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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#16
मेरा पहला प्रयास विफल गया और मेरा लंड सरक कर ऊपर निकल गया.
मैंने फिर से बुर के छेद पर लंड टिका कर जोर लगाया तो लंड का सुपारा सारिका की बुर में घुस गया.
 
सुपारा घुसते ही सारिका छटपटाने लगी और उसने मुझे धक्का देकर हटा दिया.
 
उस वक़्त सेक्स के बारे में मुझे भी ज्यादा कुछ मालूम नहीं था.
हां मैंने इससे पहले एक भाभी के साथ एक बार सेक्स किया था और ये बात मैंने सारिका को भी बता दिया था.
पर पहली बार किसी कुंवारी लड़की के साथ सेक्स कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता था.
 
उसके बाद मैं सारिका को मनाता रहा, पर सारिका दूसरी बार ट्राय करने को नहीं मानी.
थक हार कर मैं भी चुप हो गया और हम दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर वहां से निकल गए.
 
उस विफल प्रयास के बाद मुझे अहसास हो गया कि मैंने पिछली बार जल्दबाजी कर दी थी और अब मैं आगे मिलने वाले मौके को छोड़ना नहीं चाहता था.
इसलिए मैंने इंटरनेट से पहली बार चुदाई के कई वीडियोज डाउनलोड किए और उन्हें ध्यान से देखा, कई बार देखा.
 
उनमें से कुछ वीडियोज़ मैंने सारिका को भी दिखाए और साथ में भी देखे.
 
अब सारिका भी एक और बार ट्राय करने को तैयार थी, पर पहली बार में होने वाले दर्द का डर अभी भी उसे डरा रहा था और वो तो होने वाले दर्द का छोटा सा हिस्सा महसूस भी कर चुकी थी.
 
मैंने उसे भरोसा दिलाया कि अगर उसे ज्यादा दर्द हुआ तो मैं आगे नहीं करूंगा.
 
पर मन ही मन मैं जानता था कि अगर इस बार भी मैं विफल रहा तो शायद सारिका कभी सेक्स के लिए तैयार नहीं होगी.
इसलिए इस बार मैंने सारिका के साथ थोड़ा निर्दयी बनने का फैसला कर लिया था.
 
मुझे अच्छी तरह याद है, उस दिन 12 अगस्त था. हम दोनों अपनी फिक्स जगह यानि उसी लॉज में पहुंच गए और एक दूसरे में व्यस्त हो गए.
 
हर बार की तरह इस बार भी मैंने सारिका के एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए और खुद का भी अंडरवियर छोड़ कर सारे कपड़े निकाल दिए.
 
हम दोनों एक दूसरे के शरीर के ऊपरी हर हिस्से को चूमने लगे. मेरी देसी GF सेक्स के लिए तैयार थी.
 
आज का दिन मेरे लिए बहुत अहम था, आज मुझे हर हाल में सारिका का योनिभेदन करना ही था इसलिए आज सारिका को पूरी तरह गर्म भी करना जरूरी था.
 
कुछ देर तक उसके ऊपरी हिस्से को चूमने के बाद मैं अपने घुटने पर बैठ गया और उसकी नाभि के आसपास का हिस्सा चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगा.
जैसे ही मैंने उसकी बुर के भगनासे को अपने जीभ से छुआ, सारिका ने सिसकारी लेते हुए मेरे सर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा दिया.
 
खड़े खड़े ही सारिका अपनी टांगें जितना खोल सकती थी, उसने उतना खोल कर मेरी जीभ और चेहरे के लिए जगह बना दी.
मैंने अभी तक कई आसनों में सारिका के बुर की चटाई और चुसाई की थी, पर ये स्टैंडिंग आसन आज मैं पहली बार आज़मा रहा था.
 
इस आसन में मेरी जीभ चूत के भगनासे तक तो आराम से पहुंच रही थी, पर योनि की दरार में ज्यादा अन्दर नहीं जा पा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:25 PM



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