक सैलाब आता हुआ प्रतीत हुआ धड़कने बढ़ गई और साँसे फूल गई और अचानक मैं कांपती हुई झडने लगी ।
मैं बोहोत थक गई थी तो थोड़ी देर वही बेठ गई झडने के बाद मुझे एक असीम सुकून मिला जैसे कोई बोझ शरीर से उतार गया हो ।
बाथरूम से बाहर आकर देखा तो अशोक पूरी गहरी नींद मे समाऍ हुए थे मैंने बेड से अपनी नाइटी उठाई और उसे पहन कर लेट गई मैं बोहोत थक गई थी तो ब्रा और पेन्टी पहनने की कोशिश नहीं की। ऐसे ही कंबल ओढ़कर लेट गई। पहले मुझे जिस्म की गर्मी की वजह से ठंड नहीं लग रही थी पर अब जिस्म की गर्मी शांत होने के बाद मुझे ठंड लगने लगी थी यूं तो कमरे मे हीटर भी चल रहा था ।
और फिर एक बार ना चाहते हुए भी नितिन का खयाल मुझे आ गया की क्यू उसने मुझसे झूठ कहा की वो नितिन का दोस्त है और क्यू कहा की वो लेट हो रहा है और मुझे बाहों मे उठा लिया जबकि अशोक के मुताबिक प्रेजेंटेशन तो 5 बजे थी ।
इन्ही सवालों को सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ।
( दोस्तों यदि कहानी अच्छी लगे तो लाइक और कमेन्ट करदो यार , इससे थोड़ा होसला बढ़ जाता है । प्लीज दोस्तों )
सामने अशोक खड़े मुस्कुरा रहे थे । मैं पूरे दिन की प्यासी थी और दिन मे हुई घटनाओ से और भी तड़प रही थी अशोक को देखते ही मैं उससे लिपट गई । अशोक ने भी मुझे बाहों मे भर लिया । मैंने अशोक से बोला -
मैं - आइ मिसस्ड यू सो मच
अशोक - आइ मिसस्ड यू टू माइ लव । आओ अंदर चले ।
इसके बाद हम दोनों अंदर आ गए । मन मे सवाल तो बोहोत थे पर अभी ये सही समय नहीं था ।
अंदर आकर अशोक ने कहा- "जल्दी कुछ बना दो पदमा बोहोत भूख लगी है "
मैंने मन मे कहा भूख तो मुझे भी लगी है अशोक पर वो भूख खाने से नहीं बुझेगी उसके लिए तुम्हें मेरे साथ बेडरूम मे आना होगा ।
मैं - जी , आप फ्रेश होकर आइये तब तक मैं खाना लगती हूँ ।
अशोक - हम्म ठिक है ।
उसके बाद अशोक फ्रेश होने चले गए और मैं खाना लगाने लगी । जल्द ही मैंने सारा खाना ड्राइंग रूम मे लगा दिया तब तक अशोक भी आ गए और फिर हम खाना खाने लगे ।
खाने के दौरान मैंने फिर से नितिन वाली बात छेड़ी ।
मैं - आप फोन पर कह रहे थे की नितिन आपका दोस्त नहीं है पर उसने तो अपना यही परिचय दिया था , कि वो आपका दोस्त और आपके साथ ही काम करता है ।
अशोक (फिर से हंसने लगे )- हा हा हा ..
मैं (थोड़ा गुस्से मे ) - ये क्या बात हुई मैं जब भी आप से नितिन के बारे मे पूछती हूँ आप हँस देते है बताइए भी कोन है नितिन ?
अशोक - अरे बाबा बताता हूँ नाराज क्यूं होती हो ?
मैं - तो बताइए ना फिर ?
अशोक - दरसल वो मेरा बॉस है ।
मैं ( हैरत से ) - क्या बॉस ?
अशोक - हाँ मतलब कम्पनी का नहीं , वो हमारे ग्रुप को लीड करता है तो तुम उसे मेरा बॉस कह सकती हो ।
मैं - पर वो तो आपसे कितना छोटा है फिर उसे कैसे आपसे सीनियर बना दिया ?
