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Incest फुफेरे भाई के साथ
#7
मैंने बोला- नहीं है बाबा, यहां सिर्फ शर्ट थी.
विपिन एकदम से बोला- अरे सॉरी दीदी … वो तो पापा शायद घर ले गए होंगे धुलवाने के लिए!

मैंने थोड़ा गुस्से में कहा- ये क्या मज़ाक है … अब मैं यहां क्या पहनूं?
विपिन बोला- कोई बात नहीं, आप थोड़ी देर ऐसे ही अन्दर कुंडी लगा कर बैठो … एक घंटे में कपड़े सूख जाएंगे, तब पहन कर बाहर आ जाना.

उस वक़्त मैं मजबूर थी क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था.
मैं उस कमरे के अन्दर एक चारपाई पर सिर्फ शर्ट में बैठी हुई थी.

कुछ देर बाद लाइट चली गयी तो कमरे में अंधेरा हो गया.
मैं थोड़ा घबरा सी गयी तो मैंने विपिन को आवाज लगाई.

उसने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं यहीं बाहर हूँ, अभी आ जाएगी लाइट.
लगभग 5 मिनट बाद लाइट भी आ गयी.

मैंने विपिन को बता दिया कि लाइट आ गयी है.
उसने कहा- ट्यूबवेल चला दो, अपने आप नहीं चलेगा.

मैंने कहा- मुझे चलाना नहीं आता.
उसने कहा- अरे जो मैं बता रहा हूँ, वो बटन दबा दो.

मैंने कहा- मुझे नहीं पता, यहां इतने सारे तार हैं, मुझे बिजली से डर लगता है.

विपिन बोला- ठीक है, मैं चला देता हूँ … आप गेट खोलो.
मैं बोली- अरे ऐसे कैसे गेट खोल दूं, मेरे कपड़े दो.

उसने बोला- कपड़े तो अभी बिल्कुल गीले हैं. आप ऐसा करो गेट के पीछे छुप जाओ, मैं नहीं देखूंगा और मोटर भी चला दूंगा.
मैंने कहा- अरे लाओ गीले कपड़े ही पहन लूंगी, कोई बात नहीं.

विपिन बोला- आप डरो मत, एक मिनट भी नहीं लगेगा और काम हो जाएगा.
मैंने सोचा कि थोड़ी सी देर की बात ही है, खोल देती हूँ गेट.
मैंने कहा- ठीक है.

पर देखा कि गेट के पीछे का हैंडल टूटा हुआ था.

मैंने कहा- मैं क्या पकड़ कर खोलूं, गेट का हैंडल तो टूटा हुआ है, कुछ पकड़ने को है ही नहीं.
उसने कहा- अरे हां वो हैंडल लगवाना था, कोई बात नहीं, आप कुंडी खोल दो. मैं बाहर से धक्का लगा कर खोल दूंगा.

मैं गेट की आड़ में खड़ी हो गयी और कुंडी खोल दी. विपिन ने अभी भी अपने सारे कपड़े उतार रखे थे. वो सिर्फ कच्छे में अन्दर आ गया.
अन्दर आ कर उसने कहा- गेट पकड़ कर रखना वरना हवा से बंद हो जाएगा.

मैं पीछे छुपे-छुपे ही गेट पकड़ लिया और विपिन मोटर चलाने लगा.
मैंने अपनी शर्ट को नीचे सरकाने के लिए जैसे ही हाथ से पकड़ा मेरे हाथ से गेट छूट गया और धड़ाम से बंद हो गया.

विपिन भागा भागा आया और गेट पकड़ने की कोशिश की, पर तब तक वो फंस गया था.
विपिन बोला- ये क्या किया दीदी, अब फंस गया ना गेट.

एक पल के लिए हम दोनों भूल गए कि हम दोनों ही आधे नंगे है.
फिर थोड़ी देर बाद सब सामान्य हुआ तो विपिन ने बोला- कोई बात नहीं, आप चारपाई पर बैठो. मैं कुछ जुगाड़ करके गेट खोलता हूँ.

पर ऐसे माहौल में ध्यान तो भटकता ही है.
मैं विपिन के आधे नंगे शरीर को देख रही थी और वो मेरी नंगी टांगों को.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: फुफेरे भाई के साथ - by neerathemall - 16-08-2022, 02:00 PM



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