16-08-2022, 02:24 PM
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मैंने सारिका के हाथ हटाने की कोशिश की तो सारिका ने और मजबूती के साथ अपना हाथ जमा लिया.
एक दो बार कोशिश करने पर जब सारिका ने अपना हाथ हटाने नहीं दिया तो मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और उसे चूमने लगा.
मैं चूमते चूमते नीचे की तरफ जाने लगा.
अभी तक सारिका सिर्फ नीचे से ही नंगी थी, उसके टॉप ने अभी भी उसके उरोज़ों को ढक कर रखा था और मेरा एक भी कपड़ा नहीं निकला था.
जैसे ही मैं सारिका की नाभि तक पहुंचा, सारिका ने फिर से अपने हाथ बुर पर रख दिए.
मैंने अपनी जीभ को नुकीला बनाकर उसकी नाभि में घुसा दिया. इससे हुई गुदगुदी के मारे सारिका उछल पड़ी और उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर हटा दिया.
जैसे ही सारिका फिर से अपना हाथ योनि पर रखने गयी, मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसकी बुर के भगनासे के ठीक ऊपर बालों वाले हिस्से को चूम लिया.
सारिका एकदम सी कांप गयी और ढीली पड़ गयी.
अब मैं इत्मीनान से उसके पैरों के पास बैठ गया और उसकी सलवार को पैंटी सहित निकाल कर बगल में रख दिया.
मेरे सामने सारिका का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के खुल गया था. सारिका ने शर्मवश अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ कर एक दूसरे से चिपका लिया.
मैं एक बार फिर उसके बगल से होते हुए उसके चेहरे के पास गया और उसके होंठों को चूमने लगा.
चूमने के बाद जैसे ही मैं नीचे जाने लगा, सारिका ने मुझे पकड़ लिया और विनती करते हुए कहने लगी- बेबी प्लीज, बस करो. इससे आगे नहीं.
मैं- डरो मत बेबी, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो तुम नहीं चाहती, मुझ पर भरोसा रखो.
मेरी बातें सुनकर सारिका ने खुद को ढीला छोड़ दिया.
मैं एक बार फिर से उसके पैरों के पास जाकर बैठ गया और उसकी दोनों जांघों को अलग कर दिया.
उफ्फ … एक लड़की के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा, छोटे छोटे रेशमी बाल और उनके बीच में एक लम्बी दरार के ऊपरी हिस्से में बिल्कुल अनछुई हल्की सी उभरी हुई मदनमणि.
मैंने झुक कर अपने होंठों के एक स्पर्श से उसका अभिनन्दन किया.
किसी भी बुर पर मेरी जिंदगी का ये पहला चुम्बन था.
पहले तो बुर की महक और स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा, पर जल्दी ही वो महक और स्वाद मेरा पसंदीदा बन गया.
मेरे चुम्बन से सारिका उछल सी पड़ी. एक तेज आवाज़ उसके कंठ से निकलकर उसके मुख से बाहर आई- आह्ह्ह … बेबी … उम्म् …
मैंने अपनी जीभ से उसकी दरार को चीरते हुए नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे कई बार चाटा.
घुटनों से मुड़े पैरों के बीच में मेरा मुँह और मेरी जीभ अपना काम कर रही थी और उसकी बुर से लगातार बहता काम रस का झरना मुझे मजा देने लगा था.
पहले यौवन का रस और मैं उसको चाटता और पीता हुआ मदांध होता जा रहा था.
सारिका अपना सर तकिए से ऊपर करके मुझे और मेरी हरकतों को देख रही थी.
अभी उसकी योनि को चाटते हुए कुछ ही पल बीता था कि इतने में सारिका ने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी बुर पर दबाने लगी.
मैंने सारिका के हाथ हटाने की कोशिश की तो सारिका ने और मजबूती के साथ अपना हाथ जमा लिया.
एक दो बार कोशिश करने पर जब सारिका ने अपना हाथ हटाने नहीं दिया तो मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और उसे चूमने लगा.
मैं चूमते चूमते नीचे की तरफ जाने लगा.
अभी तक सारिका सिर्फ नीचे से ही नंगी थी, उसके टॉप ने अभी भी उसके उरोज़ों को ढक कर रखा था और मेरा एक भी कपड़ा नहीं निकला था.
जैसे ही मैं सारिका की नाभि तक पहुंचा, सारिका ने फिर से अपने हाथ बुर पर रख दिए.
मैंने अपनी जीभ को नुकीला बनाकर उसकी नाभि में घुसा दिया. इससे हुई गुदगुदी के मारे सारिका उछल पड़ी और उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर हटा दिया.
जैसे ही सारिका फिर से अपना हाथ योनि पर रखने गयी, मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसकी बुर के भगनासे के ठीक ऊपर बालों वाले हिस्से को चूम लिया.
सारिका एकदम सी कांप गयी और ढीली पड़ गयी.
अब मैं इत्मीनान से उसके पैरों के पास बैठ गया और उसकी सलवार को पैंटी सहित निकाल कर बगल में रख दिया.
मेरे सामने सारिका का निचला हिस्सा बिना कपड़ों के खुल गया था. सारिका ने शर्मवश अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ कर एक दूसरे से चिपका लिया.
मैं एक बार फिर उसके बगल से होते हुए उसके चेहरे के पास गया और उसके होंठों को चूमने लगा.
चूमने के बाद जैसे ही मैं नीचे जाने लगा, सारिका ने मुझे पकड़ लिया और विनती करते हुए कहने लगी- बेबी प्लीज, बस करो. इससे आगे नहीं.
मैं- डरो मत बेबी, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो तुम नहीं चाहती, मुझ पर भरोसा रखो.
मेरी बातें सुनकर सारिका ने खुद को ढीला छोड़ दिया.
मैं एक बार फिर से उसके पैरों के पास जाकर बैठ गया और उसकी दोनों जांघों को अलग कर दिया.
उफ्फ … एक लड़की के जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा, छोटे छोटे रेशमी बाल और उनके बीच में एक लम्बी दरार के ऊपरी हिस्से में बिल्कुल अनछुई हल्की सी उभरी हुई मदनमणि.
मैंने झुक कर अपने होंठों के एक स्पर्श से उसका अभिनन्दन किया.
किसी भी बुर पर मेरी जिंदगी का ये पहला चुम्बन था.
पहले तो बुर की महक और स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा, पर जल्दी ही वो महक और स्वाद मेरा पसंदीदा बन गया.
मेरे चुम्बन से सारिका उछल सी पड़ी. एक तेज आवाज़ उसके कंठ से निकलकर उसके मुख से बाहर आई- आह्ह्ह … बेबी … उम्म् …
मैंने अपनी जीभ से उसकी दरार को चीरते हुए नीचे से ऊपर और फिर ऊपर से नीचे कई बार चाटा.
घुटनों से मुड़े पैरों के बीच में मेरा मुँह और मेरी जीभ अपना काम कर रही थी और उसकी बुर से लगातार बहता काम रस का झरना मुझे मजा देने लगा था.
पहले यौवन का रस और मैं उसको चाटता और पीता हुआ मदांध होता जा रहा था.
सारिका अपना सर तकिए से ऊपर करके मुझे और मेरी हरकतों को देख रही थी.
अभी उसकी योनि को चाटते हुए कुछ ही पल बीता था कि इतने में सारिका ने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी बुर पर दबाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.