16-08-2022, 02:19 PM
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सारिका तो मेरे घर में आ गयी थी पर अभी भी मेरा दिल धक धक कर रहा था.
और मैं जानता था कि वही हाल सारिका का भी था.
सारिका को रिलैक्स करने के लिए मैंने उसे एक पीने के लिए गिलास पानी दिया.
उसने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास मुझे पकड़ा दिया और बाकी बचा पानी मैं पी गया.
पानी पीने के बाद भी मेरी हालत वैसी ही थी, इसलिए मैं बेड पर बैठ कर खुद को रिलैक्स करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को अपने सामने देखकर खुश भी थे और थोड़े टेंशन में भी.
अभी मैं बेड पर ही था, इतने में सारिका मेरे पास आई और उसने मुझसे लिपटते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैंने भी अपनी जान के होंठों का रस लेना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद सारिका मुझे बेड पर लिटाते हुए मेरे ऊपर ही लेट गयी.
अब हम दोनों दुनिया के बारे में सोचना छोड़ कर अपने में मस्त हो गए.
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से अलग होना ही नहीं चाहते थे.
सारिका अभी भी मेरे ऊपर थी और मेरे होंठों को लगातार चूम रही थी.
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था.
कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आ गया.
हम दोनों की कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर और कमर के नीचे का हिस्सा हवा में और पैर जमीन पर ही थे.
मैं भी लगातार सारिका को चूमे जा रहा था और सारिका भी मेरा साथ दे रही थी.
कभी गर्दन, तो कभी गाल तो कभी होंठ … मैंने उसके चेहरे के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ा, हर जगह को जी भरके चूमा और चाटा.
चुम्माचाटी का दौर करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा.
कभी सारिका मेरे ऊपर तो कभी मैं सारिका के ऊपर.
इसी बीच जब मैं सारिका के ऊपर था और उसे चूम रहा था.
तभी सारिका ने मेरा साथ देना रोक दिया.
मैं अभी भी सारिका की आंखों में ही देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि सारिका ने ऐसा क्यों किया?
मैंने अपनी भौंहों को ऊपर करके इशारे में पूछा- क्या हुआ?
मेरे सवाल के जवाब में सारिका ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.
उसका इशारा समझ कर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा.
कुछ देर तक हल्के हल्के से दूध सहलाने के बाद मैंने उसके एक मम्मे को अपनी पूरी मुट्ठी में भरकर थोड़ा जोर से दबा दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गयी.
मेरी समझ में ही नहीं आया कि मेरी इस हरकत पर उसे दर्द हुआ या मज़ा आया.
सारिका तो मेरे घर में आ गयी थी पर अभी भी मेरा दिल धक धक कर रहा था.
और मैं जानता था कि वही हाल सारिका का भी था.
सारिका को रिलैक्स करने के लिए मैंने उसे एक पीने के लिए गिलास पानी दिया.
उसने थोड़ा सा पानी पीकर गिलास मुझे पकड़ा दिया और बाकी बचा पानी मैं पी गया.
पानी पीने के बाद भी मेरी हालत वैसी ही थी, इसलिए मैं बेड पर बैठ कर खुद को रिलैक्स करने लगा.
हम दोनों एक दूसरे को अपने सामने देखकर खुश भी थे और थोड़े टेंशन में भी.
अभी मैं बेड पर ही था, इतने में सारिका मेरे पास आई और उसने मुझसे लिपटते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.
मैंने भी अपनी जान के होंठों का रस लेना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद सारिका मुझे बेड पर लिटाते हुए मेरे ऊपर ही लेट गयी.
अब हम दोनों दुनिया के बारे में सोचना छोड़ कर अपने में मस्त हो गए.
हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से अलग होना ही नहीं चाहते थे.
सारिका अभी भी मेरे ऊपर थी और मेरे होंठों को लगातार चूम रही थी.
मैं भी उसका भरपूर साथ दे रहा था.
कुछ देर तक वैसे ही रहने के बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आ गया.
हम दोनों की कमर के ऊपर का हिस्सा बेड पर और कमर के नीचे का हिस्सा हवा में और पैर जमीन पर ही थे.
मैं भी लगातार सारिका को चूमे जा रहा था और सारिका भी मेरा साथ दे रही थी.
कभी गर्दन, तो कभी गाल तो कभी होंठ … मैंने उसके चेहरे के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ा, हर जगह को जी भरके चूमा और चाटा.
चुम्माचाटी का दौर करीब 15-20 मिनट तक चलता रहा.
कभी सारिका मेरे ऊपर तो कभी मैं सारिका के ऊपर.
इसी बीच जब मैं सारिका के ऊपर था और उसे चूम रहा था.
तभी सारिका ने मेरा साथ देना रोक दिया.
मैं अभी भी सारिका की आंखों में ही देख रहा था और समझने की कोशिश कर रहा था कि सारिका ने ऐसा क्यों किया?
मैंने अपनी भौंहों को ऊपर करके इशारे में पूछा- क्या हुआ?
मेरे सवाल के जवाब में सारिका ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर लीं.
उसका इशारा समझ कर मैं उसके मम्मों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा.
कुछ देर तक हल्के हल्के से दूध सहलाने के बाद मैंने उसके एक मम्मे को अपनी पूरी मुट्ठी में भरकर थोड़ा जोर से दबा दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गयी.
मेरी समझ में ही नहीं आया कि मेरी इस हरकत पर उसे दर्द हुआ या मज़ा आया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.