16-08-2022, 01:55 PM
अब मेरे होंठ रानू दीदी के होंठों से ऐसे खेल रहे थे, जैसे वो किसी गैर मर्द के साथ खेलने की अभ्यस्त हो.
वो उछल उछल कर मुझे भंभोड़ सी रही थी.
मैंने दीदी के कपड़े उतारने शुरू किए.
पहले उनकी साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज. रानू दीदी के मम्मे मेरे सामने उछल उछल कर डांस कर रहे थे.
दूध चूसने के बाद मैंने रानू दीदी की पैंटी भी उतार दी.
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी.
क्या गुलाबी चूत थी दीदी की … पूरी सफाचट चूत मेरे सामने रिस रही थी.
मैंने दीदी की दोनों टांगें फैला दीं और एक अनुभवी गोताखोर की तरह अपनी जीभ को दीदी के चूत में कुदा दी.
दीदी के मुँह से मस्त सी आह की आवाज आई और मेरी जीभ दीदी की चूत में मछली की तरह तैरने लगी.
लगभग 5 मिनट तक दीदी की चूत की नदी में जीभ को तैराने के बाद मैं अलग हो गया.
अब मेरा नाग अपने बिल में जाने को आतुर हो रहा था.
लेकिन पहले नाग ने दूध का रसपान करने के लिए दोनों बूब के बीच में जगह ढूंढ ली और वहीं आगे पीछे होने लगा.
दीदी ने जीभ निकाली तो नाग देवता थोड़ा और आगे बढ़ गए.
अब वो मम्मों से होते हुए सीधे मुँह में चले गए और जोर से फुंकार मारने लगे.
दीदी नाग देवता को अपने मुँह की गर्मी से प्रसन्न करने लगीं.
कुछ ही पलों में नाग देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने दीदी के मुँह में अपना प्रसाद छोड़ दिया.
रानू दीदी नाग देवता के जहर जैसे प्रसाद को भी रसमलाई की तरह चखे जा रही थी.
हम दोनों मस्त हो चुके थे और दीदी बार बार लंड चूस कर सहला कर खड़ा करने में लग गई.
लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे डॉगी पोजीशन में आने को कहा.
दीदी फट से कुतिया बन गई.
मैंने अपने लट्ठ को उनके किले में ठेल दिया.
दीदी की आह निकल गई और हम दोनों में चुदाई की कबड्डी होने लगी.
मेरा लौड़ा दीदी की चूत रूपी किले को भेदे जा रहा था.
हॉट सिस फक़ सेशन में दीदी के मुँह से बस एक ही आवाज निकल रही थी ‘कम ऑन भाई और जोर से चोदो …’
मैं भी बुलेट ट्रेन की रफ्तार से लंड चूत में चलाये जा रहा था.
लगभग 10 मिनट तक चोदने बाद मुझे अहसास हुआ कि लंड में जान खत्म होने वाली है.
तो मैंने दीदी से पूछा- रस कहां छोड़ना है जल्दी से बताओ.
दीदी ने जवाब दिया- जहां तेरी अभी बुलेट फंसी है, वहीं रस छोड़ दे.
मैंने चार पांच तेज पिचकारियां दीदी की चूत में मार दीं और उनके ऊपर ही ढह गया.
दीदी की पहली चुदाई हुई तो उस रात हम दोनों में चार बार चुदाई का संग्राम हुआ.
अब आप सोच ही सकते हो कि मैं दीदी के घर दो हफ्ते के लिए रहने गया था और इन दो हफ्तों में मैंने क्या क्या किया होगा.
वो उछल उछल कर मुझे भंभोड़ सी रही थी.
मैंने दीदी के कपड़े उतारने शुरू किए.
पहले उनकी साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज. रानू दीदी के मम्मे मेरे सामने उछल उछल कर डांस कर रहे थे.
दूध चूसने के बाद मैंने रानू दीदी की पैंटी भी उतार दी.
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी.
क्या गुलाबी चूत थी दीदी की … पूरी सफाचट चूत मेरे सामने रिस रही थी.
मैंने दीदी की दोनों टांगें फैला दीं और एक अनुभवी गोताखोर की तरह अपनी जीभ को दीदी के चूत में कुदा दी.
दीदी के मुँह से मस्त सी आह की आवाज आई और मेरी जीभ दीदी की चूत में मछली की तरह तैरने लगी.
लगभग 5 मिनट तक दीदी की चूत की नदी में जीभ को तैराने के बाद मैं अलग हो गया.
अब मेरा नाग अपने बिल में जाने को आतुर हो रहा था.
लेकिन पहले नाग ने दूध का रसपान करने के लिए दोनों बूब के बीच में जगह ढूंढ ली और वहीं आगे पीछे होने लगा.
दीदी ने जीभ निकाली तो नाग देवता थोड़ा और आगे बढ़ गए.
अब वो मम्मों से होते हुए सीधे मुँह में चले गए और जोर से फुंकार मारने लगे.
दीदी नाग देवता को अपने मुँह की गर्मी से प्रसन्न करने लगीं.
कुछ ही पलों में नाग देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने दीदी के मुँह में अपना प्रसाद छोड़ दिया.
रानू दीदी नाग देवता के जहर जैसे प्रसाद को भी रसमलाई की तरह चखे जा रही थी.
हम दोनों मस्त हो चुके थे और दीदी बार बार लंड चूस कर सहला कर खड़ा करने में लग गई.
लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे डॉगी पोजीशन में आने को कहा.
दीदी फट से कुतिया बन गई.
मैंने अपने लट्ठ को उनके किले में ठेल दिया.
दीदी की आह निकल गई और हम दोनों में चुदाई की कबड्डी होने लगी.
मेरा लौड़ा दीदी की चूत रूपी किले को भेदे जा रहा था.
हॉट सिस फक़ सेशन में दीदी के मुँह से बस एक ही आवाज निकल रही थी ‘कम ऑन भाई और जोर से चोदो …’
मैं भी बुलेट ट्रेन की रफ्तार से लंड चूत में चलाये जा रहा था.
लगभग 10 मिनट तक चोदने बाद मुझे अहसास हुआ कि लंड में जान खत्म होने वाली है.
तो मैंने दीदी से पूछा- रस कहां छोड़ना है जल्दी से बताओ.
दीदी ने जवाब दिया- जहां तेरी अभी बुलेट फंसी है, वहीं रस छोड़ दे.
मैंने चार पांच तेज पिचकारियां दीदी की चूत में मार दीं और उनके ऊपर ही ढह गया.
दीदी की पहली चुदाई हुई तो उस रात हम दोनों में चार बार चुदाई का संग्राम हुआ.
अब आप सोच ही सकते हो कि मैं दीदी के घर दो हफ्ते के लिए रहने गया था और इन दो हफ्तों में मैंने क्या क्या किया होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
