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लंड की लालसा
#3
शुरू में हम सब ने हल्का चाय नाश्ता लिया।

वहाँ भाभी के काफी दोस्त इकट्ठे थे.
पर मुझे थोड़ा अजीब ये लग रहा था कि भाभी कुणाल के साथ ज्यादा समय बिता रही थी और इस वजह से अजय मेरे साथ ज्यादा था।
हम दोनों चाय नाश्ते के बाद सोफ़ों पे बैठ कर ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे।
उसने मुझे बताया कि वो दिल्ली में 1 रेस्तरां चलाता है, घर में कौन कौन है वगैरा वगैरा।
मैंने भी उसे अपने बारे में थोड़ा बहुत बता दिया था।
ऐसा पहली बार ही था कि मैं एक अंजान से लड़के के साथ थी और कोई रोकने टोकने वाला नहीं था.
इसलिए मैं भी भाभी को छोड़ उसके साथ गप्पे मार रही थी।
बाद में बारात आयी और शादी की कुछ रस्में हुई।
सभी बहुत खुश थे और रात भी हो चली थी।
इधर अजय अब भी मेरे साथ ही था और भाभी अपने दोस्तों में!
फिलहाल तो मुझे भाभी की कमी भी नहीं खल रही थी क्योंकि अजय मेरे साथ बहुत अच्छे से पेश आ रहा था. और वो रह रह कर मेरी तारीफ भी कर रहा था, इसलिए मैं और खुश हो रही थी।
मेरे घर से फोन आया तो मैंने बताया- हाँ हम शादी में हैं और खूब मजे कर रही हैं।
फिर मैं फोन काट के अजय के पास आयी तो वो भी किसी से फोन पे बात कर रहा था।
वो कह रहा था- तुम टेंशन मत लो, मैं ध्यान रखूँगा.
और फिर फोन काट दिया।
मैंने पूछा- किसका ध्यान रखने की बात हो रही है?
उसके मुंह से एकदम से निकला- तुम्हारा।
मैं एकदम से चौंक गयी और बोली- मतलब?
फिर अजय बोला- अरे कुछ नहीं … घर वालों का फोन था, वो बोल रहे थे कि रात में गाड़ी ध्यान से चलाना।
मैंने कहा- ओह, अच्छा अच्छा!
बीच बीच में मैं और अजय छुटपुट मज़ाक भी कर रहे थे.
इतना अच्छा समय बीता मेरा कि मैं बहुत खुश थी।
मैंने अजय से बोला- मेरे लिये कुछ खाने को ले आओ. वहाँ काउंटर पे भीड़ है काफी।
तो वो कुछ खाने को लेने चला गया.
और मैं उसका इंतज़ार करते हुए फोन में लग गयी।
पर मेरे फोन में बैटरी कम हो गयी तो मैंने सोचा कि चलो फोन चार्जिंग पे लगा देती हूँ.
इसलिए मैं लड़कियों के कमरे की तरफ बढ़ गयी क्योंकि हमारा सामान वहीं पे रखा था और चार्जर वहीं पे था।
मैं वहाँ कमरे में पहुंची तो वहाँ कोई नहीं था क्योंकि सब लोग नीचे शादी में खाने का मजा ले रहे थे।
मैंने बैग से चार्जर निकाल के अपना फोन लगा दिया।
तभी मेरा ध्यान कुछ अजीब आवाजों पे गया जो बाथरूम से आ रही थी,
जैसे किसी की सांस चढ़ रही हो।
मैं उधर जाने लगी, पर इतने में ही बाथरूम से भाभी मुसकुराते हुए बहार आ गयी पर उनके कपड़े और बाल बिखरे हुए से थे।
मैंने पूछा- भाभी, आप यहाँ क्या कर रही हो?
भाभी ने थोड़ी हड़बड़ाहट में बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और बोली- कुछ नहीं कुछ काम से आई थी. तू यहाँ क्या कर रही है?
मैंने बोला- अरे, मेरे फोन की बैटरी डाउन हो गयी तो चार्जिंग पे लगाने आई थी।
भाभी ने बोला- मेरी ब्लाउज़ की डोरी बांध दियो.
तो मैंने बांध दी और ये पूछने को हुई कि ये खोली क्यूँ?
पर तभी मेरा फोन बज गया.
अजय का फोन था, वो बोला- कहाँ हो नेहा जी, मैं आपके लिए खाने को चाट पापड़ी लाया हूँ, जल्दी आओ।
मैंने भाभी को बोला- भाभी मेरा फोन देखना, मैं नीचे जा रही हूँ।
फिर मैं नीचे आ गयी और चाट खाने में लग गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लंड की लालसा - by neerathemall - 16-08-2022, 02:07 PM



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