16-08-2022, 01:10 PM
रान द्वीप के बादशाह ने जो पत्र खलीफा के नाम दिया था वह पीले रंग के नरम चमड़े पर लिखा था। यह चमड़ा किसी पशु विशेष का था और बहुत ही मूल्यवान था। उस पर बैंगनी स्याही से पत्र लिखा था। पत्र का लेख इस प्रकार था, 'यह पत्र सरान द्वीप के बादशाह की ओर से भेजा जा रहा है। उस बादशाह की सवारी के आगे एक हजार सजे-सजाए हाथी चलते हैं, उसका राजमहल ऐसा शानदार है जिसकी छतों में एक लाख मूल्यवान रत्न जड़े हैं और उसके खजाने में अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त बीस हजार हीरे जड़े मुकुट रखे हैं। सरान द्वीप का बादशाह खलीफा हारूँ रशीद को निम्नलिखित उपहार भातृभाव से भेज रहा है। वह चाहता है कि खलीफा और उसके दृढ़ मैत्री संबंध हो जाएँ और एक-दूसरे का अहित हम दोनों न चाहें। मैं सरान द्वीप का बादशाह खलीफा की कुशल-क्षेम चाहता हूँ।'
जो उपहार बादशाह ने खलीफा को भेजे थे उनमें मणि का बना हुआ एक प्याला था जिसका दल पौन गिरह (लगभग पौने दो इंच) मोटा था और उसके चारों ओर मोतियों की झालर थी। झालर के मोतियों में प्रत्येक तीन माशे के वजन का था। एक बिछौना अजगर की खाल का, जो एक इंच से अधिक मोटा था। इस बिछौने की विशेषता यह थी कि उस पर सोने वाला आदमी कभी बीमार नहीं पड़ता था। तीसरा उपहार एक लाख सिक्कों के मूल्य की चंदन की लकड़ी थी। चौथा उपहार तीस दाने कपूर के थे जो एक-एक पिस्ते के बराबर थे। पाँचवाँ उपहार एक दासी थी जो अत्यंत ही रूपवती थी और अति मूल्यवान वस्त्राभूषणों से सुसज्जित थी।
हमारा जहाज कुछ समय की यात्रा के बाद सकुशल बसरा के बंदरगाह में पहुँच गया। मैं अपना सारा माल और खलीफा के लिए भेजा गया पत्र और उपहार लेकर बगदाद आया। सब से पहले मैंने यह किया कि उस दासी को - जिसे मैंने परिवार के युवकों से सुरक्षित रखा था - तथा अन्य उपहार और पत्र लेकर खलीफा के राजमहल में पहुँचा। मेरे आने की बात सुनकर खलीफा ने मुझे तुरंत बुला भेजा। उस के सेवकगण मुझे सारे सामान के साथ खलीफा के सम्मुख ले गए। मैंने जमीन चूमकर खलीफा को पत्र दिया। उसने पत्र को पूरा पढ़ा और फिर मुझ से पूछा, 'तुमने तो सरान द्वीप के बादशाह को देखा है, क्या वह ऐसा ही ऐश्वर्यशाली है जैसा इस पत्र में लिखा है?
मैंने कहा, 'वह वास्तव में ऐसा ही है जैसा उसने लिखा है। उसने पत्र में बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं की, मैंने उसका ऐश्वर्य और प्रताप अपनी आँखों से देखा है। उसके राजमहल की शान-शौकत का शब्दों में वर्णन नहीं हो सकता। जब वह कहीं जाता है तो सारे मंत्री और सामंत अपने-अपने हाथियों पर सवार होकर उसके आगे-पीछे चलते हैं। उसके अपने हाथी के हौदे के सामने अंग रक्षक सुनहरे काम के बरछे लिए चलते हैं और पीछे सेवक मोरछल हिलाता रहता है। उस मोरछल के सिरे पर एक बहुत बड़ा नीलम लगा हुआ है। सारे हाथियों के हौदे और साज-सामान ऐसे सुसज्जित हैं जिसका वर्णन मेरे वश की बात नहीं है।
'जब बादशाह की सवारी चलती है तो एक उद्घोषक उच्च स्वर में कहता है कि शानदार बादशाह की सवारी आ रही है जिसके महल में एक लाख रत्न जड़े हैं और जिसके पास बीस हजार हीरक जटित मुकुट हैं और जिसके सामने कोई राजा नहीं ठहर सकता चाहे वह * हो या *।'
'पहले उद्घोषक के बोलने के बाद दूसरा उद्घोषक कहता है कि बादशाह के पास चाहे जितना ऐश्वर्य हो मरना तो इसके लिए प्रारब्ध है। इस पर पहला कहता है कि इसे सब लोगों का आशीर्वाद मिलना चाहिए कि यह अनंत जीवन पाए।
'यह बादशाह इतना न्यायप्रिय है कि इसके राज्य में न कोई न्यायाधीश है न कोतवाल। उसकी प्रजा ऐसी सुबुद्ध है कि कोई न किसी पर अन्याय करता है न किसी को दुख पहुँचाता है। चूँकि सब लोग बड़े मेल-मिलाप से रहते हैं इसीलिए कोई जरूरत ही नहीं पड़ती कि व्यवस्था ऊपर से कायम की जाए। इसीलिए सरान द्वीप के राज्य में न सिक्युरिटी या कोतवाल रखे गए हैं न न्यायाधीश।'
