16-08-2022, 03:25 PM
अगले दिन सुबह नाश्ता करके कॉलेज निकली ती भेया मुझे गेट तक छोड़ आए फिर अपनी सहेलियों राधा, कांता और लीला के साथ क्लास में बैठी तो आज मेरा मूड क्लास के एक लड़के नीलेश से बात करने की थी तो मैं लम्बा सा स्कर्ट साथ ही टॉप्स पहन रखी थी तो फूल साईज पेंटी पहन निचले अंग को ढक रखी थी और क्लास के दरम्यान दो तीन बार मैं नीलेश को तिरछी नजरो से देखी तो वो भी मुझे देख मुस्कुराया और आज लंच ब्रेक में ही उससे बात करने की इच्छा थी तो लंच होते ही मैं किसी बहाने सहेलियों से दूर हुई और सीधे कॉलेज की कैंटीन की ओर गई तो उधर ही नीलेश अपने दोस्तो के साथ लंच ब्रेक बिताता था, जिया कैंटीन के दरवाजे से ज्योंहि अंदर घुसी सामने नीलेश अपने दोस्तों के साथ बैठकर कॉफी पी रहा था और उसकी नजर मुझ पर ज्योंहि पड़ी मैं हाथ से इशारा कर उसे बुलाई फिर बाहर निकली तो पल भर बाद नीलेश मेरे पास आया ” बोलो जिया क्या बात है
( मैं दुखी होकर बोली ) मुझे घर छोड़ दोगे, पेट में काफी दर्द हो रहा है तो भैया काम पर गए हैं
( वो ) ठीक है तो तुम बाईक स्टैंड की ओर बढ़ो मैं तुरन्त आया ” फिर मैं बाईक स्टैंड की ओर चल पड़ी तो थोड़ी देर में नीलेश आया फिर बाईक स्टार्ट किया और मैं दोनों पैर एक ही ओर किए बैठ गई तो उसके कंधे पर हाथ रख चुकी थी लेकिन उससे थोड़ी दूरी बनाए बैठी थी तो कॉलेज परिसर से बाहर निकलते ही वो बोला ” तुम थोड़ा आगे होकर बैठो नहीं तो बाईक का संतुलन बिगड़ जाएगा ” मै थोड़ा आगे बढ़ी तो वो थोड़ा पीछे हो गया और मेरी दाहिनी चूची उसके पीठ से चिपक गई, ओह बदन में तो सिहरन हो रही है, मैं अब उसके पीठ से चूची रगड़ने लगी साथ ही अपने बाहें उसके कमर से थोड़ा उपर कर के बैठी रही तो नीलेश आराम से बाईक चला रहा था और फिर मै बोली ” नीलेश फिलहाल घर जाने का मन नहीं है
( वो बाईक सड़क किनारे रोक दिया ) ओह तो किधर जाना है पहले तय कर लो
( मै ) अभी घर जाऊंगी तो मॉम तरह तरह के सवाल करेंगी
( नीलेश ) ठीक है तो चलो दोनों पास के मार्केटिंग कंप्लेक्स में थोड़ा वक्त साथ बिताएंगे फिर घर छोड़ दूंगा ” और दोनों एक शॉपिंग मॉल चले आए और वहां एक रेस्तरां में बैठकर कोफी पीने लगे तो नीलेश मुझे बार बार घुर रहा था तो मेरे बदन के छाती पर उसकी निगाहें टिकी हुई थी और मैं ” क्या नीलेश ऐसे क्यों देख रहे हो
( वो ) तुम मुझे अच्छी लगती हो इसलिए ” और आज कुछ नहीं हुआ लेकिन दोनों एक दूसरे को अपना मोबाइल नम्बर दिए….
( मैं दुखी होकर बोली ) मुझे घर छोड़ दोगे, पेट में काफी दर्द हो रहा है तो भैया काम पर गए हैं
( वो ) ठीक है तो तुम बाईक स्टैंड की ओर बढ़ो मैं तुरन्त आया ” फिर मैं बाईक स्टैंड की ओर चल पड़ी तो थोड़ी देर में नीलेश आया फिर बाईक स्टार्ट किया और मैं दोनों पैर एक ही ओर किए बैठ गई तो उसके कंधे पर हाथ रख चुकी थी लेकिन उससे थोड़ी दूरी बनाए बैठी थी तो कॉलेज परिसर से बाहर निकलते ही वो बोला ” तुम थोड़ा आगे होकर बैठो नहीं तो बाईक का संतुलन बिगड़ जाएगा ” मै थोड़ा आगे बढ़ी तो वो थोड़ा पीछे हो गया और मेरी दाहिनी चूची उसके पीठ से चिपक गई, ओह बदन में तो सिहरन हो रही है, मैं अब उसके पीठ से चूची रगड़ने लगी साथ ही अपने बाहें उसके कमर से थोड़ा उपर कर के बैठी रही तो नीलेश आराम से बाईक चला रहा था और फिर मै बोली ” नीलेश फिलहाल घर जाने का मन नहीं है
( वो बाईक सड़क किनारे रोक दिया ) ओह तो किधर जाना है पहले तय कर लो
( मै ) अभी घर जाऊंगी तो मॉम तरह तरह के सवाल करेंगी
( नीलेश ) ठीक है तो चलो दोनों पास के मार्केटिंग कंप्लेक्स में थोड़ा वक्त साथ बिताएंगे फिर घर छोड़ दूंगा ” और दोनों एक शॉपिंग मॉल चले आए और वहां एक रेस्तरां में बैठकर कोफी पीने लगे तो नीलेश मुझे बार बार घुर रहा था तो मेरे बदन के छाती पर उसकी निगाहें टिकी हुई थी और मैं ” क्या नीलेश ऐसे क्यों देख रहे हो
( वो ) तुम मुझे अच्छी लगती हो इसलिए ” और आज कुछ नहीं हुआ लेकिन दोनों एक दूसरे को अपना मोबाइल नम्बर दिए….
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
