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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#18
उंगली को चला कर मैंने तेल को अन्दर तक पहुंचा दिया. सारिका लगातर आहें भरती रही.
उसके बाद मैंने सारिका का योनिभेदन करने के लिए अपने लंड का सुपारा छेद पर लगा दिया.

सारिका ‘शी शी ई …’ करती रही.
वो मुझसे कहने लगी- बेबी, अगर ज्यादा दर्द हुआ, तो रुक जाना प्लीज.
मैं- सच में असली मज़ा लेना है, तो थोड़ा तो दर्द सहना ही पड़ेगा. अगर तुम्हें डर लग रहा है, तो फिर रहने देते हैं.

सारिका ने मेरी ओर सर घुमाकर देखा और बोली- ठीक है करो.

कुछ देर तक मैं चूतकी दरार में अपने लंड को ऊपर नीचे करता रहा. साथ ही साथ दूसरे हाथ से मैं सारिका के चूचों को भी मसलता रहा.

सारिका सांस रोके मेरे झटके का इंतजार कर रही थी पर मैंने झटका ना देकर धीरे धीरे लंड पर दबाव डालना शुरू किया.

बुर और लंड दोनों पर तेल लगे होने की वजह से लंड का सुपारा गप्प करके घुस गया.
सुपारा अन्दर घुसते ही सारिका के मुँह से दर्द भरी आह निकल गई और उसने अपनी कमर उचका ली.

सारिका की कमर उचकाने की वजह से सुपारा बाहर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:27 PM



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