16-08-2022, 01:59 PM
मेरी कोई कठोर प्रतिक्रिया ना होने से विपिन के अरमानों को तो जैसे हवा मिल गयी.
अब तो वो जब-तब मेरी फोटो खींचने लगा.
मैंने भी कोई ज्यादा विरोध नहीं किया; उल्टा मैं ही उसे छेड़ देती, कभी आंख मार देती, कभी हाथ भींच देती.
मैंने सोचा कि लगता है इस बार यहां कुछ एक्शन होने वाला है.
ये मैंने महसूस किया है दोस्तो … कि हम सभी के साथ कभी न कभी ऐसा होता है कि जो कुछ भी होने वाला होगा, तो हमें पहले ही उसका आभास सा हो जाता है.
मैंने भी फैसला किया कि जो होगा देखा जाएगा.
अब तो मैं भी हर छोटे-छोटे काम के लिए विपिन को ही बुलाने लगी. कभी हम बाजार जाते, कभी खेतों में, कभी कभी ऐसे ही घूमने निकल जाते.
इधर विपिन भी बाइक पर जाते हुए जानबूझ कर बाइक के ब्रेक जोर से लगा देता था ताकि मेरे बूब्स उसकी कमर से रगड़ जाएं.
कभी कभी मैं जानबूझ कर इस तरीके से छेड़ देती थी कि उसकी पैंट में हरकत हो जाए.
शुरू में तो मैं ये सब बस उसे छेड़ने के कर रही थी पर धीरे धीरे मुझे इस सब में मजा आने लगा था.
हो सकता है आप में से कुछ पाठकों ये सब गलत लगे, पर आप सबमें से कुछ लोगो के साथ तो ऐसा जरूर हुआ होगा कि अपनी रिश्तेदारी में ही किसी पर दिल आ गया होगा … या कम से कम अच्छा तो लगने लगा होगा.
खैर … आप वो सब छोड़ कर सिर्फ कहानी का लुत्फ लीजिये.
धीरे धीरे हमारे बीच और नजदीकियां आती चली गईं, पर घरवाले और बाकी लोग इस सबसे अंजान थे.
एक दिन रात को सब सोने की तैयारी कर रहे थे पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
तो मैंने टाइमपास करने के लिए अपने लैपटाप पर एक फिल्म लगा ली और इयरफोन लगा कर फिल्म देखने लगी.
एक एक करके ज़्यादातर लोग सो गए.
फिर थोड़ी देर में विपिन मेरे पास घुटनों के बल चलता हुआ आया और बोला- दीदी, मुझे भी दिखा दो फिल्म! मुझे नींद नहीं आ रही है.
मैंने कहा- ठीक है आ जा.
और वो मेरी चादर में ही आ गया.
मैंने एक इयरफोन उसके कान में लगा दिया और एक अपने कान में.
अब हम दोनों फिल्म देखने लगे.
फिल्म के बीच बीच में मेरे और उसके पैर आपस में छुए जा रहे थे पर मैं इस बात से अंजान थी क्योंकि मेरा ज्यादा ध्यान फिल्म में था.
हालांकि विपिन को मेरे चिकने पैरों से पैर छू जाने से हल्की हल्की उत्तेजना होती जा रही थी. पर फिर भी वो फिल्म देखने में लगा हुआ था.
कुछ देर बाद विपिन बोला- दीदी, क्या मैं आपका हाथ पकड़ सकता हूँ.
मैं फिल्म में इतनी व्यस्त थी कि मैंने बिना कुछ पूछे उसके हाथ में अपना हाथ दे दिया.
हम दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था और चादर के अन्दर किया हुआ था.
तभी अचानक से फिल्म में एक चुंबन का दृश्य आ गया और उसी के ठीक बाद सेक्स सीन भी, तो हम दोनों एकदम से जाम हो गए.
मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गयी और विपिन भी थोड़ा असहज सा हो कर ठीक से बैठ गया.
कुछ पल तो हम दोनों ही सीन को बुत बने देखते रहे.
फिर मैंने फिल्म रोकी और बोली- मैं पानी पीकर आती हूँ.
