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Thriller सिंदबाद जहाजी की पाँचवीं यात्रा
#18
मकान के दरवाजे से कई सेवक आ जा-रहे थे। मजदूर ने उन में से एक से पूछा कि इस घर का स्वामी कौन है। सेवक ने कहा, बड़े आश्चर्य की बात है तू बगदाद का निवासी है और इस घर के परम प्रसिद्ध मालिक को नहीं जानता। यह घर सिंदबाद जहाजी का है जो लाखों बल्कि करोड़ों की संपत्ति का मालिक है।



हिंदबाद ने यह सुनकर आकाश की ओर हाथ उठाए और कहा, 'हे संसार को उत्पन्न करने वाले और पालने वाले भगवान, यह क्या अन्याय है। एक यह सिंदबाद है जो रात-दिन ऐश करता है, एक मैं हूँ हिंदबाद जो रात-दिन जानतोड़ परिश्रम करके किसी प्रकार अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता हूँ। यह और मैं दोनों मनुष्य हैं। क्या अंतर है?' यह कह कर उसने जैसे भगवान पर अपना रोष प्रकट करने के लिए पृथ्वी पर पाँव पटका और सिर हिलाकर निराशापूर्वक अपने दुर्भाग्य पर दुख करने लगा।

इतने में उस विशाल भवन से एक सेवक निकला और उसकी बाँह पकड़कर बोला, 'चल अंदर, हमारे मालिक सिंदबाद ने तुझे बुलाया है।' हिंदबाद यह सुनकर बहुत डरा। उसने सोचा कि मैंने जो कहा वह सिंदबाद ने सुन लिया है और क्रुद्ध होकर मुझे बुला भेजा है ताकि मुझे इस गुस्ताखी के लिए सजा दे। वह घबराकर कहने लगा कि मैं अंदर नहीं जाऊँगा, मेरा बोझा यहाँ पड़ा है, उसे कोई उठा ले जाएगा। किंतु सेवकों ने उसे न छोड़ा। उन्होंने कहा कि तेरे बोझे को हम सुरक्षापूर्वक अंदर रख देंगे और तुझे भी कोई नुकसान नहीं होगा। हिंदबाद ने बहुत देर तक सेवकों से वाद-विवाद किया किंतु उसका कोई फल न निकला और अंततः उसे उनके साथ महल के अंदर जाना ही पड़ा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: सिंदबाद जहाजी की पाँचवीं यात्रा - by neerathemall - 16-08-2022, 01:17 PM



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