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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#9
मैंने अपने दोस्तों से उन लॉज और होटल का पता ले लिया जो उनके हिसाब से सुरक्षित थे.
 
पर मैंने सारिका को लेकर जाने से पहले एक बार खुद जाकर पता लगाने का सोचा और इस काम के लिए अपने एक दोस्त को साथ में चलने के लिए मना लिया.
 
अपने बर्थडे के ठीक दो दिन पहले मैं अपने दोस्त के साथ लॉज के बारे में इन्क्वायरी करने के लिए निकल गया.
 
कुछ लॉज में जाकर इन्क्वायरी भी की और घर लौट आया.
घर पहुंचते ही सबसे पहले मैंने सारी बातें सारिका को बता दीं.
 
सारिका भी मुझ पर आंख बंद करके भरोसा करती थी, मेरी पूरी बात सुनने के बाद सारिका बस इतना ही बोली- तुम अपने साथ मुझे चाहे जहां भी लेकर चलो, मैं बिना किसी झिझक और बिना कोई सवाल किए तुम्हारे साथ चलूंगी.
 
उसकी ऐसी बातें सुनकर तो एक बार मन में आया कि सारिका को किसी ऐसी जगह पर चलने को मना ही कर देता हूं.
पर उसकी इच्छा भी पूरी करने का फर्ज भी मेरा ही था.
 
फिर हम दोनों ने मिल कर फैसला लिया कि हम लॉज में जाएंगे और अगर हमारे साथ कुछ गलत हुआ तो हम साथ में झेल भी लेंगे.
 
मेरा बर्थडे जुलाई महीने में था और उस समय सारिका का कॉलेज भी शुरू हो चुका था.
हमने निश्चय किया कि हम दोनों उसके कॉलेज के टाइम ही जाएंगे और कॉलेज छूटने तक घर आ जाएंगे ताकि उसके घर वालों को किसी भी प्रकार का शक न हो.
 
मेरे बर्थडे के ठीक एक दिन पहले शाम को ही सारिका ने केक लेकर अपनी एक सहेली के घर पर रख दिया और मैंने भी लॉज में फ़ोन करके लॉज का टाइमिंग, रेट वगैरह भी पूछ लिया.
 
तय समय और जगह पर हम मिले और निकल पड़े लॉज के लिए, लॉज की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद हम एक कमरे में बंद हो गए या यूं कहें कि हमने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया.
 
दरवाजा बंद करते ही मैंने सबसे पहले कमरे की सारी लाइट्स को ऑफ किया फिर अपने मोबाइल के कैमरे से पूरे कमरे की तलाशी ली कि कहीं कोई हिडेन कैमरा तो लगा नहीं है.
पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने लाइट्स ऑन कर दीं और सारिका को बता दिया.
 
मेरी तरफ से हरा सिग्नल मिलते ही सारिका मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बर्थडे विश किया.
 
फिर उसने मेरे पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी.
इससे अच्छा बर्थडे गिफ्ट और क्या हो सकता था मेरे लिए.
 
मेरी जिंदगी का सबसे अहम लड़की इस वक़्त मेरे साथ थी और हम ऐसी जगह पर थे, जहां अब हमें कोई टेन्शन भी नहीं थी.
 
कुछ देर तक चूमाचाटी के बाद हमने साथ में मेरे बर्थडे का केक काटा और एक दूसरे को अपने होंठों से खिलाया.
 
केक काटने और खाने खिलाने के बाद एक बार फिर से चूमाचाटी का दौर शुरू हो गया.
इस बार चूमाचाटी के साथ ही साथ मैं सारिका के चूचों से भी खेल रहा था.
 
अभी सारिका मेरे नीचे और मैं सारिका के ऊपर था.
सारिका भी आंखें बंद करके उस पल का आनन्द ले रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:20 PM



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