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Incest फुफेरे भाई के साथ
#8
कुछ देर तक ऐसे ही हम एक दूसरे को देखते रहे.

मैंने कहा- प्लीज ऐसे मत देखो ना, मुझे शर्म आती है.
विपिन बोला- तो आप भी तो मत देखो न, मुझे भी शर्म आती है.

पर ना चाहते हुए भी हम दोनों बार बार एक दूसरे को ही देख रहे थे.
अब तक मुझे समझ आ चुका था कि आज कुछ कांड होने जा रहा है.

फिर हम दोनों ही वहां पड़ी चारपाई पर थोड़ा सा दूर दूर बैठ गए.

काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे और एक दूसरे को देख देख कर हल्के हल्के उत्तेजित होते रहे.

फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं खुद ही उसकी तरफ धीरे धीरे खिसकने लगी और वो मेरी तरफ.

अब हम दोनों काफी नजदीक बैठे थे.
मैं ऊपर उसकी आंखों में देख रही थी और वो मेरी आंखों में.

तभी मेरा हाथ अपने आप उसकी छाती और बाजुओं पर फिरने लगा, मानो मेरा शरीर मेरे बस में नहीं था और अपने आप चल रहा था.

धीरे धीरे मैं थोड़ा सा उचक कर उसके होंठों के पास अपने होंठ ले गयी.
एक पल के लिए मैंने उसकी आंखों में देखा और बस अगले ही पल हमारे होंठ मिल गए.

हम दोनों की आंखें बंद हो गईं.
इस वक़्त हम दोनों दुनिया की फिक्र से दूर, एक दूसरे के होंठों को किस कर रहे थे

बिना कुछ बोले, बिना कुछ सोचे समझे. हम बस एक दूसरे के होंठों को हल्के हल्के दबा कर छू रहे थे.
फिर मैंने आंखें खोलीं और हल्के हल्के मुस्कुराते हुए नीचे हो गयी.
उधर विपिन भी मुस्कुरा रहा था. हमारे बीच रिश्तेदारी की दीवार गिर चुकी थी.

विपिन बोला- दीदी …
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- स्श्ह …

बस तुरंत अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर जोर से दबाए और जोर जोर से चूमने लगी.

अब विपिन भी जोर जोर से मेरे होंठों को अन्दर बाहर करते हुए चूस रहा था और हम ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे में खोये हुए किस करते रहे.

आखिर जब किस करके मन भर गया, तब हम अलग हुए.
मेरे अन्दर हवस की आग लगी हुई थी और उधर विपिन का लंड भी पूरा खड़ा ही चुका था.

विपिन मुझे देख कर एक बार मुस्कुराया और बस मुझे जोर से धकेल कर दीवार से सटा दिया.
अब वो ऊपर नीचे हो होकर जबरदस्ती मेरे होंठों को किस करने लगा.

मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी और कमरे का माहौल और गर्माता जा रहा था.
करीब दो मिनट तक वो ऐसे ही मुझे दबाए जोर जोर से चूमता रहा.

वो बीच बीच में बोलता रहा- आह … आहह … दीदी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ … उमम्ह … पुच्छह … पुच्छ … आपको पता नहीं, मैंने इस पल का कितना इंतज़ार किया है … मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि एक दिन मैं आपके इतने करीब आ जाऊंगा.
वो किसी प्यासे की तरह मेरे होंठों को जोर जोर से चूस चूस कर अपनी प्यास बुझाता रहा. इधर उसका जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ रहा था और उसका लंड मेरे चूत को रगड़ रगड़ कर मेरी प्यास बढ़ा रहा था.

जब उसका मेरे होंठों को चूस कर पूरा मन भर गया, तो वो एक पल को रुका.
हमने एक दूसरे की आंखों में देखा और फिर से एक दूसरे के चेहरे को, गर्दन को, कंधों को किस करते हुए आगे बढ़ने लगे.

अब तो कोई शंका ही नहीं थी कि आगे क्या होना है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: फुफेरे भाई के साथ - by neerathemall - 16-08-2022, 02:00 PM



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