Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy रेणु की प्यासी जवानी
#3
मैं आम के बगीचे में चारपाई पर अर्ध नग्न अवस्था में लेटी हुई थी तो मेरी दोनो चुचियों को चूसकर रघु लाल कर दिया था इतना ही नहीं मेरे ब्राउन निप्पल भी टाईट हो गए और बूर से रज का स्राव भी हुआ तो मैं थोड़ी ढीली पड़ गई, रघु चारपाई पर से उठा और लुंगी पहना तो उसका काला मोटा लौड़ा पूरी तरह से टाईट था, जिसे देख मैं क्या मेरी मां के मुंह में भी पानी आ जाता। रघु मुझे छोड़कर बगीचा में ही मुझसे दूर चला गया तो मैं चारपाई पर उठकर बैठी फिर साड़ी से छाती को ढक ली, बूर तो रस से चुपचिप लगने लगा तो सोची की चापानल पर जाकर बूर को धो लूंगी, रघु उधर से आया तो मैं चारपाई से उठने लगी और ज्योंहि चप्पल को पहनी वो पूछ बैठा ” मालिकन किधर जा रही हैं
( मैं हंस दी ) ओह रघु हर कुछ बताया नही जाता, अभी आई ” फिर चापानल की ओर गई और वहां बाल्टी के साथ लोटा रखा हुआ था, इधर उधर देखी फिर वहीं पर बैठकर साड़ी सहित पेटीकोट को कमर तक की और छर छर मूतने लगी, बूर को पानी से धोकर साड़ी ठीक की फिर वापस आई तो रघु चारपाई पर बैठा हुआ था, मुझे देख उठना चाहा तो मैं उसे इशारे से बैठे रहने को बोली फिर उसके सामने खड़ी हुई पूछी ” क्या तुम और कुछ जानना चाहते हो
( वो मुझे और खासकर मेरी छाती की ओर देखते हुए बोला ) हां मालकिन, वैसे भी अभी तो थोड़ा ही बताई हैं आगे भी तो बताइए ” मैं उसके लूंगी की ओर हाथ बढ़ाई फिर वो समझदार की तरह ही आगे खिसका, उसकी लुंगी के गांठ को खोल दी तो लूंगी जमीन पर था और उसका काला कलूटा लौड़ा मेरे सामने, जिसे देख मैं पूछी ” तुम अपना सामान को पकड़ो
( वो इधर उधर देखने लगा ) कौन सा सामान मालकिन
( मैं हाथ बढ़ाई और उसका लन्ड पकड़ ली ) ये है तेरा सामान, इसे क्या कहते हैं रघु
( वो बोला ) इसे लन्ड कहते हैं मालकिन ” मैं अब उसके लन्ड पकड़ कर हिलाने लगी तो वो खड़े खड़े मेरी बूब्स को देख रहा था तो मैं बोली ” इस लन्ड को शहर की औरतें मुंह में भी लेती हैं और इसे चूसती हैं
( वो बोला ) ओह मालकिन मुझे क्या पता ” और इतने में मैं उसके लन्ड का चमड़ा नीचे कर सुपाड़ा को ओंठो से रगड़ने लगी तो रघु का चेहरा देखने लायक था लेकिन मुझे तो मजा आ रहा था, उसकी ओर देखते हुए मैं मुंह खोल ली फिर उसके सुपाड़ा को मुंह में लिए चूसने लगी तो रघु अपना एक पैर चारपाई पर रख अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा फिर साड़ी को नीचे कर हाथ को चूची पर लगाया फिर चूची दबाने लगा तो रेणु अब सुपाड़ा सहित आधा लन्ड मुंह में ली फिर चूसने लगी तो रघु मेरी बूब्स दबाए जा रहा था ” ओह आह मालकिन आप तो शादी के बाद बहुत कुछ सीख ली ” और तभी मैं उसके कमर में हाथ डालकर मुंह में लन्ड लिए चेहरा को आगे पीछे करने लगी तो रघु मेरी कोमल बूब्स को जोर जोर से दबाए जा रहा था, ऐसे मानो आटा गूंथ रहा हो तो मेरे मुंह से ” आह ओह सी उह ” भी निकल रहा था साथ ही मैं मुखमैथुन का आनंद ले रही थी, उसका लन्ड ७ इंच लंबा होगा जोकि मुंह में पूरी तरह से अकड़ चुका था, मेरी बूर तो खुजली से चुदाई को आतुर थी लेकिन इससे बिना कंडोम के चुदवाना रिस्की था। मैं कुछ देर लन्ड को चूसती रही फिर मुंह से लन्ड निकाल बोली ” रघु मुझे थोड़ा पानी पिलाओ
( वो ) जी मालकिन ” वो लूंगी को कमर से लपेटा फिर पानी लाने चला गया तो मैं चारपाई पर बैठी हुई अपने सीने को साड़ी से ढक ली, रघु लोटा में पानी लाया तो मैं पानी पीने लगी फिर लोटा को जमीन पर रख दी ” रघु मैं तो तेरा लिंग चूस दी अब तेरी बारी है, मेरी बूर चूसोगे ना
( वो सर झुकाए खड़ा था ) जरूर मालकिन आप मेरे जैसे गरीब गंवार को इतनी काम सुख दे रही हैं तो फिर मैं क्यों नही आपकी बात मानूंगा ”
