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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#22
कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ को बुर के मध्य कड़क हो चुके भगनासे पर फिराना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक उंगली को बुर के छेद में घुसा दिया.
इससे सारिका चिहुंक सी गयी.
 
पर जैसे जैसे मेरी उंगलियों ने अन्दर बाहर करना शुरू किया, वैसे वैसे सारिका गर्म आहें भरने लगी.
 
इस प्रक्रिया को काफी टाइम हो चुका था, सारिका भी एकदम गर्म हो चुकी थी और मेरा भी खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था.
 
मैं नहीं चाहता था कि सारिका फोरप्ले के दौरान ही झड़ जाए, इसलिए मैं रुक गया और खड़ा हो गया.
 
मैंने सारिका को किस करते हुए बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके मम्मों को दबाने लगा.
 
थोड़ी देर बाद मैंने उसके पीठ के पीछे अपना हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को भी निकाल दिया.
मेरे सामने उसके रसीले मम्मे उछल कूद करने लगे थे.
मैंने उसके मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया.
 
इसी बीच अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मैंने बुर के दाने को भी रगड़ना शुरू कर दिया.
 
सारिका की हालत एकदम खराब हो चुकी थी. अब उसका खुद को रोकना मुश्किल हो गया था.
उसने एक हटके से मुझे खुद के ऊपर से हटा दिया और मेरे कपड़े उतारने लगी.
 
जल्दी ही मैं भी उसके सामने एकदम नंगा हो गया. हम दोनों के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था.
सारिका मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपने बुर में घुसाने लगी.
 
मैं उसे और तड़पाना चाहता था, इसलिए मैंने सारिका को पलट दिया और उसके ऊपर आ गया.
मैंने अपने लंड के सुपारे को बुर के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.
 
सारिका के मुँह से सिसकारियां और आहों की मीठी सीत्कार निकलने लगी.
यौन उत्तेजना की वजह से सारिका की बुर पानी छोड़ने लगी थी.
 
सारिका अपनी कमर उठाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेने की कोशिश करती तो मैं भी अपनी कमर उठाकर लंड और बुर के बीच की दूरी बढ़ा देता.
 
एक दो बार कोशिश करने के बाद जब सारिका सफल नहीं हुई तो खीज सी गयी.
मुझे भी देर करना ठीक नहीं लगा तो मैंने अपने होंठों से सारिका के होंठों को लॉक किया और धीरे धीरे लंड को सारिका की बुर में घुसाने लगा.
 
कल की एक बार की चुदाई और चिकनाई की वजह से आज मेरा लंड आसानी से बुर में प्रवेश कर गया.
उस दौरान सारिका के चेहरे पर हल्का दर्द झलक रहा था.
 
मेरा लंड चूत में पूरी तरह समा चुका था.
मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया.
 
थोड़ी देर बाद सारिका खुद ही अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.
मैं समझ गया कि सारिका का दर्द गायब हो गया है और अब सारिका क्या चाहती है.
 
मैंने भी अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया, पहले धीरे धीरे फिर स्पीड बढ़ा दिया.
सारिका की आहें भी धीरे धीरे बढ़ने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:31 PM



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