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Thriller सिंदबाद जहाजी की पाँचवीं यात्रा
#26
अचानक मैंने देखा कि अँधेरा हो गया। मुझे आश्चर्य हुआ कि यह शाम का समय तो है नहीं, अँधेरा कैसे हो गया। फिर मैंने देखा कि एक विशालकाय पक्षी जो मेरे अनुमान में भी पहले नहीं आ सकता था मेरी तरफ उड़ा आता है। मैं उसे देखकर भयभीत हुआ। फिर मुझे कुछ जहाजियों के मुँह से सुनी बात याद आई कि रुख नामी एक बहुत ही बड़ा पक्षी होता है। अब मैंने जाना कि वह सफेद विशालकाय वस्तु इसी मादा रुख का अंडा है। मादा रुख आकर अपने अंडे पर उसे सेने के लिए बैठ गई। उसका एक पाँव मेरे समीप पड़ गया। उसका एक-एक नाखून एक बड़े वृक्ष की जड़ जैसा था। मैंने अपनी पगड़ी से अपना शरीर उसके एक नाखून से कसकर बाँध लिया क्योंकि मुझे आशा थी कि यह पक्षी कहीं उड़कर जाएगा ही।

सवेरे वह पक्षी उड़ा और इतना ऊँचा हो गया कि जहाँ से पृथ्वी बड़ी कठिनता से दिखाई देती थी। कुछ ही देर में वह उतर कर एक बड़े जंगल में जा पहुँचा। मैंने जमीन से लगते ही अपनी पगड़ी की गाँठ खोलकर उससे अलग हो गया। उसी समय रुख ने एक बहुत ही बड़े अजगर को धर दबोचा और उसे पंजों में लेकर फिर उड़ गया।

जहाँ मुझे रुख ने छोड़ा था वह एक बहुत नीची और खड़ी ढलान की एक घाटी थी। वहाँ पर आने जाने की शक्ति किसी मनुष्य में नहीं हो सकती। मुझे खेद हुआ कि मैं कहाँ आ गया, यह जगह उस द्वीप से भी खराब है। मैंने देखा कि वहाँ की भूमि पर असंख्य हीरे बिखरे पड़े हें। उनमें से कुछ तो इतने बड़े थे जो साधारण मनुष्य के अनुमान के बाहर थे। मैंने बहुत से हीरे इकट्ठे किए और एक चमड़े की थैली में उन्हें भर लिया। किंतु हीरों के मिलने की प्रसन्नता क्षणिक ही थी क्योंकि मैंने शाम होते ही यह भी देखा कि वहाँ बहुत-से अजगर तथा अन्य विशालकाय और भयानक साँप घूम रहे हैं। यह साँप दिन में रुख के डर से खोहों में छुपे रहते थे और रात को निकलते थे। मैंने भाग्यवश एक छोटी-सी गुफा पा ली और उसमें छुपकर बैठ गया और उसका मुँह पत्थरों से अच्छी तरह बंद कर दिया ताकि कोई अजगर अंदर न आ सके। मैंने अपने पास बँधे भोजन में से कुछ खाया किंतु मुझे रात भर नींद नहीं आई क्योकि साँपों और अजगरों की भयानक फुसकारें मुझे डराती रहीं और मैं रात भर जान के डर से काँपता रहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: सिंदबाद जहाजी की पाँचवीं यात्रा - by neerathemall - 16-08-2022, 01:23 PM



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