16-08-2022, 02:26 PM
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मैंने एक दो बार कोशिश भी की कि अपनी जीभ को बुर की दरार की गहराई में पहुंचा दूँ, पर मैं सफल नहीं हो पाया.
सारिका भी उस आसन में सहज महसूस नहीं कर पा रही थी तो उसने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को उठाकर मेरे कंधे पर रख दिया और अपना एक हाथ मेरे बालों में फिराने लगी.
मेरे कंधे पर पैर रखते ही सारिका की बुर की दरार खुल सी गयी और मैंने बुर के निचले हिस्से में अपनी जीभ को नुकीला बना कर घुसेड़ दिया.
मैं उसकी बुर को चाटने और चूसते हुए और अन्दर तक जीभ को घुसाने लगा.
कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद मैं अपनी जीभ को बुर की दरार में ऊपर नीचे घुमाने लगा.
सारिका से यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वो एक लंबी आह के साथ लड़खड़ा गयी.
जैसे ही सारिका ने खुद को संभाला, मैं फिर से शुरू हो गया.
बीच बीच में मैं बुर को अपने पूरे मुँह में भी भरने की कोशिश करता या फिर चूत के होंठों को अपने होंठों से खींच लेता.
काफी देर तक मैं बैठे बैठे ही मैं सारिका की बुर का रसपान करता रहा.
सारिका भी मज़े लेकर मेरा साथ दे रही थी.
मैं सारिका को गर्म तो करना चाहता था … पर उतना नहीं कि वो स्खलित हो जाए.
इसलिए जब मुझे लगा कि सारिका का स्खलन निकट आ गया है, तब मैं रुक गया और उठ खड़ा हुआ.
सारिका मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- बेबी, थोड़ी देर और करते, अच्छा लग रहा था मुझे!
मैं- हां बेबी, अभी और करूंगा पर उससे पहले जो हम डिसाइड करके आए हैं, वो कर लें!
सारिका थोड़ा निराश होते हुए बोली- ह्म्म्म … ठीक है. पर कैसे करेंगे?
उसका पूछने का मतलब था कि किस आसन में.
मैं- जैसे तुम बोलो.
सारिका- जैसे तुम्हें ठीक लगे.
मैं- ठीक है, डॉगी स्टाइल में करते हैं.
सारिका- ह्म्म्म.
हमने जो भी पहली चुदाई के वीडियोज़ देखे थे, उन सब में हमें डॉगी स्टाइल वाला पसंद आया था तो हमने भी वैसे ही करने का सोच लिया था.
मैंने ये स्टाइल इसलिए भी चुना कि अगर लंड घुसाने के वक़्त सारिका आगे सरकने की कोशिश करेगी, तो मैं उसको कमर से पकड़ कर आगे नहीं जाने दूंगा.
मेरे कहते ही सारिका बेड पर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
उसके बाद मैंने अपनी पैंट की जेब में रखी तेल की शीशी को निकाला और अपनी उंगलियों पर उड़ेल लिया, फिर उसको सारिका की चूतके छेद और आसपास लगा दिया.
काफी सारा तेल मैंने अपने लंड पर लगा लिया.
मैंने सारिका की टांगों को घुटनों से और चौड़ी कर दीं और उसकी चूतके छेद में अपनी बीच वाली बड़ी उंगली डाली.
मैंने एक दो बार कोशिश भी की कि अपनी जीभ को बुर की दरार की गहराई में पहुंचा दूँ, पर मैं सफल नहीं हो पाया.
सारिका भी उस आसन में सहज महसूस नहीं कर पा रही थी तो उसने दीवार का सहारा लेकर अपनी एक टांग को उठाकर मेरे कंधे पर रख दिया और अपना एक हाथ मेरे बालों में फिराने लगी.
मेरे कंधे पर पैर रखते ही सारिका की बुर की दरार खुल सी गयी और मैंने बुर के निचले हिस्से में अपनी जीभ को नुकीला बना कर घुसेड़ दिया.
मैं उसकी बुर को चाटने और चूसते हुए और अन्दर तक जीभ को घुसाने लगा.
कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद मैं अपनी जीभ को बुर की दरार में ऊपर नीचे घुमाने लगा.
सारिका से यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वो एक लंबी आह के साथ लड़खड़ा गयी.
जैसे ही सारिका ने खुद को संभाला, मैं फिर से शुरू हो गया.
बीच बीच में मैं बुर को अपने पूरे मुँह में भी भरने की कोशिश करता या फिर चूत के होंठों को अपने होंठों से खींच लेता.
काफी देर तक मैं बैठे बैठे ही मैं सारिका की बुर का रसपान करता रहा.
सारिका भी मज़े लेकर मेरा साथ दे रही थी.
मैं सारिका को गर्म तो करना चाहता था … पर उतना नहीं कि वो स्खलित हो जाए.
इसलिए जब मुझे लगा कि सारिका का स्खलन निकट आ गया है, तब मैं रुक गया और उठ खड़ा हुआ.
सारिका मेरी तरफ देखते हुए कहने लगी- बेबी, थोड़ी देर और करते, अच्छा लग रहा था मुझे!
मैं- हां बेबी, अभी और करूंगा पर उससे पहले जो हम डिसाइड करके आए हैं, वो कर लें!
सारिका थोड़ा निराश होते हुए बोली- ह्म्म्म … ठीक है. पर कैसे करेंगे?
उसका पूछने का मतलब था कि किस आसन में.
मैं- जैसे तुम बोलो.
सारिका- जैसे तुम्हें ठीक लगे.
मैं- ठीक है, डॉगी स्टाइल में करते हैं.
सारिका- ह्म्म्म.
हमने जो भी पहली चुदाई के वीडियोज़ देखे थे, उन सब में हमें डॉगी स्टाइल वाला पसंद आया था तो हमने भी वैसे ही करने का सोच लिया था.
मैंने ये स्टाइल इसलिए भी चुना कि अगर लंड घुसाने के वक़्त सारिका आगे सरकने की कोशिश करेगी, तो मैं उसको कमर से पकड़ कर आगे नहीं जाने दूंगा.
मेरे कहते ही सारिका बेड पर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
उसके बाद मैंने अपनी पैंट की जेब में रखी तेल की शीशी को निकाला और अपनी उंगलियों पर उड़ेल लिया, फिर उसको सारिका की चूतके छेद और आसपास लगा दिया.
काफी सारा तेल मैंने अपने लंड पर लगा लिया.
मैंने सारिका की टांगों को घुटनों से और चौड़ी कर दीं और उसकी चूतके छेद में अपनी बीच वाली बड़ी उंगली डाली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.