अशोक - अरे वो कम्पनी के मालिक का भतीजा है इसलिए ।
मैं - फिर उसने झूठ क्यूं कहा की आपका दोस्त है ?
अशोक - अरे वो बोहोत मजाकिया किस्म का आदमी है । ऐसे ही किसी के भी साथ मजाक करने लग जाता है । पर आदमी है बिल्कुल जेनटल सबसे बोहोत अच्छे से पेश आता है । आज ही देख लो मेरी प्रेजेंटेशन थी और मैं वो डाटा की फाइल घर ही भूल गया पर जब उसे पता चला तो उसने खुद मुझसे जाकर कहा की अशोक तुम अपनी प्रेजेंटेशन की तैयारी करो मैं तुम्हारी फाइल लेकर आता हूँ ।
मैं ( मन मे )- हाँ जानती हूँ कितना जेनटल है ऐसे ही किसी के बेडरूम मे घुस कर किसी पराए आदमी की बीवी को ऐसे ही उठा लेता है ।
अशोक - अरे तुम किस सोच मे डूब गई और जानती हो प्रेजेंटेशन शाम को 5 बजे थी और वो फाइल को 3 बजे ही लेकर आ गया कितनी जल्दी काम किया ।
मैं ( मन मे )- क्या प्रेजेंटेशन 5 बजे थी तो फिर उसने मुझे ये कहकर की मैं लेट हो रहा हूँ मुझे स्टूल लेकर आने से क्यूं रोका ? क्या उसने जानबूझ कर मुझे अपने हाथों से उठाया था वो क्या करना चाहता था ?
अशोक - अरे बोलो ना कहा खो गई तुम ?
मैं- अअअ .. .. कुछ नहीं बस यही सोच रही थी के जब वो इतना ही अच्छा है तो फिर झूठ क्यू कहा की तुम उसके दोस्त हो ?
अशोक - अरे मैंने कहा ना की मजाक करने की उसकी आदत है। वैसे वो तुम्हारी काफी तारीफ कर रहा था खुश लग रहा था तुमसे ।
मैं (उत्सुकता छिपाते हुए ) - अच्छा ऐसा क्या कह रहा था ?
अशोक - यही की तुम्हारी बीवी बोहोत अच्छी है मेहमान को अच्छे से ट्रीट करती है यही सब ।
मैं - अच्छा ।
अशोक - हम्म । चलो मेरा तो खाना हो गया अब मुझे बोहोत नींद आ रही है। मैं आज काफी थक गया हूँ अब मैं चला सोने ।
मैं ( मन मे ) - सोने ! अगर तुम सो जाओगे अशोक तो ये जो मेरे बदन की आग मुझे सारे दिन से जलाए जा रही है जिसको भड़काने मे एक हाथ तुम्हारे बॉस का भी है इसको कौन बुझाएगा ?