मैं उसके ऊपर को होती हुई घुटनों के बल वहां से बाहर निकल गयी और रसोई में पानी पीने चली गयी.
मेरे पीछे-पीछे विपिन भी आ गया.
मेरे दिमाग में अब भी फिल्म का सीन ही चल रहा था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
विपिन भी मेरे पास आकर पानी पीने लगा.
और जैसे ही उसने पानी पीना खत्म किया, पता नहीं मुझे क्या जुनून सा आया, मैंने एकदम से उसको बांहों में भर लिया और जोर से उसके होंठों पर किस कर दिया.
किस के बाद कुछ पलों के लिए इसी अवस्था में खड़ी रही.
वो भी मुझे चूमे जा रहा था.
शायद हम दोनों ही उस वक़्त कुछ नहीं सोच रहे थे, बस जवानी के आग में एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे और हमारी आंखें बंद थीं.
कुछ ही पलों में मुझे होश आया कि मैं ये क्या कर रही हूँ और तुरंत हट गयी.
इसके बाद मैंने उससे सॉरी कहा और नीचे देख कर शर्मिंदा सी होकर वहां से निकल कर अपनी चादर में आ गयी.
कुछ देर में विपिन भी आ गया.
मैंने अब फिल्म देखना बंद कर दिया और लैपटाप बंद करके चादर में मुँह देकर सोने की कोशिश करने लगी.
मैं काफी कन्फ्यूज थी, शर्म आ रही थी और सोच रही थी कि ये मैंने क्या कर दिया. मैं विपिन को कैसे चूम सकती हूँ. वो मेरी बुआ का लड़का है, एक तरीके से मेरा भाई है. ये गलत है.
फिर अगले ही पल ये सोच रही थी कि सही गलत की क्या बात है. किसी ने देखा थोड़े ही है … और उसने मुझे रोका क्यों नहीं.
इस घटना के बाद किस्मत हम दोनों को अलग अलग मौकों पर अकेले मिलने का मौका देने लगी.
कभी हम दोनों को एक साथ बाज़ार जाना पड़ता, कभी कहीं कभी कहीं.
अब तो वो जब-तब मेरी फोटो खींचने लगा.
मैंने भी कोई ज्यादा विरोध नहीं किया; उल्टा मैं ही उसे छेड़ देती, कभी आंख मार देती, कभी हाथ भींच देती.
मैंने सोचा कि लगता है इस बार यहां कुछ एक्शन होने वाला है.
ये मैंने महसूस किया है दोस्तो … कि हम सभी के साथ कभी न कभी ऐसा होता है कि जो कुछ भी होने वाला होगा, तो हमें पहले ही उसका आभास सा हो जाता है.
मैंने भी फैसला किया कि जो होगा देखा जाएगा.
अब तो मैं भी हर छोटे-छोटे काम के लिए विपिन को ही बुलाने लगी. कभी हम बाजार जाते, कभी खेतों में, कभी कभी ऐसे ही घूमने निकल जाते.
इधर विपिन भी बाइक पर जाते हुए जानबूझ कर बाइक के ब्रेक जोर से लगा देता था ताकि मेरे बूब्स उसकी कमर से रगड़ जाएं.
कभी कभी मैं जानबूझ कर इस तरीके से छेड़ देती थी कि उसकी पैंट में हरकत हो जाए.
शुरू में तो मैं ये सब बस उसे छेड़ने के कर रही थी पर धीरे धीरे मुझे इस सब में मजा आने लगा था.
हो सकता है आप में से कुछ पाठकों ये सब गलत लगे, पर आप सबमें से कुछ लोगो के साथ तो ऐसा जरूर हुआ होगा कि अपनी रिश्तेदारी में ही किसी पर दिल आ गया होगा … या कम से कम अच्छा तो लगने लगा होगा.
खैर … आप वो सब छोड़ कर सिर्फ कहानी का लुत्फ लीजिये.
धीरे धीरे हमारे बीच और नजदीकियां आती चली गईं, पर घरवाले और बाकी लोग इस सबसे अंजान थे.