मैं चारपाई पर लेट गई फिर उसको इशारे से पास बुलाई तो रघु चारपाई के किनारे पर बैठा फिर मेरे साड़ी सहित पेटीकोट को पकड़ ऊपर की ओर करने लगा, अब तो मेरे कमर पर साड़ी सहित पेटीकोट थी और रेणु अपनी जांघो को सटाए बूर छुपाने की कोशिश कर रही थी, रघु मेरे जांघों को पकड़ा फिर उसे फैलाकर बूर दिखने लगा तब जाकर मैं टांगें चिहारी और रघु तो मेरे कोमल बालरहित गुप्तांग को देखता ही रह गया, फिर उसको सहलाने लगा और मैं उसे बोली ” उसको चूमना फिर छेद में जीभ घुसाना, समझे ” और रघु जांघो के बीच चेहरा किए बूर पर ओंठ सटाया और चुम्बन देना शुरू किया तो उसका हाथ मेरे चूची को पकड़ दबाए जा रहा था, फिर उंगलियों से बूर फैलाकर जीभ उसमें घुसाया और चाटने लगा तो मेरी योनि खुजलाने लगी और मैं बूर चटवाते हुए आहें भरने लगी ” उह ओह आह रघु अंदर तक जीभ घुसाओ ना वाह तुम तो बूर चाटने में उस्ताद हो ” और वो बूर को कुत्ते की तरह लपालप चाटे जा रहा था साथ ही बूब्स को मसलने लगा, अब तो चुदाई ही शेष रह गई तो बिना कंडोम के इससे चुदवाना खतरे से खाली नहीं था और वो चेहरा ऊपर कर पूछा ” मालकिन एक बात
( मैं गुस्से में बोली ) मालकिन नही रेणु बोलो
( वो बूर में एक उंगली घुसाए रगड़ने लगा ) रेणु तुम्हारी चूत के फांकों को मुंह में लेकर चूस दूं
( मैं खिलखिलाकर हंस दी ) अरे बुद्धू इसमें पूछने वाली कोई बात है, चूसो ” और वो चेहरा जांघों के बीच करके मेरे फुले हुए फांकों को ओंठो के बीच लिया फिर चूसने लगा तो मैं सिसकने लगी ” उई मां बूर तो चूस ऐसे रहा है मानो खा जाएगा, ओह तेरे मुंह में ही मूत दूंगी रघु ओह उह उफ तुम तो एक नंबर के बूर चट्टा हो ” और वो मेरी फांकों को लेम्नचुस की तरह चूसने लगा साथ ही चुचियों को बारी बारी से भोंपू की तरह बजाने लगा और मैं ” आह बूर चूसना बंद कर ” रघु बूर चूसना छोड़ दिया फिर चेहरा ऊपर कर मुझे देखने लगा तो मैं बोली ” ( चूची को पकड़कर ) इसको चूसो फिर मैं घर जाउंगी
( वो मेरे छाती के ऊपर चेहरा किया ) लेकिन वो काम मालकिन नही करने मिलेगा
( मैं उसके गाल सहलाई ) मिलेगा लेकिन आज नही कल वो भी एक दवाई खरीद कर लाओगे तब, चल चूस इसे ” फिर वो मेरे स्तन को मुंह में लिए चूसने लगा तो वो घुटनो के बल अपने आपको रखा था और मैं उसके काले क्लूटे लन्ड पकड़कर हिलाना शुरू की तो वो चूची चूसने में मस्त रहा, मैं उसके तने हुए लौड़े को पकड़कर हिलाने लगी तो रघु चूची चूसते हुए मेरे दाहिने स्तन को दबाने लगा और मैं सचमुच चुदाई को तड़प रही थी लेकिन इससे चुदवाने के बाद कहीं पेट से हो जाती तो फिर क्या होता, इसलिए सिर्फ ओरल सेक्स करना ही उचित समझी और फिर रघु दूसरे स्तन को पकड़ा ” उसको काहे हिला रही हैं रस निकल जाएगा
( मैं बोली ) आज भर रस ऐसे ही निकलने दो फिर कल अंदर ही डालना ” और वो स्तनपान करना शुरू किया तो मैं उसके लन्ड को इस कदर हिलाने लगी मानो कोई ग्वाला गाय का थन पकड़े दूध निकाल रहा हो, वो चूची को आराम से चूसने में मस्त था तो मैं लन्ड हिलाने में और कुछ देर में ही रघु मेरे चूची को मुंह से निकाला ” अब मत हिलाइए ना झड़ जाएगा ” तो वो मेरे ऊपर से उतरा और मैं उसे अपने सामने खड़े रहने को बोली, उसका लौड़ा मैं मुंह में लेकर चूसने लगी तो हाथ उसके कमर में डाल दी, अब चेहरा आगे पीछे करते हुए मुखमैथुन करने लगी तो रघु मेरे बाल पकड़ मुंह में लन्ड का धक्का देते हुए मुंह को ही चोदने लगा और मैं भी लन्ड चूसते हुए मस्त थी की रघु मेरे चेहरे को पीछे करना चाहा लेकिन कर नही पाया तो उसके लन्ड से वीर्य का श्राव मेरे मुंह में हुआ जिसे मैं बेझिझक पी गई, लन्ड मुंह से निकाली फिर बोली ” जल्दी से पानी पीने को दे ” वो लूंगी पहन एक लोटा में पानी लाया फिर मैं कुल्ला की और चेहरा धोने के बाद पानी पी ली ” रघु ये बात किसी को मत बताना, कल तुम कंडोम की एक पैकेट खरीद लेना, फिर सब कुछ तुम्हें दे दूंगी ” और मैं अपने कपड़े पहनकर घर चली गई, दिन में खाना खाई फिर आराम की तो रात को किसी तरह उनको याद करते हुए नींद की आगोश में चली गई,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: रेणु की प्यासी जवानी - by neerathemall - 16-08-2022, 04:58 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)