अशोक उठकर जाने लगे । मुझे मेरे अरमानों पर पानी फिरता नजर आया । मैंने जल्दी से सभी बर्तन डिनर टेबल से हटाए और उन्हे कीचेन मे रख दिया मैंने सोचा बर्तन तो फिर भी धुल जाएंगे लेकिन अगर अशोक मुझे बिना शांत कीये सो गए तो मैं सारी रात सो नहीं पाऊँगी ।
इसलिए जल्दी से मैं अशोक के पीछे बेडरूम मे घुसी अशोक ने तब तक चेंज कर लिया था और वो एक नाइट सूट मे बेड पर लेते थे । मैंने कपड़ों की अलमारी खोल उसमे से एक सेक्सी नाइटी निकाली और उसे लेकर बाथरूम मे चली गई मैंने जल्दी जल्दी अपनी साड़ी उतरी फिर ब्लाउज खोला और ब्लाउज खुलते ही मेरे ब्रा मे कैद बूब्स भी दिखने लगे फिर मैंने धीरे से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया पेटीकोट सररर.. से नीचे जा गिरा ।
मैंने अपने आप को एक बार आईने मे देखा ओर शर्मा गई । मेरा बदन बोहोत कसा हुआ था तभी जब मैं चलती थी तो मेरी कमर बोहोत बलखाती थी और उसके नीचे मेरे नितम्ब हिलते थे तो देखने वालों का दिल मुहँ मे आ जाता था ।
फिर मैंने अपनी नाइटी ली और उसे अपने शरीर पर डाल लिया बाहर जाने से पहले मैंने एक बार फिर अपने आप को आईने मे देखा और फिर शर्मा गई मेरा बदन वाकई बोहोत सेक्सी लग रहा था ।
मैं बाथरूम से बाहर आई
और जैसा मैंने सोचा था वैसा ही हुआ अशोक का मुहँ मुझे देखकर खुला का खुला रह गया वो बोले - "लगता है आज किसी का कत्ल होने वाला है "
मैं चलते हुए बेड के थोड़ा पास पहुँची तो अशोक ने खेन्च कर मुझे आपने ऊपर गिरा दिया और मेरे बाल सहलाने लगे मैं तो बस यही चाहती थी । मैंने अपने दोनों हाथ अशोक की गर्दन पर लपेट दिये
अशोक - पदमा , आज तुम बोहोत सुंदर लग रही हो इतना बोलकर अशोक ने अपने होंठ मेरे पूरे दिन के प्यासे लबों पर रख दिए और हम दोनों किस करने लगे ।
अशोक ने आगे हाथ बढ़ाकर मेरी कमर का जायजा लेना शुरू किया और अपने हाथ मेरी पूरी कमर पर फिराने लगे मैंने अपने हाथ अशोक के बालों मे उलझा दिए फिर अशोक ने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझे पलटकर बिस्तर पर ले आए फिर मेरी नाइटी धीरे से खोली और उसे मेरे शरीर से अलग किया ।
नाइटी खुलते ही मेरे ब्रा मे कसे बूब्स अशोक के सामने आ गए । उन्हे देखकर अशोक और भी जोश मे आ गए और मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरे गले और कंधे पर किस करने लगे
मेरे जिस्म की आग और ज्यादा भड़क उठी मैंने अशोक को अपने ऊपर कस लिया और अपने नाखून उनकी पीठ पर गाढ़ दिए
अशोक एक दम से कराह उठे - आह पदमा .. ..
अशोक के लिंग का तनाव मुझे अपनी जांघों पर महसूस हो रहा था मन तो कर रहा था की उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील करू पर मैंने अशोक के साथ ऐसा कभी किया नहीं था तो मुझे शर्म आ रही थी
देखते ही देखते अशोक ने अपना नाइट सूट निकाल दिया और बस अन्डरवेयर मे आ गए फिर उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल दिया ब्रा के निकलते ही मेरे तने हुए बूब्स अशोक के सामने आ गए । अशोक ने बिना देरी कीये एक बूब्स को मुहँ मे ले लिया और चूसने लगा
उनकी इस हरकत पर मेरी एक जोर की "आह" निकली
अब हम दोनों के लिए रुकना मुश्किल हो रहा था मेरी तड़प अब चरम बिन्दु पर थी मैं आज अपनी दिन भर की प्यास मिटा देना चाहती थी जो नितिन और गुप्ता जी की वजह से जाग गई थी ।
तभी अशोक ने हाथ नीचे ले जाकर मेरी पेन्टी को पड़कर नीचे सरकाया और अपने हाथ से वहाँ सहलाने लगे अब अशोक ने मेरा दूसरा बूब्स अपने मुहँ मे ले लिया था ।
मैं - आह .. .. अशोक अब जल्दी करो .. ..
