16-08-2022, 01:54 PM
वो और ज्यादा गुस्सा हो गयी और बोलने लगी- चुपचाप सो जा, वरना कल मेरे पापा मम्मी को सब बता दूंगी.
मैं डर गया और रोने लगा.
वो बोली- अब रो क्यों रहा है?
मैं बोलने लगा- सॉरी दीदी … प्लीज आप ये सब किसी को मत बताना.
वो भी ‘ठीक है …’ कह कर करवट बदल कर सो गयी.
मैं भी दूरी बना कर सो गया.
फिर मैं सुबह उठा तो रानू दीदी से नजर नहीं मिला पा रहा था.
मुझे अजीब सा लगने लगा था.
मैं अपने आपको बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा था.
मैंने दीदी से लगभग एक महीने तक बात नहीं की, ना ही उससे नजरें मिलाईं.
फिर एक दिन कोशिश करके हिम्मत जुटा कर मैंने दीदी को फिर से सॉरी बोला और कहा- उस दिन वो सब गलती से हो गया था दीदी, मैं अब ऐसा कुछ नहीं करूंगा, प्लीज़ मुझे माफ कर दीजिए.
वो भी बोली- ठीक है.
इस तरह से उसने मुझे माफ कर दिया.
समय निकलता गया.
दीदी पढ़ाई खत्म करके अपने घर चली गई.
करीब एक साल बाद उनकी शादी हो गयी.
हम सब शादी में गए.
शादी में मैंने बहुत मजे किए, हम सब खूब नाचे, खूब मस्ती की.
मैं और दीदी पुरानी बातों को भूल गए थे.
अब सब ठीक चल रहा था.
मैं अभी भी डेढ़ जीबी डेटा का उपयोग करके हिला रहा था.
अभी तक आपने जो पढ़ा, वो थी मेरी इमोशनल कहानी कि कैसे मैं कुछ नहीं कर पाया.
अब हॉट सिस फक़ स्टोरी में ट्विस्ट आ रहा है.
शादी के दो साल बाद मैं दीदी के घर गया था.
वहां सिर्फ रानू दी और जीजा जी रहते थे.
जीजा जी अपने काम की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.
मैं वहां गया तो दीदी से अच्छे से मिला.
हम दोनों खुश थे.
मैं भी पुरानी बातों को भूल चुका था.
शायद मेरी रानू दीदी को जीजा जी मन माफिक सेक्स नहीं करने को मिल पा रहा था.
क्योंकि जीजा जी तो काम से बाहर रहते थे और वो हफ्ते में सिर्फ एक बार ही संडे को घर आते थे और दीदी की चुदाई करते थे.
मैं दो हफ्ते के लिए दीदी के घर गया था.
उनका घर छोटा था. एक ही कमरे में मैं और दीदी सोते थे.
संडे को दीदी जीजा जी में कुछ नहीं हो पाया.
ये बात जीजा जी को समझ आ गई कि इस बार चुदाई का खेल नहीं हो पाएगा.
वो काम पर वापस चले गए.
फिर दो दिन तो ऐसे ही निकल गए.
तीसरे दिन मैं सो रहा था तो मैंने पाया कि रानू दीदी का हाथ मेरे लंड के ऊपर है और वो उसे मसल रही है.
मैंने अपनी आंख हल्के से खोली तो देखा कि वो एक हाथ से मेरा लंड मसल रही है.
उसने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत में डाला हुआ है; वो जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी ‘आह आह …’
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना हाथ उसकी मस्त नारंगियों पर रख दिया और दबाने लगा.
वो एकदम से मेरे ऊपर झपट पड़ी और खुल गई.
मैं डर गया और रोने लगा.
वो बोली- अब रो क्यों रहा है?
मैं बोलने लगा- सॉरी दीदी … प्लीज आप ये सब किसी को मत बताना.
वो भी ‘ठीक है …’ कह कर करवट बदल कर सो गयी.
मैं भी दूरी बना कर सो गया.
फिर मैं सुबह उठा तो रानू दीदी से नजर नहीं मिला पा रहा था.
मुझे अजीब सा लगने लगा था.
मैं अपने आपको बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा था.
मैंने दीदी से लगभग एक महीने तक बात नहीं की, ना ही उससे नजरें मिलाईं.
फिर एक दिन कोशिश करके हिम्मत जुटा कर मैंने दीदी को फिर से सॉरी बोला और कहा- उस दिन वो सब गलती से हो गया था दीदी, मैं अब ऐसा कुछ नहीं करूंगा, प्लीज़ मुझे माफ कर दीजिए.
वो भी बोली- ठीक है.
इस तरह से उसने मुझे माफ कर दिया.
समय निकलता गया.
दीदी पढ़ाई खत्म करके अपने घर चली गई.
करीब एक साल बाद उनकी शादी हो गयी.
हम सब शादी में गए.
शादी में मैंने बहुत मजे किए, हम सब खूब नाचे, खूब मस्ती की.
मैं और दीदी पुरानी बातों को भूल गए थे.
अब सब ठीक चल रहा था.
मैं अभी भी डेढ़ जीबी डेटा का उपयोग करके हिला रहा था.
अभी तक आपने जो पढ़ा, वो थी मेरी इमोशनल कहानी कि कैसे मैं कुछ नहीं कर पाया.
अब हॉट सिस फक़ स्टोरी में ट्विस्ट आ रहा है.
शादी के दो साल बाद मैं दीदी के घर गया था.
वहां सिर्फ रानू दी और जीजा जी रहते थे.
जीजा जी अपने काम की वजह से ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.
मैं वहां गया तो दीदी से अच्छे से मिला.
हम दोनों खुश थे.
मैं भी पुरानी बातों को भूल चुका था.
शायद मेरी रानू दीदी को जीजा जी मन माफिक सेक्स नहीं करने को मिल पा रहा था.
क्योंकि जीजा जी तो काम से बाहर रहते थे और वो हफ्ते में सिर्फ एक बार ही संडे को घर आते थे और दीदी की चुदाई करते थे.
मैं दो हफ्ते के लिए दीदी के घर गया था.
उनका घर छोटा था. एक ही कमरे में मैं और दीदी सोते थे.
संडे को दीदी जीजा जी में कुछ नहीं हो पाया.
ये बात जीजा जी को समझ आ गई कि इस बार चुदाई का खेल नहीं हो पाएगा.
वो काम पर वापस चले गए.
फिर दो दिन तो ऐसे ही निकल गए.
तीसरे दिन मैं सो रहा था तो मैंने पाया कि रानू दीदी का हाथ मेरे लंड के ऊपर है और वो उसे मसल रही है.
मैंने अपनी आंख हल्के से खोली तो देखा कि वो एक हाथ से मेरा लंड मसल रही है.
उसने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत में डाला हुआ है; वो जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी ‘आह आह …’
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना हाथ उसकी मस्त नारंगियों पर रख दिया और दबाने लगा.
वो एकदम से मेरे ऊपर झपट पड़ी और खुल गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
