16-08-2022, 05:10 PM
हम अलग हो गये, उसने अपने आप को ठीक किया। हम एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे और एक दूसरे का हाथ पकड़ वहाँ से चल दिये।
हमारा प्यार बढ़ने लगा। हम अक्सर पार्क में मिलने लगे और मौका मिलता था तो हम एक-दूसरे को चूमते थे, प्यार करते थे।
फ़िर हम अपनी परीक्षा में व्यस्त हो गये। परीक्षाएँ खत्म होने के बाद सब अपने-अपने घर को जाने लगे।
मैंने पूनम से पूछा- तुम भी घर जा रही हो?
और उदास हो गया।
"नहीं !" उसने कहा।
"सच्ची?" मैंने आश्चर्य से पूछा।
"सच्ची मुच्ची !" उसने हँसकर मुझे चूमते हुए कहा।
"क्यों, घर पर क्या बोला है?" मैंने पूछा।
"मैंने बोला है कि मैं अगले महीने के पहले हफ़्ते में आऊँगी।" वो मुस्कुराते हुए बोली।
अभी वो मेरे गोद में थी, फ़िर हम एक-दूसरे से शरारतें करने लगे, सताने और फ़िर चूमने और लगे।
शाम को मैं उसे उसके पी जी होस्टल छोड़ने गया। वो दो और लड़कियों के साथ रहती थी। हम वहाँ पहुँचे तो उसकी एक रूममेट जो कि एकदम माल लग रही थी, वो पूनम के गले लगी और बोली- तूने आने में देर कर दी। मैं अब जा रही हूँ।
वो दोनों मेरे तरफ़ देख कर हँसने लगी। मैंने भी अपना हाथ उठा कर 'हाय' बोला तो बदले में उन्होंने भी हाथ उठा कर अभिवादन किया। फ़िर वो चली गई तो पूनम मेरे पास आई और बोली- ये मेरी रूम-मेट हैं।
मैं उसे 'बाय' बोल कर अपने होस्टल चला आया। उस समय मोबाईल का इतना प्रचलन नहीं था। तो मैं उसे फ़ोन भी नहीं कर सकता था पर उसके यहाँ फोन था तो मैं उसे डिनर के बाद फ़ोन किया। हमने इधर-उधर की बातें की और अगले दिन मिलने के लिये बोल कर फ़ोन रख दिया।
सुबह में हम क्लास के बाहर मिले तो मैंने उससे पूछा- मूवी देखने चलना है?
"नहीं !" वो बोली- कहीं और चलते हैं।
"कहाँ?" मैंने पूछा।
"इधर-उधर, गोलघर चलो।"
"मौसम देखा है. कभी भी बारिश हो सकती है !"
"तो क्या हुआ. चलना है?"
मैंने बोला 'चलो' और हम चल दिये। हमने आटो लिया और वहाँ पहुँच गये। हम ऊपर तक गये और वहाँ खड़े होकर बात करने लगे। वो बोली- आज से वो चार दिनों के लिये अकेली हो जायेगी।
"क्यो?" मैंने पूछा।
फ़िर मैंने खुद ही समझ कर बोला- अच्छा, वो तुम्हारी दूसरी रूम-मेट भी जा रही है क्या?"
"हाँ !" उसने बोला।
"मैं तो बोर हो जाऊँगी। तुम क्या करोगे?" उसने मुझसे पूछा।
मैं रोमांटिक मूड में था तो मैंने बोल दिया 'तुमसे प्यार'
कहा और कह कर हम दोनों ही हँस पड़े।
तभी बारिश आ गई। हम दोनों नीचे आते आते पूरे ही भीग गये। फिर वो थोड़ी रोमांटिक होने लगी। हमें एक-दूसरे का स्पर्श अच्छा लगने लगा, मैं बोला- चलो मैं तुम्हें होस्टल छोड़ देता हूँ।
"ठीक है !" वो बोली।
हमने रिक्शा लिया और चल दिये।
हमारा प्यार बढ़ने लगा। हम अक्सर पार्क में मिलने लगे और मौका मिलता था तो हम एक-दूसरे को चूमते थे, प्यार करते थे।
फ़िर हम अपनी परीक्षा में व्यस्त हो गये। परीक्षाएँ खत्म होने के बाद सब अपने-अपने घर को जाने लगे।
मैंने पूनम से पूछा- तुम भी घर जा रही हो?
और उदास हो गया।
"नहीं !" उसने कहा।
"सच्ची?" मैंने आश्चर्य से पूछा।
"सच्ची मुच्ची !" उसने हँसकर मुझे चूमते हुए कहा।
"क्यों, घर पर क्या बोला है?" मैंने पूछा।
"मैंने बोला है कि मैं अगले महीने के पहले हफ़्ते में आऊँगी।" वो मुस्कुराते हुए बोली।
अभी वो मेरे गोद में थी, फ़िर हम एक-दूसरे से शरारतें करने लगे, सताने और फ़िर चूमने और लगे।
शाम को मैं उसे उसके पी जी होस्टल छोड़ने गया। वो दो और लड़कियों के साथ रहती थी। हम वहाँ पहुँचे तो उसकी एक रूममेट जो कि एकदम माल लग रही थी, वो पूनम के गले लगी और बोली- तूने आने में देर कर दी। मैं अब जा रही हूँ।
वो दोनों मेरे तरफ़ देख कर हँसने लगी। मैंने भी अपना हाथ उठा कर 'हाय' बोला तो बदले में उन्होंने भी हाथ उठा कर अभिवादन किया। फ़िर वो चली गई तो पूनम मेरे पास आई और बोली- ये मेरी रूम-मेट हैं।
मैं उसे 'बाय' बोल कर अपने होस्टल चला आया। उस समय मोबाईल का इतना प्रचलन नहीं था। तो मैं उसे फ़ोन भी नहीं कर सकता था पर उसके यहाँ फोन था तो मैं उसे डिनर के बाद फ़ोन किया। हमने इधर-उधर की बातें की और अगले दिन मिलने के लिये बोल कर फ़ोन रख दिया।
सुबह में हम क्लास के बाहर मिले तो मैंने उससे पूछा- मूवी देखने चलना है?
"नहीं !" वो बोली- कहीं और चलते हैं।
"कहाँ?" मैंने पूछा।
"इधर-उधर, गोलघर चलो।"
"मौसम देखा है. कभी भी बारिश हो सकती है !"
"तो क्या हुआ. चलना है?"
मैंने बोला 'चलो' और हम चल दिये। हमने आटो लिया और वहाँ पहुँच गये। हम ऊपर तक गये और वहाँ खड़े होकर बात करने लगे। वो बोली- आज से वो चार दिनों के लिये अकेली हो जायेगी।
"क्यो?" मैंने पूछा।
फ़िर मैंने खुद ही समझ कर बोला- अच्छा, वो तुम्हारी दूसरी रूम-मेट भी जा रही है क्या?"
"हाँ !" उसने बोला।
"मैं तो बोर हो जाऊँगी। तुम क्या करोगे?" उसने मुझसे पूछा।
मैं रोमांटिक मूड में था तो मैंने बोल दिया 'तुमसे प्यार'
कहा और कह कर हम दोनों ही हँस पड़े।
तभी बारिश आ गई। हम दोनों नीचे आते आते पूरे ही भीग गये। फिर वो थोड़ी रोमांटिक होने लगी। हमें एक-दूसरे का स्पर्श अच्छा लगने लगा, मैं बोला- चलो मैं तुम्हें होस्टल छोड़ देता हूँ।
"ठीक है !" वो बोली।
हमने रिक्शा लिया और चल दिये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.