अशोक समझ गए की मैं तैयार हूँ और अपना अन्डवेयर नीचे करके अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरी योनि मे सटाकर एक हलका सा धक्का दिया योनि गीली होने के कारण लिंग तुरंत मेरी योनि मे पहुँच गया और मेरे मुहँ से फिर से एक बार एक हल्की आह निकल गई ।
[b][size=large]इसके बाद अशोक ने धक्के लगाना शुरू किये और मैं आनंद के सागर मे गोते लगाने लगी । पर मेरा ये आनंद ज्यादा देर नहीं चल सका अशोक ने अभी मुश्किल से 20 धक्के लगाए होंगे कि वो कराह उठा -
" आह .. पदमा .. मैं गया "
मैं - आह .. नहीं अशोक बस थोड़ी देर ओर ..
अशोक - आह .. .. ..
और इतना बोलते हुए अशोक ढह गये और एक तरफ गिरकर सो गए ।
पर मैं तो अभी प्यासी थी मैंने उठाकर गुस्से से अशोक की ओर देखा वो तो नींद के आगोश मे जा चुका थे । पर मेरी आँखों मे अभी भी हवस तैर रही थी मैं बिस्तर से उठी और उठकर बाथरूम मे घुस गई एक ही दिन मे तीन बार गरम होने पर भी मैं प्यासी ही रही । बाथरूम मे घुसकर मैं शावर के नीचे खड़ी हो गई
और बदन की गर्मी को शांत करने के लिए मैंने शावर खोल दिया पर उसकी ठंडी बुँदे भी मेरे जिस्म की आग को बुझाने मे नाकाम रही बल्कि शावर की ठंडी बुँदे भी मेरे बदन पर गिरकर गरम होने लगी मैंने अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए अपना एक हाथ अपनी पहले से ही गीली योनि पर लगाया और दूसरे हाथ से अपने एक बूब्स को पकड़ कर मसलने लगी ।
फिर धीरे धीरे मैंने अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाली और अंदर बाहर करने लगी दूसरा हाथ अभी भी एक बूब्स को मसल रहा था और मैं आहें भर रही थी हैरत तो इस बात की है इन आहों को भरते हुए मैं अशोक के नहीं बल्कि नितिन और गुप्ता जी के साथ दिन मे हुई घटनाओ के बारे मे सोच रही थी ।
फिर धीरे से मैंने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी योनि मे डाल ली और तेज तेज हिलाने लगी अपने एक बूब्स को अपने मुहँ मे लेकर चूसने लगी और दूसरे को अपने हाथ से रगड़ने लगी । मैं पूरे चरमोत्कर्ष पर थी और काभी भी झडने वाली थी । तभी मुझे अपने अंदर से एक सैलाब आता हुआ प्रतीत हुआ धड़कने बढ़ गई और साँसे फूल गई और अचानक मैं कांपती हुई झडने लगी ।
मैं बोहोत थक गई थी तो थोड़ी देर वही बेठ गई झडने के बाद मुझे एक असीम सुकून मिला जैसे कोई बोझ शरीर से उतार गया हो ।
बाथरूम से बाहर आकर देखा तो अशोक पूरी गहरी नींद मे समाऍ हुए थे मैंने बेड से अपनी नाइटी उठाई और उसे पहन कर लेट गई मैं बोहोत थक गई थी तो ब्रा और पेन्टी पहनने की कोशिश नहीं की। ऐसे ही कंबल ओढ़कर लेट गई। पहले मुझे जिस्म की गर्मी की वजह से ठंड नहीं लग रही थी पर अब जिस्म की गर्मी शांत होने के बाद मुझे ठंड लगने लगी थी यूं तो कमरे मे हीटर भी चल रहा था ।
और फिर एक बार ना चाहते हुए भी नितिन का खयाल मुझे आ गया की क्यू उसने मुझसे झूठ कहा की वो नितिन का दोस्त है और क्यू कहा की वो लेट हो रहा है और मुझे बाहों मे उठा लिया जबकि अशोक के मुताबिक प्रेजेंटेशन तो 5 बजे थी ।
इन्ही सवालों को सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ।
( दोस्तों यदि कहानी अच्छी लगे तो लाइक और कमेन्ट करदो यार , इससे थोड़ा होसला बढ़ जाता है । प्लीज दोस्तों )