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Incest दीदी की चूत चुदाई आखिर हो ही गयी
#3
मैं रायपुर का रहने वाला हूँ. हमारे घर में मम्मी पापा के साथ मैं और मेरा एक भाई रहते हैं.

यह बात तब की है जब मैं 11वीं कक्षा पास करके 12 वीं में आया था.
उस समय जवानी मेरे अन्दर फूटने लगी थी.

आप जानते ही हैं कि इस उम्र में लंड खड़ा होने लगता है और उसे नंगी लड़कियों को देखने की चाहत बढ़ने लगती है.

नंगी लड़कियां देखने के लिए आज के दौर में इंटरनेट सबसे बढ़िया साधन है और रोज ही फोन में नई नई परियों को नंगी देखना रोज का काम हो जाता है.

यही सब मेरे साथ भी हुआ था.

एक दिन में डेढ़ जीबी डेटा कैसे खत्म हो जाता, कुछ पता ही नहीं चलता था.

उन्हीं दिनों मेरी बुआ की बेटी हमारे घर रह कर पढ़ाई करने आयी थी.

वो देखने में बहुत खूबसूरत लड़की थी. वो ऐसी लगती थी मानो जन्नत की हूर धरती पर उतर आई हो.

चूंकि वह मुझसे उम्र में बड़ी थी तो मैं उसे दीदी कह कर बुलाता था.
मैं उसे प्यार से रानू दी कह कर बुलाता था.

जिस दिन वो मेरे घर आई थी, उस समय मैं सोया हुआ था.

वो मेरे पास आयी और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी.
मेरी नींद खुल गई और मैंने उसे बहुत दिन बाद देखा, पहले तो मैं समझ ही नहीं पाया कि ये कौन है क्योंकि आज काफी दिनों के बाद रानू दी मेरे घर आई थी.
उसकी शारीरिक बनावट भी एकदम से बदल गई थी.

मैंने जैसे ही आंखें खोलीं तो मेरी नजर सबसे पहले उसके मम्मों पर गयी.
वाओ क्या चूचियां थीं … मेरा मन कर रहा था कि अपना मुँह लगा कर अभी के अभी इसके दूध चूस लूं.

लेकिन मैं ठहरा फट्टू, बस सोच सोच कर जीवन गुज़ारने वाला सिड़ी लंड टाइप का लौंडा.
उस वक्त मेरा मन तो कर रहा था कि दीदी को पटक कर चोद दूँ!
पर ये सिर्फ मेरे सपनों में ही हो पाया था.

एक दिन की बात है, जब दीदी नहा रही थी तो मैंने उसे नंगी नहाते हुए देख लिया.
गजब की माल और वो भी एकदम नंगी.

आह … मेरा मन बेकाबू होने लगा और दिल कर रहा था कि अन्दर घुस जाऊं और वहीं बाथरूम में कुछ कर डालूं.

लेकिन वही फटी गांड के चक्कर में लंड मुरझा गया.
मुझे मौका ही नहीं मिल रहा था कि किस तरह से अपना काम आगे बढ़ाऊं.

मैं बस लंड हिलाए जा रहा था और मेरे से कुछ होने वाला भी नहीं था.

एक दिन की बात है, मम्मी पापा घर से दो दिन के लिए बाहर गए हुए थे.

दीदी रात को सोने के लिए मेरे रूम में आ गई क्योंकि उस दिन घर में सिर्फ हम दो ही थे.
भाई भी दूसरे दिन शाम तक आने वाला था.

हम दोनों बात करते करते एक ही बिस्तर पर सो गए.

रात को मेरी नींद खुली तो मैं रानू को देखते रह गया.
दीदी क्या मस्त लग रही थी, पूछो मत.

मैंने सोने का बहाना करते हुए पहले अपने हाथ को उसके पेट के ऊपर रख दिया. फिर धीरे धीरे सहलाने लगा.

रानू दीदी सिर्फ टी-शर्ट और शॉर्ट्स में थी.
मेरा हाथ उसके शरीर को छुए जा रहा था.

धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.

फिर मैंने धीरे धीरे उसके दोनों बूब को बारी बारी से दबाया और जब उसकी तरफ से कुछ नहीं हुआ तो मैं मस्ती से उसकी चूचियों से खेलने लगा.
कोई पांच मिनट तक मैंने दीदी की दोनों चूचियों को खूब मस्ती से रगड़ा.

वो भी शायद मजे ले रही थी इसलिए कुछ नहीं कह रही थी.

पर कुछ देर बाद अचानक से दीदी उठ गई.
उसने मुझे दूध दबाते हुए देखा, तो वो मुझे डांटने लगी.

दीदी- ये क्या कर रहा है … तुझे ये सब नहीं करना चाहिए, तू बहुत गन्दा है.
मेरी गांड फट कर चौराहे में तब्दील हो गई थी, नसों में खून एकदम से जम सा गया था.

मैंने हाथ बाहर निकाला और घबराते हुए दीदी से बोला- सॉरी दीदी. मैं सपना देख रहा था. मुझे होश ही नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ.
वो पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर एक मिनट बाद बोली- जैसा सारे दिन मोबाइल में देखेगा, वही तो सपने में करेगा.

मैंने समझ गया कि दीदी भी मोबाइल में ब्लू फिल्म देखती है. अब तक मेरी हिम्मत वापस आ गई थी.
मैंने धीरे से कहा- प्लीज दीदी एक बार कर लो न … किसी को पता भी नहीं चलेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: दीदी की चूत चुदाई आखिर हो ही गयी - by neerathemall - 16-08-2022, 01:54 PM



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