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Adultery बरसात की एक रात पूनम के साथ (II)
#7
थोड़ा ना-नुकुर के बाद वो मान गई। उसने मुँह में मेरा लण्ड लिया। बहुत अजीब लेकिन सुखद एहसास था। उसके मुँह की गर्मी मेरे लण्ड को बहुत अच्छी लग रही थी। लेकिन उसने तुरंत ही निकाल लिया, पहली बार था शायद इसिलिए उसे अच्छा नहीं लग रहा था।

अब वो बोली- अब कुछ करो मनोज़ जल्दी। यह कहानी आप HotSexStory.xyz पर पढ़ रहे हैं।

मैंने पूछा- तुम्हें मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या?"

वो थोड़ी शरमा कर बोली- अच्छा लगा मुझे, लेकिन अब बाद में।

मैंने बोला- ठीक है।

अब मैं उसके ऊपर था और अपने लण्ड को उसके चूत पर रख कर बोला- पूनम, थोड़ा दर्द होगा, सह लोगी ना?

उसने हल्के से 'हाँ' में सिर हिला दिया। मैंने अपना लण्ड उसके चूत पर लगा कर एक हल्का सा धक्का दिया तो मेरा सुपारा अन्दर चला गया !

"आहहहहहहहह" उसके मुँह से हल्की सी चीख निकली।

मैंने एक और धक्का दिया, मेरा 3 इंच लण्ड उसके चूत में चला गया, इस बार वो थोड़ा तेज़ चीखी और बोली- मनोज़, बाहर निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने बोला- तुमने ही बोला था ना कि तुम दर्द सह लोगी।

इतना बोल मैंने एक और धक्का दिया।

"आअआ आआआ आआआआ सऽऽअऽऽऽऽऽऽऽ"

उसकी झिल्ली के पास आकर मेरा लण्ड अटक गया, मैं समझ नहीं पा रहा था कि मेरा लण्ड अन्दर जा क्यों नहीं रहा है। पूनम दर्द में थी, मैंने पूनम से पूछा- मेरा अन्दर क्यों नहीं जा रहा है पूनम?

वो बोली- हमारे अन्दर झिल्ली होती है, तुम्हारा वहीं पर अटका हुआ है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, निकाल लो ना मनोज़ प्लीज।

मैं बोला- पूनम आज मत रोको प्लीज।

कह कर मैंने एक और ज़ोरदार धक्का दिया, इस बार उसकी फ़ाड़ते हुये मेरा लण्ड पूरा घुस गया। इस बार उसकी काफ़ी तेज़ चीख़ निकल गई, उसकी आँखों में आँसू आ गये और मैं डर गया था कि चीख सुन कर कोई आ ना जाये।

मैं धक्के मारना बंद कर उसके होंठों को चूमने लगा। जब वो थोड़ी शांत हुई तो वो खुद ही अपने कमर उठा कर मेरा लण्ड अन्दर लेने लगी।

"ठीक हो?" मैंने पूछा।

"चुद रही हूँ तो मैं ठीक कैसे हो सकती हूँ?" कह कर मुस्कुराई।

उसे ऐसा कहते सुन मुझमें पता नहीं कहाँ से जोश आ गया, मैं तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा, हमारी मस्ताई आवाज़ें पूरे कमरे में गूंज रही थी।

"आआआआहहहह, ओहह, मनोज़ऽऽऽ आआआहहहह मर गई मैं, धीरे आआहहहह !"

10 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, वो बोली- तेज़ और तेज़ आआआहह ह आआहहह हहह" कह कर मुझे कस कर पकड़ लिया।

मैं रुक गया, कुछ देर बाद उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया, मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो वो शरमाते हुये बोली- मेरा हो गया।

मैंने बोला- मेरा तो बाकी है.

बोल कर मैं तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा। फ़िर से पूरे कमरे में आहें गूंजने लगी।

20-30 तेज़ धक्के मारने के बाद मेरा निकलने वाला था, मैंने पूनम को बोला- पूनम, मैं झड़ने वाला हूँ।

वो तपाक से बोली- अन्दर नहीं गिराना।

तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत पर मुठ मारने लगा तो उसने मेरा लण्ड अपने हाथों में लिया मेरा मुठ मरवाने लगी। मैं उसे चूम रहा था और उसके हाथ मेरा काम कर रहे थे।

"तेज़ पूनम तेज़ ! मेरा निकलने वाला है।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की एक रात पूनम के साथ (II) - by neerathemall - 16-08-2022, 05:11 PM



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