16-08-2022, 01:10 PM
यह कहानी कहकर सिंदबाद ने कहा कि आप लोग कल फिर आएँ तो मैं अपनी सातवीं और अंतिम समुद्र यात्रा का वर्णन करुँगा। यह कहकर उसने चार सौ दीनारें हिंदबाद को दीं। दूसरे दिन भोजन के समय हिंदबाद आया और सिंदबाद के मुसाहिब भी आए। भोजनोपरांत सिंदबाद ने कहानी शुरू की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.