16-08-2022, 05:11 PM
वो तेज़ तेज़ हिलाने लगी।
"आआहहहह्हह पूनमऽऽऽऽऽ !" बोल कर मैं उसके हाथों में झड़ गया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया और चूमने लगा। वो मुझे कस कर पकड़े हुये थी। हम दोनों आनन्द में सराबोर थे। उठ कर देखा तो पूरे बिस्तर पर खून फ़ैला थ।
हम फ़िर लेट गये। मैं फ़िर उठा और उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर पूछा- तुम रो क्यों रही थी?
तो वो हँसते हुये मुझे गले लगाते हुये और चूमते हुए बोली- अरे बुद्धू, दर्द से मेरे आँखों में आँसू आ गये थे।
मैंने पूछा- पूनम, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना?
तो वो मेरे होंठों को चूमते हुये बोली- नहीं।
और इस तरह से हमने पहली बार सेक्स किया। उस दिन हमने पूरी रात सेक्स का मज़ा लिया। हमने 4 बार और सेक्स किया उस दिन।
अगले 4 दिनों तक हम बिल्कुल पति-पत्नी की तरह रहे और प्यार करते रहे।
4 दिनों के बाद हम अपने काम में लग गये। हम रोज़ मिलते थे।
एक दिन अचानक वो मुझे बिना बताये अपने घर चली गई हमेशा के लिये।
मेरा भी नामांकन पुणे के इंजिनियरिग कॉलेज में हो गया। मैं उसे हमेशा याद करता था। मेरे पास अभी भी मोबाईल नहीं था और घर से उतने पैसे नहीं मिलते थे कि मैं हमेशा उससे बात कर पाता।
एक दिन फ़ोन किया तो पता चला कि उसकी मौत हो गई। उसको ब्लड कैंसर था और उसने मुझे नहीं बताया था कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा, क्योंकि मैं उसे बहुत प्यार करने लगा था। मैं फोन पकड़े वैसा-का वैसा ही खड़ा रहा।
"आआहहहह्हह पूनमऽऽऽऽऽ !" बोल कर मैं उसके हाथों में झड़ गया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया और चूमने लगा। वो मुझे कस कर पकड़े हुये थी। हम दोनों आनन्द में सराबोर थे। उठ कर देखा तो पूरे बिस्तर पर खून फ़ैला थ।
हम फ़िर लेट गये। मैं फ़िर उठा और उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर पूछा- तुम रो क्यों रही थी?
तो वो हँसते हुये मुझे गले लगाते हुये और चूमते हुए बोली- अरे बुद्धू, दर्द से मेरे आँखों में आँसू आ गये थे।
मैंने पूछा- पूनम, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना?
तो वो मेरे होंठों को चूमते हुये बोली- नहीं।
और इस तरह से हमने पहली बार सेक्स किया। उस दिन हमने पूरी रात सेक्स का मज़ा लिया। हमने 4 बार और सेक्स किया उस दिन।
अगले 4 दिनों तक हम बिल्कुल पति-पत्नी की तरह रहे और प्यार करते रहे।
4 दिनों के बाद हम अपने काम में लग गये। हम रोज़ मिलते थे।
एक दिन अचानक वो मुझे बिना बताये अपने घर चली गई हमेशा के लिये।
मेरा भी नामांकन पुणे के इंजिनियरिग कॉलेज में हो गया। मैं उसे हमेशा याद करता था। मेरे पास अभी भी मोबाईल नहीं था और घर से उतने पैसे नहीं मिलते थे कि मैं हमेशा उससे बात कर पाता।
एक दिन फ़ोन किया तो पता चला कि उसकी मौत हो गई। उसको ब्लड कैंसर था और उसने मुझे नहीं बताया था कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा, क्योंकि मैं उसे बहुत प्यार करने लगा था। मैं फोन पकड़े वैसा-का वैसा ही खड़ा रहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.