16-08-2022, 02:30 PM
मैंने उसको प्यार से समझाया कि ये सब मुझे बताने की जरूरत नहीं है, तुम्हारा कुँवारी होना या ना होना मेरे लिए जरूरी नहीं है. मेरे लिए बस इतना जरूरी है कि तुम मेरे साथ हो तो सिर्फ मेरी बन कर रहो और मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.
काफी देर तक हम उसी मुद्दे पर बात करते रहे और मैं उसको समझाता रहा.
तब जाकर वो सामान्य हुई.
उसके बाद मैंने सारिका को मिशनरी आसन में कर दिया और उसके ऊपर आकर अपने लंड को उसकी बुर में घुसा कर अपनी कमर चलाने लगा.
धीरे धीरे सारिका का भी दर्द गायब हो गया और वो अब कामुक सिसकारियां लेने लगी.
मैंने सही मौका देखकर एक और जोर का धक्का लगाया. मेरा पूरा लंड बुर में जड़ तक घुस चुका था.
इस प्रहार से सारिका की तो जैसे आंखें ही बाहर को आ गयी थीं.
जैसे ही वो चीखने को हुई, मैंने तुरंत ही उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया.
सारिका बस ‘गु … गु …’ करके रह गयी.
मैं धीरे धीरे फिर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
थोड़ी ही देर में सारिका अपने हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरी कमर की रफ्तार को बढ़ाने लगी.
गीली बुर और लंड में तेल लगे होने की वजह से चिकनाहट में कोई कमी नहीं थी.
इस वजह से मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर चलने लगा.
अभी कुछ पल ही बीता था कि मुझे लगा मेरा होने वाला है इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड निकाल लिया और भाग कर बाथरूम में घुस कर हस्तमैथुन करके अपना पानी निकाल दिया.
उस वक़्त मुझे लगा शायद अभी सारिका का स्खलन नहीं हुआ था, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.
उसके बाद हम तैयार होकर निकल गए.
घर पहुंच कर बातचीत के दौरान सारिका के बताया कि उसे उतना मज़ा नहीं आया, जितना हम वीडियोज़ में देखते थे.
इसलिए उसने अगले दिन फिर से लॉज में चलने को बोला और साथ ही साथ ये भी शर्त रख दी कि अब हम किसी दूसरे लॉज में जाएंगे.
जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया- अभी आज ही हम इस लॉज में जाकर आए हैं, अगर कल फिर गए तो लॉज वाले भी सोचेंगे कि कितनी ठरक चढ़ी है दोनों को.
उसकी बात मुझे भी ठीक लगी तो हमने किसी और लॉज में जाने का पक्का कर लिया.
इतने दिनों से लॉज में जाने की वजह से अब हम दोनों में किसी और लॉज में जाने में कोई झिझक नहीं थी.
अगले दिन हम फिर मिले और पहुंच गए एक नए लॉज में.
लॉज की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद हम फिर से एक कमरे में बंद हो गए.
नया लॉज था और नया कमरा भी तो एक बार चैक करना भी जरूरी था इसलिए मैंने फिर से पहली बार वाला ही तरीका अपनाया, कमरे की सारी लाइट्स ऑफ करके अपने मोबाइल के कैमरे से कमरे का हर एक कोना चैक किया.
पूरी तसल्ली होने के बाद जैसे ही मैं लाइट्स को ऑन किया, सारिका ने तुरंत ही अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए.
आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी लड़की!
जब मैं मज़ाक में बोला- क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में हो?
तो सारिका भी मुस्कुराती हुई बोली- आज पूरा मज़ा लेना है ना इसलिए.
काफी देर तक हम उसी मुद्दे पर बात करते रहे और मैं उसको समझाता रहा.
तब जाकर वो सामान्य हुई.
उसके बाद मैंने सारिका को मिशनरी आसन में कर दिया और उसके ऊपर आकर अपने लंड को उसकी बुर में घुसा कर अपनी कमर चलाने लगा.
धीरे धीरे सारिका का भी दर्द गायब हो गया और वो अब कामुक सिसकारियां लेने लगी.
मैंने सही मौका देखकर एक और जोर का धक्का लगाया. मेरा पूरा लंड बुर में जड़ तक घुस चुका था.
इस प्रहार से सारिका की तो जैसे आंखें ही बाहर को आ गयी थीं.
जैसे ही वो चीखने को हुई, मैंने तुरंत ही उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया.
सारिका बस ‘गु … गु …’ करके रह गयी.
मैं धीरे धीरे फिर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगा.
थोड़ी ही देर में सारिका अपने हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरी कमर की रफ्तार को बढ़ाने लगी.
गीली बुर और लंड में तेल लगे होने की वजह से चिकनाहट में कोई कमी नहीं थी.
इस वजह से मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर चलने लगा.
अभी कुछ पल ही बीता था कि मुझे लगा मेरा होने वाला है इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड निकाल लिया और भाग कर बाथरूम में घुस कर हस्तमैथुन करके अपना पानी निकाल दिया.
उस वक़्त मुझे लगा शायद अभी सारिका का स्खलन नहीं हुआ था, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.
उसके बाद हम तैयार होकर निकल गए.
घर पहुंच कर बातचीत के दौरान सारिका के बताया कि उसे उतना मज़ा नहीं आया, जितना हम वीडियोज़ में देखते थे.
इसलिए उसने अगले दिन फिर से लॉज में चलने को बोला और साथ ही साथ ये भी शर्त रख दी कि अब हम किसी दूसरे लॉज में जाएंगे.
जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया- अभी आज ही हम इस लॉज में जाकर आए हैं, अगर कल फिर गए तो लॉज वाले भी सोचेंगे कि कितनी ठरक चढ़ी है दोनों को.
उसकी बात मुझे भी ठीक लगी तो हमने किसी और लॉज में जाने का पक्का कर लिया.
इतने दिनों से लॉज में जाने की वजह से अब हम दोनों में किसी और लॉज में जाने में कोई झिझक नहीं थी.
अगले दिन हम फिर मिले और पहुंच गए एक नए लॉज में.
लॉज की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद हम फिर से एक कमरे में बंद हो गए.
नया लॉज था और नया कमरा भी तो एक बार चैक करना भी जरूरी था इसलिए मैंने फिर से पहली बार वाला ही तरीका अपनाया, कमरे की सारी लाइट्स ऑफ करके अपने मोबाइल के कैमरे से कमरे का हर एक कोना चैक किया.
पूरी तसल्ली होने के बाद जैसे ही मैं लाइट्स को ऑन किया, सारिका ने तुरंत ही अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए.
आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी लड़की!
जब मैं मज़ाक में बोला- क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही जल्दी में हो?
तो सारिका भी मुस्कुराती हुई बोली- आज पूरा मज़ा लेना है ना इसलिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.