16-08-2022, 05:10 PM
तभी बारिश आ गई। हम दोनों नीचे आते आते पूरे ही भीग गये। फिर वो थोड़ी रोमांटिक होने लगी। हमें एक-दूसरे का स्पर्श अच्छा लगने लगा, मैं बोला- चलो मैं तुम्हें होस्टल छोड़ देता हूँ।
"ठीक है !" वो बोली।
हमने रिक्शा लिया और चल दिये।
रास्ते भर हम एक-दूसरे का हाथ मसल रहे थे। उसके हॉस्टल पहुँचने के बाद बारिश और तेज होने लगी तो पूनम ने बोला कि बारिश कम हो जाये तो चले जाना।
मैं तो यही चाहता था कि मैं अभी पूनम को छोड़ कर नहीं जाऊँ तो मैं उसके साथ उसके कमरे में चला गया।
बहुत अच्छे तरीके से कमरे को सजाया था उसने। मैंने देख रहा था तभी वो तौलिया लेकर आई और बोली- सर पोंछ लो।
मैंने उसी से बोल दिया- तुम ही पोंछ दो।
वो हँसी और मेरा सिर तौलिये से पोंछने लगी। फ़िर वो सामने आकर अपने बालों को तौलिये से पोंछने लगी। उस समय वो और भी खूबसूरत लगने लगी। हमारे कपड़े अभी भी भीगे हुये थे। अभी मैंने पूनम को पूरा निहारना शुरू किया तो वो शरमा गई। मैं उठा, पूनम के पास आया, उसे उठाया और मैंने अपने गले से लगा लिया और अपने में भींच लिया।
एक बारगी तो वो हल्के से बोली- मनोज !
मैंने उसे अनसुना कर दिया और उसे और कस कर भींच लिया। अब उसने भी अपनी हाथों को मेरे पीठ पर ना शुरू कर दी। मेरा लण्ड जो 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है, सलामी देने लग़ा और उसकी चूत के पास सट रहा था। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर दबा दिया। वो थोड़ी सहमी लेकिन उसने भी इसमें मेरी मदद की।
अब मैंने उसका चेहरा उठाया और उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। हमने लगभग आधे घंटे तक एक-दूसरे को चूमा, फ़िर मैंने उसका एक हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख दिया। उसने अपना हाथ हटा लिया।
मैंने उसका हाथ दुबारा अपने खड़े हुए लण्ड पर रखा। इस बार उसने मेरा लण्ड धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। मैं उत्तेजित होने लगा। यह मेरा पहली बार था जब किसी लड़की का हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था। मैं उसे पागलों की तरह चूमे जा रहा था।
फ़िर मेरे हाथों ने हरकत करनी शुरू की, मेरे हाथ उसकी चूचियों को सहलाने लगे। उसके उरोज कड़े हो गये थे। जब मैंने उसके चुचे दबाये तो उसके मुँह से सीऽऽऽऽऽ की हल्की-सी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसे अलग किया, उसकी आँखों में देखा। हम दोनों के चेहरे पर कोई भी भाव नहीं था। मैंने उसके कुरते को निकाल कर अलग किया। उसने कोई भी विरोध नहीं किया। वो मेरे सामने केवल उजली ब्रा और काली पजामी में थी, कयामत लग रही थी।
मैं उसे देखने लगा, वो शरमा गई, बोली- ऐसे मत देखो, मुझे शर्म आ रही है।
कह कर अपने हाथों से अपने वक्ष को ढकने लगी। मैंने उसके हाथों को हटा कर उसे अपनी तरफ़ खींच लिया, अपने सीने से लगा लिया।उसने मेरा शर्ट उतार दिया। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। हमने एक-दूसरे को गले लगा लिया। पहली बार किसी लड़की का स्पर्श हुआ था। पूरे शरीर में तरंगें उठने लगी। उसके कड़े चुचे मेरे सीने में गड़ने लगे लेकिन अच्छा भी लग रहा था।
मैंने पूनम से बोला- पूनम, यह मेरा पहली बार है।
वो बोली- मेरा भी।
मैंने पूछा- कोई आएगा तो नहीं ना?
