16-08-2022, 01:24 PM
तीसरे दिन नियत समय पर हिंदबाद तथा अन्य मित्रगण सिंदबाद के घर आए। दोपहर का भोजन समाप्त होने पर सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, अब मेरी तीसरी यात्रा की कहानी सुनो जो पहली दो यात्राओं से कम विचित्र नहीं है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.