एक दिन रात को सब सोने की तैयारी कर रहे थे पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
तो मैंने टाइमपास करने के लिए अपने लैपटाप पर एक फिल्म लगा ली और इयरफोन लगा कर फिल्म देखने लगी.
एक एक करके ज़्यादातर लोग सो गए.
फिर थोड़ी देर में विपिन मेरे पास घुटनों के बल चलता हुआ आया और बोला- दीदी, मुझे भी दिखा दो फिल्म! मुझे नींद नहीं आ रही है.
मैंने कहा- ठीक है आ जा.
और वो मेरी चादर में ही आ गया.
मैंने एक इयरफोन उसके कान में लगा दिया और एक अपने कान में.
अब हम दोनों फिल्म देखने लगे.
फिल्म के बीच बीच में मेरे और उसके पैर आपस में छुए जा रहे थे पर मैं इस बात से अंजान थी क्योंकि मेरा ज्यादा ध्यान फिल्म में था.
हालांकि विपिन को मेरे चिकने पैरों से पैर छू जाने से हल्की हल्की उत्तेजना होती जा रही थी. पर फिर भी वो फिल्म देखने में लगा हुआ था.
कुछ देर बाद विपिन बोला- दीदी, क्या मैं आपका हाथ पकड़ सकता हूँ.
मैं फिल्म में इतनी व्यस्त थी कि मैंने बिना कुछ पूछे उसके हाथ में अपना हाथ दे दिया.
हम दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था और चादर के अन्दर किया हुआ था.
तभी अचानक से फिल्म में एक चुंबन का दृश्य आ गया और उसी के ठीक बाद सेक्स सीन भी, तो हम दोनों एकदम से जाम हो गए.
मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गयी और विपिन भी थोड़ा असहज सा हो कर ठीक से बैठ गया.
कुछ पल तो हम दोनों ही सीन को बुत बने देखते रहे.
फिर मैंने फिल्म रोकी और बोली- मैं पानी पीकर आती हूँ.
मैं उसके ऊपर को होती हुई घुटनों के बल वहां से बाहर निकल गयी और रसोई में पानी पीने चली गयी.
मेरे पीछे-पीछे विपिन भी आ गया.
मेरे दिमाग में अब भी फिल्म का सीन ही चल रहा था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
विपिन भी मेरे पास आकर पानी पीने लगा.
और जैसे ही उसने पानी पीना खत्म किया, पता नहीं मुझे क्या जुनून सा आया, मैंने एकदम से उसको बांहों में भर लिया और जोर से उसके होंठों पर किस कर दिया.
किस के बाद कुछ पलों के लिए इसी अवस्था में खड़ी रही.
वो भी मुझे चूमे जा रहा था.
शायद हम दोनों ही उस वक़्त कुछ नहीं सोच रहे थे, बस जवानी के आग में एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे और हमारी आंखें बंद थीं.
कुछ ही पलों में मुझे होश आया कि मैं ये क्या कर रही हूँ और तुरंत हट गयी.
इसके बाद मैंने उससे सॉरी कहा और नीचे देख कर शर्मिंदा सी होकर वहां से निकल कर अपनी चादर में आ गयी.
कुछ देर में विपिन भी आ गया.
मैंने अब फिल्म देखना बंद कर दिया और लैपटाप बंद करके चादर में मुँह देकर सोने की कोशिश करने लगी.
मैं काफी कन्फ्यूज थी, शर्म आ रही थी और सोच रही थी कि ये मैंने क्या कर दिया. मैं विपिन को कैसे चूम सकती हूँ. वो मेरी बुआ का लड़का है, एक तरीके से मेरा भाई है. ये गलत है.
फिर अगले ही पल ये सोच रही थी कि सही गलत की क्या बात है. किसी ने देखा थोड़े ही है … और उसने मुझे रोका क्यों नहीं.
इस घटना के बाद किस्मत हम दोनों को अलग अलग मौकों पर अकेले मिलने का मौका देने लगी.
कभी हम दोनों को एक साथ बाज़ार जाना पड़ता, कभी कहीं कभी कहीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
