16-08-2022, 01:03 PM
अब मुझे वह बात याद आती है तो हँसता हूँ। नहर के पार जाकर मैंने उतारना चाहा तो वह बूढ़ा जो बिल्कुल मरियल लगता था एकदम से शक्तिवान हो गया। उसने मेरी गर्दन के चारों ओर इतने जोर से पाँव करे कि मेरा दम घुटने लगा। मेरी आँखें बाहर को निकलने को हुईं और मैं अचेत होकर गिर पड़ा। फिर उसने पाँव ढीले किए जिससे मैं साँस लेने लगा और कुछ देर में होश आ गया। अब बूढ़े ने मुझे उठने का इशारा किया और मेरे न उठने पर उसने एक पाँव मेरे पेट में गड़ाया और दूसरा मुँह पर मारा। इससे मैं विवश हो गया कि उसके कहने के अनुसार काम करूँ। मैं उसे लिए घूमने लगा। वह पेड़ों के नीचे मुझे ले जाता और फल तोड़ता, खुद खाता और कुछ मुझे भी खाने को दे देता।
रात होने पर मैं लेटने की तैयारी करने लगा। बूढ़ा अब भी मेरी गर्दन से न उतरा। वैसे ही अपनी गर्दन के चारों ओर उसके पाँवों का घेरा लिए हुए लेट गया और सो गया। वह भी इसी दशा में सो गया। सुबह उसने ठोकर मारकर मुझे जगाया और उसी तरह मुझ पर सवार होकर वह द्वीप में घूमता फिरा। मैं क्रोध और दुख से अधमरा हो गया किंतु कुछ कर ही नहीं सकता था क्योंकि वह मुझे एक क्षण के लिए भी नहीं छोड़ता था और रुकने पर एड़ियों को ठोकरें मारता था जिससे मुझे अतीव कष्ट होता था।
एक दिन मैंने वहाँ पर कद्दू के सूखे खोल पड़े देखे। मैंने उन्हें साफ किया और उनमें पके अंगूरों का रस निचोड़ कर भर दिया। कुछ दिनों बाद फिर घूमता हुआ वहाँ गया तो देखा कि रस से खमीर उठ गया है और वह मदिरा बन गया है। मैं बहुत कमजोर हो गया था इसीलिए स्वयं को शक्ति देने का यह उपाय किया था। मैंने थोड़ी- सी शराब पी और मुझ में शक्ति आ गई। मैं तेजी से चलने लगा और गाने भी लगा। बूढ़े को यह देखकर आश्चर्य हुआ। उसने इशारे से एक कद्दू की शराब देने के लिए कहा।
मैं तो दो-चार घूँट ही लेता था। उसे थोड़ी मदिरा पीकर आनंद आया तो वह एकदम से पूरे कद्दू की शराब पी गया। इससे उसे तेज नशा चढ़ आया। वह गाने लगा और झूमने और डगमगाने लगा। जब मेरी गर्दन पर उसकी पकड़ ढीली हो गई तो मैंने उसे पृथ्वी पर पटक दिया। उसके गिरते ही मैंने एक पत्थर से उसका सिर कुचल -कुचलकर उसे मार डाला। मुझे उसी पकड़ से छूट कर बड़ा सुख मिला और मैं समुद्र तट पर आ गया।
संयोग से उसी समय एक जहाज के कुछ लोग जहाज में मीठा पानी भरने उस द्वीप में उतरे। उन्हें मेरी कहानी सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, 'क्या तुम सचमुच इस बूढ़े के हाथ पड़े थे? उसने तो न जाने कितनों को इसी तरह दौड़ाकर और गला घोंटकर मार डाला है। उसके हाथ से कोई नहीं बचा। तुम वास्तव में बहुत भाग्यशाली हो। इस द्वीप के अंदर कोई नहीं जाता, सभी इससे भय खाते हैं।' फिर वे मुझे अपने जहाज पर ले आए। कप्तान ने भी मेरा हाल सुनकर मुझ पर दया की और बगैर किराए के पूरी सुविधा के साथ मुझे ले चला। यात्रा के दौरान एक बड़े व्यापारी से मेरी गहरी मित्रता हो गई।
एक अन्य द्वीप पर पहुँच कर उस व्यापारी ने अपने कई नौकर जमीन पर भेजे और मुझे एक टोकरा देकर कहा कि इनके साथ चले जाओ और जैसा यह करें वैसा ही तुम भी करना और इनसे अलग न होना वरना बड़ी मुसीबत में फँस जाओगे।' मैं सब आदमियों के साथ टापू पर उतर गया। द्वीप पर नारियल के बहुत-से पेड़ थे किंतु वे इतने ऊँचे थे कि उन पर चढ़ना असंभव लगता था। वहाँ बहुत-से बंदर भी थे। वे हमारे डर से तुरंत पेड़ों पर चढ़ गए। अब मेरे साथियों ने यह किया कि ढेले-पत्थर जमा किए और बंदरों पर फेंकने लगे। मैंने भी ऐसे ही किया। बंदर क्रोध में आ कर नारियल तोड़ तोड़कर हम लोगों के सिरों पर फेंकने लगे। कुछ ही देर में सारी जमीन पर नारियल बिछ गए। हम लोगों ने नारियलों से टोकरे भरे। मैं इस प्रकार नारियल प्राप्त होने पर आश्चर्य में पड़ गया। फिर मैं उन लोगों के साथ शहर में आया जहाँ नारियल अच्छे दामों में बिक गए।
