11-08-2022, 05:29 PM
विवेक बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसाने लगा तो मेरी रसीली चूत जब ससुर के मोटे लंड को निगलकर दो दो बार चुदवा ली तो फिर विवेक का तो उससे काफी पतला और छोटा था, पूरा लंड घुसाने के बाद विवेक मुझे चोदने लगा तो मैं अपने दोनों पैर हवा में किए चूतड को थोड़ा ऊपर उचकाए चुदाने लगी, लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की गहराई तक घुस रहा था तो विवेक मेरे पैर कंधे पर रख दे दनादन चोदता हुआ बूब्स पकड़ा फिर जोर जोर से मसलने लगा और मेरी चूत अब चुदाई का आनंद लेते हुए ओर्गास्म की ओर जा रही थी, वैसे मेरी चुदासी चूत को तृप्त करना सब मर्दों के वश का नहीं था ” ओह चोद साले शादी करेगा नहीं और इधर उधर मुंह मारेगा, मेरी ननद दीपाली को चोदता है कि नहीं
( विवेक मुस्कुराने लगा ) बहन है मेरी और उसकी ओर तो आंख उठाकर भी देखना पाप है ” इधर मेरी चूत में लंड का गपागप घुसना उसके रस को उड़ा चुका था तो बुर की गर्मी से परेशान दीपा अब चीखने लगी ” चोद चोद और तेज ओह इतनी मस्ती दस दिन के बाद ही मिल रही है उह मेरी बुर की गर्मी ” और देवर जी चोदते हुए हांफने लगे साथ ही मेरे ऊपर अब सवार होकर चोद रहे थे तो मैं भी अपने चूतड उछालते हुए उसके लंड का धक्का सहने लगी। कार में पिछले सीट पर नंगी लेटी हुई दीपा के बदन पर उसका देवर लेटकर चोदे जा रहा था तो उसका लंड राजधानी एक्सप्रेस से भी तेज गति में अंदर और बाहर हो रहा था और मै अपने गोल गद्देदार चूतड उछाल उछालकर हांफने लगी लेकिन विवेक रुकने और झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, दोनों वातानुकूलित कार में पसीना पसीना हो चुके थे तो अब मैं चूतड स्थिर की फिर विवेक १०-१२ जोर का धक्का दिया और उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ मेरी चूत को ठंडा कर दिया, बुर वीर्य से लबालब था तो चिपचिपा भी फिर वो मेरे पर से उठा तो मै अपने पेटीकोट से चूत साफ की फिर कपड़ा पहन शादी की मंडप की ओर गई, देर रात तक शादी के रस्म देख खाना खाई और फिर से सुहाग्सेज पर जाकर लेट गई…
( विवेक मुस्कुराने लगा ) बहन है मेरी और उसकी ओर तो आंख उठाकर भी देखना पाप है ” इधर मेरी चूत में लंड का गपागप घुसना उसके रस को उड़ा चुका था तो बुर की गर्मी से परेशान दीपा अब चीखने लगी ” चोद चोद और तेज ओह इतनी मस्ती दस दिन के बाद ही मिल रही है उह मेरी बुर की गर्मी ” और देवर जी चोदते हुए हांफने लगे साथ ही मेरे ऊपर अब सवार होकर चोद रहे थे तो मैं भी अपने चूतड उछालते हुए उसके लंड का धक्का सहने लगी। कार में पिछले सीट पर नंगी लेटी हुई दीपा के बदन पर उसका देवर लेटकर चोदे जा रहा था तो उसका लंड राजधानी एक्सप्रेस से भी तेज गति में अंदर और बाहर हो रहा था और मै अपने गोल गद्देदार चूतड उछाल उछालकर हांफने लगी लेकिन विवेक रुकने और झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, दोनों वातानुकूलित कार में पसीना पसीना हो चुके थे तो अब मैं चूतड स्थिर की फिर विवेक १०-१२ जोर का धक्का दिया और उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ मेरी चूत को ठंडा कर दिया, बुर वीर्य से लबालब था तो चिपचिपा भी फिर वो मेरे पर से उठा तो मै अपने पेटीकोट से चूत साफ की फिर कपड़ा पहन शादी की मंडप की ओर गई, देर रात तक शादी के रस्म देख खाना खाई और फिर से सुहाग्सेज पर जाकर लेट गई…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.