16-08-2022, 02:36 PM
सिर्फ मना करने से बात खत्म नहीं हो जाती, घर वालों को मना करने का कारण भी बताना पड़ता था इसलिए मैं पहले ही कुछ ना कुछ सोच कर तैयार रहता.
उधर सारिका अपनी पढ़ाई में लगी थी और इधर मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देखने लगे थे.
दोस्तो, वो वक़्त मेरे लिए बहुत मुश्किल वक़्त था.
पहले मैं नौकरी के लिए भाग रहा था. काम मिल गया था और अभी काम करते हुए 15-20 दिन ही हुए थे कि मेरे घर वाले फिर से मुझ पर लड़की देखने का दबाव डालने लगे.
इधर मैं सारिका से भी नहीं मिल पा रहा था तो सारिका के ताने अलग मिल रहे थे.
मैंने सारिका को रिश्ते की बात बताई तो सारिका ने मुझे साफ साफ सभी रिश्तों को मना करने को बोल दिया.
मैं उससे भी शादी की बात करने को नहीं बोल सकता था क्योंकि उस वक़्त वो स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रही थी.
मेरे घर वाले हर तरह से मुझ पर शादी का दबाव बनाने लगे.
भैया गुस्सा करके, भाभी प्यार से और मम्मी भावनात्मक रूप से.
रात के खाने के समय हर रोज़ मेरी शादी के मुद्दे पर ही बहस होती और मुझे चुपचाप सब कुछ सुनना पड़ता.
कुछ भी करके मुझे अपनी शादी की बात दो साल तक टालना था.
पर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे करूं?
सारिका के बारे में घर वालों को मैं अभी बताना नहीं चाहता था क्योंकि सारिका दूसरी जाति की थी.
अगर घर वालों को सारिका के बारे में बता देता तो पता नहीं मेरे घर वाले क्या करते.
इसलिए मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था.
मैं दिमागी रूप से काफी परेशान हो गया था.
कई दिनों तक सोचने के बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया जो मेरे लिए थोड़ा अजीब और रिस्की तो था पर उसके सिवा मेरे पास और कोई विकल्प भी नहीं था.
मैं वो आईडिया आजमाने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहा था और जल्दी ही वो मौका मुझे मिल गया.
एक दिन मैं दोपहर में घर पर खाना खा रहा था और उस वक़्त घर पर सिर्फ मैं और भाभी ही थे.
मेरी भाभी से अच्छी जमती थी.
ऐसे ही बातों बातों में भाभी ने मेरी शादी की बात को छेड़ दिया और मुझसे पूछने लगीं- राजीव, सच सच बताओ, तुम हर रिश्ते के लिए मना क्यों कर रहे हो? कोई और लड़की पसंद है क्या? अगर कोई पसंद है तो बताओ, उसके घर वालों से बात की जाए.
मैं- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है.
भाभी- फिर क्यों हर रिश्ते को मना कर रहे हो?
मैं- सच कहूं भाभी? आप किसी से कहोगी तो नहीं ना?
मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला.
भाभी- नहीं, किसी से नहीं कहूंगी.
मैं- भैया से भी नहीं ना?
उधर सारिका अपनी पढ़ाई में लगी थी और इधर मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देखने लगे थे.
दोस्तो, वो वक़्त मेरे लिए बहुत मुश्किल वक़्त था.
पहले मैं नौकरी के लिए भाग रहा था. काम मिल गया था और अभी काम करते हुए 15-20 दिन ही हुए थे कि मेरे घर वाले फिर से मुझ पर लड़की देखने का दबाव डालने लगे.
इधर मैं सारिका से भी नहीं मिल पा रहा था तो सारिका के ताने अलग मिल रहे थे.
मैंने सारिका को रिश्ते की बात बताई तो सारिका ने मुझे साफ साफ सभी रिश्तों को मना करने को बोल दिया.
मैं उससे भी शादी की बात करने को नहीं बोल सकता था क्योंकि उस वक़्त वो स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) कर रही थी.
मेरे घर वाले हर तरह से मुझ पर शादी का दबाव बनाने लगे.
भैया गुस्सा करके, भाभी प्यार से और मम्मी भावनात्मक रूप से.
रात के खाने के समय हर रोज़ मेरी शादी के मुद्दे पर ही बहस होती और मुझे चुपचाप सब कुछ सुनना पड़ता.
कुछ भी करके मुझे अपनी शादी की बात दो साल तक टालना था.
पर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे करूं?
सारिका के बारे में घर वालों को मैं अभी बताना नहीं चाहता था क्योंकि सारिका दूसरी जाति की थी.
अगर घर वालों को सारिका के बारे में बता देता तो पता नहीं मेरे घर वाले क्या करते.
इसलिए मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था.
मैं दिमागी रूप से काफी परेशान हो गया था.
कई दिनों तक सोचने के बाद मेरे दिमाग में एक आईडिया आया जो मेरे लिए थोड़ा अजीब और रिस्की तो था पर उसके सिवा मेरे पास और कोई विकल्प भी नहीं था.
मैं वो आईडिया आजमाने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहा था और जल्दी ही वो मौका मुझे मिल गया.
एक दिन मैं दोपहर में घर पर खाना खा रहा था और उस वक़्त घर पर सिर्फ मैं और भाभी ही थे.
मेरी भाभी से अच्छी जमती थी.
ऐसे ही बातों बातों में भाभी ने मेरी शादी की बात को छेड़ दिया और मुझसे पूछने लगीं- राजीव, सच सच बताओ, तुम हर रिश्ते के लिए मना क्यों कर रहे हो? कोई और लड़की पसंद है क्या? अगर कोई पसंद है तो बताओ, उसके घर वालों से बात की जाए.
मैं- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है.
भाभी- फिर क्यों हर रिश्ते को मना कर रहे हो?
मैं- सच कहूं भाभी? आप किसी से कहोगी तो नहीं ना?
मैं थोड़ा गंभीर होते हुए बोला.
भाभी- नहीं, किसी से नहीं कहूंगी.
मैं- भैया से भी नहीं ना?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.