व्यापारी ने नारियलों की कीमत में मेरा हिस्सा मुझे देकर कहा कि तुम रोज इसी तरह जाकर नारियल जमा किया करो और उनसे जो पैसा मिले उसे बचाते जाओ। कुछ दिनों में तुम्हारे पास इतना धन इकट्ठा हो जाएगा कि आसानी से अपने देश को वापस जा सकोगे। मैंने उसकी बात मानी और कई दिन तक इसी तरह नारियल बेचता रहा। मेरा पास इस सौदे से पर्याप्त धन हो गया।
रात होने पर मैं लेटने की तैयारी करने लगा। बूढ़ा अब भी मेरी गर्दन से न उतरा। वैसे ही अपनी गर्दन के चारों ओर उसके पाँवों का घेरा लिए हुए लेट गया और सो गया। वह भी इसी दशा में सो गया। सुबह उसने ठोकर मारकर मुझे जगाया और उसी तरह मुझ पर सवार होकर वह द्वीप में घूमता फिरा। मैं क्रोध और दुख से अधमरा हो गया किंतु कुछ कर ही नहीं सकता था क्योंकि वह मुझे एक क्षण के लिए भी नहीं छोड़ता था और रुकने पर एड़ियों को ठोकरें मारता था जिससे मुझे अतीव कष्ट होता था।
एक दिन मैंने वहाँ पर कद्दू के सूखे खोल पड़े देखे। मैंने उन्हें साफ किया और उनमें पके अंगूरों का रस निचोड़ कर भर दिया। कुछ दिनों बाद फिर घूमता हुआ वहाँ गया तो देखा कि रस से खमीर उठ गया है और वह मदिरा बन गया है। मैं बहुत कमजोर हो गया था इसीलिए स्वयं को शक्ति देने का यह उपाय किया था। मैंने थोड़ी- सी शराब पी और मुझ में शक्ति आ गई। मैं तेजी से चलने लगा और गाने भी लगा। बूढ़े को यह देखकर आश्चर्य हुआ। उसने इशारे से एक कद्दू की शराब देने के लिए कहा।
मैं तो दो-चार घूँट ही लेता था। उसे थोड़ी मदिरा पीकर आनंद आया तो वह एकदम से पूरे कद्दू की शराब पी गया। इससे उसे तेज नशा चढ़ आया। वह गाने लगा और झूमने और डगमगाने लगा। जब मेरी गर्दन पर उसकी पकड़ ढीली हो गई तो मैंने उसे पृथ्वी पर पटक दिया। उसके गिरते ही मैंने एक पत्थर से उसका सिर कुचल -कुचलकर उसे मार डाला। मुझे उसी पकड़ से छूट कर बड़ा सुख मिला और मैं समुद्र तट पर आ गया।
संयोग से उसी समय एक जहाज के कुछ लोग जहाज में मीठा पानी भरने उस द्वीप में उतरे। उन्हें मेरी कहानी सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, 'क्या तुम सचमुच इस बूढ़े के हाथ पड़े थे? उसने तो न जाने कितनों को इसी तरह दौड़ाकर और गला घोंटकर मार डाला है। उसके हाथ से कोई नहीं बचा। तुम वास्तव में बहुत भाग्यशाली हो। इस द्वीप के अंदर कोई नहीं जाता, सभी इससे भय खाते हैं।' फिर वे मुझे अपने जहाज पर ले आए। कप्तान ने भी मेरा हाल सुनकर मुझ पर दया की और बगैर किराए के पूरी सुविधा के साथ मुझे ले चला। यात्रा के दौरान एक बड़े व्यापारी से मेरी गहरी मित्रता हो गई।
एक अन्य द्वीप पर पहुँच कर उस व्यापारी ने अपने कई नौकर जमीन पर भेजे और मुझे एक टोकरा देकर कहा कि इनके साथ चले जाओ और जैसा यह करें वैसा ही तुम भी करना और इनसे अलग न होना वरना बड़ी मुसीबत में फँस जाओगे।' मैं सब आदमियों के साथ टापू पर उतर गया। द्वीप पर नारियल के बहुत-से पेड़ थे किंतु वे इतने ऊँचे थे कि उन पर चढ़ना असंभव लगता था। वहाँ बहुत-से बंदर भी थे। वे हमारे डर से तुरंत पेड़ों पर चढ़ गए। अब मेरे साथियों ने यह किया कि ढेले-पत्थर जमा किए और बंदरों पर फेंकने लगे। मैंने भी ऐसे ही किया। बंदर क्रोध में आ कर नारियल तोड़ तोड़कर हम लोगों के सिरों पर फेंकने लगे। कुछ ही देर में सारी जमीन पर नारियल बिछ गए। हम लोगों ने नारियलों से टोकरे भरे। मैं इस प्रकार नारियल प्राप्त होने पर आश्चर्य में पड़ गया। फिर मैं उन लोगों के साथ शहर में आया जहाँ नारियल अच्छे दामों में बिक गए।
व्यापारी ने नारियलों की कीमत में मेरा हिस्सा मुझे देकर कहा कि तुम रोज इसी तरह जाकर नारियल जमा किया करो और उनसे जो पैसा मिले उसे बचाते जाओ। कुछ दिनों में तुम्हारे पास इतना धन इकट्ठा हो जाएगा कि आसानी से अपने देश को वापस जा सकोगे। मैंने उसकी बात मानी और कई दिन तक इसी तरह नारियल बेचता रहा। मेरा पास इस सौदे से पर्याप्त धन हो गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
