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Incest पुरानी चाहत की चूत लॉकडाउन में चोदने मिली
#3
एक दिन मैं वैसे ही बैठा फेसबुक चला रहा था क्योंकि उस समय लॉकडाउन लगा हुआ था. काम तो कोई वैसे ही नहीं चल रहा था.
मैं घर पर बिल्कुल फ्री ही बैठा था.
तभी मुझे एक लड़की का मैसेज आया, जिसने पहले मुझसे मेरा नाम कंफर्म किया और बताया कि वह कैसे मुझसे लगभग 20 वर्ष पहले मिली थी.
उससे बातें करने पर मुझे याद आया कि वह सही बोल रही थी और हम किसी पारिवारिक समारोह में मिले थे क्योंकि वह हमारी किसी दूर की रिश्तेदार की ही बेटी थी.
चैट में ही उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर मांगा जो मैंने उसे दे दिया.
तभी उसने मेरे फोन पर कॉल की और हमारी बातें शुरू हो गईं.
बातों बातों में उसने मुझे बताया कि उसकी शादी के कुछ समय बाद ही उसका तलाक हो गया था और वह तब से लेकर अब तक अकेली ही रह रही है. अपने जीवन-यापन के लिए वो उसी शहर में एक प्राइवेट नौकरी कर रही है.
उस समय फोन काटने के बाद वह सारी यादें मेरे दिमाग में घूमने लग गईं कि वह एक खूबसूरत और चुलबुली लड़की थी जिसका नाम अंजलि  है.
उसे पहली नजर पर देखते ही मैं उस पर लट्टू हो गया था. मैं उसे शादी का प्रस्ताव देने की सोच ही रहा था कि उसने मुझे बताया कि उसकी मंगनी हो चुकी है.
लेकिन उससे मिलने की कसक मेरे दिल में दबी ही रह गई, जिसको पूरा करने के लिए ही भगवान ने शायद यह मौका दिया था.
अगले दिन सुबह लगभग 10:30 बजे उसका फिर से फोन आया.
इस बार उसने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की.
मैंने लॉकडाउन के बाद उससे मिलने का वायदा किया.
अब मुझे बेसब्री से लॉक डाउन के खुलने का इंतजार था.
और जैसे ही लॉकडाउन खुला, उसके अगले दिन ही मैं उससे उसके बताए हुए पते पर मिलने पहुंच गया.
उसको इतने सालों बाद देखने के बाद मैंने पाया कि उसकी खूबसूरती पर वक्त का बहुत कम असर नजर आ रहा था.
वो अभी उतनी ही हसीन और खूबसूरत नजर आ रही थी जितनी जवानी के दिनों में थी.
उसका वही कातिल फिगर जो लगभग 34-32-36 का उस वक्त था, उसने अभी भी मेंटेन करके रखा हुआ था.
मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए बातचीत का सिलसिला शुरू किया- अंजलि जी, आपको इतने वर्षों के बाद मिलने पर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है. आप अभी भी उतनी ही खूबसूरत और हॉट हैं, जितनी आज से 20-22 साल पहले हुआ करती थीं. परंतु आपको इस हाल में देखना भी अच्छा नहीं लग रहा.
अंजलि- पहले तो आप मुझे अंजलि जी कहना बंद कीजिए और दूसरी बात ये कि अब इन हालातों की मुझे आदत सी हो गई है. रही बात मेंटेन करने की, तो नौकरी के बाद खाली समय में करना ही क्या होता है … इसीलिए योगा और मेडिटेशन करती हूं, जिससे मैं अपने आपको फिट रखती हूं.
चाय पानी की औपचारिकता के बाद हमारी बातें आगे बढ़ना शुरू हुईं.
अंजलि के साथ हुई बातचीत को मैं अपनी और उसकी जुबानी लिख रहा हूं.
अंजलि- आप अपने परिवार के बारे में बताइए … कौन-कौन हैं आपके परिवार में?
मैं- मेरे परिवार में मैं, मेरी पत्नी और मेरे दो बच्चे हैं.
अंजलि- अब आप बताइए कि आपका और हमारा क्या रिश्ता है … क्योंकि यह तो मुझे तो यह पता है कि हम दूर के रिश्तेदार हैं. परंतु क्या रिश्ता है यह मुझे नहीं पता.
इससे पहले कि वह कोई और बात करती, मैं बोला- अंजलि जी, हमारा रिश्ता कोई भी हो, लेकिन भाई बहन वाला कोई रिश्ता नहीं है और आज से हम दोस्त हैं.
वह मेरी बात का मतलब तो समझ ही गई थी क्योंकि भगवान ने लड़कियों को सामने वाले की नजरों और बातों का मतलब पता करने की एक अलग सी शक्ति दे रखी है.
मेरी बात पर उसने हंस कर कहा- हां, मुझे भी लगता है कि हमारा रिश्ता भाई बहन वाला नहीं था. आगे भी मुझे पुराना रिश्ता कायम रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
मैंने कहा- दोस्ती का रिश्ता तो पुराना ही है!
वो बोली- हां वो तो है और आगे भी रहेगा.
फिर इस बात का सिलसिला शुरू हो गया कि मैंने उसे उस समय आगे क्यों नहीं दोस्त बनाया था.
मैंने कहा- यार, उस दिन मैं तुमसे कुछ कहने ही वाला था मगर उसी समय तुमने मुझे अपनी शादी की बात पक्की होने की बात कह दी थी और मैं चुप रह गया था.
ये सुनकर उसकी आंखों में आंसू से आ गए.
मैंने पूछा- आंसू क्यों?
उसने कहा- मैं नसीब को लेकर कुछ सोचने लगी थी कि जब नसीब में सुख नहीं लिखा होता है तब ऐसा ही होता है.
मैंने कहा- हां, ये बात तो सही है. तब भी एक बात कहना चाहूँगा कि हम किसी बात को जब शिद्दत से चाहने लगते हैं तो ये कायनात भी उस चाहत को पूरा करने के लिए मौके और अवसर बना देती है.
हम दोनों की इस तरह की बातों से एक बात साफ़ हो गई थी कि हम दोनों ही अपनी पुरानी चाहत को फिर से जिन्दा करने के लिए सोचने लगे थे.
उसने बातों बातों में मुझे यह भी बताया था कि वह लगभग अट्ठारह साल से अकेली रह रही है और उसके भी कुछ अरमान हैं. इसीलिए उसने यह सोच लिया कि अब वो भी अपनी दबी हुई हसरत को शायद पूरा करने की कोशिश करे.
हम दोनों की झिझक और शर्म की वजह से पहली मुलाकात में मैं सिर्फ उसका हाथ पकड़ सका और जाते हुए उसे गले लगा कर वापस निकल पड़ा क्योंकि इससे ज्यादा कुछ करने या कहने की हिम्मत नहीं बनी.
परंतु उसने मुझको दोबारा आने के लिए काफी आग्रह किया कि आप अब मेरे पास आते रहना.
चूंकि वह अपने घर में अकेली रहती थी, इसलिए वहां पर आना कोई खास दिक्कत का काम नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पुरानी चाहत की चूत लॉकडाउन में चोदने मिली - by neerathemall - 16-08-2022, 02:50 PM



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