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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#25
अब सारिका अक्सर मुझे मेरा व्यवसाय छोड़ कर नौकरी करने को बोलती.
वो कहती कि इतना पढ़े लिखे होकर दुकान चला रहे हो, इससे अच्छा कोई नौकरी करो.
 
उसे लगता है कि व्यवसायी लोग तो पैसे बहुत कमाते हैं, पर उनकी उतनी इज़्ज़त नहीं होती, जितना एक नौकरी करने वाले की होती है.
 
मैं उसे समझाता कि आजकल लोग नौकरी छोड़ कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि नौकरी करने वाले इंसान को एक मशीन के जैसे काम करना पड़ता है. फिर आजकल नौकरी के लिए इतनी प्रतिस्पर्धा मची है कि पहले जिस काम के दस हजार मिलते थे, अब उसी काम को सात से आठ हजार में करना पड़ता है.
सरकारी नौकरी मिलने से रही और प्राइवेट नौकरी का हाल तो मालूम ही है.
 
पर सारिका को ये सब समझ नहीं आता, वो बस ये चाहती थी कि मैं दुकान छोड़कर कोई नौकरी करूं.
 
सारिका की खुशी के लिए मैंने नौकरी करने का निश्चय कर लिया.
सबसे पहले अपना बॉयोडाटा बनाया और कंपनियों के चक्कर काटने फिर लगा.
 
साथ ही साथ अपने सभी दोस्तों, जानपहचान वालों को भी बोल दिया कि मेरे लिए नौकरी तलाशने के लिए मदद करें.
 
नौकरी ढूंढते हुए मुझे करीब 15-20 दिन हो गए थे पर अभी तक मुझे कोई नौकरी मिल ही नहीं रही थी.
 
उसका सबसे बड़ा कारण मेरी उम्र थी, जो अब 27 साल की हो गयी थी. कोई भी कंपनी 27 साल के बंदे को नौसिखिया के तौर पर नहीं लेना चाहती थी.
 
फिर भी मैं लगा रहा.
 
दिन भर कंपनियों का चक्कर लगाता और रात को इंटरनेट के सहारे नई नई कंपनियों की वेबसाइट पर अपना बॉयोडाटा भेजता.
इसी बीच मैं जिस सर से कंप्यूटर सीखता था, उन्होंने मुझे एक प्राइवेट क्लासेस में पढ़ाने का प्रस्ताव दिया.
 
मैंने सर के प्रस्ताव के बारे में सारिका को बताया, सारिका को भी सर का प्रस्ताव मेरे लिए ठीक लगा क्योंकि सारिका के पापा भी घर घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे.
तो मैंने सर का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और जल्दी ही पढ़ाना शुरू भी कर दिया.
 
मुझे दोपहर के ढाई बजे से शाम के साढ़े सात बजे तक कंप्यूटर सीखना होता था.
 
मेरा पढ़ाने का काम अच्छा चलने लगा पर अब मेरा और सारिका का मिलना जुलना बहुत कम हो गया था क्योंकि सुबह उसका कॉलेज होता, दोपहर को और रात को 8 के बाद उसके पापा घर पर ही होते तो उसका निकलना मुश्किल होता.
 
दोपहर से शाम तक मैं बिजी होता और घर आते आते मुझे साढ़े आठ नौ बजे जाते.
 
दोस्तो, मूल रूप से मैं पूर्वोत्तर यू.पी. से हूँ और जो लोग यू.पी. से हैं, उन्हें बहुत अच्छी तरह पता है कि हमारे यहां लड़की 19-20 साल की और लड़का 22-23 साल का हुआ नहीं कि उनकी शादी कर देते हैं.
 
और मैं 27 का हो चुका था तो मेरे घर वालों ने भी मेरे लिए लड़की खोजना शुरू कर दिया था.
कुछ रिश्ते तो मैंने बिना लड़की देखे ही मना कर दिए और कुछ लड़की को देख कर.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:35 PM



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