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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#15
उस दिन के बाद हम अक्सर लॉज में जाने लगे और सब कुछ भूल कर एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे.
 
धीरे धीरे सारिका की झिझक कम होती गयी.
अब उसे मेरे सामने कपड़े निकालने में कोई झिझक नहीं होती थी.
 
हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों लॉज में या मेरे घर पर मिल लेते.
 
इस दौरान उसके चूचों के साथ ही साथ मैं उसकी योनि का भी रसपान कर लेता था, पर अभी तक हमारे बीच बात सहवास तक नहीं पहुंची थी और ना ही मैंने एक भी बार सारिका को अपना लंड चूसने के लिए बोला था.
 
मैंने कई बार उसे सहवास के लिए मनाने की कोशिश भी की, पर हर बार सारिका साफ साफ मना कर देती.
मैं भी उस पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहता था इसलिए चुप हो जाता.
 
अब हमें बस लॉज या होटल में जाने के लिए एक बहाने की जरूरत होती और जैसे ही हमें मौका या बहाना मिलता, हम पहुंच जाते.
उधर बातचीत के दौरान भी हमारी बातों में सेक्स एक अहम टॉपिक होता, हम खुल कर एक दूसरे से सेक्स की बातें करते.
 
इस दौरान हमारे रिश्ते की एनीवर्सरी, सारिका का बर्थडे और फिर से मेरा बर्थडे भी आया.
हम हर मौके पर लॉज में जाते और 2-3 घंटे यादगार टाइम बिता कर वापस आ जाते.
 
मेरी स्नातक की पढ़ाई की दौरान मेरा भी दोस्तों का एक समूह था, जिसमें कुछ लड़कियां भी थीं.
 
सारिका के साथ रिश्ते में आने के बाद के दूसरे बर्थडे पर मैंने सबको सारिका से मिलाने के लिए एक छोटे से रेस्टोरेंट में पार्टी दी.
 
समय की कमी के कारण सारिका जल्दी निकल गयी.
 
सारिका के जाने के बाद मेरे कुछ दोस्तों ने झिझकते हुए बताया कि उन्हें सारिका मेरे लायक नहीं लगी.
 
मैंने सबकी बातें सुनी, पर ना तो मैंने उन्हें कुछ बोला और ना ही सारिका को कुछ बताया.
मुझे सारिका पसंद थी तो दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है या क्या कहती है इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता.
 
हमारे रिश्ते को करीब डेढ़ साल होने वाला था, पिछले साल मेरे बर्थडे से लॉज या होटल में जाने का सिलसिला अभी भी जारी था.
 
सेक्स की आग तो दोनों तरफ लगी थी.
हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे पर सारिका प्रेग्नेंट होने की वजह से डर रही थी या फिर शायद उसे अभी तक मुझ पर भरोसा नहीं हुआ था.
 
मैंने भी सेक्स के लिए उस पर कभी दबाव नहीं डाला पर चूमाचाटी या बुर की चटाई या चुसाई के दौरान मैं उसे सेक्स के लिए एक बार पूछ जरूर लेता था.
 
मेरे बर्थडे के यही कोई 10-12 दिन बाद हम वैसे ही लॉज में गए थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ चूमाचाटी में लगे थे.
इसी दौरान जब योनि चटाई और चुसाई के समय मैंने सारिका को सेक्स के लिए पूछा, तो उसने हां कह दिया.
 
शायद वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी या उसे भी अब मुझ पर पूरा भरोसा हो गया था या फिर उसे भी अब सेक्स का मज़ा लेना था.
 
उसके हां कहते ही मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और मिशनरी आसन में ही उसकी बुर के छेद पर लंड टिका कर हल्के से धक्का लगा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:25 PM



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