16-08-2022, 03:06 PM
मैं इसकी फिक्र नहीं करती की लोग जानेंगे तो क्या सोचेंगे आखिर नौकर हो या मालिक मैं तो बिस्तर पर उनके परफॉर्मेंस को देखती हूं और हरीश मेरे पैर से लेकर जांघो तक की मालिश तेल से कर दिया फिर वो मेरे कहने पर ही मुझे नंगा किया और फिर मैं उसके लन्ड चूसकर अपने मुंह की प्यास बुझाई तो वो मेरी बुर को चाटा साथ ही चूची को चूसकर मस्त हो गया। मैं फ्रेश होकर बेड पर आई तो हरीश नंगे बैठा हुआ था और उसका लम्बा, मोटा लन्ड देख सांसे थम सी गई, बुर तो आखिर लन्ड के हिसाब से एडजस्ट कर लेता है लेकिन उसका लन्ड ज्यादा ही मोटा लग रहा था और मैं बिस्तर पर लेटकर जांघें फैलाई ” देखो हरीश अपनी मर्दानगी दिखाने के चक्कर में जल्दी खल्लास मत हो जाना
( वो मेरे जांघो के बीच लन्ड पकड़े बैठा ) क्या मतलब दीपा
( मैं बोली ) आराम से करना ताकि तेरा औजार देर तक टिके और मुझे संतुष्टि मिले ” वो मुझे देख हंस दिया फिर लन्ड को बुर में घुसाने लगा, लन्ड बुर में घुस रहा था तो लग रहा था मानो कोई खंजर चुभ रहा है फिर भी मैं उसके लन्ड को बुर में बर्दास्त कर रही थी और अचानक से वो जोर का धक्का दे मारा तो मेरी बुर में असहनीय दर्द होने लगा और मैं चिन्ख पड़ी ” आह ओह फाड़ दिया निकाल ले मेरी बुर का कचूमर निकल गया ” लेकिन हरीश चोदने में लीन था और मुझे लग रहा था मानो मैं कच्ची कली हूं और आज़ ही बुर की सील तुड़वा रही हूं, हरिश का लन्ड बुर में पूरी तरह घुस भी नही रहा था और उसकी मोटाई के कारण मैं असहज महसूस कर रही थी। हरिश चोदता हुआ मेरे एक बूब्स पकड़े दबाने लगा और मैं ” आह उह इस उई जरा धीरे ” सिसकते रही लेकिन दो तीन मिनट तक चुदाई थी की बुर में लन्ड आराम से दौड़ने लगा और मैं अब एंजॉय करने लगी, उसको देख इशारे से तन पर लेटने बोली और वो मेरे ऊपर सवार हुए धकाधक चुदाई करने लगा तो मैं उसके गाल चूमते हुए मस्त थी, दो जिस्म का आपस में घर्षण मजेदार होता है तो हरीश का लन्ड मुझे मजा दे रहा था और मैं उसके कमर में हाथ लगाए गाल चूम ली फिर चूतड उछालना शुरू की तो वो मेरे ऊपर सवार हुए चोदने में मस्त था ” मैडम कब तक यहां रुकिएगा
( मैं चूतड उछाल उछाल कर चुदाने में लीन थी ) क्या मैडम मैडम लगा रखे हो, सप्ताह भर रूकने का प्लान है बाकी प्लान एक्सटेंड कर लूंगी अब उतरो ” मैं चूतड कुछ पल उछाली की बुर रसीली हो गई और मैं दुबारा रस छोड़कर थकान महसूस करने लगी, बेड पर से उठकर वाशरूम गई फिर फ्रेश होकर आई तो वो बेड पर बैठा था और मैं बोली ” उठो हरीश अब खड़े खड़े ” , मैं दीवार की ओर चेहरा की फिर दोनों हाथ दीवार पर रख घोड़ी की तरह हो गई।
दीपा अपने पैर के बल पर जांघो को फैलाकर खड़ी थी तो हरीश मेरे चूतड को सहलाने लगा और फिर झुककर चूतड चूमना शुरू किया तो मैं पीछे मुड़कर बोली ” अभी जल्दी में डाल दे फिर रात को आराम से करना
( वो मेरे जांघो के बीच लन्ड पकड़े बैठा ) क्या मतलब दीपा
( मैं बोली ) आराम से करना ताकि तेरा औजार देर तक टिके और मुझे संतुष्टि मिले ” वो मुझे देख हंस दिया फिर लन्ड को बुर में घुसाने लगा, लन्ड बुर में घुस रहा था तो लग रहा था मानो कोई खंजर चुभ रहा है फिर भी मैं उसके लन्ड को बुर में बर्दास्त कर रही थी और अचानक से वो जोर का धक्का दे मारा तो मेरी बुर में असहनीय दर्द होने लगा और मैं चिन्ख पड़ी ” आह ओह फाड़ दिया निकाल ले मेरी बुर का कचूमर निकल गया ” लेकिन हरीश चोदने में लीन था और मुझे लग रहा था मानो मैं कच्ची कली हूं और आज़ ही बुर की सील तुड़वा रही हूं, हरिश का लन्ड बुर में पूरी तरह घुस भी नही रहा था और उसकी मोटाई के कारण मैं असहज महसूस कर रही थी। हरिश चोदता हुआ मेरे एक बूब्स पकड़े दबाने लगा और मैं ” आह उह इस उई जरा धीरे ” सिसकते रही लेकिन दो तीन मिनट तक चुदाई थी की बुर में लन्ड आराम से दौड़ने लगा और मैं अब एंजॉय करने लगी, उसको देख इशारे से तन पर लेटने बोली और वो मेरे ऊपर सवार हुए धकाधक चुदाई करने लगा तो मैं उसके गाल चूमते हुए मस्त थी, दो जिस्म का आपस में घर्षण मजेदार होता है तो हरीश का लन्ड मुझे मजा दे रहा था और मैं उसके कमर में हाथ लगाए गाल चूम ली फिर चूतड उछालना शुरू की तो वो मेरे ऊपर सवार हुए चोदने में मस्त था ” मैडम कब तक यहां रुकिएगा
( मैं चूतड उछाल उछाल कर चुदाने में लीन थी ) क्या मैडम मैडम लगा रखे हो, सप्ताह भर रूकने का प्लान है बाकी प्लान एक्सटेंड कर लूंगी अब उतरो ” मैं चूतड कुछ पल उछाली की बुर रसीली हो गई और मैं दुबारा रस छोड़कर थकान महसूस करने लगी, बेड पर से उठकर वाशरूम गई फिर फ्रेश होकर आई तो वो बेड पर बैठा था और मैं बोली ” उठो हरीश अब खड़े खड़े ” , मैं दीवार की ओर चेहरा की फिर दोनों हाथ दीवार पर रख घोड़ी की तरह हो गई।
दीपा अपने पैर के बल पर जांघो को फैलाकर खड़ी थी तो हरीश मेरे चूतड को सहलाने लगा और फिर झुककर चूतड चूमना शुरू किया तो मैं पीछे मुड़कर बोली ” अभी जल्दी में डाल दे फिर रात को आराम से करना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.