वो बोली- नहीं, कोई नहीं है, अगले 4 दिनों तक तुम चाहो तो 4 दिन आराम से मेरे साथ रह सकते हो।
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ !
और हम हँसने लगे।
"ठीक है !" वो बोली।
हमने रिक्शा लिया और चल दिये।
रास्ते भर हम एक-दूसरे का हाथ मसल रहे थे। उसके हॉस्टल पहुँचने के बाद बारिश और तेज होने लगी तो पूनम ने बोला कि बारिश कम हो जाये तो चले जाना।
मैं तो यही चाहता था कि मैं अभी पूनम को छोड़ कर नहीं जाऊँ तो मैं उसके साथ उसके कमरे में चला गया।
बहुत अच्छे तरीके से कमरे को सजाया था उसने। मैंने देख रहा था तभी वो तौलिया लेकर आई और बोली- सर पोंछ लो।
मैंने उसी से बोल दिया- तुम ही पोंछ दो।
वो हँसी और मेरा सिर तौलिये से पोंछने लगी। फ़िर वो सामने आकर अपने बालों को तौलिये से पोंछने लगी। उस समय वो और भी खूबसूरत लगने लगी। हमारे कपड़े अभी भी भीगे हुये थे। अभी मैंने पूनम को पूरा निहारना शुरू किया तो वो शरमा गई। मैं उठा, पूनम के पास आया, उसे उठाया और मैंने अपने गले से लगा लिया और अपने में भींच लिया।
एक बारगी तो वो हल्के से बोली- मनोज !
मैंने उसे अनसुना कर दिया और उसे और कस कर भींच लिया। अब उसने भी अपनी हाथों को मेरे पीठ पर ना शुरू कर दी। मेरा लण्ड जो 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है, सलामी देने लग़ा और उसकी चूत के पास सट रहा था। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर दबा दिया। वो थोड़ी सहमी लेकिन उसने भी इसमें मेरी मदद की।
अब मैंने उसका चेहरा उठाया और उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। हमने लगभग आधे घंटे तक एक-दूसरे को चूमा, फ़िर मैंने उसका एक हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख दिया। उसने अपना हाथ हटा लिया।
मैंने उसका हाथ दुबारा अपने खड़े हुए लण्ड पर रखा। इस बार उसने मेरा लण्ड धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। मैं उत्तेजित होने लगा। यह मेरा पहली बार था जब किसी लड़की का हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था। मैं उसे पागलों की तरह चूमे जा रहा था।
फ़िर मेरे हाथों ने हरकत करनी शुरू की, मेरे हाथ उसकी चूचियों को सहलाने लगे। उसके उरोज कड़े हो गये थे। जब मैंने उसके चुचे दबाये तो उसके मुँह से सीऽऽऽऽऽ की हल्की-सी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसे अलग किया, उसकी आँखों में देखा। हम दोनों के चेहरे पर कोई भी भाव नहीं था। मैंने उसके कुरते को निकाल कर अलग किया। उसने कोई भी विरोध नहीं किया। वो मेरे सामने केवल उजली ब्रा और काली पजामी में थी, कयामत लग रही थी।
मैं उसे देखने लगा, वो शरमा गई, बोली- ऐसे मत देखो, मुझे शर्म आ रही है।
कह कर अपने हाथों से अपने वक्ष को ढकने लगी। मैंने उसके हाथों को हटा कर उसे अपनी तरफ़ खींच लिया, अपने सीने से लगा लिया।उसने मेरा शर्ट उतार दिया। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। हमने एक-दूसरे को गले लगा लिया। पहली बार किसी लड़की का स्पर्श हुआ था। पूरे शरीर में तरंगें उठने लगी। उसके कड़े चुचे मेरे सीने में गड़ने लगे लेकिन अच्छा भी लग रहा था।
मैंने पूनम से बोला- पूनम, यह मेरा पहली बार है।
वो बोली- मेरा भी।
मैंने पूछा- कोई आएगा तो नहीं ना?
वो बोली- नहीं, कोई नहीं है, अगले 4 दिनों तक तुम चाहो तो 4 दिन आराम से मेरे साथ रह सकते हो।
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ !
और हम हँसने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.