16-08-2022, 01:46 PM
बासी भात में खुदा का साझा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियाँ
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