खलीफा ने यह सुनकर कहा कि तुम्हारे वर्णन और इस पत्र से जान पड़ता है कि वह बादशाह बड़ा ही समझदार और होशियार है, इसीलिए इतनी अच्छी व्यवस्था कर पाता है कि सिक्युरिटी आदि की आवश्यकता ही न हो। यह कहकर खलीफा ने मुझे खिलअत (सम्मान परिधान) दी और विदा किया।
जो उपहार बादशाह ने खलीफा को भेजे थे उनमें मणि का बना हुआ एक प्याला था जिसका दल पौन गिरह (लगभग पौने दो इंच) मोटा था और उसके चारों ओर मोतियों की झालर थी। झालर के मोतियों में प्रत्येक तीन माशे के वजन का था। एक बिछौना अजगर की खाल का, जो एक इंच से अधिक मोटा था। इस बिछौने की विशेषता यह थी कि उस पर सोने वाला आदमी कभी बीमार नहीं पड़ता था। तीसरा उपहार एक लाख सिक्कों के मूल्य की चंदन की लकड़ी थी। चौथा उपहार तीस दाने कपूर के थे जो एक-एक पिस्ते के बराबर थे। पाँचवाँ उपहार एक दासी थी जो अत्यंत ही रूपवती थी और अति मूल्यवान वस्त्राभूषणों से सुसज्जित थी।
हमारा जहाज कुछ समय की यात्रा के बाद सकुशल बसरा के बंदरगाह में पहुँच गया। मैं अपना सारा माल और खलीफा के लिए भेजा गया पत्र और उपहार लेकर बगदाद आया। सब से पहले मैंने यह किया कि उस दासी को - जिसे मैंने परिवार के युवकों से सुरक्षित रखा था - तथा अन्य उपहार और पत्र लेकर खलीफा के राजमहल में पहुँचा। मेरे आने की बात सुनकर खलीफा ने मुझे तुरंत बुला भेजा। उस के सेवकगण मुझे सारे सामान के साथ खलीफा के सम्मुख ले गए। मैंने जमीन चूमकर खलीफा को पत्र दिया। उसने पत्र को पूरा पढ़ा और फिर मुझ से पूछा, 'तुमने तो सरान द्वीप के बादशाह को देखा है, क्या वह ऐसा ही ऐश्वर्यशाली है जैसा इस पत्र में लिखा है?
मैंने कहा, 'वह वास्तव में ऐसा ही है जैसा उसने लिखा है। उसने पत्र में बिल्कुल अतिशयोक्ति नहीं की, मैंने उसका ऐश्वर्य और प्रताप अपनी आँखों से देखा है। उसके राजमहल की शान-शौकत का शब्दों में वर्णन नहीं हो सकता। जब वह कहीं जाता है तो सारे मंत्री और सामंत अपने-अपने हाथियों पर सवार होकर उसके आगे-पीछे चलते हैं। उसके अपने हाथी के हौदे के सामने अंग रक्षक सुनहरे काम के बरछे लिए चलते हैं और पीछे सेवक मोरछल हिलाता रहता है। उस मोरछल के सिरे पर एक बहुत बड़ा नीलम लगा हुआ है। सारे हाथियों के हौदे और साज-सामान ऐसे सुसज्जित हैं जिसका वर्णन मेरे वश की बात नहीं है।
'जब बादशाह की सवारी चलती है तो एक उद्घोषक उच्च स्वर में कहता है कि शानदार बादशाह की सवारी आ रही है जिसके महल में एक लाख रत्न जड़े हैं और जिसके पास बीस हजार हीरक जटित मुकुट हैं और जिसके सामने कोई राजा नहीं ठहर सकता चाहे वह * हो या *।'
'पहले उद्घोषक के बोलने के बाद दूसरा उद्घोषक कहता है कि बादशाह के पास चाहे जितना ऐश्वर्य हो मरना तो इसके लिए प्रारब्ध है। इस पर पहला कहता है कि इसे सब लोगों का आशीर्वाद मिलना चाहिए कि यह अनंत जीवन पाए।
'यह बादशाह इतना न्यायप्रिय है कि इसके राज्य में न कोई न्यायाधीश है न कोतवाल। उसकी प्रजा ऐसी सुबुद्ध है कि कोई न किसी पर अन्याय करता है न किसी को दुख पहुँचाता है। चूँकि सब लोग बड़े मेल-मिलाप से रहते हैं इसीलिए कोई जरूरत ही नहीं पड़ती कि व्यवस्था ऊपर से कायम की जाए। इसीलिए सरान द्वीप के राज्य में न सिक्युरिटी या कोतवाल रखे गए हैं न न्यायाधीश।'
खलीफा ने यह सुनकर कहा कि तुम्हारे वर्णन और इस पत्र से जान पड़ता है कि वह बादशाह बड़ा ही समझदार और होशियार है, इसीलिए इतनी अच्छी व्यवस्था कर पाता है कि सिक्युरिटी आदि की आवश्यकता ही न हो। यह कहकर खलीफा ने मुझे खिलअत (सम्मान परिधान) दी और विदा किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.