16-08-2022, 02:17 PM
उसकी खूबसूरती और सादगी के बारे में क्या कहूँ, बिना किसी खास मेकअप के भी वो किसी परी से कम नहीं थी.
उसे देखा और प्यार हो गया.
जब किसी बात पर वो हंसती थी, तब तो वो और भी खूबसूरत लगने लगती.
पिछले आधे घंटे में सर और उसके बीच में क्या बातें हुईं, ये तो मैं नहीं सुन सका क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उस खूबसूरत परी को जी भरके देखने में ही लगा था.
जब वो जाने के लिए खड़ी हुई, तब मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि आज ही इसको जी भरके देख लेता हूं, पता नहीं आज के बाद ये हसीना फिर कभी मिले या ना मिले.
इसलिए मैंने अपना ध्यान कंप्यूटर से हटा कर उस खूबसूरत लड़की को देखने में लगा दिया.
जाते जाते वो सर से कल इसी समय आने को बोलकर चली गयी.
ये सुन कर दिल को तसल्ली हुई कि चलो कल भी इस खूबसूरत हसीना का दीदार करने का मौका मिलेगा.
उसके जाने के बाद मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था, बस दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था कि कल कैसे इस लड़की से बात की जाए?
मैं अपने घर पर भी आया, तो भी उसी के बारे में सोचता रहा और उससे बात करने का, पता नहीं क्या क्या प्लान बनाता रहा.
अगले दिन सुबह से ही मेरा ध्यान बार बार घड़ी पर ही जा रहा था, दिमाग में बस यही चल रहा था कि कितनी जल्दी ढाई बजे का समय हो … और मुझे उस हसीना का फिर से दीदार करने का मौका मिले.
जैसे तैसे सुबह से दोपहर हुई और मैं अपने लेक्चर के टाइम से 10-15 मिनट पहले ही क्लास में पहुंच गया.
पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई, पर वो नहीं दिखी.
सर अभी दूसरे बैच का लेक्चर लेने में बिजी थे.
कोई कंप्यूटर भी खाली नहीं था जिस पर मैं प्रैक्टिस करके टाइम बिता सकूं.
इसलिए मैं वहीं एक खाली पड़े केबिन में बैठकर उसके आने का और अपना बैच शुरू होने का इंतजार करने लगा.
आप सबको तो पता ही है कि इंतजार के पल कितने मुश्किल होते हैं.
मेरे लिए वो 15 मिनट बिताना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था.
मेरी प्यासी निगाहें कभी घड़ी पर, तो कभी क्लास के मेन गेट पर ही टिकी थीं.
ऐसा लग रहा था, जैसे समय रुक सा गया है.
बड़ी मुश्किल से समय बीता और मेरा लेक्चर शुरू होने वाला हो गया था, पर अभी तक वो नहीं आई थी.
कुछ देर इधर उधर करने के बाद मैं बुझे मन से जाकर अपने केबिन में बैठ गया और कंप्यूटर पर टाइमपास करने लगा.
थोड़ी ही देर में सर भी आ गए और मुझे सिखाना शुरू कर दिया.
मेरा ध्यान अभी भी बार बार दरवाजे पर ही जा रहा था.
सर भी समझ गए कि आज मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.
सर मुझे टोकते हुए कहने लगे- क्या हुआ राजीव, बार बार दरवाजे की ओर क्या देख रहे हो? सारिका का इंतजार कर रहे हो क्या?
उसे देखा और प्यार हो गया.
जब किसी बात पर वो हंसती थी, तब तो वो और भी खूबसूरत लगने लगती.
पिछले आधे घंटे में सर और उसके बीच में क्या बातें हुईं, ये तो मैं नहीं सुन सका क्योंकि मेरा पूरा ध्यान उस खूबसूरत परी को जी भरके देखने में ही लगा था.
जब वो जाने के लिए खड़ी हुई, तब मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि आज ही इसको जी भरके देख लेता हूं, पता नहीं आज के बाद ये हसीना फिर कभी मिले या ना मिले.
इसलिए मैंने अपना ध्यान कंप्यूटर से हटा कर उस खूबसूरत लड़की को देखने में लगा दिया.
जाते जाते वो सर से कल इसी समय आने को बोलकर चली गयी.
ये सुन कर दिल को तसल्ली हुई कि चलो कल भी इस खूबसूरत हसीना का दीदार करने का मौका मिलेगा.
उसके जाने के बाद मेरा मन पढ़ाई में लग ही नहीं रहा था, बस दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था कि कल कैसे इस लड़की से बात की जाए?
मैं अपने घर पर भी आया, तो भी उसी के बारे में सोचता रहा और उससे बात करने का, पता नहीं क्या क्या प्लान बनाता रहा.
अगले दिन सुबह से ही मेरा ध्यान बार बार घड़ी पर ही जा रहा था, दिमाग में बस यही चल रहा था कि कितनी जल्दी ढाई बजे का समय हो … और मुझे उस हसीना का फिर से दीदार करने का मौका मिले.
जैसे तैसे सुबह से दोपहर हुई और मैं अपने लेक्चर के टाइम से 10-15 मिनट पहले ही क्लास में पहुंच गया.
पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई, पर वो नहीं दिखी.
सर अभी दूसरे बैच का लेक्चर लेने में बिजी थे.
कोई कंप्यूटर भी खाली नहीं था जिस पर मैं प्रैक्टिस करके टाइम बिता सकूं.
इसलिए मैं वहीं एक खाली पड़े केबिन में बैठकर उसके आने का और अपना बैच शुरू होने का इंतजार करने लगा.
आप सबको तो पता ही है कि इंतजार के पल कितने मुश्किल होते हैं.
मेरे लिए वो 15 मिनट बिताना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था.
मेरी प्यासी निगाहें कभी घड़ी पर, तो कभी क्लास के मेन गेट पर ही टिकी थीं.
ऐसा लग रहा था, जैसे समय रुक सा गया है.
बड़ी मुश्किल से समय बीता और मेरा लेक्चर शुरू होने वाला हो गया था, पर अभी तक वो नहीं आई थी.
कुछ देर इधर उधर करने के बाद मैं बुझे मन से जाकर अपने केबिन में बैठ गया और कंप्यूटर पर टाइमपास करने लगा.
थोड़ी ही देर में सर भी आ गए और मुझे सिखाना शुरू कर दिया.
मेरा ध्यान अभी भी बार बार दरवाजे पर ही जा रहा था.
सर भी समझ गए कि आज मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.
सर मुझे टोकते हुए कहने लगे- क्या हुआ राजीव, बार बार दरवाजे की ओर क्या देख रहे हो? सारिका का इंतजार कर रहे हो क्या?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.