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Adultery आखिर ससुरजी घुस ही गए मेरी चुत में
#2
फेमिली में मैं मेरे पति प्रदीप, मेरे ससुर जी रसिकलाल और मेरा छोटा सा बेटा किरण इतने हें. ससुर जी का बिझनेस बड़ा है और हमें खाने पीने की कोई कमी नहीं ह मेरे पिताजी का फेमिली बहुत ग़रीब था. चार बहनों में मैं सब से बड़ी संतान थी. मेरी मा लंबी बीमारी बाद मर गयी तब में सोलह साल की थी. मा के इलाज वास्ते पिताजी ने क्या कुछ नहीं किया, ढेर सारा कर्ज़ा हो गया. पिताजी रेवेंयू ओफ़िस में क्लेर्क क नौकरी करते थे, उन के पगार से मांड गुज़रा होता था. में छ्होटे मोटे काम कर लेती थी. आमदनी का ओर कोई साधन नहीं था जिस से कर्ज़ा चुका सकें. लेनदार लोग तक़ाज़ा कर रहे थे. फ़िक्र से पिताजी की सेहत भी बिगड़ ने लगी थी.ऐसे में मेरे संभावित ससुर रसिकलाल मदद में आए. उन का एकलौता बेटा प्रदीप कंवारा था. दिमाग़ का थोड़ा सा बेकवार्ड हो ने से उसे कोई कन्या देता नहीं था. रसिकलाल की पत्नी भी छे महीनों पहले ही मर गयी थी, घर संभाल ने वाली कोई थी नहीं. उन्हों ने जब करज़े के बदले में मेरा हाथ माँगा तब पिताजी ने तुरंत ना बोल दी. में हाई स्कूल तक पढ़ी हुई थी, आगे कॉलेज में पढ़ने वाली थी. मेरे जैसी लड़की कैसे प्रदीप जैसे लड़के के साथ ज़िदगी गुज़ार सके ? मैने पिताजी से कहा : आप मेरी फिकर मत कीजिए, मेरी तीन बहनों की सोचिए. आप रिश्ता मंज़ूर कर दीजिए और सिर पर से करज़े का बोझ दूर कीजिए. में मेरी संभाल लूंगी.अपने हृदय पर पत्थर रख कर पिताजी ने मुज़े प्रदीप से ब्याह दी. तब में 18 साल की थी. में ससुराल आई. पहले ही दिन ससुरजी ने मुझे पास बीठा कर कहा : देख बेटी, में जानता हूँ की प्रदीप से शादी कर के तूने बड़ा बलिदान दिया है मेने तेरे पिताजी का कर्ज़ा भरावा दिया है लेकिन तूने जो किया है उस की क़ीमत पैसों में नहीं गीनी जाती. तूने तेरे पिताजी पर और मुझ पर भी बड़ा उपकार किया है में जवाब मे बोली : पिताजी…………उन्हों ने मुज़े बोलने नहीं दिया. कहने लगे : पहले मेरी सुन ले. बाद में कहना जो चाहे सो. ठीक है ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: आखिर ससुरजी घुस ही गए मेरी चुत में - by neerathemall - 16-08-2022, 05:43 PM



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