Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery बरसात की एक रात पूनम के साथ (II)
#6
हमने फ़िर चूमाचाटी करना शुरू किया। अब मैंने अपना हाथ पजामी के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो वो चिहुँक गई। वह भी अपना हाथ मेरे लण्ड पर रखकर सहलाने लगी। हम दोनों गर्म होने लगे। अब हम जंगलियों की तरह चुम्बन करने लगे, एक-दूसरे को खा जाना चाहते थे हम।

उसने मेरे जीन्स के बटन खोल के अपना हाथ अन्दर डाल कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसे आगे-पीछे करने लगी। मैंने भी उसकी पजामी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत पर हाथ रख दिया। वो फ़िर चिहुंक गई। वो पूरी तरह से गीली हो गई थी। वो मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत को सहला रहा था। फ़िर हमने अपने बाकी बचें हुए कपड़े भी उतार दिये।

हम बिल्कुल नंगे थे एक-दूसरे के सामने।

मैंने उसे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया, हमारी साँसें टकरा रही थी, हम पूरी मस्ती में थे। मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमने लगा। वो और मस्त हो गई और उसकी सिसकारी और तेज़ हो गई- आऽऽऽ अऽऽऽ मनोज़ऽऽऽऽऽ अऽ !

मैं अब उसकी चूचियों से चूस कर खेल रहा था। वो भी पूरे मस्ती में थी और सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी- ओहऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ मनोज़, मनोज़ ! करने लगी।

मैं और नीचे जाते हुए अब उसके चूत के पास मेरा मुँह था। मैंने नंगी फ़िल्मों में देखा था सो मैं वही करने जा रहा था। तो उसने रोक दिया- छीः ! नहीं मनोज़।

मैंने बोला- अरे कुछ नहीं होगा। तुम्हें अच्छा लगेगा।

कहकर मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

"आहहहहहहहहहऽऽऽऽऽऽ मनोज़, आहहहह...नहीईईईई, मनोज़ अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, कुछ करो प्लीज।"

कहकर मेरा चेहरा अपने चूत पर दबाने लगी। उसके चूत से नमकीन पानी आने लगा।

मैं उठा और अपना लण्ड उसके होठों में लगा दिया तो वो बोली- नहीं, मैं नहीं करूँगी।

मैंने बोला- कम ऑन पूनम, तुम्हें अच्छा लगेगा। मुझे तुम्हारा अच्छा लगा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बरसात की एक रात पूनम के साथ (II) - by neerathemall - 16-08-2022, 05:10 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)