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Adultery प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी
#5
आप समझ सकते हैं कि आग कितनी तेजी से फ़ैल गई थी. मुझे उससे प्यार हो गया.
 
इसी दौरान मैंने उसे प्रपोज़ किया और उसने मेरा प्रपोजल स्वीकार भी कर लिया.
अब हम दोनों एक प्रेमी जोड़ा बन गए थे.
हमारी घंटों बातें होने लगी थीं.
 
नए नए प्यार का नशा क्या होता है, ये तो आप सबको पता ही होगा.
मेरा भी वही हाल था.
 
अब मेरा मन दुकान या पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता, दिन भर बस सारिका के बारे में सोचना या उसके कॉल का इंतजार करना, यही मेरा काम रह गया था.
 
पहले सामान्य सा रहने वाला राजीव अब सजने संवरने लगा था.
ऐसा लगने लगा था, जैसे इससे खूबसूरत जिंदगी हो ही नहीं सकती.
 
जिस दिन मैंने सारिका को प्रोपोज़ किया था, ठीक 10 दिन बाद सारिका का बर्थडे था.
तो मैंने एक अच्छी सी टाइटन ब्रांड की घड़ी उसको गिफ्ट की थी.
 
अभी तक हमारे बीच बस मिलना, प्यारी प्यारी बातें करना, एक दूसरे की परवाह करना, यही सब चल रहा था.
एक दिन सारिका ने मुझे वर्सोवा बीच पर मिलने को बुलाया, मैं भी मस्त तैयार होकर उससे मिलने चला गया.
 
हम दोनों काफी देर तक बीच पर बैठ कर बातें करते रहे.
इसी बीच सारिका ने मौका देखकर अपने होंठ मेरे होंठों से छुआ कर हटा लिए और हंसने लगी.
 
मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि सारिका ने ये जानबूझ कर किया या गलती से हो गया.
उसका हंसना मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था, मैंने भी मौका देखकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
 
सारिका को इससे कोई आपत्ति नहीं थी तो मैंने भी अपने होंठ सारिका के होंठों से हटाने में कोई जल्दबाजी नहीं की.
 
रिलेशनशिप में आने के करीब डेढ़ दो महीने बाद ये पहला मौका था जब मैंने या यूं कहूँ कि हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया.
 
उसके बाद हमें जब भी किस करने का मौका मिलता, हम शुरू हो जाते.
पर उससे आगे बढ़ने की मैंने कभी कोशिश ही नहीं की क्योंकि हम रोज़ रोज़ तो मिलते नहीं थे.
जब 2-3 दिन में मौका मिलता, हम तभी मिलते थे.
 
पर फ़ोन पर बातचीत के दौरान सारिका जिस तरह मेरा ख्याल रखती थी या जैसे मेरी परवाह करती थी, मैं कोई भी ऐसी वैसी हरकत करके उसे खोना नहीं चाहता था.
 
इसी तरह हमारा रिश्ता अच्छे से चल रहा था.
हम दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे.
 
यहां मैं आप सभी पाठकों को बताना चाहूंगा कि मेरे यहां दो घर हैं. एक घर दुकान से लगकर है .. और दूसरा दुकान से तीन किलोमीटर दूर है.
मैं दिन भर दुकान पर और रात को घर पर रहता था.
छुट्टी के दिन मैं कभी कभी दोपहर में भी घर पर आराम करने चला जाया करता था.
 
एक दिन दोपहर में मैं अपने घर पर अकेला था और हम दोनों व्हाट्सएप पर बातें कर रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: प्यार और वासना की मेरी अधूरी कहानी - by neerathemall - 16-08-2022, 02:18 PM



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